लोग कहते हैं कि क्या लाभ है, मंदिर बनाने और महोत्सव कराने से? इतने ही रुपए खर्च करने के लिए उपलब्ध हैं, तो hospitals, schools and colleges खुलवा देने चाहिए।
बस व्यर्थ का धन व्यय करना आता है सरकार को...
चलिए, जो लोग यह मानते हैं, उनके साथ हिसाब-किताब लगा लेते हैं कि क्यों hospitals, schools and colleges के साथ ही मंदिर निर्माण और महोत्सव भी किए जाने चाहिए।
Article शुरू करने से पहले, आप को बता दें कि, इस सरकार के आने से न केवल मंदिर निर्माण और महोत्सव को प्रोत्साहन मिला है, अपितु educational institute and medical field में भी बढ़ोतरी हुई है।
लेकिन अभी, जब हमारे भारत देश में इतना बड़ा महोत्सव प्रयागराज में चल रहा है तो, उसका ही उदाहरण लेते हैं और देखते हैं कि महाकुंभ महोत्सव से अर्थव्यवस्था में सुधार होगा कि नहीं, उसकी गणना कर लेते हैं।
महाकुंभ से अर्थव्यवस्था
महाकुंभ महोत्सव में लगने वाली धन राशि है, 12 हजार करोड़ रुपए या 120 billion रुपए (₹1,20,00,00,00,000)...
हे भगवान! इतना अधिक...
वही तो, इतने में तो न जाने कितने hospitals, school college खुल जाते, सड़कों का निर्माण हो जाता, बेरोजगारों को रोजगार मिल जाता आदि...
बिल्कुल सही सोच रहे हैं आप।
अब ज़रा यह भी सुन लीजिए कि इससे मिलना वाला profit है, 20 लाख करोड़ रुपए...
सुना आपने, 20 लाख करोड़ रुपए या 20 trillion रुपए (₹2,00,00,00,00,00,000)...
अब सोचिएगा, इससे क्या-क्या होगा?
अब आगे चलते हैं।
12 हजार करोड़ रुपए, पूरी तरह से केवल महाकुंभ महोत्सव में ही नहीं लग गये हैं, बल्कि इसमें से बहुत सारा व्यय, प्रयागराज के कायाकल्प में भी ख़र्च किया गया है।
फिर महाकुंभ महोत्सव तो केवल 45 दिनों के लिए है, 13 January से आरंभ हुआ था और 26 February के बाद समाप्त हो जाएगा, लेकिन उससे प्रयागराज में जो कायाकल्प हुआ है, वो कितने सालों के लिए सुव्यवस्थित हो गया है, यह वहां पर रहने वाले नागरिकों पर निर्भर करता है।
यह expenditure and profit तो वो हुआ, जो सरकार ने खर्च किया है और जो उन्हें लाभ मिलेगा...
अब और सुनिए।
महाकुंभ महोत्सव की ख्याति, केवल भारत तक सीमित नहीं है अपितु देश-विदेश तक पहुंच गई है, जिसके फलस्वरूप देश-विदेश के लाखों-करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं और महाकुंभ में आने की तैयारी कर रहे हैं।
इससे दो लाभ हैं, पहला विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा और दूसरा भारत देश की सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार...
चलिए, अब ज़रा, इस ओर भी सोच लेते हैं कि, केवल व्यय हो रहा है या लोगों के लिए रोज़गार के सुनहरे अवसर भी मिले हैं...
आपको लगता है कि यह बताने की जरूरत है?
चलिए, फिर भी बता देते हैं...
महोत्सव की तैयारियों के साथ ही शुरू हो गये थे, रोजगार के अवसर मिलने..
न जाने कितने ही मजदूरों ने रोजगार पाया, कितने ही चित्रकारों की तूलिकाएं रोजगार पा गयी, न जाने कितने architect को यह proof करने का मौका मिला, कि उनकी प्रतिभा न केवल उन्हें धन-धान्य दे सकती है, अपितु गर्व करने का अवसर भी दे सकती है, कितने ही पुजारियों को संगम का अत्यधिक आशीर्वाद प्राप्त हुआ, आध्यात्मिक और धन-धान्य दोनों रूपों में, सफाई कर्मचारी, सुरक्षा कर्मी, जिनके food business है, ऐसे ही न जाने कितने लोगों के सपने पूरे कर दिए महाकुंभ ने...
और जब से महाकुंभ महोत्सव आरंभ हुआ है, जिनमें भी धनार्जन करने की चाह है, वो मालामाल हुआ जा रहा है...
आप सुनकर हैरान हो जाएंगे, जब आपको पता चलेगा कि वहां अपनी stalls लगाने के लिए लोग, 45 दिन के लिए 48 लाख रुपए दे रहे हैं, अर्थात् एक दिन का एक लाख रुपए तक दे रहे हैं।
चाय जैसी छोटी 10/10 की stall के लिए भी 45 दिन के 12 लाख की demand है और लोग दे भी रहे हैं।
वो Businessman कोई बेवकूफ तो हैं नहीं, क्योंकि वो जानते हैं 10 लगाएंगे तो सौ मिलेंगे, और मिल भी रहा है...
40 करोड़ भक्तों (visitors) के आने का अनुमान है, जिसमें देश विदेश के लोग भी शामिल हैं।
जितनी संख्या में visitors आ रहे हैं, उतनी ही संख्या में वो लोग भी आ रहे हैं, जो महाकुंभ महोत्सव से जुड़कर धनार्जन करना चाहते हैं।
जो वहां पर आने वाले व्यापारी हैं, चाहे वो किसी भी level के हों, चाय-कॉफी बेचने वाले, खाने-पीने की चीजें बेचने वाले, वस्त्र, मालाएं, पूजा सामग्री, अलग तरह के सामान बेचने वाले, technical support करने वाले, महाकुंभ महोत्सव की व्यवस्था में लगने वाले सामानों की मालिकाना companies, हर एक यही कह रहा है कि economy बढ़ाने का इसे अच्छा सुअवसर नहीं मिल सकता है।
अब आप खुद सोचिएगा कि क्या मंदिर निर्माण और महोत्सव को प्रोत्साहन मिलना चाहिए? क्योंकि उसके कारण आर्थिक व्यवस्था और रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, यह निश्चित है...
शायद आपकी सोच बदल गई हो, और आप भी इनके प्रोत्साहन में शामिल हो जाएं।
वैसे अगर आप बिना किसी स्वार्थ और निन्दा के भाव से देखें तो आपको भी यह ज्ञात होगा, कि ये ही वो सुअवसर हैं, जो भारत को एक बार फिर से सोने की चिड़िया बना देंगे।
जहां धन-धान्य, संस्कृति और परंपरा का वास होगा, वही देश सफल बन पाएगा, और यही करने से भारत विश्व विजयी बनेगा।
जय संस्कृति, जय सनातन, जय भारत 🇮🇳
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