Friday, 30 September 2022

Recipe : Phalahari Khandvi

नवरात्र का पर्व हो, डांडिया और गरबा की धूम हो, फिर खांडवी न हो तो थोड़ा अधूरा सा लगता है ना?

खांडवी ! वो कैसे व्रत में खा सकते हैं?

जब आप Shades of Life से जुड़े हुए हैं तो आप ज़रुर से खा सकते हैं, क्योंकि आज हम आपके लिए फलाहारी खांडवी की recipe share कर रहे हैं...

सिंघाड़े के आटे से बनी, फलाहारी खांडवी बहुत ही स्वादिष्ट और instant बनने वाली recipe है।

Fast में बनने वाली, ज्यादातर recipe, बहुत ज्यादा घी, तेल, और sugar से भरी हुई होती है, ऐसे में, diabetic patients और health conscious लोगों को समझ नहीं आता है, कि ऐसा क्या बनाया जाए, जो tasty भी हो और वो अच्छे से खा भी सकें, उनके लिए फलाहारी खांडवी best option है।

फलाहारी खांडवी 


Ingredients

Chestnut flour - 1 Cup

Curd - 1 Cup 

Rock salt - as per taste

Clarified butter (ghee) - 1 tbsp.

Sugar - ½ tsp. (optional) 

Fresh coriander leaves - for garnishing

Sesame seeds - for garnishing 

Dry red chilli (optional)

Coconut powder - for filling (optional) 

Paneer - for filling (optional)

Pomegranate - for garnishing


Method

एक nonstick pan में, chestnut flour (सिंघाड़े का आटा) को medium to slow flame पर 2 to 3 minutes के लिए dry roast कर लीजिए। 

Gas off कर दीजिए, आटे को एक bowl में डाल दीजिए।

उस bowl में दही, rock salt and sugar डालकर अच्छे से mix कर के smooth paste बना लीजिए। 

इसमें 4 cup पानी डालकर अच्छे से mix कर के घोल बना लीजिए। 

थाली के पीछे घी लगाकर, थाली को अच्छे से grease कर लीजिए।

Pan को medium flame पर रखें और इसमें सिंघाड़े के आटे का घोल डालकर पकाएं।

जब घोल semi solid होने लगे तो उसमें एक चम्मच घी डालकर, अच्छे से चलाते रहें और जब paste, pan छोड़ने लगे तो gas off कर दीजिए। 

Paste को थाली पर एकदम पतला-पतला फैला लें।

5 to 10 min के लिए, dry होने के लिए छोड़ दें।

अब इसमें, grated पनीर या नारियल पाउडर फैला दें। 

चाकू से थाली पर फैली खांडवी की लम्बी लम्बी, strip काटकर roll कर लीजिए।

एक ladle spoon (चमचा) में एक चम्मच घी में गर्म करके, उसमें सफेद तिल और खड़ी लाल मिर्च को डालकर कड़का लें।

इसे बनी हुई खांडवी पर डाल दीजिए।

Finely chopped coriander leaves and pomegranate से खांडवी को garnish कर दीजिए।

Perfect खांडवी के लिए, इन tips and tricks पर ज़रुर से ध्यान दीजिए


Tips and Tricks :

Chestnut flour को medium flame पर ज़रुर से भूनिएगा, इससे एक तो सिंघाड़े के आटे का कच्चापन खत्म हो जाएगा साथ ही खांडवी बनाने के लिए, उसमें लोच बढ़ जाएगा। 

सिंघाड़े का आटा भूनते समय, बराबर से चलाते रहिएगा, क्योंकि इसका आटा बहुत ही जल्दी जल जाता है और अगर वो जल गया तो, खांडवी का सारा taste spoil हो जाएगा। 

Gas off करने के बाद, तुरंत ही आटा pan से निकाल कर bowl में डाल दीजिए, जिससे उसकी over roasting ना हो।

आटा को इतना हल्का भूनना है कि बस उसका कच्चापन खत्म हो, उसके आटे की रंगत ना बदले।

एक ही कप से सारे ingredients नापें, जिससे ratio गड़बड़ ना हो।

आटा हल्का ठंडा हो, तभी दही मिलाकर फेंट दें। 

आटे और दही का smooth paste बनाना है, तभी perfect खांडवी बनेगी।

पानी का ratio ठीक रखना है।

जब pan में घोल पका रहे हों तो जल्दी-जल्दी चलाना है, क्योंकि सिंघाड़े का आटा बहुत तेज़ी से गाढ़ा होने लगता है, और उसमें lumps बनने लगते हैं। 

जबकि perfect खांडवी के लिए paste, lumps free होना चाहिए।

सिंघाड़े के आटे का semi solid paste 2 से 3 minutes में बन जाता है।

Paste ऐसा होना चाहिए कि जब उसे थाली में रखें तो बहे नहीं पर अगर उसे scraper (flat चमचा) से फैलाएं तो वह easily फैल सके।

थाली में greasing, घोल पकाने से पहले ही लगा दें, क्योंकि सिंघाड़े के आटे का paste बहुत जल्दी बनता है।

दूसरी बात कि paste को गर्म-गर्म ही फैलाया जाता है।

गर्म होने पर ही पतली layer बनती है और जितनी पतली layer बनेगी, खांडवी उतनी perfect बनेगी।

खांडवी में filling and garnishing आप अपने taste के according कुछ भी कर सकते हैं। 

अगर आप को चटपटा taste पसंद है तो आप filling में finely chopped ginger and chillies भी डाल सकते हैं।

खांडवी बनाने में कुछ भी ऐसा नहीं होता है, जो आपको easily नहीं मिल सके। 

Readily available ingredients, easily prepare होने वाली, healthy and tasty dish है खांडवी, तो सोचना क्या षष्ठी में इसे prepare करें और माँ को प्रसाद चढ़ाएं।

Thursday, 29 September 2022

Article : Navratri Gift by Indian Railways

नवरात्र में रेलवे का तोहफा  



इस नवरात्र में हम उनके लिए एक खुशखबरी लेकर आए हैं, जिन्हें नवरात्र के दौरान Indian Railways के through journey करनी पड़ती है।

व्रत के समय यात्रा करना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि ऐसे समय में फलाहार खाना मिलना बहुत कठिन हो जाता है और हर समय फल, आदि खाकर व्रत करना बहुत कष्टकारी हो जाता है।

अगर आप भी नवरात्र के दिनों में train journey कर रहे हैं तो अब आप को बहुत ज़्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।

आप सोच रहे होंगे कि ऐसा भी क्या हो गया है?

तो हम आपको बता दें कि अब से Indian Railways में नवरात्र special थाली देने का arrangement भी कर दिया गया है।

नवरात्र special थाली! वो भी train में!

जी हाँ! आप ने बिल्कुल सही सुना है। Indian Railways अब नवरात्र special थाली भी दे रहे हैं। और दूसरी good news यह है कि, इस नवरात्र special थाली का price भी बिल्कुल reasonable है।

आप को variety का फलाहार खाना, 100 रुपए तक में मिल जाएगा।

Navratri Special Thali: नवरात्रि के दौरान train में सफ़र करने वाले यात्रियों को IRCTC अब 100 रुपये से भी कम rate में शुद्ध सात्विक व्रत की थाली उपलब्ध करा रहा है। इसके लिए passenger को e-catering partner के helpline '1323' को dial कर, खाना order करना होगा। फिर आपकी थाली, सीधे आपकी seat पर पहुंचा दी जाएगी।

इसके अलावा आप food on train, पर भी order कर सकते हैं।

साथ ही अगर आप को कोई भी confusion हो तो आप, इस number पर 844-844-0386 directly call भी कर सकते हैं, जिसमें railway  का customer care executive, आप के food order के according आप को assist कर देगा।

आइए अब जानते हैं कि IRCTC के menu में क्या क्या है? और कितने रुपए का है?

IRCTC Fast Special menu:

99 रुपये - फल, कुट्टू की पकौड़ी, दही 

99 रुपये- 2 पराठे, आलू की व्रत वाली सब्जी, साबूदाने की खीर 

250- पनीर पराठा, सिंघाड़ा और आलू पराठा 

इन सबके साथ ही नवरात्रि special थाली, साबूदाना की खिचड़ी, साबूदाना बड़ा, उपवास platter, लस्सी, roasted मखाना, रबड़ी और अंगूर रबड़ी के साथ-साथ फलाहारी थाली का भी arrangement किया गया है।

इसके अलावा आप शाही पनीर, आलू, जीरा राइस, फ्रूट रायता, साबूदाना पापड़, उबली हुई शकरकंदी और मिठाई‌ का भी आनंद उठा पाएंगे। IRCTC की तरफ से 400 stations पर ये  facility available होगी।  

IRCTC के according नवरात्रि के समय व्रत के दौरान कई यात्रियों को खाने-पीने को लेकर चिंता होती है। इसे ध्यान में रखते हुए व्रत special थाली की व्यवस्था करने का फैसला किया गया है। इस व्यवस्था को demand के according आगे भी जारी रखा जा सकता है।

IRCTC के इस फैसले से व्रत के दौरान यात्रा कर रहे यात्रियों की परेशानी दूर हो गई है। 

एक बार सोचिए जरुर कि जब भारत में लाखों लोग नवरात्र में व्रत रखते हैं, तो इस अच्छी scheme के बारे में पहले क्यों नहीं सोचा गया?

साथ ही इस scheme को बढ़ावा जरुर दीजियेगा, जिससे यह अच्छी सोच और प्रयास हमेशा कायम रहे...


जय माता दी 🙏🏻

Wednesday, 28 September 2022

India's Heritage : Navratri - why 9 nights?

