Sunday 3 November 2024

Poem : चित्रगुप्त महाराज

चित्रगुप्त महाराज


ब्रह्मा की काया से उपजे,

कलम लिए हुए हाथ।

पाप-पुण्य का लेखा-जोखा,

रहता है जिनके साथ।।


कायस्थ कुल,

के जन्मदाता।

ज्ञान, बुद्धि से,

इनका नाता।।


अति पराक्रमी,

अति तेजस्वी,

वो देव ही कहलाते हैं

।। चित्रगुप्त महाराज ।।


 परम परमेश्वर श्री चित्रगुप्त जी महाराज के श्री चरणों में मेरा सादर प्रणाम 🙏🏻🙏🏻

चित्रगुप्त पूजा, भाईदूज, व यमद्वितीया की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻🎉

Saturday 2 November 2024

India's Heritage : गोवर्धन पूजा

दीपोत्सव का पांच दिवसीय त्यौहार पूरे हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है।

जिसका आज चौथा दिन है। इसे कुछ जगहों पर पड़वा या परिवा के रूप में मनाया जाता है। 

वही ब्रज से जुड़े प्रांत और शहरों में जहां-जहां भी श्रीकृष्ण जी की पूजा-अर्चना को प्राथमिकता दी जाती है, वहां इसे गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है।

गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है, उसके पीछे क्या कारण है? और किस युग से यह प्रारंभ हुई? 

यह सब बहुत ही रोचक और अनुकरणीय है, जिसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण जी ने सार्थक कर के दिखाया है।

गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा के सम्बन्ध में एक लोकगाथा प्रचलित है। 

कथा यह है कि देवराज इन्द्र को अभिमान हो गया था। इन्द्र का अभिमान चूर करने हेतु भगवान श्री कृष्ण, जो स्वयं लीलाधारी श्री हरि (विष्णु) के अवतार हैं, उन्होंने एक लीला रची।

बात द्वापर युग की है, वह युग कृषि प्रधान युग था। लोगों की जीविका का साधन, कृषि, मवेशी पालन, दुग्ध (दूध) उत्पादन इत्यादि था। अतः उस समय इन्द्र देव को देवताओं में विशेष स्थान प्राप्त था।

चलिए, अब देखते हैं, लीलाधर श्री कृष्ण जी की अद्भुत लीला की कथा...

प्रभु की इस लीला में यूं हुआ, कि एक दिन उन्होंने देखा के सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे हुए हैं।

श्री कृष्ण ने बड़े भोलेपन से मैया यशोदा से प्रश्न किया, "मैया, यह आप लोग किसकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं?"

कान्हा की बातें सुनकर मैया बोलीं, "लल्ला, हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं।"

मैया के ऐसा कहने पर कान्हा बोले, "मैया, हम इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं?"

मैया ने कहा, "वह वर्षा करते हैं, जिससे अन्न की उपज होती है, उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है।"

कान्हा बोले, "हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि हमारी गाये वहीं चरती हैं, इस दृष्टि से गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय है और इन्द्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं, अत: ऐसे अहंकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए।"

लीलाधारी की लीला और माया से सभी ने इन्द्र के स्थान पर गोवर्घन पर्वत की पूजा की।

देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा आरम्भ कर दी।

प्रलय के समान वर्षा देखकर सभी बृजवासी कान्हा को कोसने लगे कि, सब इनका कहा मानने से हुआ है। 

तब मुरलीधर ने मुरली कमर में डाली और अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछडे़ समेत शरण लेने के लिए बुलाया।

इन्द्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हुए, फलत: वर्षा और तेज हो गयी।

इन्द्र के मान-मर्दन के लिए तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियन्त्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें।

इन्द्र निरन्तर सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे, तब उन्हें लगा कि उनका सामना करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता।अत: वे ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और सब वृतान्त कह सुनाया।

ब्रह्मा जी ने इन्द्र से कहा, "आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं, वह भगवान विष्णु के साक्षात अवतार हैं और पूर्ण पुरूषोत्तम नारायण हैं।"

ब्रह्मा जी के मुख से यह सुनकर इन्द्र अत्यन्त लज्जित हुए और श्री कृष्ण से कहा, "प्रभु, मैं आपको पहचान न सका, इसलिए अहंकारवश भूल कर बैठा। आप दयालु और कृपालु हैं, इसलिए मेरी भूल क्षमा करें। इसके पश्चात देवराज इन्द्र ने मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया।"

-----------समाप्त-----------


इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी। बृजवासी इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। गाय-बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रङ्ग लगाया जाता है, व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।

इस पूरे वृतांत को हिन्दी के कुछ उच्च कोटि के शब्दों से सहसंबद्ध करके अत्यंत ही संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है :


सबल स्वर्गिक-सत्ता के अकारण अहंकार को सामूहिकता की कनिष्ठिका से परास्त कर भाग्य-लेख को कर्मयोग के विजय वाक्य द्वारा अपदस्थ करने वाले गिरिधर मुरलीधर का पुरुषार्थ-पर्व कहलाता है गोवर्धन पूजा।

अर्थात् इन्द्र देव (जो कि स्वर्ग के राजा हैं) के बिना किसी बात के अहंकार को, भगवान श्रीकृष्ण जी ने अपनी कनिष्ठ (छोटी) उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर भाग्य लेख को कर्म योग द्वारा परास्त कर  विजय प्राप्त की थी। ऐसे गिरिधर मुरलीधर (भगवान श्री कृष्ण जी) के पुरुषार्थ पर्व को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है, जिसकी सभी को ढेरों शुभकामनाएँ।

Thursday 31 October 2024

Poem : दीपों का त्यौहार दीपावली

 दीपों का त्यौहार दीपावली


🪔🎉🪔🪷🪔🎆🪔🎊🪔🕉️🪔


दीपों का त्यौहार दीपावली,

रोशन हो रही है गली-गली।

फूलों से घर-आंगन महके,

खुशियों से हर बच्चा चहके।

 रंगोली से सज गई हैं दहरी,

दीपक हर चौखट का प्रहरी।

मिठाई-पकवानों की मांग बढ़ी है,

 पटाखे की धूम मची है।

हंसी-खुशी हैं जिसकी सहेली, 

वो ही है, त्यौहार दीपावली। 


🪔🎉🪔🪷🪔🎆🪔🎊🪔🕉️🪔


मां लक्ष्मी जी व श्री गणेश जी की कृपा, सदैव हम सब पर बनी रहे 🙏🏻 

आप सभी को दीपावली के महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं 🪔

सर्वत्र सुख-समृद्धि, सम्पन्नता व स्वास्थ्य का वास हो 🙏🏻


दीपावली पर लिखी अन्य कविताओं का आनन्द लेने के लिए click करें  :

Poem : शायद तुम्हें याद होगा 

Poem : यादों की दीपावली

Poem : शुभ दीपावली

Poem : इस बरस दीपावली में 

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Poem: दीप से दीप जलाकर

Poem : चलो इस बार दिवाली कुछ अलग सी मानते हैं

Wednesday 30 October 2024

Article : छोटी दीपावली के कई नाम क्यों?

आज दीपावली के पांच-दिवसीय त्यौहार का दूसरा दिन है। इसे बहुत से नामों से जाना जाता है।

जैसे छोटी दीपावली, रुप चौदस/चतुर्दशी, नरक चौदस/चतुर्दशी आदि, साथ ही कहीं-कहीं पर इसे हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।

पर क्या कारण हैं इन नामों के? या क्यों छोटी दीपावली को इतने सारे नामों से पुकारते हैं।

छोटी दीपावली के कई नाम क्यों?

