Tuesday, 24 December 2024

Article : सांता नहीं, संतों की भूमि

आजकल सनातन संस्कृति का पुरजोर समर्थन चल रहा है, जिसके तहत बहुत से मंदिर का पुनरोत्थान या नवीनीकरण किया जा है। अगर इसे देश के नजरिए से देखा जाए तो यह बहुत हद तक सही भी है, क्योंकि भारत की भारतीय संस्कृति सनातन धर्म ही है।

कुछ लोग होंगे जो यह कहेंगे कि पहले भी क्या बुरा था, जब सर्व धर्म समभाव था। 

हमारे देश की संस्कृति, वैसे भी अनेकता में एकता है।

पर कभी आपने सोचा, कैसे भारत की सनातन संस्कृति, अनेकता में एकता के रूप में बदल गई? 

अगर आप पूरा article पढ़ेंगे तो आप को इसमें षड्यंत्र की राजनीति दिखेगी।

सांता नहीं, संतों की भूमि


कभी आपने सोचा, कैसे भारत के मूल नागरिक हिन्दूओं को गौण, और मुसलमानों और ईसाईयों को अल्पसंख्यक का नाम देकर प्रमुख बनाकर, सभी सुविधाएं प्रदान कर दी गई। 

क्यों हज के लिए सब्सिडी और हिन्दू तीर्थ यात्राओं के लिए Tax लगता है।

क्यों मंदिर से हर साल लाखों-करोड़ों रुपए सरकारी खजाने में जमा होता है, जबकि मस्जिदों और मजारों के लिए लाखों-करोड़ों की सहायता मिलती है...

क्यों मदरसों में क़ुरान पढ़ाया जाना, एक शिक्षा नीति के अंतर्गत आता है... पर गीता, रामायण, उपनिषद, ग्रन्थ आदि शिक्षा नीति में शामिल होना ban है?

ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुस्लिम धर्म को ही flourish किया जाता है, बस उनको highlight ज्यादा किया जाता है। 

पर आपको पता है, ईसाई धर्म का प्रचार और प्रसार तो ऐसे किया जाता है, जो सबकी नस-नस में घोल दिया जाता है, पर उसका किसी को एहसास भी नहीं होता है।

हम यह क्यों कह रहे हैं, वो ही लिख रहे हैं, आप भी गौर कीजिएगा और बताइएगा कि किस हद तक सही है?

December का महीना चल रहा है, और यूरोपीय देशों में festivity का माहौल चल रहा है। चलना भी चाहिए, उनका सबसे बड़ा festival Christmas है। 

पर हमारे देश में क्या festival का माहौल नहीं है? क्या हमारे बच्चे Santa Claus का इंतजार नहीं कर रहे हैं? 

कर रहे हैं? उतनी ज्यादा बेसब्री से जितना कि उन्हें दीपावली का इंतजार भी नहीं रहता है...

पता है क्यों?

क्योंकि schools में बच्चों को हर साल समझाया जाता है कि होली, दीपावली में किस-किस तरह से problem होती है, मानो वो festival न हो, बस problems से भरे दिन हों और उन्हें छोड़ देना ही हितकर है।

और वहीं Christmas का celebration, उसके आने के, one week पहले से ही शुरू कर दिया जाता है। 

Schools में ऐसा माहौल create कर दिया जाता है कि मानो वो school, यूरोपीय देशों में पहुंच गया हो।

Schools में class में christmas tree, Santa Claus बनवाएं जाएंगे। White gift service के नाम पर donation लिए जाएंगे। 

किसी-किसी schools में jesus christ का जन्म भी ऐसे किया जाएगा, जैसे बस वही एक ईश्वर हैं। 

बच्चों के मन-मस्तिष्क में Jesus Christ की ईश्वरीय छवि बसा दी जाती है और उनको Christmas और अधिक tempting लगे, इसके लिए Santa Claus का बच्चों को gift देना भी शामिल होता है।

वरना जन्म तो भगवान श्री कृष्ण और प्रभू श्री राम जी का भी किया जा सकता है, पर किसी school में नहीं celebrate किया जाता है।

होली में रंग और पिचकारी और दीपावली पर पटाखे बच्चों के लिए gift ही तो होते हैं, जो Santa Claus के नाम पर secretly नहीं दिए जाते हैं। माता-पिता बच्चों की पसंद से दिलाते हैं। फिर उस gift को हिकारत भरी हुई नजरों से देखना, कहां तक उचित है?..

European countries में शायद आते होंगे कोई Santa Claus, पर India में तो Santa बच्चों के मां-बाप ही बनते हैं। 

पर क्यों? आवश्यकता क्या है? अगर secretly gift देना ही है तो, जन्माष्टमी, रामनवमी, आदि में भी दिया जा सकता है ना?...

एक सच्चाई और है, India में Santa Claus gift देने के लिए नहीं, बल्कि धर्म परिवर्तन कराने के लिए आते हैं। और एक बात जो बहुत लोगों को नहीं पता होगी। 

Christian religion में चर्च में रहने वाले Father and Nun, tax-free life lead करते हैं। 

तो अगर आप ध्यान दें, तो आप को भी समझ आ जाएगा कि क्यों सनातन संस्कृति को अनेकता में एकता के रूप में बदला गया...

सनातन संस्कृति का महत्व तो विदेशियों को भी समझ आ गया, हम कब समझेंगे?

यह देश संतों का है, सांता का नहीं, अपने बच्चों को सही दिशा निर्देश पर चलाएं और सनातन संस्कृति को बढ़ावा दें। क्योकि सनातन ही सत्य है, चिर है, निरंतर है, मोक्ष है, मुक्ति है।

जय सनातन, जय भारत!

Friday, 20 December 2024

Recipe : दड़पे पोहा

बहुत सी recipes ऐसी होती हैं, जो different cuisine में different style से बनाई जाती हैं, पर वो भी बहुत tasty and healthy होती हैं।

आज आपको भी एक ऐसी ही मराठी या कोंकण recipe share कर रहे हैं, जो बहुत tasty and healthy होती है। 

और वो है पोहा... दड़पे पोहा

पोहा कौन सी नई recipe है? और India में शायद ही कोई ऐसा घर हो, जहां पोहा न बनता हो...

फिर पोहा की recipe, share करने से क्या फ़ायदा?

है जी, बिल्कुल है, क्योंकि यह different style का पोहा है, जो कि बहुत tasty and healthy होने के साथ ही बहुत easily prepare भी हो जाता है। साथ ही इस पोहे में एक और खासियत होती है कि आप इसे चाहे तुरंत serve करें या कुछ घंटों के बाद, यह पूरे समय soft and fresh बना रहता है।

चलिए बताते हैं आपको इसकी recipe...

Dadpe Poha


(A) Ingredients :

  • Flattened rice - 250 gm.
  • Fresh coconut - 50 gm.
  • Coconut water - 1 bowl
  • Onion - 1 medium size
  • Green chilli - as per taste
  • Groundnut - 50 gm
  • Curry leaves - 6 to 8 leaves
  • Coriander leaves - handful of leaves
  • Lime juice - 1 tsp.
  • Mustard seeds - ½ tsp.
  • Mustard oil - 2 tsp.
  • Salt - as per taste
  • Sugar (powdered) - 1 tsp.
  • Turmeric powder - ½ tsp.


(B) Method :

  1. पोहा को एक छन्नी में ले लीजिए।
  2. फिर इसे पानी से धोकर अच्छे से साफ कर लें।  
  3. जब पोहे का पूरा पानी निकल जाए, तो पोहे को bowl में रख दीजिए।
  4. अब इसमें नारियल पानी डालकर अच्छे से mix कर दें और 10 minutes के लिए रख दीजिए।
  5. Fresh coconut को कद्दूकस कर लीजिए।
  6. धनिया पत्ती, हरी मिर्च और प्याज़ को महीन काट लें।
  7. एक दूसरे bowl में घिसा हुआ नारियल, महीन प्याज़, हरी मिर्च और धनिया डालकर अच्छे से mix कर लीजिए।
  8. नारियल पानी में soak किए गए पोहे को प्याज और धनिया वाले bowl में डाल दीजिए।
  9. अब इसमें नमक, पिसी चीनी और नींबू का रस डालकर मिला दें।
  10. एक ladle लीजिए,  उसमें mustard oil डालकर अच्छे से गर्म कर लीजिए।
  11. गर्म तेल में mustard seeds, curry leaves और हल्दी पाउडर डाल छौंक तैयार कर लीजिए। 
  12. इस छौंक को पोहे पर डालकर mix कर लीजिए।

Your 'nutri-licious' Dadpe Poha is ready to serve. 