 नवरात्र में नौ रात ही क्यों?


नवरात्रि में पूजा की नौ रात ही क्यों होती हैं? 

हिन्दू धर्म, को सर्वश्रेष्ठ धर्म माना गया है, पर क्यों?

ऐसा क्या विशेष है इसमें? क्यों इसे सनातनी कहा गया है?

क्या आप ने कभी सोचा है, ऐसा क्यों?

ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर आप गहराई में जाकर, हिन्दू धर्म का अध्ययन करेंगे तो आप पाएंगे कि हिन्दू धर्म में एक-एक विधि एक-एक पर्व अपने अंदर विज्ञान को समेटे हुए है। कोई भी तथ्य बिना किसी पुष्टि के हिन्दू धर्म में सम्मिलित ही नहीं है।

आज कल नवरात्र चल रहे हैं तो आज के विरासत अंक में हम नवरात्र के विशिष्ठ रुप पर ही बात करते हैं। 

आप जानते हैं कि, नवरात्रि चार बार आती है, दो गुप्त और दो सामान्य।

जिसमें गुप्त नवरात्रि, तांत्रिक लोग मनाते हैं, क्योंकि ऐसा माना गया है कि गुप्त नवरात्रि, तांत्रिक साधनाओं की सिद्धि के लिए होती है जबकि सामान्य नवरात्रि, शक्ति की साधना के लिए। 

कहा जाता है कि नवरात्रि में साधना करने से, उसके सफल होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

फिर ऐसा क्या कारण है कि नवरात्रि में पूजा-अर्चना के मात्र 9 दिन ही होते हैं? 

जब नवरात्रि में पूजा पाठ का इतना महत्व है तो 9 दिन से अधिक की नवरात्रि क्यों नहीं होती?

इसका बहुत बड़ा कारण है – प्राकृतिक कारण और शारीरिक कारण

नवरात्र के दौरान होने वाले महत्वपूर्ण परिवर्तन:

दरअसल इन नौ दिनों में, प्रकृति में विशेष प्रकार का परिवर्तन होता है और ऐसा ही परिवर्तन, हमारी आंतरिक चेतना और शरीर में भी होता है। प्रकृति और शरीर में स्थित शक्ति के महत्व को समझना ही शक्ति की आराधना का केंद्र बिन्दु है।

अगर आप विचार करेंगे तो आपको ज्ञात होगा कि चैत्र और आश्विन के नवरात्रि का समय ऋतु परिवर्तन का समय है।

ऋतु-प्रकृति का हमारे जीवन, चिंतन एवं धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। 

इसीलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने बहुत सोच-विचार कर सर्दी और गर्मी की इन महत्वपूर्ण ऋतुओं के मिलन या संधिकाल को नवरात्रि का नाम दिया — चैत्र नवरात्र व शारदीय नवरात्र।

यदि आप नवरात्र के नौ दिनों अर्थात साल के 18 दिनों में सात्विक, फलहारी या निराहारी रहकर, (जैसा भी आप से सध सके) भक्ति भाव से माँ की आराधना करते हैं, तो आपका शरीर और मन पूरे वर्ष, निरोगी वो प्रसन्न रहता है। 

नवरात्र के नौ दिनों में जो व्यक्ति, माता की भक्ति या ध्यान करता है, माँ उसकी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। बहुत से लोग संकल्प के साथ आराधना करते हैं। वे जो भी संकल्प लेकर नौ दिन साधना करते हैं, उनका वह संकल्प पूर्ण हो जाता है।

इस दौरान कठिन साधना का ही नियम है। कुछ लोग मन से अन्य नियम बनाकर भी व्रत या उपवास करते हैं, जो कि अनुचित है। जैसे कुछ लोग चप्पल पहनना छोड़ देते हैं, कुछ लोग सिर्फ खिचड़ी ही खाते हैं, इत्यादि। इस प्रकार के नियम साधना के उद्देश्य से अनुचित है। शास्त्र सम्मत व्रत ही उचित होते हैं। 

'नौ' अंक महत्वपूर्ण क्यों? 

अगर आप देखेंगे तो पाएंगे कि हिन्दू धर्म में सात अंक व नौ अंक का विशेष महत्व है।

लोक सात, आसमान सात, समुंद्र सात, हफ्ते में दिन सात, जन्म सात, शरीर में चक्र सात...

इन्हीं सात को सम्पूर्ण करता है, अंक नौ।

नौ ग्रह, नवरस, नवरत्न, पुराण भी नौ, गर्भावस्था के महीने भी नौ..

इसलिए अंकों में नौ अंक पूर्ण होता है, अर्थात नौ के बाद कोई अंक नहीं होता है। 

नौ ग्रहों का, हिन्दू मान्यता के अनुसार, महत्वपूर्ण स्थान होता है, क्योंकि किसी भी जीव के जीवन पर ग्रहों का विशेष प्रभाव पड़ता है।

अब आते हैं साधना पर, वो भी नौ दिन की ही उपयुक्त मानी गई है, जिसका पूरा सम्बन्ध मानव शरीर से जुड़ा हुआ है। 

कैसे? आइए, जानते हैं –

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि किसी भी मनुष्य के शरीर में सात चक्र होते हैं, जो जागृत होने पर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं, और मानव जीवन तभी सार्थक है, जब मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

नवरात्रि के नौ दिनों में से 7 दिन तो, चक्रों को जागृत करने की साधना के लिए होते है। 8वें दिन शक्ति को पूजा जाता है और 9वा दिन, सबसे विशेष होता है, क्योंकि यह दिन शक्ति की सिद्धि का होता है। शक्ति की सिद्धि यानि हमारे भीतर शक्ति का जागृत होना। अगर सप्तचक्रों के अनुसार देखा जाए तो यह दिन कुंडलिनी जागरण का माना जाता हैं। अर्थात् मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करने का दिन...

इसीलिए इन नौ दिनों को, हिन्दू धर्म ने, माता के नौ रूपों से जोड़ा है। शक्ति के इन नौ रूपों को ही मुख्य रूप से पूजा जाता है। वे नौ रूप हैं - शैलपुत्री देवी, ब्रह्मचारिणी देवी, चंद्रघंटा देवी, कूष्मांडा देवी, स्कंद माता, कात्यायनी देवी, मां काली, महागौरी और देवी सिद्धिदात्री।

माँ के हर रुप की अपनी विशेषता और महत्व है। इसलिए सभी दिनों में समभाव रुप से मातारानी की आराधना, उपासना व साधना करनी चाहिए।

जयकारा शेरावाली दा...

बोलो सांचे दरबार की जय...

बोलो अम्बे मात्र की जय... 

माता रानी जी की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻🙏🏻

Monday, 26 September 2022

Bhajan (Devotional Song) : तू ही है माँ

माता रानी जी के शुभ आगमन पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ 💐

हे माँ, हम सब पर आपकी विशेष कृपा रहे🙏🏻🙏🏻

तू ही है माँ



 तू ही है शेरावाली

तू ही है खप्पर वाली 

तू ही है माँ

जन जन में तू ही बसती

कण कण को तू ही रचती 

तू ही है माँ

तू ही भाग्य विधाता

तू ही कर्मों की दाता 

तू ही है माँ

भक्तों को हरषाने वाली

दुःख दूर भगाने वाली

तू ही है माँ

दर पे जो तेरे आए

झोली ना खाली जाए 

तू ही है माँ 

तू ही है शेरावाली

तू ही है खप्पर वाली 

तू ही है माँ

तू ही है माँ मेरी अम्बे 

तू ही तो है जगदम्बे

तू ही है दुर्गा माता

तू ही है माँ 

तू ही महाकाली

तू ही जोतावाली 

तू ही है लक्ष्मी माता

तू ही है माँ 

तू ही है माँ 






जयकारा शेरावाली दा 

💐शुभ शारदीय नवरात्र 💐

भजन को अपनी मीठी आवाज़ में अद्वय सहाय ने प्रस्तुत किया है। भजन का आनंद लें व छोटे से बच्चे को आर्शीवाद प्रदान करें 🙏🏻


माता रानी के और भी नए भजन आप को यहां click 👇🏻 करने पर मिल जाएंगे, आप उनका भी आनन्द लें सकते हैं...

माता रानी के भजन


Friday, 23 September 2022

Article : राजू श्रीवास्तव - एक प्रेरणा

 राजू श्रीवास्तव - एक प्रेरणा

राजू श्रीवास्तव, एक ऐसा नाम, जो प्रेरणा से ओत-प्रोत है, जिन्होंने सिद्ध किया कि अगर आप में दृढनिश्चय हो तो सफलता आपके कदम चूमेगी ही।

सफलता के लिए, न तो looks मायने रखते हैं, न ही nepotism, न ही godfather, न ही रुपए पैसे और इन्होंने तो यह भी सिद्ध कर दिया कि कामयाबी के लिए पढ़ाकू होना भी कोई benchmark नहीं है।

आप कहेंगे कि फिर मायने क्या रखता है? 

मायने रखता है, आप का talent, determination, continuous efforts & ख़ुद पर belief.

आप कहेंगे कि talent तो जरुरी है, पर वह ही न हो तो?