1) छोटी दीपावली : 

चौदस या चतुर्दशी को छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दिन दीपावली से ठीक एक दिन पहले आता है। 

प्रभू श्री राम के आगमन का समाचार, अयोध्या में पहुंच चुका था, इस दिन से ही लोगों ने घर की उसी तरह साज-सज्जा करनी आरंभ कर दी थी, जैसे दीपावली पर करते हैं। इस दिन पूरे घर में 14 दीप जलाने की परंपरा होती है। 

दीपावली की तरह ही मनाए जाने के कारण इस दिन को छोटी दिवाली कहा जाने लगा है। 


2) रूप चौदस / चतुर्दशी :

दीपोत्सव के दूसरे दिन को रूप चौदस भी कहते हैं। माना जाता है कि महालक्ष्मी उन्हीं लोगों पर कृपा बरसाती हैं, जो साफ-सफाई से रहते हैं, इसी मान्यता की वजह से लक्ष्मी पूजा से पहले रूप चौदस पर भक्त, अपने घर‌ को, खुद को सजाते-संवारते हैं। 

कहा जाता है, कि इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करने से रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है।


3) नरक चौदस / चतुर्दशी :

धार्मिक मान्यता के अनुसार, छोटी दिवाली के दिन, अर्थात् चौदस के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का संहार किया था, इसलिए इसे नरक चतुर्दशी या नरक चौदस भी कहा जाता है।  इस दिन लोग राक्षस पर भगवान कृष्ण की जीत का जश्न मनाते हैं।

एक और मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। माना जाता है कि यह पूजा करने से मृत्यु के बाद नरक (नर्क) में जाने से बचा जा सकता है। लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं है, कि कोई दुनिया भर के दुष्कर्म करे और यमराज जी की पूजा करे तो सब पुन्य में बदल जाएगा। जैसा कर्म करेंगे, वैसा ही फल प्राप्त होगा। 

ईश्वर की पूजा अर्चना करने से हमारे पुन्य कर्मों का श्रेष्ठ फल मिलता है। शुभ फल शीघ्र मिलता है।

धार्मिक दृष्टिकोण से नरक चतुर्दशी का दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। 


4) हनुमान जन्मोत्सव :

रामायण के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हुआ था। उस दिन मंगलवार था, मेष लग्न और स्वाती नक्षत्र था।

महावीर हनुमान को भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार कहा जाता है और वे प्रभू श्री राम के अनन्य भक्त हैं।

हनुमान जी ने वानर जाति में जन्म लिया। उनकी माता का नाम अंजना (अंजनी) और उनके पिता वानर राज केशरी हैं। वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहते हैं। 

इसलिए इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।


आप सभी को छोटी दीपावली, नरक चौदस, रूप चौदस व‌ हनुमान जन्मोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएँ।

श्री हरि व माता लक्ष्मी की कृपा सदैव हम सब पर बनी रहे 🙏🏻

Tuesday 29 October 2024

Article : धनतेरस पर क्यों खरीदें झाड़ू

हिन्दुओं का प्रमुख पर्व दीपावली माना जाता है, जो कि पांच दिवसीय त्यौहार है, और आज से प्रारंभ हो रहा है।

हिंदू धर्म में धनतेरस के पर्व को बहुत खास माना जाता है। इस दिन से दिवाली पर्व की शुरुआत होती है, जिसकी रौनक भाई दूज तक रहती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है। इस दिन समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि ने अमृत कलश लेकर अवतार लिया था। धनवंतरि धन-वैभव और आयुर्वेद के देवता हैं।

पंचांग के अनुसार धनतेरस का त्योहार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल 29 अक्टूबर 2024 को धनतेरस है। ज्योतिष गणना के अनुसार धनतेरस के दिन त्रिग्रही योग, त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, लक्ष्मी नारायण योग, महापुरुष राजयोग, कुल 5 शुभ संयोग बन रहे हैं। 

इस संयोग में भगवान धन्वंतरि, यमराज और कुबेर देव की पूजा अर्चना करना बेहद लाभकारी साबित होगा। 

वहीं इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, वस्त्र व झाड़ू खरीदने की परंपरा सदियों से चली आ रही हैं। 

सोना-चांदी, बर्तन, वस्त्र आदि समझ आता है कि त्यौहार के वैभव और ऐश्वर्य व festivity के लिए खरीदे जाते हैं।

परंतु क्या आप जानते हैं कि धनतेरस के दिन झाड़ू क्यों खरीदी जाती हैं?

अगर नहीं, तो आइए जान लेते है।

धनतेरस पर क्यों खरीदें झाड़ू

1) Why to buy a broom :

हमारे शास्त्रों में झाड़ू को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि झाडू घर में शुभता और संपन्नता लाती है। सदियों से धनतेरस पर झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है।

साथ ही मत्स्य पुराण में भी इसका जिक्र किया गया है, उसके अनुसार धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से घर में बरकत बनी रहती हैं। साथ ही साधक की आर्थिक स्थिति पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदी जाती हैं।


2) Which broom to purchase :

आजकल बाजार में फूल झाड़ू और सींक की झाड़ू के साथ-साथ plastic की झाड़ू भी मिल रही है।

पर अगर आप दीपावली के उपलक्ष्य पर झाड़ू खरीद रहे हैं तो, इस दौरान फूल झाड़ू को घर लाना, सबसे ज़्यादा लाभकारी माना जाता है। 

हमेशा फूल वाली और घनी झाड़ू खरीदनी चाहिए, कहा जाता है कि जितनी अधिक घनी झाड़ू होगी, उसका सकारात्मक प्रभाव उतना ही ज्यादा होगा। 

इसके अलावा, झाड़ू का सींक टूटा नहीं होना चाहिए। टूटी हुई झाड़ू को अशुभ माना जाता है।

इसके अतिरिक्त आप सींक की झाड़ू भी खरीद सकते हैं, लेकिन ध्यान रखिएगा, plastic की झाड़ू भूलकर भी न खरीदें। 

हां, अगर और किसी वक्त झाड़ू खरीद रहे हैं, तो plastic की झाड़ू भी एक अच्छा option है, यह लम्बे समय तक चलती है। पर फूल झाड़ू जितनी अच्छी धूल-धक्कड़ साफ़ नहीं करती है।


3) Tying a thread on broom :

यदि आप धनतेरस पर झाड़ू खरीदकर घर ला रहे हैं, तो पहले उसपर सफेद रंग का धागा बांधें। मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।


4) The old (used) broom :

घर में झाड़ू को कभी भी खड़ा करके नहीं रखना चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है। हमेशा झाड़ू को ऐसे स्थान पर रखना चाहिए, जहां हर किसी की नजर न पडे़। इस दौरान, घर की पुरानी झाड़ू को किसी साफ व उचित स्थान पर छुपा कर रख देना चाहिए। जिससे अगर आप की पुरानी झाड़ू सही अवस्था में है तो भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर इस्तेमाल की जा सके।

बस एक बात का हो सके तो ध्यान रखिएगा, कि एक साथ दो झाड़ू न रखें, खासकर एक दूसरे पर चढ़ा कर के। 

झाड़ू, एक ऐसी आवश्यक वस्तु है, जिसे अमीर से लेकर गरीब तक सभी खरीद सकते हैं और खरीदते भी हैं। 

शायद इस article को पढ़कर आपके सभी संशय दूर हो गये होंगे... यदि कोई और quary हो तो कृपया comment box पर पूछ लीजिएगा....


आप सभी को दीपावली के पंचदिवसीय त्यौहार पर हार्दिक शुभकामनाएँ। 

यह पर्व सभी की जिंदगी में सुख-समृद्धि और प्रसन्नता लाए। 

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Article: शुभ धनतेरस  

Article: धनतेरस में क्‍यों खरीदते (बर्तन, सोना-चांदी, झाड़ू) 

Stories - Devotional : धनतेरस पर्व का आरंभ व पावन कथा

Article : D for Dhanteras

Monday 28 October 2024

Article : समर, हिन्दुत्व की रक्षा के लिए...

आज का यह article, एक समर (लड़ाई) है, हिन्दुत्व की रक्षा का...

और इस समर के होने की बहुत ज़्यादा आवश्यकता भी है, क्योंकि बहुत सालों से एक slow poison देते हुए हिन्दुत्व का अंत करते जा रहे हैं, और जाने-अनजाने, हम सब हिन्दू, इसके भागीदार बनते जा रहे हैं....

जानना है कैसे?

समर‌, हिन्दुत्व की रक्षा के लिए…

1) Firecrackers (पटाखे) :

दीपावली के आते ही पटाखों द्वारा फैलने वाले प्रदूषण की दुहाई, बच्चों को school में 10 दिन पहले से दी जानी शुरू कर दी जाती है। उनके कोमल मन-मस्तिष्क में इतने अच्छे से यह बात बैठा दी जाती है कि कोई भी बच्चा अपने माता-पिता से पटाखे लाने की ज़िद ही न करें और अगर कोई उन्हें पटाखे लाकर दे दे, तो भी उन्हें जलाने को वो लालायित न हो।

माना थोड़ा प्रदूषण होता है, पर केवल दीपावली में? Christmas पर, New Year पर, किसी के स्वागत पर, कोई बड़ा event होने पर, जीत का जश्न मनाने पर, पटाखे फोड़ने से प्रदूषण नहीं होता है क्या? 

कमाल है ना? दीपावली पर फोड़े जाने वाले पटाखे ही केवल प्रदूषण फैलाते हैं... 

ईद पर सैकड़ों बकरे-मुर्गे कट जाएँ तो, किसी तरह का कुछ ग़लत नहीं होगा। किसी school में 'बच्चों को जीव-हत्या नहीं करनी चाहिए', यह समझा कर brain wash नहीं किया जाएगा।


2) Traditional lamps (दीए) :

दीपावली पर दीए जलाकर पूजा की जाती है, लेकिन वो दिन दूर नहीं जब उसे भी प्रदूषण फैलाने वाले कहकर पाबंदी लगा दी जाए, वैसे भी lightings तो आती ही हैं बाजार में, electric दीयों की भी खूब धूम है।

Electric दीया भी बाजार में यह कहकर खूब बेचे जा रहे हैं कि, ना तेल फैलने का झंझट और ना धुएं से प्रदूषण....