 

(C) Tips and Tricks :

  • पोहा पहले पानी से धोकर, पूरा पानी निकल जाने तक रखें।यह step इसलिए जरूरी है, जिससे पोहा अच्छे से साफ हो जाए, उससे dust पूरी तरह से हट जाए।
  • साथ ही, पोहा साफ करने में coconut water waste न हो, coconut water केवल पोहा soft करने के लिए use हो। 
  • पानी अच्छे से निकल जाए, यह भी जरूरी है, जिससे पोहा coconut water को अच्छे से soak कर सके और उसमें coconut water का sweetened taste आए। 
  • पोहा में coconut water mix करने से पहले उसे उंगली की सहायता से अच्छे से toss कर लें, जिससे पोहे खिले-खिले हो जाएं।
  • वैसे अगर आप के पास अधिक मात्रा में coconut water है तो आप सूखे पोहे को साफ कर लें। फिर उसमें coconut water डालकर भी soak कर सकते हैं। 
  • अगर coconut water नहीं है, तो केवल पानी से धोकर भी यह पोहा बनाया जा सकता है, हांँ authentically, coconut water ही use करते हैं।
  • Coconut water डालकर 10 minutes के लिए छोड़ दें। उसमें प्याज, धनिया पत्ती आदि डालने से पहले एक बार पोहा को फिर से toss कर लीजिए। साथ ही check कर लें कि पोहे में proper softness आ जाए।
  • इस तरह से बने पोहे को cook नहीं करते हैं, इसलिए पोहे में proper softness आनी जरूरी होती है। और यही softness इसकी delicacy है, जो इसको पूरे समय एक-सा soft रखती है और बहुत ही स्वादिष्ट बनाती है।
  • आप बिल्कुल भी नहीं घबराइएगा कि बिना cook किए कैसे अच्छा लगेगा? यह बिना cook हुए भी बहुत अच्छा लगता है। एक बार बनकर try ज़रूर कीजिए। एक बार बनाने और खाने के बाद आप भी तारीफ किए बिना नहीं रहेंगे।
  • हमने इसमें, अनार के दाने और आलू भुजिया भी add की है, जो authentically नहीं डाला जाता है। But इससे taste and appearance दोनों ही बहुत अच्छे हो जाते हैं। 
  • हमने fresh grated coconut की जगह tender coconut के छोटे छोटे टुकड़े डाले थे। जो कि पोहे की softness को और enhance कर रहे थे। Authentically fresh grated coconut ही डाला जाता है। 
  • आप अपने स्वादानुसार इसमें नमक, पिसी चीनी, नींबू और मिर्च कम या ज़्यादा कर सकते हैं।
  • अगर आप onion नहीं खाते हैं तो आप इसे avoid कर सकते हैं।
  • अगर आप turmeric powder न डालना चाहें तो उसे छोड़ सकते हैं। Authentically हल्दी पाउडर बिना डाले और डालकर, दोनों तरह के मिलते हैं।

तो एक बार यह पोहा भी बनाकर देखिये, घर पर सब इसके लिए भी demand करने लगेंगे।

Tuesday, 17 December 2024

Recipe : Barule Chaat

शरद ऋतु की ठंडी हवाएं मौसम को बहुत ही रोमानी कर रही है। यह सर्द मौसम और ज्यादा खूबसूरत तब हो जाता है, जब इसका लुत्फ किसी गर्मागर्म yummy and tasty चीज़ के साथ लिया जाए...  

बस इसी बात का ध्यान रखते हुए हम, आज अलीगढ़ के मशहूर बरूले चाट की recipe share कर रहे हैं... 

गर्मागर्म स्वादिष्ट बरूले चाट के साथ ठंड का मज़ा ही आ जाता है, आइए, तो झटपट इसका method देख लेते हैं।

बरूले चाट


(A) Ingredients :

  • Baby potatoes - ½ kg.
  • Rice flour - 1 tbsp.
  • Cornflour - 1 tbsp.
  • Table salt - as per taste 
  • Black salt - as per taste 
  • Kashmiri Lal Mirch - ½ tsp.
  • Chaat Masala - as per taste
  • Coriander leaves - handful of leaves
  • Mint leaves - 5 to 6 leaves
  • Green chilli - as per taste
  • Lemon juice - 2 tsp.
  • Mustard oil - for frying


(B) Method :

  1. Mixer grinder jar में धनिया पत्ती, पुदीना, हरी मिर्च, नमक और नींबू डालकर, हरी चटनी तैयार कर लीजिए।
  2. Baby potato को अच्छे से wash कर लीजिए, जिससे उसकी सारी गंदगी हट जाए।
  3. Baby potato व ¼ tsp salt को pressure cooker में डालकर, इतना पानी डालिए कि आलू आधे डूबे हुए हों, फिर high flame पर 1 whistle लगा लें। 
  4. अब इन आलूओं पर cornflour, rice flour, salt, और कश्मीरी लाल मिर्च डालकर अच्छे से mix कर दें, जिससे आलूओं पर अच्छे से coating हो जाए। 
  5. जब भी आप को serve करना हो, उसके पहले इन आलूओं को हथेलियों से हल्का सा दबा दें, जिससे यह चपटे हो जाएं।
  6. अब इन्हें सरसों के तेल में डालकर, golden brown होने तक deep fry कर लीजिए।

Your Barule Chaat is ready to serve. You can serve it with some black salt, black pepper, chaat masala and green chutney. Enjoy!


(C) Tips and tricks :

  • Baby potato ही लीजिएगा, बड़े आलू लेने से authentic flavour नहीं आएगा। 
  • नमक आप तीन बार डाल रहे हैं, boil करते समय, marinate करते समय, serving के time, और चटनी में भी नमक होगा। तो ध्यान रखिएगा कि नमक balanced रहे। In short, सब में नमक है (जो चाट में मिलेगा), तो सब में नमक ठीक अंदाज से डालिएगा।
  • नये छोटे आलू होने से taste और enhance हो जाएगा।
  • आलूओं के छिलके नहीं छीलने हैं। इस dish का main ingredient छिलके सहित छोटे आलू हैं।
  • याद रखिएगा, आलू हल्के कच्चे ही उबलें, क्योंकि पूरी तरह से वो fry करने में पक जाएंगे। पर अगर वो पहले ही पूरी तरह से गल गए, तो हथेलियों से दबाने में भर्ता हो जाएंगे, साथ ही crispy भी नहीं रहेंगे।
  • हथेलियों से दबाते हुए ध्यान रखिएगा, आलू सिर्फ चपटे करने हैं, उनका भर्ता नहीं बनाना है। आप चाहें तो उनके दो-दो टुकड़े करके भी बना सकते हैं।
  • Authentically, यह सरसों तेल में ही deep fry किये जाते हैं, बाकी आप अपने accordingly जिस भी oil में fry करना चाहें।
  • ठंड के दिनों में बहुत अच्छी मूली मिलती है, आप अपने स्वादानुसार इसमें घिसी हुई मूली भी डाल सकते हैं, यह taste को enhance कर देगी।


तो बरूले चाट का लुत्फ लेते हुए अपनी शाम खुशनुमा बनाएँ।

Monday, 16 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग -7)

मजबूर (भाग-1) ,

मजबूर (भाग-2) ,

मजबूर (भाग-3) ,

मजबूर (भाग - 4)  ,

मजबूर (भाग -5) व 

मजबूर (भाग -6) के आगे...

मजबूर (भाग -7)  


विराज उससे पहले कुछ और पूछता या कहता, उससे पहले सविता जी ने उसे वापस जाने को कह दिया...  

फिर अपनी बेटी पर गुस्साते हुए बोली, इसे सिवाय आलस के कुछ और पता भी है।

यह क्या बताएगी कि क्या कहां रखा है, जब इसे अपने mobile का भी होश नहीं है, जिस पर वरुण ने चार घंटे पहले ही सब कुछ whatsapp कर दिया था।

लीजिए पढ़िए, मुकेश जी को फोन पकड़ाते हुए कहा...

वरुण ने लिखा था, सासू मां और ससुर जी आपको लाखों करोड़ों धन्यवाद कि आपने ने मुझे 50 करोड़ रुपए दे दिए। यह उतने ही रुपए हैं, जो आपने राजकुमार के नाम किए थे। 

मैं सिर्फ उतने रूपए लेकर ही अपने बेटे के साथ इस देश को छोड़ रहा हूं।

मैं मजबूर था, अपने ही बेटे की kidnapping के लिए, मैं मजबूर हो चुका था, आपकी बिगड़ैल और बद् दिमाग बेटी के साथ रहकर...

वरना शादी से पहले मैं भी सफल business man था, पर आपकी बेटी ने कभी मेरी कीमत नहीं समझी और मुझे बर्बाद करने मे कोई कसर नहीं छोड़ी।

मेरी तो छोड़िए कभी अपने बेटे की कीमत भी उसने नहीं समझी...

मैंने उससे निभाने की बहुत कोशिश की, सोचा शायद वो मां बनकर सुधर जाएगी। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ, यह आप लोग भी जानते हैं।

मैंने बहुत मजबूर होकर, यह कदम उठाया है। मैं आपका गुनहगार हूं, आप चाहें तो मुझे जेल करवा सकते हैं या मुझे मेरे बेटे के साथ सुखी रहने दे सकते हैं।

मैं आपसे वादा करता हूं कि जितना जल्दी हो सकेगा, मैं आपके 50 करोड़ रुपए भी वापिस कर दूंगा। और आप भी जानते हैं कि मैं काबिल हूं, सक्षम हूं, यह जल्दी कर दूंगा।

आशा है आप मुझे माफ़ कर देंगे। मेरे लिए नहीं तो राजकुमार के लिए माफ़ कर दीजियेगा। क्योंकि उसे उज्जवल भविष्य जीने का अधिकार है, जो आपकी बेटी के संग संभव नहीं है।

सब कुछ पढ़ने के बाद मुकेश जी और सविता ने सिर झुका लिया, क्योंकि जो कुछ लिखा था, पूर्णतः सत्य ही तो था...