तो हम कहेंगे कि कोई भी ऐसा नहीं होता है, जिसमें कोई भी talent ना हो, सब में कोई न कोई talent तो होता ही है। ईश्वर ने हर एक को कोई ना कोई talent अवश्य दिया है। बस जरूरत है तो उस talent को पहचानने की, दृढनिश्चय करने की और निरंतर लक्ष्य को पाने के लिए प्रयासरत रहने की।

राजू श्रीवास्तव ने भी जब stand-up comedian बनने की इच्छा सबको बताई थी, तो उनका profession सुनकर किसी ने उनकी बहुत तारीफ नहीं की थी, बल्कि बहुत सारे ताने ही मिले थे कि "भला, यह भी कोई काम हुआ!" "यह तो शौक होता है, इससे पैसे थोड़ी कमाए जाते हैं।"

लेकिन उन्होंने किसी बात की परवाह नहीं की। जब उन्हें काम मिलना आरंभ हुआ, तब मात्र ₹50 से उन्होंने अपनी stage shows की शुरुआत की थी; किसी से उन्हें इस काम के लिए सम्मान भी नहीं मिलता था।

पर वो डटे रहे, अपनी मेहनत और लगन के साथ...

आख़िरकार, उनकी मेहनत और उनका talent रंग लाए, उन्हें काम भी मिला और नाम भी, साथ ही धन-धान्य भी। अगर सूत्रों की मानें तो हाल में वह उसी एक stage show के वह 5 से 10 लाख रुपए charge करते थे।

उन्हें ऐसी पहचान मिल गई कि वो भी सितारा बन कर उभर आए। उसके बाद तो वे TV, movies सब में नज़र आने लगे थे।

TV artists, फिल्मी सितारे, अभिनेता, नेता सभी के साथ तो, राजू श्रीवास्तव नज़र आते थे। 

राजू श्रीवास्तव, इस तरह से अपनी रचनाओं में हास्य व्यंग को पिरोते थे कि, कुछ क्षण के लिए वे हम सबसे जुड़ जाते थे। और उनका वह काल्पनिक किरदार, 'गजोधर भइया' भी ऐसा गज़ब का था, कि वो मात्र एक कलपना है, इसका भी एहसास नहीं होता था।  राजू श्रीवास्तव में जिंदादिली और spontaneity कमाल की थी। उनकी किस्सागोई से, हम सब अपने गमों को भूलाकर, उनके साथ कहकहे लगाने लगते थे।

राजू श्रीवास्तव जी ने सबको बता दिया, आप किसी भी field में successful हो सकते हैं, famous हो सकते हैं, कुछ कर के दिखा सकते हैं। बस करना वो चाहिए, जिसमें आप माहिर हों, जिसमें आप कुछ ऐसा कर सकते हैं, जो औरों से अलग हो। साथ ही दृढ़निश्चय रहें और बहानेबाज न बनें...

किसी को हंसाने का कार्य दुनिया में सबसे कठिन होता है, पर उसके माहिर फनकार – राजू श्रीवास्तव – सामने हों तो कोई भी अपनी हंसी रोक सके, यह नामुमकिन है।

परंतु वे इंसान, जो हम सब को हँसाने में माहिर थे, वे अब चिर निद्रा में लीन हो गए हैं।

वे महान हैं और उन पर मेरा article लिखना, उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं है।

पर हमारे लिए इस विषय पर article लिखने का सिर्फ एक ही उद्देश्य है — अगर अभी तक, आप नहीं सोच पाए हैं कि किस ओर आगे बढ़ना है; तो एक बार राजू श्रीवास्तव जी के विषय में जरुर सोचिएगा, उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दीजिएगा और एक बार अपने मन से पूछिएगा कि, 'ऐ दिल मुझे बता, मेरा कौन-सा रास्ता, कौन-सी मंजिल?' फिर आप को भी दुनिया पर छा जाने से कोई नहीं रोक सकता।

राजू श्रीवास्तव जी, हास्य जगत की दुनिया में आप सदैव अमर रहेंगे। हम सब के दिलों में हमेशा रहेंगे, एक प्रेरणा बनकर...

आप को शत् शत् नमन 🙏🏻

ईश्वर आपकी महान आत्मा को मोक्ष प्रदान करें 🙏🏻🙏🏻



Thursday, 22 September 2022

Article : लड़कियाँ कितनी सुरक्षित?

 लड़कियाँ कितनी सुरक्षित? 



आज का हमारा यह article, एक बहुत important news और साथ ही एक ऐसी सोच जिसके बारे में अब awareness जरूरी है। 

लड़कियाँ कितनी सुरक्षित? 

यह एक बहुत बड़ा सवाल है, और तब यह और बड़ा बन जाएगा, जब आप article पूरा पढ़ेंगे, अतः इसे पूरा अंत तक अवश्य पढ़िएगा। क्योंकि हम इसमें आपको ऐसी घटना के विषय में बताने जा रहे हैं, जो पूर्णतया सत्य है और हमें सोचने को भी मजबूर कर देगी...

यह घटना है, एक girls hostel की है, जहाँ लड़कियों की bathing के समय की अश्लील videos बना कर दूसरों को send की जा रहा थीं। और हैरानी की बात यह है कि वो videos बनाने का काम उस hostel में रह रही एक लड़की, एक साथ पढ़ने वाली छात्रा, ही कर रही थी।

और जिन लड़कियों के videos बने, उनमें से, कहा जा रहा है कि एक ने suicide भी कर ली है; वहीं कुछ छात्राओं के लिए यह बताया जा रहा है कि वह self-harm कर रही हैं। 

मतलब आप समझ रहे हैं? 

अब लड़कियों को केवल लड़कों से सावधान रहने की नहीं बल्कि लड़कियों से भी सावधान रहने की जरूरत है। 

एक लड़की होकर, अगर वो दूसरी लड़की की अस्मिता (esteem), अस्तित्व (identity) या वेदना (pain) नहीं समझ सकती है, तो किसी पर भी विश्वास करना कितना कठिन है।

या दूसरे शब्दों में कहें तो, लड़कियों को हर क्षण हर पल, सावधान रहने की आवश्यकता है, वरना कब, कहाँ, कौन आप का फायदा उठाकर चल देगा, कोई नहीं जानता...

जिस घटना का हमने जिक्र किया है, यह एक सत्य घटना है। हमने college, hostel और उस लड़की का नाम mention नहीं किया है, क्योंकि इस article का उद्देश्य किसी की बदनामी करना नहीं है। बल्कि यह उद्देश्य है कि लड़कियों को किस हद तक सुरक्षित रहना चाहिए।

यह घटना, कहीं भी, कभी भी हो सकती है, लेकिन हमें अपनी बेटियों को पूर्णतः सचेत करना आवश्यक है। और ऐसा कुछ किसी और बेटी के साथ ना हो, इसी सोच के तहत हमने इस article को post किया है। इस बात पर विशेष ध्यान दें।

सतर्क रहें, सुरक्षित रहें। 

Tuesday, 20 September 2022

Article : हिन्दी भाषा का अस्तित्व

हिन्दी भाषा का अस्तित्व 


अभी जब हिन्दी पखवाड़ा चल रहा है तो हमने सोचा, हम भी हिन्दी भाषा का जितना अधिक प्रचार-प्रसार कर सकते हैं, करें।

जब हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार व प्रयोग करेंगे, तभी हिन्दी भाषा को वो अधिकार मिलेगा, जिसकी वो अधिकारिणी है। अर्थात राष्ट्रभाषा बनने का मान।

अब जब बात चली ही है तो, अभ्युदय से प्रारंभ होनी चाहिए।  माँ भारती‌‌ के कोटि कोटि प्रणाम के साथ ही  यह लेख आरंभ कर रहे है।

  • उत्पत्ति - हिंदी भाषा की उत्पत्ति, संस्कृत भाषा से हुई है। 
  • संस्कृत भाषा, विश्व की सर्वक्षेष्ठ भाषा है। संस्कृत से बढ़कर कोई भी वैज्ञानिक भाषा नहीं है। पर यह भाषा थोड़ी कठिन भी है।
  • अतः हर कोई इसके सभी शब्दों का उच्चारण शुद्धता के साथ नहीं कर पाता था, अतः ऐसी भाषा की उत्पत्ति की गई, जो संस्कृत भाषा जैसी वैज्ञानिक तो हो, साथ ही साथ सरल व सहज भी हो; जिससे प्रत्येक व्यक्ति उससे जुड़कर अपने ह्रदय के हर भाव को व्यक्त कर सके। और ऐसी ही वैज्ञानिक, सरल व सहज है, हम सब की प्रिय भाषा - हिन्दी।
  • हिंदी, भारतीय गणराज्य की राजकीय और मध्य भारत की आर्य भाषा है।
  • हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी हैं। (लिपि अर्थात हम किसी भाषा को लिखित रूप में किस तरह से लिखते हैं।)
  • हिन्दी को भारत की आधिकारिक भाषा माना जाता है।
  • भारत में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए, एक निदेशालय निर्मित किया गया है, जिसे केंद्रीय हिंदी निदेशालय कहते हैं। 

यह तो हुई उत्पत्ति, अब जान लेते हैं, हिंदी भाषा का कितने लोग प्रयोग करते हैं।

आप को हर्ष और गर्व की अनुभूति होगी कि हमारी हिंदी भाषा, विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली, तीसरी भाषा है।

इसमें मेंडरिन प्रथम स्थान पर, अंग्रेजी द्वितीय स्थान और हिंदी तृतीय स्थान पर है। 

मेंडरिन भाषा, चीन की राष्ट्रभाषा है। वहाँ की सर्वाधिक जनसंख्या के कारण ही मेंडरिन प्रथम स्थान पर है। पर मेंडरिन भाषा, केवल चीन में ही बोली जाती है।

अंग्रेजी भाषा, इंग्लैंड की राष्ट्र-भाषा है। इंग्लैंड की जनसंख्या तो अधिक नहीं है, पर अंग्रेजी भाषा बहुत से देशों में बोली जाने वाली भाषा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने जहाँ जहाँ भी शासन किया, वहाँ अपनी भाषा को स्थापित कर दिया, लोग को बाधित कर दिया, अंग्रेजी भाषा के प्रयोग के प्रति...