अब यह छोटे-छोटे दीए भी अपना अस्तित्व कब तक बचा पाएंगे, ईश्वर ही जाने...


3) Food items (पकवान) :

आज कल लोग, मिठाई और पकवान को हिकारत भरी हुई नजरों से देखने लगे हैं, below standard समझने लगे हैं। 

तो वहीं कुछ लोग, कुछ ज्यादा ही diet conscious हो गये हैं, पूड़ी-कचौड़ी, मीठा-मिठाई देखते ही उन्हें उसमें fat and calories दिखने लगती है, 440 volt का current लग जाएगा।

वो उन्हें न अपने घर में बनाएंगे, न लाएंगे, न खाएंगे। मिठाई की जगह dryfruits and chocolates ने ले ली है और पकवान के नाम पर pizza, pasta, burger and dine out ने ले ली है। 

उसमें fat and calories नहीं दिखेगी... यह सब करना high standards में शुमार है। 

दीपावली पर आने वाले, खील-खिलौने, लइया-बताशे, यह तो अब सब जगह से obsolete ही हो गये हैं।


4) Makeup (श्रृंगार) :

उसकी भी दुर्गति हुई रखी है, एक दिन के लिए भी भारतीय वेशभूषा और श्रृंगार नहीं किया जाता है। उस दिन भी छोटे-छोटे, या इधर-उधर से खुले, फटे, कपड़े ही पहनें जाएंगे। Ladies से न मांग में सिंदूर लगाया जाएगा, न माथे पर बिंदी और न gents से माथे पर तिलक लगाया जाएगा।


5) Cleaning (साफ-सफाई) :

दीपावली पर साफ-सफाई केवल घर से जाले, धूल-धक्कड़ साफ़ करना ही नहीं होता है, बल्कि एक जरिया है, साल भर में बिताए गए लम्हों से रूबरू होने का, क्योंकि साफ-सफाई करते हुए न जाने कितनी हसीन यादों से मुलाकात होती है...

आजकल, बहुत सी companies, किराए पर सफाई करने वालों की facilities देती हैं। बस उनको बुलाओ और काम आसान.... 

एक तरह से देखा जाए, तो जो दीपावली का स्वरूप हमारे बचपन में था, वैसा अब कुछ नहीं रह गया है। न वो साफ-सफाई, न वो सजावट, न वो मिठाई-पकवान, न वो श्रृंगार, न वो पूजा-पाठ...


6) Changes (with time) :

धीरे-धीरे सब कुछ बदल गया और बदलता ही जा भी रहा है, जो कहीं न कहीं, इस बात का द्योतक है कि हिन्दुत्व का अंत होता जा रहा है। जिसके जिम्मेदार भी हम हिन्दू हैं और जिसका कारण भी हम हिन्दू ही हैं।

पर आखिर कब तक और क्यों? 

हम अपने ही अस्तित्व पर प्रहार करते रहेंगे? सोते रहेंगे? Ignore करते रहेंगे? मूर्ख बनते रहेंगे? खोखली आधुनिकता को बढ़ावा देते रहेंगे? 

आखिर कब हमें एहसास होगा कि हमारा एक कर्तव्य, अपने धर्म, अपनी संस्कृति की रक्षा करना भी है।

चलिए, दीपावली से पहले से ही शुरू करें, समर, हिन्दुत्व की रक्षा का...

बहुत तोड़-मरोड़ लिया, हमारे धर्म, आस्था और त्यौहार को, पर बस, अब नहीं...

अब हम वापस से, पांच-दिवसीय दीपोत्सव के त्यौहार को उसी पारम्परिक रूप से, उसी धूम से मनाएंगे, जैसे हम बचपन में मनाया करते थे।

घर को साफ-सुथरा करके, दीप और फूलों से सजा कर, मिठायों और पकवानों की खुशबू से महका कर, खील-खिलौने, लइया-बताशे लाकर,पारंपरिक वस्त्राभूषण धारण कर, सम्पूर्ण रीति-रिवाजों के साथ पूजा-पाठ करके दीपावली मनाएंगे। तभी तो ईश्वर, घर के कोने-कोने में सुख-समृद्धि बरसाएंगे।


सभी को दीपावली के पांच दिवसीय त्यौहार की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻 🎉

Saturday 26 October 2024

Tip : Combination (Part-5)

Combination (Part-1)  ,

Combination (Part-2)  ,

Combination (Part-3) &

Combination (Part-4)

Combination series का आज last part share कर रहे हैं।

यह ऐसा combination है, जो आजकल बहुत popular हो चुका है। Mainly diet conscious लोगों में...

पर यह combination, health factor के लिए किस तरह से helpful है, यह देख लेते हैं...

Combination (Part-5)

चाय और नींबू के फ़ायदे :

चाय के शौक़ीन लोगों को चाय से बढ़कर कुछ नहीं लगता है। फिर अगर यह पता चल जाए कि चाय healthy option है, फिर तो कहना ही क्या...

लेकिन ध्यान रखिएगा कि चाय में, नींबू चाय, सबसे healthy option में आती है, और उसमें चाय की quantity बहुत कम होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो चाय की थोड़ी सी quantity, healthy है, पर ज्यादा चाय पीना सेहत के लिए beneficial नहीं है।

चलिए, नींबू चाय के फायदे देख लेते हैं।


1) Antioxidant -

नींबू और चाय, दोनों में ही antioxidants होते हैं, जो शरीर के harmful free radicals को कम करते हैं।


2) Immunity Booster - 

नींबू में vitamin C होता है, जो immunity को बढ़ाता है।


3) Digestion Improvement -

नींबू की चाय में मौजूद citric acid, digestion process को improve करता है, और indigestion से relief दिलाता है।


4) Blood Pressure Control -

नींबू की चाय में मौजूद potassium, blood pressure को control करने में मदद करता है।


5) Cholesterol Control -

नींबू में मौजूद plant flavonoids जैसे hesperidin and diosmin, cholesterol को कम करने में मदद करते है।


6) Skin Glow -

नींबू की चाय पीने से skin में glow आता है।


आप सभी combinations को अच्छे से पढ़िए और जो भी option आपकी health के लिए helpful हो, उसे follow कीजिए। 

वैसे सभी option, natural therapies ही हैं, फिर भी अगर आप को कोई भी confusion हो तो, अपने doctor से consult करके ही इन्हें follow कीजिए।

Keep fit and healthy 😊


Disclaimer -

All (five) combinations are entirely a result of research. Do not rely upon these for fighting against any disease, & general medication should not be replaced by any of these. Also, do not consume any of these in an excessive manner, which might lead to unwanted conditions.

Friday 25 October 2024

Tip : Combinations (Part-4)

Combination (Part-1), 

Combination (Part-2) and 

Combination (Part-3) के बाद, अब ऐसा combination share कर रहे हैं, जिसके गांव में आज भी बहुत बोलबाला है, लेकिन शहरों में बहुत कम लोग ही इसे खाते हैं। 

जबकि शहरों में protein and iron rich source बहुत ढूंढें जाते हैं। लेकिन Indian rich sources की उन्हें knowledge ही नहीं है।

तो चलिए आप आज की पूरी post ज़रूर से पढ़िएगा तो आप को पता चलेगा कि आप के पास कितनी सारी problems का  solution घर पर ही है...

Combination (Part-4)

चना और खजूर के फ़ायदे :


1) Bones strengthen - 

चना और खजूर में calcium कैल्शियम मात्रा में होता है, जिससे हड्डियां मज़बूत होती हैं।


2) Iron rich - 

इन दोनों में प्रचुर मात्रा में iron होता है, जिससे शरीर में haemoglobin का level बढ़ता है और खून की कमी दूर होती है।


3) Process of digestion improves - 

चना और खजूर में fibre होता है, जिससे digestion process बेहतर होती है और constipation की समस्या दूर होती है।


4) Immunity booster - 

इन दोनों में vitamin और iron भरपूर मात्रा में होता है, इसलिए यह immunity booster की तरह काम करता है।


5) Weight Gainer - 

चना और खजूर में मौजूद पोषक तत्वों की वजह से वज़न बढ़ाने में मदद मिलती है। इसे as a weight gainer भी लिया जा सकता है। 


6) Instant energy - 

चना और खजूर खाने से शरीर को instant energy मिलती है और थकान महसूस नहीं होती।


7) Piles control -

चना और खजूर खाने से piles की समस्या में भी मदद मिलती है।


8) Cholesterol control - 

High cholesterol के patient को चना और खजूर बहुत फायदा करता है।


9) Sugar control -

Sugar के patient को भी चना और खजूर बहुत फायदा करता हैं। बस यह देख लीजिएगा कि खजूर sugar coated न हो।


10) Heart functioning -

खजूर में Magnesium, potassium, selenium, copper, vitamin A, vitamin B6, vitamin K, calcium, iron और कुछ oxidants आदि के गुण होते हैं। 

चने में protein, fibre, antioxidant, anthocyanin, potassium, magnesium के गुण पाए जाते हैं, जिसके कारण इसका combination heart functioning को बहुत बेहतर बनाता है।


Disclaimer -

All (five) combinations are entirely a result of research. Do not rely upon these for fighting against any disease, & general medication should not be replaced by any of these. Also, do not consume any of these in an excessive manner, which might lead to unwanted conditions.