उन्होंने वरुण को जवाब दे दिया कि तुम उन रुपयों को हमेशा के लिए अपने पास रख लो। उस पर राजकुमार का पूरा हक है, उसे अच्छा लालन-पालन देना और हो सके तो कभी-कभी हम से मिलवाने ले आना। उसे यही बताना कि उसके नाना और नानी बहुत अच्छे हैं, उसे बहुत प्यार करते हैं। 

हम लोगों को तुम लोगों का इंतजार रहेगा। हम समझ रहे हैं कि तुम कितने मजबूर हो गए थे, ऐसा कदम उठाने के लिए, हमने तुम्हें माफ़ किया।

सब दुखी थे, वरुण और राजकुमार के जाने के बाद, सिवाय अंकिता के... उसे न उन लोगों के जाने का दुःख था, न पैसों के जाने का... बल्कि वो तो खुश थी कि वरुण ने अपनी मजबूरी बता कर उसे आज़ाद कर दिया था। क्योंकि वो हमेशा के लिए मुक्त हो गई थी, अपनी जिंदगी, सिर्फ अपने लिए जीने को। वो खुश थी क्योंकि वो मजबूर थी, ऐसे ही जीने के लिए...

Sunday, 15 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग-6)

मजबूर (भाग-1) ,

मजबूर (भाग-2) ,

मजबूर (भाग-3) ,

मजबूर (भाग - 4)  व

मजबूर (भाग -5) के आगे..

मजबूर (भाग-6)



एक काम करो, तुम सब एक साथ रहो, मैं जल्दी से जल्दी रुपये-पैसों का इंतजाम करता हूं। फिर राजकुमार को वापिस ले आएंगे। 

मुकेश जी के लिए 50 करोड़ का arrangement करना, कोई बहुत कठिन काम नहीं था, हां amount बड़ा था, तो एक बार ठीक से मंथन करना जरूरी था। 

मुकेश जी एक घंटे में ही रुपयों से भरे हुए 2 बड़े-बड़े suitcases लेंआए।

उन रुपयों को देखकर वरुण के निश्चेष्ट शरीर में जैसे जान आ गई हो। खुशी से उसकी आंखें छलक आईं। उसने मुकेश जी को करोड़ों-करोड़ बार धन्यवाद दिया और कहा, आप मेरे लिए ईश्वर के फरिश्ते के समतुल्य हैं। आज मुझे मेरी जिंदगी वापस मिल जाएगी। वरुण रुपयों से भरे हुए suitcases लें गया। 

जब बहुत देर तक न वरुण और न राजकुमार लौटे और न कोई ख़बर मिली, यहां तक कि वरुण का फोन भी  out of reach जा रहा था। तो मुकेश जी का माथा ठनका, आखिर क्या वजह रही? कहीं वरुण, किसी problem में तो नहीं है? 

उन्होंने बहुत ही famous detective विराज को call और सारा केस समझाया। 

विराज ने घर आकर, सबसे पहले रमेश से पूछताछ की, कि आखिर उस दिन हुआ क्या था?

सब सुनकर, विराज को बड़ी हैरानी हुई, उसका दिमाग बहुत तेज़ी से चलने लगा... कि रमेश, राजकुमार से मात्र दस कदम की दूरी पर था, फिर भी राजकुमार को जब कोई kidnap कर रहा था, तो उस‌ समय बच्चे का शोर रमेश को सुनाई क्यों नहीं दिया?

साथ ही जब बच्चा, kidnap हो रहा था तो उस‌ समय आस-पास किसी को भी कुछ ग़लत हो रहा है, इसका एहसास क्यों नहीं हुआ। क्या बच्चे ने उस kidnapper के साथ जाने में कोई विरोध नहीं किया?...

ऐसा कैसे हो सकता है?... 

विराज ने, मुकेश जी से पूछा कि आप की बेटी और दामाद के आपसी relation कैसे हैं? 

जी... इस बात से क्या मतलब है आपका? अंकिता गुस्से से चिल्लाई...

बहुत गहरा मतलब है, आप बताइए मुझे, क्योंकि अब इस case को यही बात सुलझाएगी... साथ ही यह भी check कीजिए कि आप के पति और बेटे का passport घर पर है या नहीं? 

अंकिता बोली, मुझे नहीं पता कि वरुण का passport कहां रहता है और न मैं यह जानती हूं कि राजकुमार का passport बना है कि नहीं?...

विराज उससे पहले कुछ और पूछता या कहता, उससे पहले सविता जी ने उसे वापस जाने को कह दिया... 

आगे पढ़े मजबूर (भाग -7) में 

Saturday, 14 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग-5)

मजबूर (भाग-1) ,

मजबूर (भाग-2) ,

मजबूर (भाग-3)  व

मजबूर (भाग - 4)  के आगे 

मजबूर (भाग-5)



रमेश, राजकुमार के खो जाने से पहले से ही परेशान था, फिर वरुण के सवालों की झड़ी से अंदर तक कांप उठा। 

वो सोचने लगा, वरुण साहब जो इतना शांत रहते है, जब उसने सवालों की झड़ी लगा दी है।

तब अंकिता madam तो उसका क्या ही हाल करेंगी? 

और और... मुकेश साहब, और सविता मालकिन जिनका राजकुमार एकलौता और बेहद लाडला नाती है... वो तो उसे lockup में भेजने से बिल्कुल नहीं चूकेंगे...

रमेश को थर-थर कांपते और सोच में पड़े देखकर, वरुण ने उसे झकझोरा और फिर से राजकुमार के विषय में पूछा...

नहीं साहब, मुझे नहीं पता, राजकुमार बाबा कहां हैं? मैं तो पास के आइसक्रीम पार्लर से बाबा के‌ लिए आइसक्रीम लेने गया था। 

बस उतनी ही देर में बाबा, ग़ायब हो गए... यह कहते-कहते रमेश की आंखों से गंगा-जमुना बह निकली...

चलो, फिर घर... अब तो यह पुलिस केस है, वही निपटेगी तुम से...

नहीं साहब, पुलिस को मत देना, मैं बाबा को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था। न जाने कैसे हो गया?

रमेश और वरुण घर पहुंच गए और उन्होंने अंकिता और उसके पापा-मम्मी को राजकुमार के खो जाने की बात कही...

यूं तो अंकिता को राजकुमार से कोई बहुत लगाव नहीं था, पर उसके खो जाने से वो विह्वल हो गई और फूट-फूटकर रोने लगी...

जब तक मुकेश और सविता पहुंचे, तब तक में वरुण और अंकिता का रो-रो कर बुरा हाल हो चुका था।

राजकुमार को याद कर-कर के, वरुण तो दो-तीन बार बेहोश भी हो चुका था।

मुकेश जी को आया देखकर वो उनके पैरों पर गिर पड़ा, पापा मेरे बेटे को बचा लीजिए...

बचा लीजिए का मतलब..? क्या कुछ पता चला है उसका..? कौन उसे मारना चाहता है?

पापा, अभी-अभी kidnappers का फोन आया था, पूरे पचास करोड़ रुपए मांग रहे हैं।

आप तो जानते हैं कि मेरे पास आपकी बेटी से शादी करने के पश्चात् अब उतना नहीं रहता, फिर अभी business भी थोड़ा मंदा ही चल रहा है।

मैं कहां से लाऊंगा इतना..? 

बहुत मजबूर हो चला हूं, अपने जिगर के टुकड़े को बचाने के लिए कुछ नहीं कर पा रहा हूं..

अभी आप दे दीजिए, फिर मैं धीरे-धीरे सब लौटा दूंगा..

50 करोड़... दो मिनट के लिए, मुकेश जी भी सोच में पड़ गए...

पापा, आप क्या सोच रहे हैं? वैसे भी इस कंगले से मुझे कोई उम्मीद नहीं है। दे दीजिए 50 करोड़ रुपए और छुड़वा लीजिए, हम सब के कलेजे के टुकड़े को...

हां, मुकेश जी, हमारे कौन 10-15 नाती-पोते हैं? जो कुछ है, बस यही तो है। कुछ मत सोचिए, बस राजकुमार को बचा लीजिए।

वो नन्ही-सी जान, अभी चार साल का ही तो है, रो-रो कर परेशान हो गया होगा।

हम्म... मुकेश जी ने चुप्पी तोड़ी, हां सविता तुम ठीक कहती हो, वैसे भी जो कुछ है, वो अंकिता और राजकुमार का ही है...

एक काम करो, तुम सब एक साथ रहो, मैं जल्दी से जल्दी रुपये-पैसों का इंतजाम करता हूं। फिर राजकुमार को वापिस ले आएंगे। 

आगे पढ़ें, मजबूर (भाग-6) में

Friday, 13 December 2024

Article : The Gukesh or D Gukesh

कल फिर भारत का मान‌ बढ़ा, उसको विश्व विजयी बनने का सम्मान मिला... 