यहाँ तक कि कुछ देशों में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग इतना अधिक है कि वो उनकी मातृभाषा से ज्यादा बोली जाती है। 

अब आते हैं हमारी राजभाषा हिंदी भाषा पर: यह विश्व में तीसरे स्थान पर है, क्योंकि हमारी जनसंख्या, विश्व में दूसरे स्थान पर है। साथ ही हिन्दी भाषा भी अन्य देशों में बहुतायत में बोली जाती है। 

आइए आपको बताते हैं कि भारत के बाहर हिन्दी किन-किन देशों में बोली जाती है। इनमें से पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव्स, म्यानमार, इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, चीन, जापान, जर्मनी, न्यूज़ीलैड, दक्षिण अफ्रीका, मॉरिशस, यमन, युगांडा, कनाडा, आदि में हिंदी बोलने वालों की अच्छी-खासी संख्या है। इसके आलावा इंग्लैंड, अमेरिका और मध्य एशिया में भी इसे बोलने और समझने वाले लोगों की अच्छी संख्या है।

सोचिए, भारत ने तो किसी भी अन्य देश पर शासन नहीं किया, ना ही किसी अन्य देश को बाधित किया कि वह हिंदी बोलें, फिर भी हिन्दी भाषा अन्य देशों में भी बोली जाती है। 

सोचिए, भारत की जनसंख्या दूसरे स्थान पर है, साथ ही अन्य देशों में भी बोली जाती है, फिर भी हिन्दी तृतीय स्थान पर है, अगर हिन्दी भाषा अन्य देशों में नहीं बोली जाती तो शायद वो तृतीय स्थान पर भी न होती। 

ऐसा इसलिए है, क्योंकि हिंदी भाषा की विशेषता जो अन्य देशों को समझ आ गई है, वो हम समझना ही नहीं चाहते हैं। ना ही हम अपनी हिंदी को वह सम्मान देना चाहते हैं जो चीन और इंग्लैंड ने अपनी राष्ट्रभाषा को दिया हुआ है। 

आखिर हम कब तक गुलामी को ऐसे ही ढोते रहेंगे और हिंदी भाषा को उसका अस्तित्व, उसका सम्मान प्रदान नहीं करेंगे?

आखिर क्यों नहीं, हम अपनी राजभाषा को राष्ट्र-भाषा का सम्मान दे देते हैं।

यदि भारत में सब लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करने लगें तो वो दिन दूर नहीं, जब हिन्दी, विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में प्रथम स्थान प्राप्त कर लेगी। 

तो चलिए, हिंदी भाषा का प्रयोग हर क्षेत्र में कर के एक प्रयास करते हैं, हिंदी भाषा को विश्व में प्रथम स्थान पर पहुंचाने का, हिंदी भाषा को उसका अस्तित्व दिलाने का, उसे राजभाषा से राष्ट्र-भाषा बनाने का...

जय हिन्द जय हिन्दी 🇮🇳

Friday, 16 September 2022

Article : शुक्ल पक्ष व कृष्ण पक्ष🌜🌝🌛🌚

यह हिन्दी दिवस का सप्ताह चल रहा है। जिस एक हफ्ते में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के विषय में, हम सभी बातें करते हैं। और यह सप्ताह व्यतीत होते ही हम पुनः विदेशी भाषाओं पर ध्यान केंद्रित कर लेते हैं।

उसी के कारण, हमारी युवा पीढ़ी, दुनिया की सबसे ज्यादा वैज्ञानिक भाषा से अनभिज्ञ हैं। और वह भाषा है हिन्दी...

यह भाषा, जितनी वैज्ञानिक भाषा है, उतनी ही सरल सहज व सटीक भी। फिर भी हमारे बच्चे, हिंदी में कोई रुचि नहीं लेना चाहते हैं।

जिसका बहुत बड़ा कारण है, हिंदी भाषा का बहुत कम ज्ञान। 

इसी में एक कड़ी है, कलेंडर

हमें अंग्रेजी कलेंडर, उसके महीने, उसकी तिथि, सब मुँह ज़ुबानी याद रहती है, पर अगर बात हिन्दी कलेंडर की आती है, तो हम बगलें झांकने लगते हैं।

तो आज की इस विरासत की श्रृंखला में आप को हिन्दी कलेंडर के विषय में ही बता रहे हैं, जिसे हिन्दी भाषा में पंचांग भी कहते हैं। हम आपको सिलसिले वार पूरे कलेंडर के विषय में बताते हैं।

शुक्ल व कृष्ण पक्ष 🌜🌝🌛🌚


जैसा कि सब को पता है कि, हिंदू धर्म में किसी भी खास आयोजन में तिथियों की विशेष भूमिका होती है। कोई भी कार्य बिना शुभ मुहूर्त के बिना नहीं होता है।

 पंचांग एक हिंदू कैलेंडर है। 

पंचांग, दो तरह के होते हैं, दैनिक और मासिक... 

दैनिक पंचांग में जहां एक दिन विशेष का विवरण होता है,  वहीं मासिक पंचांग में पूरे महीने भर का विवरण होता है। 

मासिक पंचांग यानी हिंदू कैलेंडर में एक महीने को 30 दिनों में बांटा गया है। 

इस 30 दिनों को फिर से दो-दो पक्षों में बांटा जाता है, और दोनों ही पक्षों के अपने अपने नाम हैं।

जिसमें 15 दिन के एक पक्ष को शुक्ल पक्ष कहते है और बाकी बचे 15 दिन को कृष्ण पक्ष कहा जाता है।  

कृष्ण का अर्थ है, काला व शुक्ल का अर्थ होता है, चमकदार, श्वेत इत्यादि... 

चंद्रमा की कलाओं के ज्यादा और कम होने को ही शुक्ल और कृष्ण पक्ष कहते हैं। आइए जानते हैं वैदिक शास्त्र में इन दोनों पक्षों का महत्व। 

 

कृष्ण पक्ष 🌚

पूर्णिमा और अमावस्या के बीच वाले हिस्से को हम कृष्ण पक्ष कहते हैं। जिस दिन पूर्णिमा तिथि होती है उसके अगले दिन से कृष्ण पक्ष की शुरूआत हो जाती है, जो अमावस्या तिथि के आने तक 15 दिनों तक रहती है। 

कृष्ण पक्ष में नहीं किए जाते हैं शुभ कार्य

मान्यता है कि जब भी कृष्ण पक्ष होता है तो उस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना उचित नहीं होता है। दरअसल इसके पीछे ज्योतिष में चंद्रमा की घटती हुई कलाएं होती है। पूर्णिमा के बाद जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ता है वैसे वैसे चंद्रमा घटता जाता है। यानी चंद्रमा का प्रकाश कमजोर होने लगता है। चंद्रमा के आकार और प्रकाश में कमी आने से रातें अंधेरी होने लगती है। इस कारण से भी कृष्ण पक्ष को उतना शुभ नहीं माना जाता।

कृष्ण पक्ष की तिथियां-  15 दिन (पूर्णिमा, प्रतिपदा, द्वितीय, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी)

शुक्ल पक्ष 🌝

अमावस्या और पूर्णिमा के बीच वाले भाग को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। अमावस्या के बाद के 15 दिन को हम शुक्ल पक्ष कहते हैं। अमावस्या के अगले ही दिन से चन्द्रमा का आकर बढ़ना शुरू हो जाता है और अंधेरी रात चांद की रोशनी में चमकने लगती है। 

पूर्णिमा के दिन चांद बहुत बड़ा और रोशनी से भरा हुआ होता है। इस समय में चंद्रमा बलशाली होकर अपने पूरे आकार में रहता है यही कारण है कि कोई भी शुभ कार्य करने के लिए इस पक्ष को उपयुक्त और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

शुक्ल पक्ष की तिथियां- 15 दिन (अमावस्या, प्रतिपदा, प्रतिपदा, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी)

शुक्ल और कृष्ण पक्ष से जुड़ी कथाएं

पौराणिक कथाओं में शुक्ल और कृष्ण पक्ष से संबंध में कथाएं प्रचलित है।

कृष्ण पक्ष की शुरुआत

शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार दक्ष प्रजापति की 27 बेटियां थीं। इन सभी का विवाह दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा से किया। दक्ष प्रजापति की ये 27 पुत्रियां वास्तव में 27 नक्षत्र थी। चंद्रमा सभी में सबसे ज्यादा रोहिणी से प्रेम करते थे। 

चंद्रमा बाकी सभी से हमेशा रुखा सा व्यवहार करते थे। ऐसे में बाकी सभी स्त्रियों ने चंद्रमा की शिकायत अपने पिता दक्ष से की। 

इसके बाद राजा दक्ष ने चंद्रमा को डांट लगाई और कहा कि सभी पुत्रियों के साथ समान व्यवहार करें।

इसके बाद भी चंद्रमा का रोहिणी के प्रति प्यार कम नहीं हुआ और बाकी पत्नियों को नजरअंदाज करते रहे। 

इस बात को लेकर दक्ष प्रजापति गुस्से में आकर चंद्रमा को क्षय रोग का शाप दे देते हैं। इसी शाप के चलते चंद्रमा का तेज धीरे-धीरे मध्यम होता गया। तभी से कृष्ण पक्ष की शुरुआत मानी गई।

शुक्ल पक्ष की शुरुआत

दक्ष प्रजापति के शाप के चलते क्षय रोग से चंद्रमा का तेज कम होता गया और उनका अंत करीब आने लगा। 

तब चंद्रमा ने भगवान शिव की आराधना की और शिवजी ने चंद्रमा की आराधना से, प्रसन्न होकर चंद्रमा को अपनी जटा में धारण कर लिया। 

शिवजी के प्रताप से चंद्रमा का तेज फिर से लौटने लगा और उन्हें जीवनदान मिला। पर दक्ष के शाप को रोका नहीं जा सकता था ऐसे में शाप में बदलाव करते हुए चंद्रमा को हर 15-15 दिनों में कृष्ण और शुक्ल पक्ष में जाना पड़ता है। इस तरह से शुक्ल पक्ष की शुरुआत हुई। 

आशा है अब आप सभी व हमारे बच्चों को हिन्दी के कलेंडर के विषय में ज्ञान भी हो गया होगा और उसमें रुचि भी  ...