Thursday 24 October 2024

Tip : Combinations (Part-3)

Combination (Part-1), and 

Combination (Part-2) 

के बाद आज आपको बताए गए तीसरे combination के बारे में बताते हैं। 

वैसे यह एक ऐसा combination है, जिसे सब healthy option ही मानते हैं और अपनी diet में easily adopt भी कर लेते हैं।

पर यह combination, आपके health के according, किस-किस तरह से helpful है, वो भी देख लीजिए...

Combinations (Part-3)

केले और दूध के फ़ायदे :

1) Digestion Improvement -

केले और दूध में vitamin C, vitamin B6 and fibre होता है, जो digestion के लिए फ़ायदेमंद होता है। इससे gastric problem, constipation and acidity जैसी problems से relief मिलता है, जिससे digestion process, improve होती है।


2) Sound Sleep -

केले और दूध में tryptophan and carbohydrate होता है, जो melatonin level को बेहतर करता है और mental peace देता है, जिसके कारण आप sound sleep ले सकते हैं।


3) Strong Immunity -

केले और दूध में vitamin C होता है, जो कि strong immunity को develop करता है।


4) Weight Gain -

केला और दूध calories से भरपूर होता है, इसलिए वज़न बढ़ाने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए यह बहुत फ़ायदेमंद होता है। Gym जाने वालों के लिए भी यह एक best option है. Banana shake से instant energy मिलती है।


5) Blood Pressure Control -

केले और दूध में potassium होता है, इसलिए यह blood pressure patient के लिए फ़ायदेमंद होता है।


6) Bones Strengthen -

केले और दूध में calcium and protein होता है, इसलिए इससे bones and muscles strengthening बहुत अच्छे से होती है। यही कारण है कि players के diet plan में केला और दूध जरूर से शामिल किए जाते हैं।


तो लीजिए, बहुत सारे फायदों के साथ आपके लिए यह combination, हाज़िर है। इससे aware हों और लाभ उठाएं...


Disclaimer -

All (five) combinations are entirely a result of research. Do not rely upon these for fighting against any disease, & general medication should not be replaced by any of these. Also, do not consume any of these in an excessive manner, which might lead to unwanted conditions.

Wednesday 23 October 2024

Tip : Combinations (Part-2)

आपको कल‌ Combinations (Part-1) में चावल और दही के combination के बारे में बताया था, जिसे लोगों द्वारा बहुत पसंद किया गया, व लोगों की बाकी combination के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ गई है।

आज जिस combination के बारे में हम बात करने जा रहे हैं, उसे लोगों ने बहुत ज़्यादा नकार दिया है या यूं कहें कि यह जितना healthy option है, इसे उतना ज़्यादा unhealthy समझ लिया है।

आगे बात करने से पहले, एक बार आपको फिर यही कहेंगे कि हमारे बड़े-बूढ़े यही खाकर तंदुरुस्त और सशक्त रहे हैं। 

ध्यान रखिएगा, Indian food और उसके combination, सबसे ज़्यादा healthy option हैं, उन्हें अपनी diet में ज़रूर से शामिल रखिएगा। 

यह ही है जो, आजकल की hactic life में आपको fit and fine रखेगा।

Combinations (Part-2)

चलिए आज हम दूसरे combination, रोटी और घी के विषय में बात कर लेते हैं।


रोटी पर घी लगाने के फ़ायदे :

1. Immunity development -

घी में vitamin A, D, K जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो disease resistant क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं।


2. Body fitness -

घी और रोटी के combination से शरीर को carbohydrate and fat दोनों सही मात्रा में मिलते हैं।


3. Bones strengthen -

घी में vitamin D होता है, जो calcium के absorption में मदद करता है। और उसमे मौजूद vitamin K, calcium को body में पहुंचाता है, जिससे bones, strong होती है।


4. Healthy for heart -

घी में healthy fats (Polyunsaturated Fatty Acids - PUFAs) हैं, जो दिल को healthy रखने में मदद करते हैं।


5. Cholesterol control -

घी रोटी खाने से bad cholesterol (Low-Density Lipo-protein : LDL) कम होता है और good cholesterol (High-Density Lipo-protein : HDL) बढ़ता है।


6. Weight control -

घी लगी रोटी खाने से भूख कम लगती है और वज़न नियंत्रित रहता है। 


7. Healthy skin - 

घी में anti oxidants होते हैं, जो त्वचा को चमकाने में मदद करते हैं।


8. Metabolism -

घी limited quantity में लेने से metabolism बढ़ता है और fat burn होता है।


9. Brain function -

घी brain की functioning को बेहतर करता है, जिससे brain की sharpness बढ़ जाती है।


Disclaimer -

All (five) combinations are entirely a result of research. Do not rely upon these for fighting against any disease, & general medication should not be replaced by any of these. Also, do not consume any of these in an excessive manner, which might lead to unwanted conditions.

Tuesday 22 October 2024

Tip : Combinations (Part-1)

आज आप को एक ऐसी tip share कर रहे हैं, जो पहले के जमाने में तो सब जानते थे, पर हम लोग पढ़-लिखकर सब भूल गए हैं।

जबकि इसकी जानकारी होना, हमारे health के point of view से बहुत useful है। चलिए देख लेते हैं, क्या हैं वो...

Combinations (Part-1)

तो हम बात कर रहे हैं, कुछ ऐसे Combinations की, जिनके साथ में होने से बहुत फायदे होते हैं।

इन combinations में हम जो ingredients बता रहे हैं, वो हमारे घर पर easily available है।

तो वो combinations हैं...


  • चावल के साथ दही
  • रोटी के साथ घी
  • केला और दूध
  • चना और खजूर
  • चाय के साथ नींबू


दही चावल (curd rice ) खाने के फ़ायदे :

  1. दही चावल पोषक तत्वों से भरपूर होता है, दही में protein, calcium, magnesium and potassium जैसे तत्व होते हैं, वहीं चावल में carbohydrate होता है। In other words, it is a complete meal in just one bowl.
  2. दही चावल खाने से digestive system मज़बूत होता हैं। दही में मौजूद probiotics, intestine में अच्छे bacteria को बढ़ाते हैं, इससे constipation और पेट दर्द में आराम मिलता है।
  3. दही चावल खाने से immunity बढ़ती है। दही में मौजूद पोषक तत्व immunity को मज़बूत करते हैं, इससे मौसम बदलने पर होने वाले infections से बचाव होता है।
  4. दही चावल खाने से weight control में रहता है। दही खाने के बाद पेट भरा रहता है और लंबे समय तक भूख नहीं लगती।
  5. दही चावल खाने से blood sugar level control रहता है। दही चावल बनाने में करी पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें anti hyperglycemic index होता है। इसका glycemic index 4.4 होता है, जो कि बहुत low होता है, जिससे यह blood sugar level control, करने में बहुत helpful होता है।
  6. दही चावल खाने से menstrual cycle से पहले होने वाले cramps (ऐंठन और पेट दर्द) में आराम मिलता है।


आज आपको दही चावल खाने से होने वाले फायदे बताए हैं।

एक-एक करके बाकी सभी combinations के फायदे भी बताते जाएंगे, जिससे आप समझ सकें कि क्या आपके लिए beneficial होगा। 

और यह भी जान सकें कि पहले जब इतनी varieties नहीं थी, फिर भी लोग इतने healthy कैसे थे...

उसका एक बहुत बड़ा कारण यह था कि उन्हें अच्छे से पता था कि किस के साथ किस का combination बनाया जाए।

So stay tuned...


Disclaimer -

All (five) combinations are entirely a result of research. Do not rely upon these for fighting against any disease, & general medication should not be replaced by any of these. Also, do not consume any of these in an excessive manner, which might lead to unwanted conditions.