और इस सम्मान को दिलाया है भारत के एक युवा खिलाड़ी ने...

जी हां आपने बिल्कुल सही समझा है, हम शतरंज की ही बात कर रहे हैं... और वो युवा खिलाड़ी हैं 18 वर्षीय गुकेश डी... Chess में world champion बनने के साथ ही गुकेश ने‌ सबसे युवा विश्व चैंपियन बनने का इतिहास भी रचा है।

18 साल के गुकेश डी ने चीन के डिंग लिरेन को हराकर वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया।  

आइए जानते हैं कि कैसा रहा खेल और कौन है गुकेश डी...

The Gukesh or D Gukesh

2024 की chess का FIDE Candidates चल रहा था, जिसमें 8 top players खेल रहे थे। जिसमें भारत के दो युवा खिलाड़ी, Gukesh D और R. Praggnanadhaa भी शामिल थे।

खेल अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा था और अंत में गुकेश डी final opponent बने।

इस game के लिए दो खिलाड़ी थे, एक title defender Chinese player Ding Liren और दूसरा भारत का युवा खिलाड़ी Gukesh D...

Game में जिसके भी पहले 7.5 points बनते, वो विश्व विजयी बन जाता...

मुकाबला एकदम टक्कर का चल रहा था, कभी चीन का डिंग लिरेन जीतता, तो कभी भारत का खिलाड़ी गुकेश डी, तो कभी match draw हो जाता।

हर match निर्णायक था, हर पल चुनौती से भरा हुआ, कहीं कोई नहीं था जो यह पहले से भविष्यवाणी कर दे कि कौन जीतेगा...

भारतीय Grandmaster Gukesh D. ने गुरुवार को विश्व शतरंज चैंपियनशिप के 14वें और अंतिम दौर में चीन के डिंग लिरेन को हराकर खिताब अपने नाम कर लिया। 

6.5 अंकों के साथ 14वें खेल की शुरुआत हुई थी। अंतिम मैच भी draw की तरफ बढ़ता दिख रहा था कि तभी डिंग की एक गलती उनके लिए भारी पड़ गई और गुकेश को जीत दिला गई। जीत के साथ गुकेश के 7.5 अंक हो गए, और उन्होंने यह मुकाबला 7.5-6-5 से जीत कर विश्व खिताब जीता। 12 साल के बाद किसी भारतीय ने इस खिताब को अपने नाम करने में कामयाबी हासिल की है।

 

1) गुकेश ने रचा इतिहास :

गुकेश ने 18 साल 8 महीने 14 दिन की उम्र में यह खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिन्होंने 22 वर्ष 6 महीने 27 दिन की उम्र में खिताब जीता था। गुकेश से पहले भारत के विश्वनाथन आनंद (2000-2002 और 2007-2012) विश्व शतरंज चैंपियन रहे। गुकेश के लिए यह पूरा साल बहुत शानदार रहा है। इस साल वे कई और खिताब जीत चुके हैं, जिनमें Candidates 2024 tournament और शतरंज Olympiad शामिल है, जिसमें उन्होंने gold medal जीता था। 

गुकेश ने चीनी खिलाड़ी को 14वें game में हराकर यह title जीता। सिंगापुर में 25 नवंबर को championship का final game शुरू हुआ था, 11 दिसंबर तक दोनों के बीच 13 games खेले गए। Score यहां 6.5-6.5 से बराबर था। गुकेश ने कल 14वां game जीता और एक point की बढ़त लेकर स्कोर 7.5-6.5 कर दिया।


2) विश्वनाथन आनंद के बाद दूसरे भारतीय खिलाड़ी :

जैसा कि आप सभी जानते हैं, गुकेश chess के वर्ल्ड चैंपियन बनने वाले भारत के दूसरे player है । 2012 तक विश्वनाथन आनंद chess champion बने रहे थे। गुकेश ने 17 साल की उम्र में FIDE candidates chess tournament भी जीता था। तब वह इस खिताब को जीतने वाले भी सबसे युवा player बन गए थे।  


3) पिछले कुछ सालों के world champion player :

हम यहां विश्व विजयी भारतीय शतरंज खिलाड़ी से ‌लेकर पुनः भारतीय खिलाड़ी के विजेता तक का सफ़र बता रहे हैं। 2007 से 2012 तक world championship पर भारतीय खिलाड़ी ‌ विश्वनाथन आनंद का दबदबा कायम था, उसके बाद नार्वे के मेगनस कार्लसन ने 2013 से 2022 तक उस पर अपना नाम लिख दिया। उसके बाद 2023 में चीन के खिलाड़ी डिंग लिरेन ने इस खिताब को जीता था। और अब यह खिताब, पुनः भारत की शान बन गया है, गुकेश डी के विजेता बनने के साथ...


4) 138 साल का इतिहास :

138 साल के इतिहास में पहली बार 2 एशियाई खिलाड़ी हुए आमने-सामने। International chess federation  (FIDE) के 138 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब एशिया के 2 खिलाड़ी world champion के खिताब के लिए आमने-सामने थे। चैंपियन बनने वाले गुकेश को, 11.45 करोड़ रुपए (1.35 मिलियन US dollar) मिलेंगे। 


5) कौन हैं डी गुकेश?

​​​​​गुकेश डी का पूरा नाम गुकेश डोम्माराजू है। वह चेन्नई के रहने वाले हैं। गुकेश का जन्म चेन्नई में 7 मई 2006 को हुआ था। उन्होंने 7 साल की उम्र में ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उन्हें शुरू में भास्कर नागैया ने coaching दी थी।

नागैया International chess player रहे हैं और चेन्नई में chess के home tutor हैं। इसके बाद विश्वनाथन आनंद ने गुकेश को खेल की जानकारी देने के साथ coaching दी। गुकेश के पिता doctor हैं और मां microbiologist हैं। 

10 से 23 सितंबर को इसी साल Budapest में Chess Olympiad का आयोजन हुआ था। भारत open and women's दोनों category में champion बना था। Open category में गुकेश ने ही final game जीतकर भारत को जीत दिलाई थी। उन्हें open category में gold medal भी मिला था। 

भारत को विश्व विजयी बनाने के लिए गुकेश डी को हम सभी की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं, ईश्वर से कामना है कि भारत इसी तरह से वर्षों वर्ष विश्व विजयी बना रहे और सब ओर उसकी यश-कीर्ति विद्यमान रहे... 🙏🏻

Thursday, 12 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग-4)

 मजबूर (भाग-1) ,

मजबूर (भाग-2)  व

मजबूर (भाग-3) के आगे 

मजबूर (भाग-4)



वो दिनभर आराम करती और अपने पापा के भेजे हुए रुपए-पैसों से मज़े करती...  

रुण ने बहुत प्यार से अपने बेटे का नाम राजकुमार रखा। यह नाम अंकिता को भी बहुत अच्छा लगा, क्योंकि वो तो अपने आपको राजकुमारी और रानी से कम समझती नहीं थी।

तो बस बहुत धूमधाम के साथ बेटे का नाम राजकुमार रखा दिया गया।

जैसे जैसे राजकुमार बड़ा हो रहा था, वरुण की कमजोरी बनता जा रहा था।

जो वरुण अंकिता की फिजूलखर्ची पर चिढ़ जाया करता था, वही अंकिता का राजकुमार के लिए किए गए फिजूलखर्ची पर कुछ न बोलता था। बल्कि उसके लिए आए सामान को बड़े प्यार से निहारता है और सराहना भी करता था।

उसके इस रूप को देखकर अंकिता भी एक पल को उस पर रीझ जाया करती थी। 

वरुण घर आने के बाद, एक पल को भी राजकुमार को अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देता था।

यहां तक कि hide and seek खेलने में भी पांच मिनट से भी ज्यादा समय लगने पर वो बैचेन हो उठता था।

एक दिन जब वो आफिस से लौटा तो राजकुमार पार्क में जाने के लिए मचल रहा था। 

वरुण को एक बहुत important assignment बनाना था, पर राजकुमार ज़िद्द किए जा रहा था।

आखिरकार मजबूर होकर, उसने अंकिता के एक servant के साथ उसे‌ यह कहकर पार्क भेज दिया कि वो 15 minutes में पार्क पहुंच जाएगा।

राजकुमार के पार्क पहुंचने के ठीक 15 minutes बाद वरुण भी पार्क पहुंच गया।

पर वो देखता क्या है, रमेश इधर-उधर कुछ ढूंढ रहा है और राजकुमार उसके साथ नहीं है।  

वरुण ने रमेश से एक साथ बहुत से सवाल कर डाले, राजकुमार कहां है? वो तुम्हारे साथ क्यों नहीं है? उसे तुमने अकेला क्यों छोड़ा? तुम्हें अंकिता के लिए उसके पापा ने लगवाया था, इसलिए मैंने तुम पर कितना भरोसा करके राजकुमार को तुम्हारे साथ भेजा था...