Wednesday, 14 September 2022

Poem : हिन्दी भाषा पर दोहे

भारत की शान, मान और पहचान है हिन्दी। 

पर हिन्दी जिसे भारत में सर्वश्रेष्ठ स्थान मिलना चाहिए, वो नहीं मिल रहा है, बल्कि यह कहना ग़लत नहीं होगा कि हिन्दी साहित्य की सशक्तिकरण और विशेषता कहीं विलुप्त होती जा रही है। उसकी विविधता तो कितने लोग जानते तक नहीं हैं।

आज हिन्दी दिवस के पावन अवसर पर हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेष्ठ विधा 'दोहा' में रचित, 'हिन्दी भाषा पर दोहे' को प्रस्तुत कर रही हूँ। 

साथ ही आज की यह कृति, माँ भारती व अपने परम श्रद्धेय बाबा जी डाॅ. बृजबासी लाल जी (कुलपति, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय) के श्री चरणों में समर्पित कर रही हूँ, जो हिंदी भाषा के प्रकांड विद्वान व परम उपासक थे, और हम सब के प्ररेणा स्त्रोत भी 🙏🏻🙏🏻

आप सभी इन दोहों का आनन्द लें, साथ ही हिन्दी भाषा का प्रचार प्रसार भी करें 🙏🏻


हिन्दी भाषा पर दोहे 


हिन्दी की भाषा सुनो,

होती बहुत सुजान।

हम इसे अपनाएं क्यों,

इसका ले लो ज्ञान।।


हिन्दी है सबसे सरल,

बहुत मधुर है गान।

इसमें भाव अपार है,

जान सके तो जान।।


हिन्दी जैसी सटीकता,

और कहीं ना आए।

शब्द जो जैसा लिखा,

 वैसा बोला जाए।।


हिन्दी भाषा प्रेम की,

सबको दे पहचान।

छोटा हो या हो बड़ा, 

सबको दे वो मान।। 


हिन्दी है माँ सी सरस, 

हिन्दी का हो मान।

तन मन से सेवा करो,

अपनी उसको जान।।


अंग्रेज़ी तो सब पढ़े,

हिन्दी पढ़े न कोय।

मानुष जब हिंदी पढ़े,

जनम सफल तब होय।।


बहुत सी भाषा देखी,

अपनी लगी न कोय।

देखन जो हिन्दी गया,

प्रीत उसी से होय।।



जय हिन्द जय हिन्दी 🇮🇳 

आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐

Tuesday, 13 September 2022

Article: Trains में मिलेगा मुफ्त खाना-पानी

 Trains में मिलेगा मुफ्त खाना-पानी 


आज हम अपने इस article में लेकर आए हैं, एक ऐसी good news कि जिसे पढ़कर आप खुशी में बोल उठेंगे कि Wow ! Great, पहले क्यों नहीं पता था। 

यह हुई गज़ब की बात! 

ऐसी सुविधाएं तो मिलनी ही चाहिए। 

तो यह facility है, Indian railways से जुड़ी हुई। यह बहुत useful article है, इसलिए इसे पूरा अवश्य पढ़िएगा, इसमें हम आपके लिए, दो important बात लेकर आए हैं। साथ ही अपने circle में share भी जरुर कीजिएगा, क्योंकि खुशियों पर सबका अधिकार है।

तो चलिए बताते हैं आपको कौन सी है वो बात।

हमारी Indian rail, जिससे हम सब जुड़े हुए हैं। हों भी क्यों ना, जब यह वो मजबूत सूत्र है, जो हमें हमारे अपनों से जोड़ती है।

हम सभी, वक्त-वक्त पर रेलवे द्वारा अपनी मंजिल पर तो पहुंचते ही हैं। साथ ही रेलवे, अपने यात्रियों के सफर को सफल बनाने के लिए नई नई तकनीकी और नई नई सुविधाएं लाता रहता है। 

लेकिन, तकनीकों और इन सुविधाओं के बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी होती है। 

और आज हम आपको जिस सुविधा के बारे में बताने जा रहे हैं, इसके विषय में भी बहुत कम लोग ही जानते हैं, बल्कि हमें भी इस विषय में कुछ दिन पहले ही पता चला है। 

जब हमें पता चला तो हमने सोचा कि हमारे shades of Life की family को भी यह अवगत होना चाहिए।

अगर आप भी भारतीय रेलवे से सफर करते हैं तो आपको बता दें कि भारतीय रेलवे की तरफ से आपको free में खाना, cold drink जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती है। पर आप इन सुविधाओं को कैसे avail कर सकते हैं, हम अभी आपको वही, बताने वाले हैं।

यह सुविधा आपको तब मिलेगी, जब आपकी train देरी से चलेगी। यानी अगर आपकी train तय समय से नहीं आती है तो आपको रेलवे के द्वारा यह सुविधा मिलेगी।

हालांकि, इस सुविधा के बारे में लोगों को पता नहीं होता है यही कारण है कि लोग इस सुविधा का फायदा नहीं ले पाते हैं। 

दरअसल, यह रेलवे यात्रियों का right है कि अगर train late हो जाती है तो यात्रियों को IRCTC के catring policy के तहत नाश्ता के साथ-साथ हल्का भोजन भी दिया जाता है।

रेलवे की तरफ से कुछ premium train चलाई जाती हैं। इस list में राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी और trains शामिल हैं। 

अगर यह trains अपने निर्धारित समय से late हुई, तो यात्रियों को रेलवे की तरफ से मुफ्त खाना दिया जाएगा। इन गाड़ियों के संचालन पर रेलवे विशेष ध्यान देता है। बता दें, इस तरह की सुविधा aeroplane में भी दी जाती है। अगर कोई flight ज्यादा लेट हुई तो यात्रियों के खाने की व्यवस्था कंपनी को करनी पड़ती है।

कब मिलती है यह सुविधा ? :

IRCTC के नियमों के अनुसार अगर premium trains में से कोई train late हो जाती है तो यात्रियों को free meal की सुविधा दी जाती है। हालांकि, यह सुविधा आपको तब दी जाएगी जब आपकी ट्रेन तय समय से 2 घंटे या उससे ज़्यादा लेट होगी।

यानी अगर आपकी train निर्धारित समय से 2 घंटे देरी पर है तो आप IRCTC के catring से free में, time के according, breakfast or meal ले सकते हैं।

बता दें कि यह scheme काफी समय से चली आ रही है लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इन सुविधाओं का आनंद नहीं ले पाते हैं। 

IRCTC द्वारा प्रदान की जाती हैं ये सुविधाएं :

Train, अगर morning tea time पर late है तो, नाश्ते में चाय या कॉफी और दो बिस्किट, breakfast में नाश्ते में चाय या कॉफी और चार ब्रेड स्लाइस (भूरा/सफेद), एक butter chiplet दिया जाता है। Lunch or dinner  में यात्रियों को चावल, दाल और अचार के पैकेट या फिर 7 पूरियां, मिक्स वेज/आलू भाजी, अचार का एक sachet और नमक और काली मिर्च का एक-एक sachet दिया जाता है।


चलिए अब आपको एक और अच्छी बात बता देते हैं और वो भी बहुत useful news है।

आज कल हम लोग Train reservation बहुत ज्या़दा online ही करने लगे हैं। पर इस तरह से अगर हमें तत्काल reservation करना होता है, तो वो बहुत ही tedious job हो जाता है, क्योंकि एक तो उसके लिए time duration बहुत कम रहता है, site hang बहुत करती है और जब तक ticket book करने का time आता है, seat full हो जाती है। 

इस problem को मद्देनजर रखते हुए रेलवे ने IRCTC- ipay app बनाया है।

IRCTC-ipay - यह एक ऐसा app है, जिससे ticket book करते वक्त मदद मिलती है।

रेलवे ने 2019 में IRCTC-ipay features को launch किया था। यह सुविधा IRCTC पर तेजी के साथ ticket book करने के लिए बनी थी। इस नई scheme में, तत्काल और सामान्य, ticket book करने के साथ  cancel करने की सुविधा भी मिलेगी। 

IRCTC ने अपने user interface के साथ IRCTC-ipay features को भी upgrade कर दिया है। इससे ticket booking में कम वक्त लगता है। 

ऐसी ही कुछ और रोचक information को लेकर, फिर मिलते हैं आपसे।

तब तक के लिए, stay tuned with us...


Monday, 12 September 2022

Article : पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने से, क्या मिलता है मोक्ष?

 पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने से, क्या मिलता है मोक्ष? 