Sunday 20 October 2024

Poem : करवाचौथ व्रत

करवाचौथ व्रत

 मेंहदी लगाकर हाथों में,

 सिंदूरा सजाकर माथे पे,

चूड़ी में खनकाऊंगी,

सजना तुझको मैं रिझाऊंगी।


करके सोलह श्रृंगार,

ओढ़कर चुनरी लाल,

रुप निखार के आऊंगी,

नेह तुझ पर मैं लुटाऊंगी।


करवाचौथ व्रत कठिन अपार,

करूँगी चंद्र पारण के साथ,

उम्र तेरी में बढ़ाऊंगी,

सजना तुझ पर वारी जाऊंगी। 


बस एक इच्छा के साथ,

हर जन्म मिले तेरा ही प्यार,

तुम से है पूरी दुनिया मेरी,

तुम से ही सुन्दर घर-संसार।


आप सभी को करवाचौथ पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻 

सृष्टि की सभी सुहागनों को अखंड सौभाग्य प्राप्त हो 🙏🏻


यदि आप जानना चाहते हैं, कि आपके  शहर में चंद्रोदय कब होगा, तो इस link पर click करें - https://shadesoflife18.blogspot.com/2024/10/article_19.html?m=1

Saturday 19 October 2024

Article. : करवाचौथ पर चांद

कल करवाचौथ का पवित्र पावन व्रत है, जो कि हर सुहागिन महिलाओं का सबसे पसंदीदा व्रत है। 

इस व्रत में जितनी स्त्रियों के सतीत्व का तेज है, उतनी ही चंद्रमा की शीतलता।

जितना दिनभर के निर्जल व्रत का सब्र है, उतनी ही रात्रि में चंद्रोदय की बेसब्री।

अपने आप में अनोखा, अनूठा, निराला।

एक ऐसा व्रत, जिसका जितना इंतज़ार स्त्रियों को रहता है, उतना ही पुरुषों को भी।

आप कहेंगे कि स्त्रियों का समझ आता है, पर पुरुषों को क्यों?

क्योंकि उस दिन, उनकी प्रियसी, उनकी पत्नी सोलह श्रृंगार में सजी हुई उनके प्रेम से डूबी हुई, उनकी ओर निहारती है और इस रुप को देख कर उनका अपनी पत्नी पर अत्यधिक नेह आना स्वाभाविक है और ऐसे व्रत का इंतजार करना भी...

चलिए देख लेते हैं पूजा का क्या मुहूर्त है और किस शहर में किस समय चंद्रोदय होगा।

करवाचौथ पर चांद

1. Date (तिथि) :

दृक पंचांग के अनुसार, इस साल करवा चौथ का व्रत 20 October रविवार के दिन रखा जाएगा। इस बार कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि 20 October को सुबह 6 बजकर 46 मिनट से लेकर 21 October सोमवार को प्रात: 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। करवा चौथ व्रत के लिए चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय होना जरूरी है। अतः व्रत 20 October को ही रहेगा।


2. Auspicious Time (मुहूर्त) :

इस बार करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 46 मिनट से शुरू है, जो शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। 

इस तरह से उस दिन व्रती महिलाओं को पूजा के लिए केवल 1 घंटा 16 मिनट का ही शुभ समय प्राप्त होगा।

इस वर्ष करवा चौथ का चांद कब निकलेगा,  

करवा चौथ के व्रत में व्रती महिलाओं को चांद के निकलने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है क्योंकि कृष्ण पक्ष का चंद्रोदय देर से होता है।

इस साल करवा चौथ पर चांद शाम को 7 बजकर 54 मिनट पर निकलेगा। 

शाम 07:54 बजे से चंद्रमा की पूजा होगी और अर्घ्य दिया जाएगा।


3. Moonrise Timings (चंद्रोदय का समय) :

  • Delhi - 8:15 PM
  • Ghaziabad - 8:11 PM
  • Gurugram - 8:16 PM
  • Noida - 8:14 PM
  • Faridabad - 8:04 PM
  • Chandigarh - 7:54 PM
  • Mumbai - 8:37 PM
  • Pune - 8:34 PM
  • Aurangabad - 8:25 PM
  • Kolkata - 7:24 PM
  • Patna - 7:29 PM
  • Lucknow : 7:44 PM
  • Vadodara : 8:27 PM
  • Kanpur : 7:47 PM
  • Prayagraj : 7:43 PM
  • Jaipur : 8:05 PM
  • Jodhpur : 8:18 PM
  • Udaipur : 8:19 PM
  • Amritsar : 7:55 PM
  • Indore : 8:15 PM
  • Bhopal : 8:08 PM
  • Jabalpur : 7:57 PM
  • Ahmedabad : 8:28 PM
  • Dehradun : 7:46 PM
  • Shimla : 7:47 PM
  • Srinagar : 7:47 PM
  • Jammu : 7:51 PM
  • Chennai : 8:43 PM
  • Bengaluru : 8:20 PM
  • Ranchi : 7:53 PM

Friday 18 October 2024

Recipe: Indian Protein Shake

आजकल सब लोग बहुत ज्यादा diet conscious होते जा रहे हैं। जिनमें बहुत से youngsters तो calories count करके ही खाना खाते हैं।

Gym जाना तो जैसे लोगों को life की necessity लगने लगी है, healthy life lead करने के लिए शायद कुछ हद तक यह सब सही भी है...

चलिए आप जो भी करें, healthy रहें, यह important है।

जो लोग Gym जाते हैं, उनके लिए protein shake बहुत ज़रूरी होता है।

Market में बहुत सी variety के protein shake available भी हैं।

लेकिन अगर आप सचमुच health conscious हैं तो protein shake, ऐसा पीजिए जो सचमुच आपको healthy रखने में सक्षम हो।

आज इसी का ध्यान रखते हुए, हम ऐसे protein shake की recipe, share कर रहे हैं, जो बहुत easily and instantly prepare हो जाता है। 

साथ ही एक बात और बता दें, कि इससे healthy और tasty protein shake, कोई और हो ही नहीं सकता है। 

क्योंकि मेरे मायने में, healthy and tasty recipes, सबसे अच्छी, India की ही होती हैं...

Indian Protein Shake

A) Ingredients : 

  • Roasted gram - 50 gm.
  • Milk - 1 glass 
  • Banana - 1
  • Dates - 2 
  • Jaggery - 1 tsp.


B) Method :

  1. भुने चने को महीन पीस लीजिए।
  2. अब इसमें दूध, केला, खजूर और एक चम्मच गुड़ डालकर shake बना लीजिए।

Indian protein shake is ready to serve.


15 दिन के regular use से ही आप को पता चल जाएगा कि यह कितना effective है। 

आप अपने taste के accordingly, ingredients की quantity को vary कर सकते हैं।

और आप को यह भी बता दें कि यह shake न‌ केवल protein rich है, बल्कि यह, protein के साथ-साथ  iron, calcium rich shake भी है, in other words, complete shake।

तो बस सोचना क्या है, अब अपने Gym के plan में इस Indian protein shake को शामिल कर लीजिए और healthy रहिए। 

Stay healthy and fit 😊

Tuesday 15 October 2024

Article : सही फैसला

सही फैसला 



भारत के अनमोल रत्न, रतन नवल टाटा जी का निधन हो गया, जो कि एक सफल उद्योगपति, महादानी, पथ-प्रदर्शक, और महान देशभक्त थे।

हमने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक article लिखा था 'अनमोल रतन' 

जिसमें उनके कथनों का भी जिक्र किया था या यूं कहें कि उनके जीवन मूल्यों का जिक्र किया था। यह उनके वो जीवन मूल्य थे, जो उन्होंने अपने जीवन में साक्षात जिए थे।

उन्हीं में से एक था 👇🏻

"सही फैसले लेने में मैं विश्वास नहीं करता"

रतन टाटा जी का कहना था कि, मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता। मैं फैसले लेता हूं और फिर उन्हें सही साबित कर देता हूँ...

उनके इस कथन ने हमारे दिल को बहुत गहरे तक छूआ। यह एक ऐसा कथन है कि, जिस किसी ने इसे अपना लिया, वो सफल अवश्य होगा...

आइए उनके इस कथन को उनकी करनी के दृष्टांत से समझते हैं।

बात तब की है, जब Tata ने अपनी पहली Car, Tata Indica launch की थी और 1998 में बनी, यह पहली स्वदेशी कार भी थी।

But रतन टाटा जी का car manufacturer का plan बहुत successful नहीं रहा और TATA की car नहीं चली, रतन टाटा ने सोचा कि car बनाने वाली units को sell कर देते हैं। अमेरिका में Ford company संग बात आगे बढ़ी...

ज़ब बात final होनी थी तो, Ford motor के मालिक Bill Ford, रतन टाटा जी से बोले- ये बचपना करने की क्या जरूरत थी, कि कार बनाने चल पड़े.. (यानि एहसान सा दिखाया Bill Ford ने रतन टाटा पर, मानो वो टाटा की car units खरीदकर कोई एहसान कर रहे हैं)

रतन टाटा वापिस भारत आए और टीम को बोले- हम unit नहीं बेचेंगे बल्कि सुधार करेंगे खुद में....! 

रतन टाटा, अपने अपमान से झल्लाए नहीं, बल्कि उन्होंने अपने unit में सुधार करवाना शुरू कर दिया और 2008-09 आते-आते TATA ने अपने पैर जमा दिए भारतीय कार बाजार में..

फिर एक दिन वो भी आया कि उसी Ford की Land Rover and Jaguar, टाटा ने खरीद ली। आज भारत में Ford नहीं है, उसका बहुत सा सौदा Tata के पास है..!