रमेश, राजकुमार के खो जाने से पहले से ही परेशान था, फिर वरुण के सवालों की झड़ी से अंदर तक कांप उठा।

आगे पढ़े, मजबूर (भाग-5) में...

Wednesday, 11 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग-3)

मजबूर (भाग-1)

मजबूर (भाग-2) के आगे 

मजबूर (भाग -3)



अंकिता के यूं चले जाने से वरुण को यह एहसास होने लगा कि एक ग़लत फैसला, इंसान को कितना अपमानित और मजबूर बना देता है।

एक सुबह, वरुण को फोन आता है कि वो एक ख़ूबसूरत से बच्चे का पिता बन गया है।

यह सुनते ही वरुण बच्चे से मिलने, उसे देखने के लिए बैचेन हो उठता है।

आनन-फानन वो अपनी ससुराल की ओर दौड़ जाता है।

वहां मुकेश जी और सविता दोनों ही उसका विशेष रूप से आतिथ्य सत्कार करते हैं। फिर वो बताते हैं कि उसका बेटा थोड़ा serious condition में है। उसे incubator पर रखा गया है। साथ ही उसे blood requirements भी होगी।

वरुण तुरंत hospital पहुंचता है और doctor से अपने बेटे से मिलने देने की request करता है।

जब वो अपने बेटे को देखते हैं तो देखता रह जाता है, उसका बेटा, हुबहू उसकी photo copy था। वही चेहरा-मोहरा वही रंग-रूप...

साथ ही उसे पता चलता है कि बच्चे का blood group भी उसी से मिलता है AB negative (AB-), जो कि rare blood group होता है।

उसने doctor को बोला कि तुरंत से बच्चे का treatment शुरू कर दें, वो अपना खून देने को तैयार है। 

सारे treatment start हो गये और दो दिन में ही बच्चा normal condition में आ गया और अंकिता को दे दिया गया।

Coming week में discharge हो गया था, पर अंकिता अब वापस वरुण के पास नहीं जाना चाहती थी।

पर उसकी मां सविता जी ने कहा, वरुण का भी उस बच्चे पर पूरा अधिकार है, वैसे भी बच्चा, उसके खून दिए बिना शायद ही बचता। 

मुकेश जी ने भी अंकिता को अपने घर लौट जाने को कहा, साथ ही आश्वासित भी किया कि अंकिता और बच्चे दोनों के ख़र्च के लिए वो रुपए-पैसे भेजते रहेंगे। अनमने मन से अंकिता लौट आई।

वरुण अपने बेटे पर जान छिड़कता था। जब भी वो घर पर रहता, अपना पूरा समय अपने बेटे की देखरेख में व्यतीत कर देता।

अंकिता, उसके इस तरह से बेटे के लिए प्यार देखकर मन ही मन हर्षित होती, क्योंकि इस कारण से उसे बच्चे का कोई भी काम नहीं करना पड़ता था।

वो दिनभर आराम करती और अपने पापा के भेजे हुए रुपए-पैसों से मज़े करती...

आगे पढ़े, मजबूर (भाग-4) में...

Tuesday, 10 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग-2)

मजबूर (भाग-1) के आगे…

मजबूर (भाग-2)


शादी बहुत धूमधाम से हुई, एक-एक मेहमान की विशेष खातिरदारी की गई, पूरे शहर में वरुण की शादी की चर्चा हो रही थी। पर अंकिता के पिता, मुकेश जी ने जितना भी जो कुछ दिया, सब आरती और उसके होने वाले बच्चों के नाम पर दिया। 

वरुण को मिला बहुत कुछ, पर सब अप्रत्यक्ष रूप में... जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

खैर करता भी क्या? अंकिता का चुनाव, उसकी ख़ुद की choice थी। 

कुछ ही दिनों में अपने ग़लत चुनाव का खामियाजा, वरुण ने भुगतना शुरू कर दिया...

अंकिता के अक्खड़ और ज़िद्दी स्वभाव के कारण दोनों में आए दिन तू-तू मैं-मैं होती, साथ ही उसका अत्यधिक खर्चीला होना वरुण को बहुत ज़्यादा irritate करता था। 

अंकिता, जब कभी भी shopping करने जाती, 1-2 लाख से लेकर लाखों-करोड़ तक खर्च कर डालती और वो भी बेकार और बेमतलब की चीजों पर...

वरुण कुछ कहता, तो अंकिता हमेशा यही कहती, जब औकात नहीं थी, तो शादी क्या सोचकर करने आए थे? 

वैसे तुम्हारी self ego, जिस दिन दम तोड़ दे, बता देना, तुम्हें अपने पापा के पास ले चलूंगी, वो तुम्हारे जैसे बहुत से कड़कों का ख़र्च वहन कर सकते हैं।

जाने क्यों, मैं तुम्हारी smartness पर फ़िदा हो गई थी, मुझे समझना चाहिए कि दो कौड़ी का इंसान, ज्यादा दिन तक मुझे खुश नहीं रख सकेगा।

तो एक तरह से देखा जाए तो, हर तरह से 19 अंकिता, सिर्फ पैसे के ज़ोर पर वरुण पर 21 हो जाती थी। और आए दिन उसका अपमान करने से बाज नहीं आती है।

तो जैसा भी शादी के पहले वरुण ने सोचा था, सब उसके विपरीत होने लगा। न तो उसे पैसे मिले न ही मन की शांति..

आए दिन की तू-तू मैं-मैं और irritation से वरुण के business पर भी effect पड़ने लगा।

उन्हीं दिनों न जाने कौन से क्षण का वरुण को फल मिला था कि अंकिता pregnant हो गई...

अब तो अंकिता के नखरे इस हद तक बढ़ गये कि मुकेश जी खुद उसे अपने साथ, यह कहके ले गए कि अब तो अंकिता delivery के बाद ही आएगी।

अंकिता, वरुण को यह सख़्त हिदायत दे कर गई कि, बच्चा होने तक वो उसके पास बिल्कुल भी न फटके, वो नहीं चाहती कि उसके यह pamper वाले दिन, एक कंगले इंसान को देखते हुए बीते...

अंकिता के यूं चले जाने से वरुण को यह एहसास होने लगा कि एक ग़लत फैसला, इंसान को कितना अपमानित और मजबूर बना देता है।

आगे पढ़े, मजबूर (भाग -3) में...

Monday, 9 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग-1)

 मजबूर (भाग-1)

वरुण, successful business man था। वो जितना अमीर था, उतना ही sharp, intelligent and smart भी था। दूसरे शब्दों में कहें तो most eligible bachelor...

उसके लिए एक से बढ़कर एक रिश्ते आ रहे थे। बहुत सोच-विचार कर उसने अंकिता को अपने जीवन साथी के रूप में पसंद किया। 

हालांकि अंकिता, देखने-सुनने में उससे 19 ही थी, मतलब वो साधारण से नैन-नक्श वाली सांवरी सी लड़की थी, पढ़ाई-लिखाई में भी average थी, साथ ही नकचढ़ी, ज़िद्दी और गुस्सैल स्वभाव की भी थी, पर वो दुनिया में सबसे अमीर इंसान की एकलौती बेटी थी।

तो बस, जैसा कि बहुत से लोगों को लगता है कि सबसे बड़ा रुपैया, वही वरुण की सोच थी। उसने सोचा रंग-रूप तो चार दिन की चांदनी है, उसकी पढ़ाई-लिखाई से मुझे कुछ करना नहीं है और अंकिता के खराब स्वभाव से उसका ज्यादा सामना होना नहीं है, क्योंकि वो,अपने business में इतना अधिक busy रहता है कि उसके पास किसी के लिए भी ज्यादा समय नहीं होता है।

फिर अंकिता भी successful business man की बेटी है तो उसे यह एहसास होगा कि successful लोगों के पास ज्यादा समय नहीं होता है।

फिर, अमीर पिता अपनी बेटी को खूब भर-भरकर रुपया पैसा, धन-धान्य, कपड़े गहने इत्यादि देंगे तो उसके पास पैसों की बहुत अधिक बढ़ोत्तरी हो जाएगी, जो उसको भविष्य में और अधिक सुदृढ़ और सफल बनाएगा।

शादी बहुत धूमधाम से हुई, एक-एक मेहमान की विशेष खातिरदारी की गई, पूरे शहर में वरुण की शादी की चर्चा हो रही थी। पर अंकिता के पिता, मुकेश जी ने जितना भी जो कुछ दिया, सब आरती और उसके होने वाले बच्चों के नाम पर दिया।

आगे पढ़े मजबूर (भाग -2) में....

Thursday, 28 November 2024

Article : Dr*gged Chocolate

आज एक ऐसे topic पर लिख रहे हैं, जो कि बहुत तेजी से school and college में फ़ैल रहा है, जिसके victim बच्चे बनते जा रहे हैं। और वो भी इस तरह से कि उन्हें पता भी नहीं चल रहा है। 

हमारी बातों का मतलब आप को समझ नहीं आ रहा होगा।

Actually हम बात कर रहे हैं chocolates की...