आज कल पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष चल रहा है, जिसमें हम श्राद्ध कर्म करते हैं, जिससे हमारे पितरों को शांति प्राप्त हो और वह हम से प्रसन्न होकर हमे अनेकों आशीर्वाद प्रदान करें।

अगर पंडितों की मानें तो, पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने से हमारे पितर तृप्त होते हैं, उससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। और हमें सर्वश्रेष्ठ पुन्य प्राप्त होता है।

ऐसा माना जाता है कि मनुष्य योनि की प्राप्ति, बहुत से सद् कर्मों के पश्चात् होती है।

यह एक ऐसी योनि है, जिसमें हमें मोक्ष मिलना और ईश्वर प्राप्ति करना, सबसे सरल होता है।

अतः यदि इस योनि में हमने पर्याप्त पुन्य अर्जित कर लिए तो हमें सद्गति प्राप्त होगी, हम इस नश्वर संसार के आवागमन से मुक्त हो जाएंगे और हमें मोक्ष मिल जाएगा। 

कहा जाता है कि, सर्वश्रेष्ठ पुन्य प्राप्ति, पितरों को प्रसन्न करने से, उन्हें तृप्त करने से मिलती है।

अब प्रश्न यह उठता है कि क्या पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने से सचमुच पितरों को प्रसन्नता और शांति प्राप्त होती है? 

क्या सचमुच ऐसा करने से मोक्ष मिलता है? 

कर्मकांड से क्या होता है? यह तो हम नहीं कह सकते हैं, पर अगर हम किसी की भी सेवा- सुश्रुषा, पूरे मनोयोग से करते हैं, जिससे वो प्रसन्न हों तो अवश्य ही हमें पुन्य प्राप्त होगा। फिर सेवा अगर अपने पितरों की, पूर्वजों की करेंगे तो सर्वश्रेष्ठ पुन्य प्राप्ति अवश्यंभावी है। 

पर यह सेवा, कर्मकांड नहीं है। वह सेवा है, अपने पितरों की इच्छा पूर्ति करना, उनके सम्मान की रक्षा करना, उनके वंश के नाम को प्रसिद्धि दिलाना, उनको याद करना, उनके बताए मार्ग पर चलना, उनके नाम से दान पुण्य करना होता है। अगर आप यह सब करेंगे तो पुन्य प्राप्ति निश्चित है।

पर आपको पता है, इससे भी ज्यादा आसानी से और निश्चित रूप से मिलने वाले पुन्य का क्या मार्ग है?

वो है, जब आप अपने जीवित, माँ-पापा, सास-ससुर की सेवा सुश्रुषा करते हैं, उनका मान-सम्मान करते हैं, उनकी छोटी-छोटी इच्छाओं को पूरा करते हैं, उनको बहुत सारा प्यार दें, अपना समय दें और उनकी कही बात को समझें।

सच मानिए, जब माँ-पापा, सास-ससुर प्रसन्न होते हैं तो पितर तृप्त भी होते हैं‌ और प्रसन्न भी होते। और आपको सर्वश्रेष्ठ पुन्य भी अवश्य ही प्राप्त होता है।

और अगर आप, अपने साथ रहने वालों को तृप्त नहीं करते हैं, उनकी परवाह नहीं करते हैं, तब आप कितना ही पितरों के लिए श्राद्ध कर्म कर लीजिए, कितना ही दान, पिंडदान कर लीजिए। गया, बनारस, केदारनाथ आदि कहीं चले जाइए, कुछ नहीं होगा। 

पर अगर आप अपने माता-पिता और सास-ससुर को प्रसन्न रखते हैं। तब ही आप अपने पितरों को प्रसन्न रखने के अधिकारी हैं। 

तो चलिए अब आपको बता देते हैं कि श्राद्ध पूजा में किस पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है तथा इस साल, श्राद्ध पक्ष में कौन सी तिथि, किस तारीख में आएगी...


श्राद्ध पूजा की सामग्री

जिस दिन श्राद्ध किया जाना हो उसके पहले श्राद्ध पूजन के लिए इन चीजों को एकत्रित कर लेना चाहिए।

रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, कपूर, हल्दी, देसी घी, रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ।

तुलसी पत्ता, पान का पत्ता, माचिस, शहद, काला तिल, जौ, हवन सामग्री।

रुई बत्ती, अगरबत्ती, गुड़, मिट्टी का दीया, दही, जौ का आटा।

गाय का दूध, घी, खीर, गंगाजल, खजूर, केला।

सफेद फूल, उड़द, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना।


श्राद्ध तिथि और श्राद्ध करने की तारीख

10 सितंबर    पूर्णिमा का श्राद्ध

11 सितंबर    प्रतिपदा का श्राद्ध

12 सितंबर    द्वितीया का श्राद्ध

12 सितंबर    तृतीया का श्राद्ध

13 सितंबर    चतुर्थी का श्राद्ध

14 सितंबर    पंचमी का श्राद्ध

15 सितंबर    षष्ठी का श्राद्ध

16 सितंबर    सप्तमी का श्राद्ध

18 सितंबर    अष्टमी का श्राद्ध

19 सितंबर    नवमी श्राद्ध

20 सितंबर    दशमी का श्राद्ध

21 सितंबर    एकादशी का श्राद्ध

22 सितंबर    द्वादशी/संन्यासियों का श्राद्ध

23 सितंबर    त्रयोदशी का श्राद्ध

24 सितंबर    चतुर्दशी का श्राद्ध

25 सितंबर    अमावस्या का श्राद्ध

अगर आप अपने परिजनो की मृत्यु तिथि को भूल गए हैं, तो ऐसी दशा में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। धर्म शास्त्र में अमावस्या तिथि को सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।

श्राद्ध पक्ष; साल में, केवल 16 दिन के ही होते हैं, अतः इन्हें प्रेम, श्रृद्धा और सम्मान पूर्वक अवश्य करें, कर्मकाण्ड संस्कार आप को करना है तो वो भी कर सकते हैं, नहीं तो अपने पितरों को याद करते हुए, जिसका जो दिन हैं, उनकी उस दिन, पूजा-उपासना, कर के, उनके नाम से दान पुण्य अवश्य करें। 

पर  साथ ही अपने माता-पिता व सास-ससुर को प्रसन्न अवश्य रखें।

हम सभी पर अपने बुजुर्गो, पूर्वजों व पितरों का आशीर्वाद सदैव बना रहे 🙏🏻🙏🏻 

Friday, 9 September 2022

India's Heritage : गणपति विसर्जन, अनंत चतुर्दशी में क्यों?

गणपति विसर्जन, अनंत चतुर्दशी में क्यों?



जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारे गणपति बप्पा, जिन्हें हम सुख,समृद्धि दाता और विघ्नहर्ता भी कहते हैं, ऐेसे, भगवान गणेश को भाद्र पद माह की चतुर्थी तिथि पर विधि-विधान के साथ पूजा करते हुए घर पर स्थापित किया जाता है और अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन के साथ यह उत्सव समाप्त हो जाता है। 

हम सभी सालों से भगवान गणेश जी की चतुर्थी में स्थापना व अनंत चतुर्दशी में विसर्जन करते आ रहे हैं, पर हम में से कितनों को पता है कि-

क्यों चतुर्थी में ही स्थापना की जाती है? 

क्यों अनंत चतुर्दशी में विसर्जन किया जाता है? 

और क्या कारण है कि स्थापना के लिए अधिकतम समय अवधि, दस दिन ही चुनी गई है?

इसके विषय में हम लोगों की दादी माँ, नानी माँ अवश्य जानती होंगी, शायद हमारी माँ और सास भी जानती हों।पर हम में से कितने लोग जानते होंगे? और आने वाली पीढ़ी तो बिल्कुल ही नहीं जानती है।

तो चलिए आज आप को विरासत के इस अंक में, प्रथम पूज्य श्री गणेश जी से जुड़े इसी तथ्य से उजागर करते हैं...

गणपति विसर्जन: 

इस वर्ष, शुक्रवार को अनंत चतुर्दशी तिथि पर गणेश जी का विसर्जन किया जा रहा है।

10 दिनों तक चलने वाला गणेशोत्सव पर्व, अनंत चतुर्दशी तिथि पर घरों और बड़े-बड़े पंडालों में स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा को जल में विसर्जित कर के पूर्ण हो जाएगा। 

चतुर्थी में जन्मदिवस : 

सनातन धर्म में भगवान गणेश को बु्द्धि, वाणी, विवेक और समृद्धि के देवता माना जाता है। 

किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की ही पूजा की जाती है। 

ऐसी मान्यता है कि गणेश पूजा से सभी तरह की परेशानियां खत्म हो जाती है। गणेश पूजा से सभी प्रकार के वास्तु संबंधी दोष फौरन दूर हो जाते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन हुआ था इसी कारण से गणेश चतुर्थी पर घर पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करते हैं।

शुभ कार्य को करने से पहले अगर भगवान गणेश की पूजा की जाए तो कार्यों में बाधाएं नहीं आती और कार्य अवश्य सफल होता है, और यह पूर्णतः सत्य है।

गणेश विसर्जन का महत्व 

एक अन्य मान्यता के अनुसार गणेश  विसर्जन की तिथि व दस दिनों की स्थापना का तथ्य उजागर होता है।

गणेश विसर्जन के पीछे एक पौराणिक कथा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए गणेशजी का आह्वान किया था।

गणेश जी की गाथा को आगे बढ़ाने से पहले, चलिए कुछ महत्वपूर्ण तथ्य महाभारत के विषय में भी जान लेते हैं...