तो रतन टाटा जी के जीवन के उस कथन से हमें समझ लेना चाहिए कि दौर बदल जाया करते हैं।

बस हमारे प्रयास, हमारी कमियों में सुधार कर उन्हें दूर करने के होने चाहिए..!

एक बार ऐसे भी सोचकर देखिए, जैसे रतन जी ने सोचा, सफलता की सीढ़ियां अपने आप, आपके कदमों के नीचे होगी...


यूं ही नहीं कोई,

सबके दिलों पर,

छा जाता है।

यूं ही नहीं कोई,

सबको अपना,

बनाता है।

सदियों में कोई,

एक ही आता है,

फरिश्ता ऐसा।

जो अपनी जिंदगी,

के बाद भी,

सबको बहुत याद,

आता हो।।

Saturday 12 October 2024

India's Heritage : एक सच रावण का

आज दशहरा पर्व है। भगवान श्री राम और रावण से जुड़ी कथा, उनसे जुड़े युद्ध का या यूं कहें कि बुराई पर अच्छाई की जीत का...

आज का Heritage segment आधारित है, एक जिज्ञासा पर, रावण को लेकर, शायद आप के मन में भी कभी हुई होगी, या दशहरे वाले दिन होती होगी...

क्या रावण सच में बुरा था?

क्या पुरूषोत्तम भगवान श्री राम को उसका वध करना अनिवार्य था?

क्या रावण की सच में माता सीता पर कुदृष्टि थी?

क्या सीता हरण कुदृष्टि का परिणाम था?

अगर सीता हरण कुदृष्टि का परिणाम था, तो रावण, जो कि इतना बलशाली था, उसने सीता को बलपूर्वक अपना क्यों नहीं बनाया? उसे कभी अपवित्र नियत से छूआ क्यों नहीं?

क्यों सीता को अपने शयनकक्ष में न रखकर, अशोक वाटिका में रखा?

क्यों अशोक वाटिका में सभी राक्षसी स्त्रियों का ही पहरा बिठाया?

क्यों राक्षसियों में सर्वश्रेष्ठ और सौम्य राक्षसी त्रिजटा को ही सीता के समीप रखा था? 

ऐसे बहुत सारे सवाल आपके मन में आते होंगे, आज उन्हीं सब जिज्ञासाओं को शांत करने का प्रयास है 🙏🏻

एक सच रावण का

तो चलिए सबसे पहले जानते हैं, रावण के विषय में,

रावण भी उतना ही पुरुषोत्तम था, जितने श्री राम...

रावण बल में, ज्ञान में, बुद्धि में, योग में, शास्त्र में, शस्त्र में और अस्त्र में प्रभु श्रीराम से लाख गुना आगे था। वो एक सफल राजा, सोने की लंका का स्वामी (अर्थात् अत्यधिक संपन्न), त्रिकालदर्शी, शिव जी का अनन्य भक्त, वैज्ञानिक (आयुर्वेद और तंत्र का ज्ञाता), मायावी, मानवीय पुरुषोत्तम था। अर्थात् सम्पूर्णता से युक्त...

सीता का हरण रावण ने अपनी पत्नी बनाने के लिए नहीं किया। यह बाद की जोड़ी हुई कहानियाँ हैं। 

पर सत्य क्या था, जब आपको पता चलेगा तो आप भी नतमस्तक हो जाएंगे, उस रावण के समक्ष, जिसका पुतला सदियों से जलाया जा रहा है।

रावण रती विज्ञान, स्त्री रोग विज्ञान, और बाल विज्ञान का महाज्ञाता था। उसकी उन्नत सोच देखिए कि उसने मटके के अग्र दृश्य (front view) को गर्भित स्त्री (pregnant lady) के रूप में देखकर उसमें एक बच्चे को जन्म देने के असंभव कार्य करने की चुनौती को स्वीकार किया। 

रावण की सोच को, आज की simple language में बोलें तो सीता जी, रावण की test-tube baby थी। जिसे उसने मटके में scientific experiment करके राजा जनक के खेतों में छोड़ा था।

पर आखिर क्यों? क्या वजह थी, राजा जनक के राज्य में उस मटके को छोड़ देने की?

रावण अपने लिए कुलदीपक चाहता था, जो सर्वगुण संपन्न हो, ऐसा कुलदीपक जो उसके प्रयोग से उत्पन्न हो, जिसके उत्पन्न होने के किसी दूसरे का सहयोग न लेना पड़े, एक ऐसी उत्पत्ति, जो यह सुनिश्चित करें कि, किसी भी संतान की उत्पत्ति के लिए, स्त्री और पुरूष का मिलन आवश्यक नहीं है। उनके बिना शारीरिक संबंध के भी संतान उत्पत्ति संभव है और वो उसमें सफल भी हुआ।

लेकिन नियति ने इस प्रयोग के साथ अपना प्रयोग भी जोड़ दिया। इस कारण रावण का सफल वैज्ञानिक प्रयोग, असफल हो गया। 

जब रावण ने देखा कि इससे एक बेटी ने जन्म लिया है, उसने सोचा कि इतनी सुन्दर और सौम्य कृति अगर मांस-मदिरा खाने-पीने वाले राक्षसों के बीच रहेगी तो कोई भी उसे कुदृष्टि से देख सकता है।

इसलिए उसने एक ऐसा इंसान चुना जो उसकी बेटी को सलीके से एक अच्छे वातावरण में बहुत प्यार के साथ पाल सके। और वो इंसान था संतान-विहीन राजा जनक, क्योंकि जिसकी संतान ही नहीं वही किसी बच्चे को असीम प्यार कर सकता है। इसलिए राजा जनक को रावण का ऋणी होना चाहिए। 

इस बात से रावण के ज्ञान और उसकी त्रिकालदर्शी ताकत का अंदाजा आपको हो गया होगा।

सीता जब राम के साथ वनवासी हुई तो सूपनखा से रावण को इस बात का पता चला, कि दशरथ नंदन श्री राम के साथ जनकपुत्री सीता जी भी वनवास आई हैं।

वो विचलित हो गया कि उसकी बेटी जंगल में कैसे रहेगी? उसके अलावा कोई नहीं जानता था कि सीता जी, रावण की test-tube baby हैं।

वो बहुत बड़ा कूटनितिज्ञ था, उसने कूटनीति खेली। जिससे बहन का बदला भी पूरा हो सके और सीता सुरक्षित भी रह सके। 

उसे एक और भी डर रहा था कि, अगर उसकी बेटी इतने लंबे वनवास के दौरान गर्भवती हो गई तो वह अपने बच्चे को कैसे जन्म देगी और कैसे पालेगी? कैसे दो पुरुष, एक स्त्री का बच्चा, जंगल में पैदा करवाने में सक्षम हो पाएंगे? कैसे उस विषम परिस्थिति में एक दाई कि व्यवस्था करेंगे? 

ना जाने कितने विचारों से मुकदमा लड़ते हुए उसे सीता की हर सुरक्षा के खातिर "सीता हरण" का प्रपंच रचना पड़ा।

वो चाहता तो किसी और बलशाली राक्षस को भी भेज देता? पर उसने ऐसा नहीं किया। आखिर क्यों वह खुद ही गया? क्योंकि एक बाप अपनी बेटी को पराए हाथों में नहीं देख सकता। जिस डर के कारण उसने अपनी बेटी राजा जनक के खेतों में छोड़ी आज वही डर एक विकराल रूप लेकर उसके सामने खड़ा था।

उसने खुद जाना स्वीकारा, कलंक को माथे पे लगाकर। 

वह अपने बेटे को भी भेज सकता था, वो तो आखिर सीता का भाई था? लेकिन फिर डर का विकराल रूप उसके सामने था। जिस कुलदीपक के लिए उसने कुलज्योती छोड़ दी उस कुलदीपक का माथा एक पिता होने के नाते रावण कैसे कलंकित कर सकता था? इसलिए हर पहलू सोचकर उसने खुद सीता को लाना चुना। 

रावण ने कभी नहीं कहा कि सीता मुझसे विवाह कर लो, उसकी कभी यह इच्छा ही नहीं थी, वरना जो रावण काल को अपने पलंग की पाटी से बांध सकता है और जो सीता को उठा के ला सकता है, वो सीधे सीता को अपने शयनकक्ष में भी रख सकता था। 

अरे! वो कारागार में भी डाल सकता था? लेकिन उसने सीता को अशोक वाटिका में रखा। आखिर क्यों?