Dr*gged Chocolate 


आज कल हर दूसरे school and college में dr*gs बेचते और खरीदते हुए बच्चे पकड़े जा रहे हैं।

Chocolates लोगों को इतना अधिक temptation देती है कि बच्चे तो क्या बड़े बड़े लोग भी अपने मुंह में आते पानी को रोक नहीं पाते हैं।

फिर बच्चों की तो कमजोरी होती हैं chocolate।

बस इसी बात का फ़ायदा उठा रहे हैं, dr*gs dealing वाले।

आज कल market में dr*gs chocolate, readily available हैं। और इनका main target होते हैं, मासूम बच्चे और youths।

इसलिए बहुत से schools and colleges में आजकल इनका racket बहुत strong हो गया।

पहले इन्होंने dr*gs chocolate, केवल metro cities के schools and colleges में पहुंचाई थी। पर अब तो हर छोटे-बड़े शहरों के schools and colleges में dr*gs chocolate readily available रह रही हैं।

इन dr*gs dealers ने दो बातों को main target किया है, एक तो chocolate और दूसरा colourful and shiny wrapping।

Chocolate तो tempting होती है, फिर colourful and shiny wrapping और ज्यादा attract करती है।

बस इन्हीं chocolates के through, यह schools and colleges में आकर बच्चों में dr*gs की लत लगवा रहे हैं।

यह dr*gs' dealers, इतने शातिर होते हैं कि यह dr*gs dealing का काम भी वहीं के बच्चों से कराते हैं। 

मतलब जो खरीद रहे हैं, वो शिकार हो रहे हैं और जो बेच रहे हैं, वो पहले ही शिकार हो चुके हैं। क्योंकि उनको पहले dr*gs की लत लगवाई जाती है, फिर उनसे dr*gs बेचने को कहा जाता है।

ऐसे में अगर बेचने वाले पकड़े जाते हैं, तब भी dr*gs dealers का सिर्फ माल पकड़े जाने का नुक़सान होता है। 

न वो पकड़ में आते हैं, न उन्हें जेल होती है और तो और उनके image पर भी कोई आंच नहीं आती है।

बस वो बच्चे, जो dr*gs बेचते पकड़े जाते हैं, उन्हें school and college से restrict कर दिया जाता है, उनको black list कर दिया जाता है, जिससे उनका future चौपट हो जाता है।

पर अब सवाल यह उठता है कि इससे बचा कैसे जाए? हम अपने बच्चों को सचेत कैसे करें? क्योंकि हर समय तो हम उनके साथ नहीं रह सकते हैं ...

तो उसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है...

कुछ भी खाने-पीने की चीजें, unknown लोगों से न लें, चाहे वो कितनी भी tempting क्यों न हो।

चाहे free में ही क्यों न मिल रही हो, वैसे इस बात का‌ ध्यान हमेशा रखिए कि free में कुछ नहीं मिलता है।

बल्कि अगर सोचा जाए तो free में मिलने वाली चीज कितनी खतरनाक है, यह बहुत बार नहीं पता चलता है, या तब पता चलता है, जब situation आपके हाथ से निकल चुकी होती है। 

तो free के फेर से जितना हो सकता है, बचें।

कभी भी खाने-पीने की चीजें लें, किसी unknown source (चाहे इंसान या जगह) से नहीं , हमेशा renowned company का लें। जिसके विषय में आप सब जानते हैं।

जब भी खाने-पीने की कोई भी चीज लें तो कुछ चीजें जरूर से notice करें। पहला उसकी expiry date, दूसरा उसके ingredients।

Expiry date, इसलिए क्योंकि expiry date निकल जाने के बाद, खाने-पीने की चीजें health के point of view से बहुत harmful हो जाती हैं।

और ingredients जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि हो सकता है कि उसमें dr*gs न हो, पर कोई ऐसी चीज हो, जो particularly आपके लिए harmful हो। तो ध्यान रखिएगा कि product की expiry date and ingredients ज़रूर से देखें।

कोई भी company का product हो, company name, logo and ingredients उसके wrapper पर जरूर लिखा होगा।

जबकि dr*gs chocolate के wrapper mostly colourful and shiny होंगे। उसमें किसी भी company का  name‌ and logo नहीं लिखा होगा और, सबसे बड़ी बात उसमें ingredients तो बिल्कुल नहीं लिखे होंगे।

In short, अगर safe रहना चाहते हैं तो careful, informed and attentive रहें, क्योंकि जितनी तेजी से पूरी दुनिया में crimes बढ़ते जा रहे हैं। Safe रहने का, इसके आलावा कोई विकल्प नहीं है।

साथ ही अपने बच्चों के साथ भी इन topics में बात करते रहें, जिससे वो भी current situation से aware रहें और safe रह सकें। 

Be careful, be attentive, be informed and be safe...

Monday, 25 November 2024

Poem: ऐ मेरे हमसफ़र

ऐ मेरे हमसफ़र 



ज़िन्दगी का यह सफ़र 

ऐ मेरे हमसफ़र 

खुशनुमा हो गया 

जब हम चले थे 

एक डगर 

एक हस्ती थी तुम्हारी 

एक हस्ती थी हमारी 

एक-दूसरे की दुनिया से 

हम दोनों थे बेखबर 

पल पल, लम्हा लम्हा 

जो जो गया गुज़रता 

कब कैसे एक-दूसरे में 

दोनों ही खो गये

दिखते हैं हम सबको 

अब  एक ही नज़र 


Happy anniversary my love 💞


Thursday, 21 November 2024

Article: बढ़ते आवारा कुत्ते, कितने खतरनाक

पहले कभी हुआ करती थी दिन की शुरुआत मुर्गे की बांग या चिड़ियों की चहचहाहट के साथ... 

पर अब तो दिन की शुरुआत आवारा कुत्तों के भौंकने और लड़ने की आवाज से ही होती है...

ऐसा इसलिए क्योंकि, आज कल लोगों में आवारा जानवरों को लेकर बहुत अधिक दया और प्रेम भाव आ गया है, जिसके चलते आवारा कुत्ते, बिल्लियों की संख्या बहुत अधिक बढ़ती जा रही है।

जिनके अंदर यह भावना बहुत बलवती है, उन्हें मेरा इस topic पर article लिखना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा होगा।

लेकिन इस article को लिखने की वजह है एक छोटी बच्ची के संग हुआ भयानक हादसा..

इस बात को बिना किसी भूमिका में बांधे हुए इस सच्ची घटना का विवरण दे रहे हैं।

यह एक ऐसी घटना है, जो दिल को दहला देती है और हमें यह सोचने पर मजबूर कर देती है, क्या हमारे बच्चे safe हैं? या ऐसी situation में क्या करें?

बढ़ते आवारा कुत्ते, कितने खतरनाक  

बात है शाम की, लगभग 5- 5 :30 बजे का समय था। सड़क पर अच्छी-खासी चहल-पहल थी।

मेरा बेटा रोज़ शाम को cycling करने के लिए जाता है। तो वो उसके लिए निकला हुआ था।

उसने देखा, लगभग उसके बराबर (करीब 10-12 साल) की एक लड़की सड़क पर पैदल, अपने घर की ओर जा रही थी। 

तभी एक आवारा कुत्ता उसे परेशान करने लगा।

लड़की, martial art जानती थी। उसने अपने पैर को हवा में ज़ोर से लहराया और कुत्ते के नाक पर ज़ोर से एक kick मारी।

कुत्ता इससे पूरी तरह बिलबिला गया, पर उसने भागने के बजाए ज़ोर-ज़ोर से भौंकना शुरू कर दिया और देखते ही देखते 6-8 आवारा कुत्तों का समूह आ गया। सबने लड़की को घेर लिया।

इतने कुत्तों को देखकर लड़की घबरा गई और साथ ही मेरा बेटा भी...

वो सभी कुत्ते खतरनाक रूप से लड़की की ओर आगे बढ़ने लगे। अब लड़की को कुछ सूझ नहीं रहा था कि वो क्या करें?

मेरे बेटे ने वहां से गुजर रहे लोगों से उसकी मदद करने को कहा, पर कोई भी ऐसा नहीं था, जो उस लड़की की मदद करता...

कुछ बेपरवाह और लापरवाह से वहां से निकल गये और कुछ कुत्तों के भयानक रूप को देखकर डर गये।

बेटा पास के थाने में जाकर मदद के लिए बोलने गया, पर जब तक वो लोग उस लड़की को बचाने पहुंचते, देर हो चुकी थी, क्योंकि कुत्ते उस लड़की को बुरी तरह से घायल करके जा चुके थे।

उस लड़की को तुरंत hospital ले जाया गया, पर अब वो कैसी है? नहीं पता...

पर ऐसा दर्दनाक हादसा, जो उसके साथ हुआ, वो किसी भी बच्चे, बुजुर्ग, यहां तक किसी भी जवान मनुष्य के साथ भी हो सकता है।

और इसके जिम्मेदार कौन होंगे?

वो सभी, जो आवारा कुत्ते-बिल्लियों को बेवजह बढ़ावा दे रहे हैं। इनकी बढ़ती संख्या हद से ज्यादा खतरनाक रूप ले रही है...