महाभारत, एक ऐसा महाकाव्यग्रंथ है, जिसको महर्षि वेदव्यास ने काव्य बद्ध किया था, लेकिन इसे लिपिबद्ध करने तो स्वयं प्रथम पूज्य श्री गणेश जी आ गए थे।

जब इन दोनों की महान उपस्थिति थी, तब इसे महाग्रंथ तो होना ही था।

महाभारत, भारत का एक प्रमुख महाकाव्य ग्रंथ है। 

यह महाकाव्यग्रंथ, भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं।

विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम् वेद भी माना जाता है।

यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिए एक अनुकरणीय स्रोत है। 

यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। महाभारत में हिन्दू धर्म का पवित्र ग्रंथ, भगवद्गीता, सन्निहित है। गीता में तो, स्वयं भगवान ‌श्री कृष्ण ने अर्जुन को संपूर्ण जीवन सार के विषय से अवगत कराया है। इसमें जन्म से मोक्ष प्राप्ति तक का वर्णन किया गया है।

पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं।

चलिए हम पुनः महर्षि वेदव्यास जी व गणपति जी के वार्तालाप में आते हैं- 

महाभारत अत्यंत विशाल महाकाव्य था, साथ ही ईश्वरीय वाणी से जुड़ा हुआ महाग्रंथ था; तो इसमें पूर्णतः शुद्धि भी अनिवार्य थी। अतः महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी से महाभारत को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की। 

गणेश जी ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार तो किया परन्तु उन्होंने एक शर्त रखी कि "मैं जब लिखना प्रारंभ करूंगा तो कलम को रोकूंगा नहीं, यदि कलम रुक गई तो लिखना बंद कर दूंगा। फिर आगे का महाकाव्य आपको ही पूर्ण करना होगा।"

तब वेद व्यासजी ने, गणेश जी की अनुनय विनय करते  हुए कहा कि, "भगवन्, आप देवताओं में अग्रणी हैं। विद्या और बुद्धि के दाता हैं, और मैं एक साधारण ऋषि हूं। यदि किसी श्लोक में मुझसे त्रुटि हो जाए तो आप कृपया उस श्लोक को ठीक कर उसे लिपिबद्ध करें।"

गणपति जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी। साथ ही रुकना ना पड़े, इसलिए वह बार-बार जल भी नहीं ग्रहण कर रहे थे।

ऐसे में गणपति जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पार्थिव गणेश भी पड़ा। 

महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला और अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ। 

वेदव्यास ने देखा कि गणपति जी का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है।

तो वेदव्यास ने उन्हें पानी में डाल दिया। इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए। 

इसलिए गणेश चतुर्थी पर गणेशजी को स्थापित किया जाता है और 10 दिन मन, वचन, कर्म और भक्ति भाव से उनकी उपासना करके अनंत चतुर्दशी को विसर्जित कर दिया जाता है।

गणपती बाप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या

गणपति बप्पा, हम सबसे सदैव प्रसन्न रहें व उनकी कृपा दृष्टि हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻

Wednesday, 7 September 2022

Article : आधुनिकता कहीं अंत तो नहीं!!

आधुनिकता कहीं अंत 

तो नहीं!!

हम लोग आधुनिकता की अंधी दौड़ में दौड़ते हुए ना जाने किस राह पर चलते जा रहे हैं? शायद अंत की ओर...

आप कहेंगे कि, यह हम कैसे कह रहे हैं? तो हम आपको बहुत सारे प्रमाण देते हैं। फिर आप ही बताइएगा कि क्या सही है...

आज कल हम सभी के पास अपने बचपन से ज़्यादा सुख-समृद्धि है। पहले से दूध, दही, मेवा, मिठाई, अनाज, फल-सब्जियां, आदि सभी सामान तो हमारे पास बचपन से ज़्यादा है।

पंखा, कूलर, एसी, मोटरसाइकिल, कार, फ्रीज, टीवी, आदि, जिसने बचपन में जिसका भी सुख लिया है, उससे ज्यादा ही सबके पास..

फिर भी ना हम स्वस्थ हैं, ना सुखी, ना चिंताओं से मुक्त, ना संतुष्ट... 

क्यों? आखिर ऐसा क्यों? 

जब सब ही पहले से बेहतर, आधुनिक और सुव्यवस्थित है, तो ऐसा क्यों?...

इसका कारण है, कुछ घटक 

  1. आधुनिकता, जो सबसे पहले पायदान पर है...
  2. धनलोलुपता, एक और बहुत बड़ा कारण...
  3. अनावश्यक भूख (आगे बढ़ने की, महत्वकांक्षाओं की)...
  4. बहुत अधिक दवाओं का उपयोग...
  5. अपनों से दूरी...

चलिए सबके बारे में एक, एक करके सोचते हैं..

पहले खाना बनाने के लिए और खाना खाने के लिए, मिट्टी, तांबे, लोहे के बर्तन इस्तेमाल होते थे। चूल्हे पर खाना बनता था, मटके में पानी होता और जमीन में बैठकर खाते थे। लोग खूब घी, मक्खन, दूध, दही, मीठा, तीखा खाते, पर तब लोग, सुखी भी थे, स्वस्थ भी और संतुष्ट भी...

फिर हो गया, 

आधुनिकता का प्रवेश,

चूल्हे की जगह, गैस और माइक्रोवेव ने ले ली, बर्तन भी बदल गये, प्लास्टिक स्टील और एल्यूमीनियम की बहुतायत हो गई, मटके की जगह, RO और refrigerator ने ले ली। ज़मीन की जगह dinning table ने ले ली। घी, मक्खन की जगह, olive oil, refined oil ने ले ली। 

Gym, aerobics सब शुरू हो गया, पर results -

लोग, ना सुखी हैं, ना स्वस्थ और ना संतुष्ट...  

धनलोलुपता 

धनलोलुपता के आगे, सब फीका, ना बचपन, ना मासूमियत, ना बच्चे की किलकारी, ना प्यार, ना ममता। 

बहुत अधिक धन कमाने की चाह में, जो चीजें हमें खुशी देती है, उसे खुद से दूर करते जा रहे हैं। हम अपना पूरा ध्यान और समय, सिर्फ और सिर्फ, इस उधेड़बुन में निकाल देते हैं कि धन कैसे प्राप्त करें। 

अनावश्यक भूख (आगे बढ़ने की, महत्वकांक्षाओं की)

हमें जितने की आवश्यकता है, उससे बहुत ज्यादा पाने की हमारी चाह ने हमें बहुत अधिक महत्वाकांक्षी बना दिया है। जिसके कारण, हम जरुरत से ज्यादा ही busy हो गये हैं और उसमें हम अपने अतुलनीय सुख की तिलांजलि दे रहे हैं।

पहले खेती होती थी, तब बीज से लेकर खाद तक, सब natural होता था। फसल का उत्पादन थोड़ा कम होता था। अनाज, फल-सब्जियों का रखरखाव भी natural होता था, अनाज सालों और दिनों, फल-सब्जियां सही बने रहते थे।

ऐसे ही दूध के साथ भी था, गाय-भैंस, जितना दूध देती थी, उसे ही घर घर पहुंचाया जाता था। ऐसे अनाज और दूध को जब लोग खाते थे, तो स्वस्थ रहते थे। 

लोगों के पास समय था, एक दूसरे को समझने का, सुख-दुख साझा करने का, इसलिए सुखी भी थे और संतुष्ट भी... 

बहुत अधिक दवाओं का उपयोग

अब बहुत अधिक दवाओं का उपयोग होने लगा है; वैसे यह भी आधुनिकता का ही दूसरा रूप है। आज हर चीज के लिए दवाएं मौजूद है।

खेतों में पैदावार बढ़ानी हो - दवा डाल दो - फसल दोगुनी-चौगुनी हो जाएगी; अनाज, सब्ज़ी, फल, सब double size के हो जाएंगे। 

फिर इन सब को लंबे समय तक store करके रखना हो, तो फिर वही, दवा डाल दो। ऐसे ही गाय-भैंस को injections लगाकर, अधिक दूध निकाल लेते हैं...

अब जब हर step पर दवा ही डलेगी, तो आप को क्या लगता है? 

नहीं समझे, ऐसे अनाज और फल-सब्जियों को digest करने के लिए दवा ही खानी पड़ेगी या इन्हें खाने से जब स्वास्थ्य खराब होगा तो उसके लिए दवाएं खाइए।

मतलब बात दवा से शुरू हो कर दवा पर ही खत्म हो रही है।

और लोग हैं कि तबियत ख़राब होने का सारा ठीकरा, घी, सरसों तेल, मक्खन, दूध, मिठाई, नमक पर फोड़कर, उसकी जगह olive oil, margarine, refind oil, rock salt, sugar free, etc. को देकर, नित नए विकल्प खोजते रह रहे हैं। 

जनाब, घी तेल बदलने से नहीं, बल्कि आप को खुद को बदलने की आवश्यकता है...

आवश्यकता है, उस सोच की, जिसमें मंथन किया जाए कि हमें किस हद तक, आधुनिकता चाहिए? हर आधुनिक वस्तुएं बेकार नहीं है, पर यह विचार एक बार अवश्य करें कि उसका प्रभाव, आपके भविष्य में कितना कारगर सिद्ध होगा।

जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए धन आवश्यक है, पर धन ही जीवन नहीं है, एक बार विचार अवश्य करिएगा कि आप कहीं बहुत अधिक धन कमाने की चाह में, उस धन से भी ज्यादा बेशकीमती लम्हे खो तो नहीं रहे हैं? क्योंकि आप कितना भी ज्यादा कमा लीजिए, वो बेशकीमती पल और खुशियां वापस नहीं आने वाले... 