क्योंकि सीता अच्छे परिवेश में पली शाकाहारी थीं। उसने सीता की सुरक्षा में सिर्फ औरतें रखीं, यह भी रावण का उत्तम गुण था, वो जानता था कि श्री राम परम पराक्रमी योद्धा हैं और उनके आगे यह राक्षसियां नहीं टिक सकेंगी, पर वो नहीं चाहता था कि सीता जी पर पुरुष की छाया तक पड़े। 

उसने त्रिजटा राक्षसी को सीता के समीप रखा, क्योंकि वो जानता था कि अशोक वाटिका में सीता जी का ख्याल सबसे अच्छे से वही रख सकती थी।

वो बस लोगों के सवालों का जवाब नहीं दे रहा था, क्योंकि वो जानता था कि जज्बाती चोट जिस्मानी घाव से ज्यादा घातक होती है। 

इसलिए वो खुद कलंक को लेकर जज्बाती चोट से तड़पता रहा लेकिन अपने किसी बच्चे और पत्नी को उसने सच बता कर जज्बाती घाव नहीं दिया। यहां तक कि उसने अपनी बेटी सीता को भी इस सच से अवगत नहीं कराया क्योंकि उसे पता था कि पति वियोग की पीड़ा से वह त्रस्त है और अब पिता वियोग की पीड़ा भी उसे दी तो उसपर वज्रपात हो जाएगा।

रावण जानता था कि अंत तो सबका एक दिन होना ही है। जीवनपर्यंत राक्षसी प्रवृत्ति में व्यतीत कर दिया, तो कुछ ऐसा कार्य भी कर दूं, कि मुझे सद्गति प्रदान हो। एक guilt, अपनी पुत्री को त्यागने का भी था।

वो यह भी जानता था कि भगवान विष्णुजी के अवतार, प्रभू श्री राम, पुरुषोत्तम हैं, वो बिना किसी ठोस कारण के रावण का वध नहीं करेंगे और उनसे अधिक सुयोग्य कोई नहीं है, जो उसको, उसके अनुरूप मृत्यु प्रदान कर सके।

उसे सीता हरण में एक साथ कई प्रयोजन सिद्ध होते दिखे, अपनी पुत्री सीता की वनवास के दौरान पूर्णरूपेण सुरक्षा, भगवान श्री राम द्वारा वध, जिससे सद्गति प्राप्त हो। 

वो यह भी जानता था कि ऐसा करने के पश्चात्, सदियों तक उसके मस्तिष्क पर कलंक अंकित रहेगा, पर एक पिता अपने बच्चों के लिए कुछ भी स्वीकार कर सकता है।

सीता हरण, एक पिता का अपनी पुत्री की सुरक्षा का प्रयोजन था, एक सच रावण का यह भी था, जो रावण तक ही सीमित रह गया और उसका पुतला, सदियों से जलता चला आ है और सदियों तक जलता रहेगा। 

पर कभी इस सोच में भी सोचिएगा, एक बार रावण का पुतला दहन करते या ‌देखते समय, क्या रावण सच में गलत था?

रावण पूरे त्रेता युग में कहीं गलत नहीं था। सीता हरण से जुड़ी, बहुत सी जिज्ञासाओं को सुलझाने का प्रयास है, शायद आपको भी न्याय संगत लगे...

शुभ दशहरा 🚩

Friday 11 October 2024

Bhajan (Devotional Song) : माँ के ‌दरबार‌ में

माँ के दरबार में

मैं तो आ गई 

मैं तो आ गई,

माँ के दरबार में

मैं तो आ गई


माँ के शीश पे टीका सोहे

बिंदी चमके चमचम -2

माँ की सुंदरता

मांँ की सुंदरता सबको 

भा गई रे, 

मैं तो आ गई


मैं तो आ गई 

माँ के दरबार में 

मैं तो आ गई 


माँ के गले पे हरवा सोहे

कंगन बाजे खनखन -2

माँ की ख्याति 

माँ की ख्याति सब जगह 

छा गई रे  

मैं तो आ गई 


मैं तो आ गई 

माँ के दरबार में 

मैं तो आ गई 


माँ के पैर पे बिछुआ सोहे 

पायल बाजे छम-छम -2

माँ की कृपा 

माँ की कृपा सब पर

हो गई रे

मैं तो आ गई


मैं तो आ गई 

माँ के दरबार में 

मैं तो आ गई



🚩बोलो सांचे दरबार की जय🚩

माता रानी की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻🙏🏻 

माता रानी के अन्य भजन सुनने के लिए click करें 

Thursday 10 October 2024

Tribute : अनमोल रतन

अनमोल रतन

आज भारत के लाल, भारत के अनमोल रत्न, रतन नवल टाटा जी नश्वर शरीर को छोड़कर, स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गए।

उनके जाने से सब ओर शोक की लहर व्याप्त हो गई है। नेता, अभिनेता, खिलाड़ी या आम आदमी, हर किसी की जुबान पर रतन टाटा का नाम है, हर कोई उनकी मानवता को याद कर शोकाकुल हो रहा है।

NCP lawn में उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है।

उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर राजकीय सम्मान दिया गया व उन्हें पुलिस force द्वारा सलामी दी गई।

ऐसा भी क्या था, रतन टाटा में जो हर ओर उनकी चर्चा हो रही है?...

वो बहुत बड़े business man थे, इसलिए?

तो उसमें ऐसा क्या बड़ा है, उनका जन्म ही उच्च कुल में हुआ था तो बड़े business man बनना क्या कठिन था?..

ऐसा नहीं है कि कोई बड़ा उद्योगपति होगा तो उसका विछोह, लोगों को यूं शोकाकुल कर देगा।

तो चलिए जानते हैं उसका कारण उनके ही अंदाज से, उनके इन 12 कथनों से…


1. किसी को दोष मत दो।

तुम्हारी गलती सिर्फ तुम्हारी है, तुम्हारी असफलता सिर्फ तुम्हारी है, किसी को दोष मत दो, अपनी इस गलती से सीखो और आगे बढ़ो।


2. मेरे लिए वो एक दुखद दिन होगा।

जिस दिन मैं उड़ान भरने में सक्षम नहीं हूं, वो मेरे लिए एक दुखद दिन होगा।


3. सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता।

मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता। मैं फैसले लेता हूं और फिर उन्हें सही साबित कर देता हूं।


4. ऐसे दोस्तों को कभी मत चिढ़ाओ।

अच्छी पढ़ाई करने वाले और कड़ी मेहनत करने वाले अपने दोस्तों को कभी मत चिढ़ाओ। एक समय ऐसा आएगा कि तुम्हें उसके नीचे भी काम करना पड़ सकता है। 


5. लोगों की बातों को दिल पर।

अगर लोग आप पर पत्थर मारते हैं तो उन पत्थर का उपयोग अपना महल बनाने के लिए कर लें।


6. तेज चलना चाहते हैं तो अकले चलें,  लेकिन… 

अगर आप तेज चलना चाहते हैं, तो अकेले चलिए, लेकिन अगर आप दूर तक जाना चाहते हैं तो साथ-साथ चलें।


7. सत्ता और धन।

सत्ता और धन मेरे दो प्रमुख सिद्धांत नहीं हैं। 


8. समान प्रतिभा नहीं है, लेकिन अवसर समान हैं! 

हम सभी के पास समान प्रतिभा नहीं है, लेकिन हम सबके पास समान अवसर हैं, अपनी प्रतिभा को विकसित करने के लिए।


9. जिंदगी में उतार-चढ़ाव जरूरी हैं।

जीवन में आगे बढ़ने के लिए उतार-चढ़ाव बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ECG में एक सीधी रेखा का मतलब बै कि हम जीवित नहीं हैं।


10. जिंदगी टीवी सीरियल की तरह नहीं होती‌।

टीवी का जीवन असली नहीं होता और जिंदगी टीवी सीरियल की तरह नहीं होती। असल जीवन में आराम नहीं होता, सिर्फ और सिर्फ काम होता है।


11. एक रात में कोई प्रेसिडेंट नहीं बनता।कॉलेज की पढ़ाई के बाद 5 आंकड़े वाली सैलरी की मत सोचना, एक रात में कोई प्रेसिडेंट नहीं बनता। इसके लिए अथक मेहनत करनी पड़ती है।


12. जीवन का आनंद लीजिए।

हम लोग इंसान हैं कोई कंप्यूटर नहीं, जीवन का मजा लीजिए। इसे हमेशा गंभीर मत बनाइए। 


बड़ा, इंसान को धन नहीं, उसका मन बनाता है, और यही खासियत थी रतन नवल टाटा में, जिसके कारण वो सबसे जुड़ गए।

रतन टाटा, दूरदर्शी business leader थे, visionary थे, मानवता की मिसाल थे। व्यापार और परोपकार उनका साथ-साथ चलता था।

वो एक सच्चे, सहज, सरल और मानवीय इंसान थे, इसके बहुत से दृष्टांत हैं, उनमें से कुछ के बारे में कहें बिना उनको दी गई श्रद्धांजलि पूर्ण नहीं होगी। 

रतन नवल टाटा का जन्म उच्च व्यवसायिक परिवार में हुआ था। उनकी company में सिगरेट, शराब को छोड़कर जीवन की बुनियादी ज़रूरत नमक से लेकर हवाई जहाज तक की luxurious चीज़ें बनाती है। 