सोचिए जो, कुत्ते-बिल्ली पालतू होते हैं, वो साफ-सुथरे होते हैं, उनके vaccination होता है और सबसे बड़ी बात, वो नियंत्रण में रहते हैं, क्योंकि वो हमेशा chain से बंधे हुए रहते हैं। जबकि आवारा कुत्ते-बिल्लियां इसके ठीक विपरीत होते हैं।

आखिर क्यों, बेवजह बढ़ावा देना, ऐसे अनियंत्रित ख़तरे को? 

और अगर सच में आपको आवारा कुत्ते बिल्लियों से इतना स्नेह है तो लीजिए उनकी जिम्मेदारी, पर पूरी तरह से, उनकी साफ-सफाई, vaccination और नियंत्रण में रखने तक, सब कुछ...

जिम्मेदारी उठाइये कि वो व्यर्थ में लोगों को परेशान न करें। किसी को यूं न घेरे, cycle, scooter, bike, car से जा रहे लोगों को खदेड़कर, उन पर बिना वजह भौंक कर उन्हें परेशान न करे, उनके accident होने की वजह न बने...

उनके चक्कर में हम बच्चों और बुजुर्गों को unsafe नहीं कर सकते हैं।

अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो सरकार को अपील करें कि वो आवारा कुत्तों की बढ़ती हुई संख्या पर control करें, उन्हें पकड़ कर लें जाएं और बढ़ते हुए खतरनाक रूप को संभालें।

साथ ही आपको बता दें कि अगर कोई कुत्तों से घिर जाए तो उसे क्या करना चाहिए...

 

बच्चों से कहें कि वो अपने बचाव के लिए तेजी से बिल्कुल न भागें, क्योंकि सभी तरह के जानवर, किसी के भी बहुत तेजी से उनके सामने से भागने को ग़लत ही समझते हैं और न काट रहे हों तो भी काट लेते हैं।

अपने हाथ या पैर से उन्हें न मारें, वरना वो जरूर से काट लेगा। 

उसके बजाय डंडे, पत्थर या belt से मारने से बचाव की उम्मीद बढ़ जाती है 

अगर आप के पास रोशनी का कोई साधन है तो उसकी आंखों पर रोशनी डालने से भी वो भाग जाएगा।

धैर्य से, बिना डरे, शांत खड़े रहने से बचने की संभावना बढ़ जाती है। 

जहां बहुत ज्यादा कुत्ते हों, उस जगह पर जाना avoid कीजिए। क्योंकि आवारा जानवरों का कोई भरोसा नहीं होता है, वो कभी भी बहुत अधिक furious हो जाते हैं। 

आवारा जानवरों पर दया और प्रेम भाव रखिए, पर वहां तक कि उसे व्यर्थ में परेशान न करे, अकारण मारे नहीं, यदि वो घायल हैं तो उन्हें उचित लोगों तक पहुंचा दें। वो भूखे हैं तो उन्हें भोजन दे दीजिए।

पर उनकी बढ़ती हुई संख्या को बढ़ावा देना, municipality वाले पकड़ने आएं तो उनके काम में बाधा उत्पन्न करना, जैसे काम न करें। क्योंकि आवारा जानवरों का society में अनावश्यक रूप से बढ़ना, बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक सबके लिए घातक सिद्ध होता है।

Wednesday, 20 November 2024

Article : Pollution; is Diwali responsible?

हर साल, दीपावली के आते ही, दिल्ली सरकार और so called pollution sensitive लोग, उधम मचाने लगते हैं कि पटाखे नहीं चलाने चाहिए। किसानों द्वारा पराली जलाना, बंद करना चाहिए...

उससे बहुत ज्यादा pollution हो जाता है।

पर इस साल, ban लगाने और लोगों के नाटक मचाने के बावजूद, दिल्ली में ठीक-ठाक मात्रा में पटाखे फोड़े गए। और पता है मज़े कि बात क्या है, उसके बावजूद भी pollution level control रहा।

और अब, जब कि दीपावली को गुजरे हुए 15 दिन से भी अधिक दिन बीत चुके हैं, तो pollution level, बेइंतहा बढ़ चुका है...

Pollution; is Diwali responsible?

पर क्या 15 दिन बाद, दीपावली पर फोड़े गए पटाखों का असर हो सकता है? और वो भी तब, जब दीपावली के बाद बढ़े हुए pollution level का कोई जिक्र नहीं किया गया हो...

हमारी समझ से परे है, ऐसा सोचना...

जी हां, बिल्कुल असंभव या पूरी तरह से असत्य बात कही जाएगी।

आज 15 दिन बाद polution level बढ़ने पर school, college बंद कर दिए गए हैं, online classes शुरू कर दी गई है। 

जबकि school, college, दीपावली के पांच-दिवसीय त्यौहार के बीत जाने के अगले दिन, 4 November से सब सुचारू रूप से चल रहे थे।

इस बार, इतनी देर बाद बढ़ा हुआ pollution level, बार-बार यह ही संकेत कर रहा है कि यह बात पूर्णतः सत्य है कि पटाखे फोड़ने से pollution बढ़ता है, लेकिन अत्यधिक polution level बढ़ाने में केवल वही जिम्मेदार नहीं होता है।

साथ ही यह भी सिद्ध होता है कि पटाखे केवल दीपावली पर चलने से polution करेंगे, ऐसा तो सरासर गलत है। वो जब फोड़े जाएंगे, कुछ pollution तो बढ़ेगा ही...

पर इस बात पर जरूर से गौर कीजिए, अगर आप को सच में फर्क पड़ता है, pollution level के बढ़ने से, पहला तो हिन्दू त्यौहारों को बदनाम करने वालों का पुरजोर विरोध कीजिए।

दूसरा pollution level बढ़ाने वाले और regions पर ध्यान देते हुए, उन पर नियंत्रण रखने का प्रयास कीजिए, साथ ही सरकार द्वारा उठाए गए अच्छे कदमों पर उनका समर्थन कीजिए, जैसे specially car pool में...

सच मानिए, बढ़ते हुए vehicle numbers and AC numbers, factories के numbers, pollution level को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

क्या आप उस पर control कर सकते हैं?

पराली जलाना और दीपावली पर पटाखे फोड़ना, तो सदियों से हो रहा है। पर उस पे सारा ठीकरा फोड़ना बंद करें और जो सही और ठोस कदम हैं, उस ओर भी ध्यान केंद्रित करें।

Friday, 15 November 2024

Article : देव दीपावली

हिन्दूओं का सबसे बड़ा पर्व दीपावली है, यह तो बचपन से सुनते हुए ही बड़े हुए हैं और बहुत धूमधाम से इस महापर्व को मनाया भी है।

पर देव दीपावली.. यह क्या है? कब और क्यों मनाई जाती है?

आप को देव दीपावली के विषय में विस्तृत रूप से बताने से पहले, इस पंक्ति से समझिए देव दीपावली का आशय, जो कि, कार्तिक पूर्णिमा के दिन, बनारस के घाट पर नजर आता है...

आस्था के दीप, श्रद्धा की बाती... गंगा तट पर दमकेगी सांस्कृतिक थाती…

अर्थात्, गंगा नदी के तट पर जलने वाले हजारों दीप, जो लोगों में, भगवान विष्णुजी और महादेव जी की आस्था और श्रद्धा के प्रतीक हैं, भारतीय संस्कृति और परंपरा को प्रकाशमान कर रहे हैं।

चलिए अब जान लेते हैं, क्यों इतना खास है देव दीपावली का त्यौहार...

देव दीपावली

क) देव दीपावली का महत्व :

देव दीपावली का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन का हिंदू धर्म में खास महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस पावन दिन पर दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन सुखमय रहता है। कहा जाता है कि इस दिन धरती पर देवतागण आते हैं और सभी के दुखों को दूर करते हैं।

देव दीवाली को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मनाते हैं।

देव दीवाली का त्यौहार, मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के वाराणसी (बनारस, काशी) में मनाया जाता है। जो पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को पड़ता है। इस साल यह पर्व, 15 नवंबर को मनाया जा रहा है। तो आइए इस पर्व से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।


ख) देव दीपावली का कारण :

1. हयग्रीव का वध :

भगवान विष्णुजी ने भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन, मत्स्यावतार लेकर सम्पूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी।

मत्स्यावतार (मत्स्य = मछली का) भगवान विष्णु का अवतार है जो उनके दस अवतारों में से प्रथम है। इस अवतार में भगवान विष्णु ने इस संसार को भयानक जल प्रलय से बचाया था। साथ ही उन्होंने हयग्रीव नामक दैत्य का भी वध किया था जिसने वेदों को चुराकर सागर की गहराई में छिपा दिया था।


2. त्रिपुरासुर का वध :

सनातन धर्म में देव दीवाली को बेहद शुभ माना जाता है। इसे मनाने के पीछे कई कारण बताए गए हैं। एक समय की बात है, त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने देवताओं के सभी अधिकार को उनसे छीनकर स्वर्गलोक पर अपना अधिकार कर लिया था, जिससे परेशान होकर सभी देवता महादेव के पास पहुंचे और उनसे मदद मांगी। तब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर उसके आंतक से सभी को मुक्ति दिलाई।

इससे सभी देवगण प्रसन्नता से भर उठे और भगवान शिव के धाम काशी में जाकर गंगा किनारे दीप प्रज्जवलित किए। यह उत्सव पूरी रात चला। ऐसा माना जाता है कि तभी से देव दीपावली की शुरुआत हुई।


प्रकाश के इस त्योहार को मनाने के लिए भक्त विशेष रूप से वाराणसी में गंगा घाटों पर जाते हैं। साथ ही लोग विभिन्न पूजा अनुष्ठान का पालन करते हैं और मंदिरों में दीपदान भी करते हैं।

इस तरह से राक्षसों पर देवों की विजय का प्रतीक है, देव‌ दीपावली...