अपनों से दूरी

जो आप को सबसे ज्यादा सुखी, स्वस्थ और संतुष्ट कर सकता है, वो है, आप कितने ज़्यादा naturally रह रहे हैं, कितने संतोषी हैं, कितने positive attitude वाले हैं, आधुनिकता की अंधी दौड़ में कितना शामिल हैं, कितना ज्यादा अपनों को महत्व देते हैं, आप कितना कम स्वार्थी हो, कितना अपनों के साथ रहते हैं...

बस यही है, जो हमारी भारतीय संस्कृति की विशेषता थी, जिसे हम धीरे-धीरे छोड़ते जा रहे हैं, कभी आधुनिकता के नाम पर, कभी व्यस्तता के नाम पर, कभी जरूरत के नाम पर।

जिस दिन हम अपनी संस्कृति को समझ जाएंगे, उस दिन से हम स्वस्थ रहेंगे, सुखी भी होंगे और संतुष्ट भी...

अंत आने से पहले एक बार विचार अवश्य करें - धुनिकता कहीं अंत तो नहीं??

Monday, 5 September 2022

Poem : सूर्य सा दीप्तिमान

हम सभी के जीवन में शिक्षक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं क्योंकि हमें, जन्म तो माता-पिता देते हैं पर हमें अस्तित्व, शिक्षक ही प्रदान करते हैं।

अतः उन्हें अस्तित्व निर्माता कहना, अतिश्योक्ति नहीं होगा...

आज की मेरी यह काव्य प्रस्तुति, सभी शिक्षकों को समर्पित है।

सूर्य सा दीप्तिमान 




दीप था मैं कोरा,

प्रकाश मुझमें भर दिया।

जिंदगी के तिमिर को,

आप ने रोशन कर दिया।


था नहीं कोई वजूद मेरा,

ज्ञान मुझमें भर दिया।

दिशाहीन से अस्तित्व का,

मार्ग प्रशस्त कर दिया।


मार्ग में थे कंटक हजारों,

क्षित-विक्षित करने के लिए।

आपके सानिध्य ने मेरा,

हौसला बुलंद कर दिया।


हे गुरुवर आप मेरा,

शत् शत् प्रणाम स्वीकारिए।

आप के अथक प्रयासों ने मेरा,

जीवन सौंदर्य से भर दिया।


था मैं मात्र दीप कोरा,

मुझको प्रकाशित कर दिया।

जीवन के तिमिर को दूर कर,

सूर्य-सा दीप्तिमान कर दिया।


आज शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर, अपने सभी गुरुजनों को सादर प्रणाम 🙏🏻🙏🏻

 Happy Teacher's Day 💐

Friday, 2 September 2022

Article : Railway ticket Concession for senior citizens

 वर‍िष्‍ठ नागर‍िकों को रेल टिकट छूट

आज के हमारे article का topic देखकर, बहुत से लोग बोलेंगे, Ma'am आप क्या बात कर रही हैं? वरिष्ठ नागरिकों को टिकट में छूट तो पहले मिला करती थी। 

पर after corona pandemic, सरकार ने इस scheme को बंद कर दिया‌ है।

भाजपा सरकार, लोगों के हित की schemes लाती कम और बंद ज्यादा करती है। इन्हें केवल पूंजीपति वर्ग की चिंता है, वरिष्ठ नागरिकों से इन्हें क्या मिलेगा, जो उनकी चिंता करें।

तो हम यही कहेंगे कि आप की सोच आप तक...

पर हाँ, कुछ फेरबदल के साथ रेलवे टिकट पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए, पुनः छूट की scheme लायी गई है, जिस पर ही यह article आधारित है। 

तो आज का यह article, शायद हमारे देश के senior citizens के लिए good news हो और उनके चहरे पर मीठी मुस्कान ले आए...

अब senior citizens को रेल के टिकट में भारी छूट मिलेगी, जिससे टिकट की दर में भारी concession  मिल जाएगा।

Indian railways के सूत्रों से मिली जानकारी के according टिकट पर छूट के ल‍िए age के criteria  में बदलाव किए जा सकते हैं। 

यह भी उम्‍मीद है क‍ि सरकार  discounted fare की सुविधा 70 वर्ष से ऊपर वाले लोगों के ल‍िए ही provide कराए। उन्हें railway ticket पर 40% तक का Concessions मिल सकता है।

यह सुव‍िधा पहले 58 वर्ष की महिलाओं और 60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके पुरुष या इससे ज्‍यादा उम्र वालों के ल‍िए थी। 

इस scheme के फेर-बदल का, मुख्य कारण बुजुर्गों के लिए subsidy plan बरकरार रखते हुए इन concession को देने से रेलवे पर पड़ने वाले financial burden का adjustment करना है।

आपको बता दें Covid pandemic यानी मार्च 2020 से पहले रेलवे, 58 वर्ष या इससे ज्‍़यादा उम्र वाली महिलाओं को किराये में 50 प्रत‍िशत की और 60 वर्ष या इससे ज्‍़यादा की उम्र वाले पुरुषों को 40 प्रत‍िशत का concession देता था।

यह concession सभी class (first AC, second AC, third AC, sleeper, general) में रेल का सफ़र करने पर म‍िलती थी।

लेकिन corona pandemic के बाद train movement के resume होने पर यह facility खत्म कर दी गई. रेलवे के इस फैसले को काफी लोगों ने criticize भी किया था।

Senior citizens concession देने के अलावा, रेलवे में इस पर भी विचार किया जा रहा है कि सभी ट्रेनों में 'Premium tatkal'  योजना शुरू की जाए। इससे high Revenue मिलने में मदद मिलेगी, जो कि concession के burden को bear करने में helpful रहेगा।

अभी यह scheme करीब 80 trains में लागू कर दी गई है। प्रीमियम तत्काल योजना रेलवे द्वारा शुरू किया गया एक reservation है, जो कुछ सीटें dynamic rental pricing  के साथ reserve करता है। 

यह reservation, last moment में journey plan करने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए है जो थोड़ा अतिरिक्त खर्च करने को तैयार हैं।

Thursday, 1 September 2022

Recipe : Potato Cheese Boat

बहुत बार ऐसा होता है कि, जब हम को ऐसी भूख लगी होती है, जिसमें हमें खाना खाने का मन नहीं होता है, पर कुछ चटर पटर खाने की इच्छा होती है। ऐसे में हमारा मन होता है कि कोई easily prepare होने वाली  instant dish हो तो उसे बना लें। तो चलिए आज आप के लिए झटपट बनने वाली potato Cheese Boat की recipe share कर देते हैं और हाँ यह इतनी easy है कि बच्चे भी बना सकते हैं।

Potato Cheese Boat 


Ingredients

Boiled Potato - 5 to 6 (big size)

Onion - 1 medium 

Tomato - 1 medium

Sweet corn - 1 tbsp. 

Capsicum - 1 medium 

Boiled peas  - 1 tbsp.

Paneer - 1 tbsp.

Cheese slice - 6 no.

Mixed herbs - 2 tsp. 

Butter - 1 tbsp.

Salt - as per taste 

Black pepper - 1 tsp.


Method :

  1. Onion, tomato, capsicum सबको finely chop कर लीजिए। 
  2. Paneer को roughly mash कर लीजिए।
  3. सारी veggies, paneer और sweet corn में salt and pepper को डालकर अच्छे से mix कर लीजिए।
  4. Boiled potato को peal कर लीजिये। 
  5. अब उसे horizontally (बेड़ा) काट लीजिये। 
  6. इन आलुओं से चम्मच की सहायता से scoop out कर लीजिये।
  7. आलुओं में salted veggies mix को भर दीजिए, ऊपर से cheese slice डाल दीजिए।
  8. अब एक pan को butter से अच्छे से grease कर दीजिए। Pan को तेज गर्म कर लीजिए।
  9. Gas की flame, slow कर दीजिए।
  10. अब सभी stuffed potatoes को pan में place कर दीजिए।
  11. इन potatoes को slow flame पर तब तक रखे रहेंगे, जब तक cheese melt ना हो जाए।
  12. अब इन potatoes को serving plate पर रख दीजिए और उस पर mix herbs and black pepper, sprinkle कर दीजिए।
  13. Now, tasty, crispy, juicy and creamy Potato cheese boat is ready to serve.

चलिए कुछ trips and tricks भी बता देते हैं।

Tips and Tricks :

  • आलू, बड़े size का होने से filling, properly होती है और filling properly होने से potato Cheese Boat ज्यादा tasty लगती है। इसलिए बड़े आलू ही लीजिए।
  • आलू से scoops निकालते हुए ध्यान रखिएगा कि आलू ना तो टूटे और ना ही नीचे से छेद हो।
  • आप अपने taste के according, filling change भी कर सकते हैं।
  • आप cheese slice की जगह, block Cheese or grated cheese भी ले सकते हैं।
  • आप चाहें तो filling के साथ अपने taste के according, sauce भी fill कर सकते हैं।
  • अगर आप onion नहीं खाते हैं तो, onion avoid कर सकते हैं।
  • Mix herbs की जगह चाट मसाला भी डाल सकते हैं।
  • आप इस recipe में आलू के ऊपर butter से brushing करके convection mode पर 250°c पर 5 to 10 min रखकर, सुनहरा होने तक रखकर भी serve कर सकते हैं। 

तो सोचना क्या है, अपनी पसंद की filling के साथ Potato cheese boat ⛵ ready कीजिए और फिर बच्चों के होंठों पर मीठी मुस्कान देखिए।