वो चाहते तो एशो-आराम की जिंदगी गुजार सकते थे, पर वो ऐसे नहीं थे।

धन-धान्य से परिपूर्ण होने के कारण उन्होंने कभी अभाव में जीवन व्यतीत नहीं किया था, फिर भी वो आम आदमी से जुड़े हुए थे। वो जानते हैं कि एक आम आदमी के सपने, उनकी हैसियत में ही कैसे पूर्ण किए जा सकते हैं। 

उसका ही एक उदाहरण था, Tata Nano car, जिसकी कीमत है, 1 लाख रुपए... Nano car ने बहुत लोगों का two wheeler से four wheeler में बैठने का सपना पूरा किया होगा।

उन्होंने विवाह नहीं किया, क्योंकि वो चाहते थे कि अपने आप को देश को समर्पित कर दें। विवाह करके वो सिर्फ एक परिवार से जुड़े नहीं रहना चाहते थे, बल्कि वो सम्पूर्ण भारत को अपना परिवार समझते थे। उनके अंदर मानवता कूट-कूट कर भरी थी।

इसका ही उदाहरण है, जब कोरोना वायरस ने अपना क्रूर सम्राज्य स्थापित किया था, उस समय एक योद्धा की तरह से वो आगे आए और उन्होंने oxygen supply कराने से लेकर छोटी-बड़ी बहुत सी सहायता प्रदान की। 

सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर, देश को इस आपदा से सफलता पूर्वक बाहर निकाला और कोरोना वायरस के क्रूर सम्राज्य को समाप्त कराया।

उन्होंने इस दौरान अपने employees को work from home की facilities दी थी। आप कहेंगे कि वो तो बहुत सी companies दे रहीं थी। 

बिल्कुल दे रहीं थी, पर सिर्फ कुछ ही companies थी, जो ऐसा work from home दे रहीं थीं, जिसमें employees, अपने hometown में रहकर अपने सभी कार्य पूर्ण कर रहे थे, और ऐसा work from home, दिया था Tata group ने... 

वरना work from home तो था, पर आप अपना work station छोड़कर नहीं जा सकते थे, अपने home town नहीं जा सकते थे। 

उस समय लोगों का home town में रहना, बहुत से परिवार में बेटे-बेटियों के अपने माता-पिता के साथ रहने का सुनहरा अवसर बन गया।

रतन दूरदर्शी थे, जो उन्हें बाकियों से अलग बनाता है। किसी भी देश की सफलता,  उसकी स्वच्छता पर निर्भर करती है। स्वच्छ देश होने से ही स्वस्थ और सुदृढ़ देशवासी होंगे। 

इसका ही उदाहरण है उनका, स्वच्छता अभियान में actively participation.

उनके business ideas इतने अच्छे होते थे, जिन्होंने भारत को उद्योग-जगत में ऐसी उछाल दी थी, जिससे भारत economically बहुत strong होता जा रहा है।

ऐसी ही और भी बहुत सी छोटी-बड़ी बातें हैं, जिन्होंने उन्हें एक उधोगपति से बढ़कर एक सच्चा और पवित्र पावन इंसान बना दिया था। एक मसीहा, एक देशभक्त, एक पथ प्रदर्शक बना दिया...

यही सब वजह है कि पूरा देश उनके लिए शोकाकुल है, उन्हें राजकीय सम्मान प्रदान किया गया है।

भारत देश, अपने इस अनमोल रतन को हमेशा याद रखेगा और कोशिश करेगा, उनके सपने को साकार करने का, भारत को विश्व में सबसे सर्वश्रेष्ठ, सबसे सफल बनाने का...

और यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी, भारत के उस अमर सपूत को, भारत के लाल, भारत के रत्न को, रतन नवल टाटा जी को...

ईश्वर, आपकी पावन आत्मा को स्वर्ग में स्थान प्रदान करें 🙏🏻

Wednesday 9 October 2024

Article: दुर्गाष्टमी किस दिन और क्यों?

शारदीय नवरात्रों के दिन चल रहे हैं, हर ओर माता रानी की पूजा अर्चना, भजन आरती इत्यादि चल रहे हैं। सर्वत्र माता रानी का जयकारा गूंज रहा है, माँ अपने भक्तों को भर भरकर आशीष प्रदान कर रहीं हैं।

आज नवरात्रों की षष्ठी है, और आज से ही दुर्गापूजा का पांच-दिवसीय समारोह आरंभ हो जाता है। इस दिन से दुर्गा माता की प्रतिमा का पट खुलता है, जिसके बाद ही श्रद्धालु दुर्गा माता की प्रतिमा का दर्शन कर पाते हैं।

शारदीय नवरात्रों में दुर्गाष्टमी का विशेष महत्व होता है, नवरात्रों में अष्टमी के दिन माता रानी ने दुर्गा माँ का रूप धारण किया था। दुर्गाष्टमी में माता रानी ने दुष्ट भैंस राक्षस महिषासुर का वध किया था, जिसका जश्न मनाया जाता है। 

दुर्गा माँ के स्वरूप की कथा 

किंवदंती है कि भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा दिए गए वरदान के कारण, महिषासुर को केवल एक महिला द्वारा ही हराया जा सकता था। जब भगवान इंद्र, युद्ध के मैदान में पराजित हुए, तो वह त्रिदेवों की शरण में आए।

संसार के कल्याण हेतु बह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी-अपनी शक्तियां प्रदान कर दुर्गा माँ का निर्माण किया, जिसमें उनके शरीर के प्रत्येक भाग को पुरुष देवताओं की शक्तियों द्वारा सशक्त किया था। दुर्गा माता ने त्रिशूल द्वारा महिषासुर का वध किया था। 

दुर्गाष्टमी, ईश्वर के स्त्री रूप के सशक्तिकरण का प्रतीक है। जहांँ ईश्वर ने यह  चरितार्थ किया है कि यदि स्त्री अपनी सामर्थ्य को प्रदर्शित करे तो वह किसी भी मामले में पुरुष से कम नहीं है। 

दुर्गाष्टमी व्रत का महत्व

शास्त्रों में दुर्गाष्टमी व्रत के महत्व को विस्तार से बताया है। बता दें कि नवरात्रि के नौ दिनों में अष्टमी व्रत का सबसे अधिक महत्व होता है।

ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन मां भगवती एवं कन्याओं की उपासना की जाती है। इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है।

 धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत का पालन व कन्या पूजन करने से से जीवन में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

साथ ही सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं, इस व्रत का पालन करने से कई प्रकार के ग्रह दोष भी दूर होते हैं।

इस वर्ष लोगों के मन में बहुत उलझन चल रही है कि दुर्गाष्टमी किस दिन है और उसका क्या कारण है? इसी उलझन को सुलझाने का प्रयास है आज का यह article...

दुर्गाष्टमी किस दिन और क्यों?


दुर्गाष्टमी व्रत किस दिन रखा जाए या जिन्हें अष्टमी में कन्या पूजन करना है, वो किस दिन करें, 10 या 11 अक्टूबर को?

और क्या कारण है 10 और 11 October दो दिन अष्टमी का योग है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन महा दुर्गा अष्टमी व्रत का पालन किया जाता है।

सनातन धर्म में मां दुर्गा की उपासना के लिए दुर्गा अष्टमी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। शारदीय नवरात्रि में दुर्गाष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन मां भगवती की उपासना की जाती है।

महा अष्टमी के दिन महा स्नान एवं षोडशोपचार पूजा की जाती है। मान्यता है कि दुर्गाष्टमी के दिन व्रत का पालन करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है व जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है।

तिथि और मुहूर्त 

वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का शुभारंभ 10 अक्टूबर दोपहर 12:35 पर होगा और इस तिथि का समापन 11 अक्टूबर दोपहर 12:05 पर हो जाएगा।

इस वर्ष सप्तमी व्रत का पालन 10 अक्टूबर के दिन किया जाएगा।और सप्तमी व अष्टमी व्रत एक साथ नहीं रखे जाते हैं,  क्योंकि सप्तमी तिथि से युक्त अष्टमी तिथि , नित्य शोक व संताप (कष्ट) को देने  वाली होती है व अष्टमी तिथि से युक्त नवमी तिथि हर तरह से शुभ फलदाई होती है।

निर्णय सिंधु में पृष्ठ 375 के अनुसार उदया अष्टमी में महाष्टमी व्रत व महानवमी व्रत, कन्या पूजन, हवन इत्यादि का कार्य 11 October शुक्रवार को करना शास्त्र सम्मत है।

आशा है अब आप को निर्णय लेने में सुविधा हो जाएगी।

बाकी नवरात्रि में तो नौ दिन माता रानी के हैं, हर दिन शुभ है, वो हर दिन अपने भक्तों को भर भरकर आशीष प्रदान करतीं हैं 🙏🏻 

बोलो सांचे दरबार की जय 🚩🙏🏻