आइए, हम भी अपने घर-आंगन में दीपों की लड़ी सजाएं, देव दीपावली मनाएं, श्रीहरि विष्णुजी और महादेव जी की कृपा पाएं 🙏🏻

Thursday, 14 November 2024

Poem: कुछ Special है

कुछ Special है



जब हम बच्चे थे,

सच में, तब दिन 

बहुत अच्छे थे

Children's day

बड़ी धूम से 

मनाते थे 

ऐसा नहीं था कि 

कुछ special 

तोहफे पाते थे

न‌ ऐसा था कि 

हम इस दिनों को 

मनाने के लिए 

अपने माता-पिता से 

किसी जिद्द पर 

अड़ जाते थे 

पर यह दिन 

कुछ special है 

ऐसे भाव मन में 

ज़रूर आते थे 

Teachers, उस दिन 

पढ़ाई-लिखाई छोड़कर 

हमें खूब खेल खिलवाते थे

आह! हमारा स्कूल 

हमारे अध्यापक 

सब बड़े अच्छे 

हम इस बात को 

सोच सोचकर 

दिन भर इतराते थे 


कुछ दिन, कुछ पल, ज़िंदगी में ऐसे होते हैं 

जिनका होना, ज़रूरी नहीं, पर उनका होना 

ज़िंदगी की जरूरत होती हैं।

क्योंकि यह ही ज़िंदगी को ज़िन्दगी बनाते हैं, हमें हमारे बचपन से मिलवाते हैं।

तो उन्हें, किसी भी कारण से नष्ट मत कीजिए, बल्कि हो सके तो ऐसे और बहुत सारे पल और दिन बच्चों की जिंदगी से जोड़ दीजिए। 

Happy children's day to all my dear children ❤️

Tuesday, 12 November 2024

India's Heritage : बर्बरीक से खाटूश्यामजी

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन विभिन्न पूजाओं का आयोजन किया जाता है।

देव उठनी एकादशी, तुलसी विवाह व बाबा खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव तीनों ही होते हैं। 

अगर आप जानना चाहते हैं कि तुलसा जी और शालीग्राम जी का विवाह क्यों सम्पन्न किया जाता है, देव उठान से जुड़ी बातें, और देव उठनी में चावल क्यों नहीं खाते हैं, व तुलसा जी की आरती जानना चाहते हैं तो यह सब आपको इन तीनों post में मिल जाएगा...

सती वृंदा से तुलसी तक

देवउठनी एकादशी व तुलसी विवाह

तुलसा आरती करहूं तुम्हारी

आज आप को खाटू श्यामजी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में उनके ही, विषय में अपने India's Heritage segment में बताते हैं।

यह एक ऐसी कथा है, जो आस्था और विश्वास से परिपूर्ण एक सत्य कथा है, जो सबको पता होनी चाहिए।

बर्बरीक से खाटूश्यामजी




राजस्थान के सीकर में खाटूश्याम बाबा का मंदिर है। जहां दूर-दूर से लोग आते हैं और कभी भी खाली हाथ वापस नहीं जाते। श्याम बाबा को हारे का सहारा माना जाता है। कोई भी परेशानी हो, इस मंदिर में आने वाला कोई भी भक्त निराश नहीं जाता है।

यूं तो पूरे दुनिया में खाटूश्याम बाबा को मानने वाले बसते हैं। लेकिन वैश्य और मारवाड़ी वर्ग के भक्तों की तादात थोड़ी ज्यादा है। लाखों करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र खाटूश्याम जी का असली नाम बर्बरीक है। बर्बरीक, बाबा घटोत्कच और मौरवी (नागकन्या) के बेटे हैं। 

बात उस समय कि है जब महाभारत का युद्घ आरंभ होने वाला था। भगवान श्री कृष्ण, युद्घ में पाण्डवों के साथ थे जिससे यह निश्चित जान पड़ रहा था कि कौरव सेना भले ही अधिक शक्तिशाली है लेकिन जीत पाण्डवों की होगी। 

श्याम बाबा के दादा-दादी, भीम और हिडिम्बा थे‌। इसलिए श्याम बाबा भी जन्म से ही शेर के समान थे, और इसी लिए उनका नाम बर्बरीक रख दिया गया था।

शिव उपासना से बर्बरीक ने तीन तीर प्राप्त किए। ये तीर चमत्कारिक थे, जिसे कोई हरा नहीं सकता था। इस लिये श्याम बाबा को तीन बाणधारी भी कहा जाता है। भगवान अग्निदेव ने बर्बरीक को एक दिव्य धनुष दिया था, जिससे वो तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर सकते थे।

ऐसे समय में भीम का पौत्र और घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक ने अपनी माता को वचन दिया कि युद्घ में जो पक्ष कमज़ोर होगा वह उनकी ओर से लड़ेगा, बर्बरीक ने महादेव को प्रसन्न करके उनसे तीन अजेय बाण प्राप्त किये थे। 

एक ब्राह्मण ने, बर्बरीक से सवाल किया कि वे किस पक्ष की तरफ से युद्ध करेंगें?

बर्बरीक बोले कि जो हार रहा होगा उसकी तरफ से युद्ध लडूंगा। 

श्री कृष्ण ये सुनकर सोच में पड़ गए, क्योंकि बर्बरीक के इस वचन के बारे में कौरव भी जानते थे।

कौरवों ने पहले ही योजना बना ली थी, कि पहले दिन वो कम सेना के साथ लड़ेंगे और हारने लगेंगे। 

ऐसे में बर्बरीक उनकी तरफ से युद्ध कर पांडवों की सेना का नाश कर देंगे।

ऐसे में बिना समय गवाए, ब्राह्मण बने श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से एक दान देने का वचन माँगा। बर्बरीक ने दान देने का वचन दे दिया। ब्राह्मण ने बर्बरीक से कहा कि उसे दान में बर्बरीक का सिर चाहिए।

भगवान श्री कृष्ण को जब बर्बरीक की योजना का पता चला तब वह ब्राह्मण का वेष धारण करके बर्बरीक के मार्ग में आ गये।

श्री कृष्ण ने बर्बरीक का मजाक उड़ाया कि, वह तीन बाण से भला क्या युद्घ लड़ेगा। कृष्ण की बातों को सुनकर बर्बरीक ने कहा कि उसके पास अजेय बाण है। वह एक बाण से ही पूरी शत्रु सेना का अंत कर सकता है। सेना का अंत करने के बाद उसका बाण वापस अपने स्थान पर लौट आएगा।

इस पर श्री कृष्ण ने कहा कि हम जिस पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हैं अपने बाण से उसके सभी पत्तों को छेद कर दो तो मैं मान जाउंगा कि तुम एक बाण से युद्घ का परिणाम बदल सकते हो। बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार करके, भगवान का स्मरण किया और बाण चला दिया। पेड़ पर लगे पत्तों के अलावा नीचे गिरे पत्तों में भी छेद हो गया।

इसके बाद बाण भगवान श्री कृष्ण के पैरों के चारों ओर घूमने लगा क्योंकि एक पत्ता भगवान ने अपने पैरों के नीचे दबाकर रखा था। 

भगवान श्री कृष्ण जानते थे कि युद्घ में विजय पाण्डवों की होगी और माता को दिये वचन के अनुसार बर्बरीक कौरवों की ओर से लड़ेगा जिससे अधर्म की जीत हो जाएगी।

इसलिए ब्राह्मण वेषधारी श्री कृष्ण ने बर्बरीक से दान की इच्छा प्रकट की। बर्बरीक ने दान देने का वचन दिया तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उसका सिर मांग लिया। 

बर्बरीक समझ गया कि ऐसा दान मांगने वाला ब्राह्मण नहीं हो सकता है। बर्बरीक ने ब्राह्मण से कहा कि आप अपना वास्तविक परिचय दीजिए। इस पर श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि वह कृष्ण हैं।

सच जानने के बाद भी बर्बरीक ने सिर देना स्वीकार कर लिया लेकिन, एक शर्त रखी कि, वह उनके विराट रूप को देखना चाहता है तथा महाभारत युद्घ को शुरू से लेकर अंत तक देखने की इच्छा रखता है। भगवान ने बर्बरीक की इच्छा पूरी कि, सुदर्शन चक्र से बर्बरीक का सिर काटकर सिर पर अमृत का छिड़काव कर दिया और एक पहाड़ी के ऊंचे टीले पर रख दिया। यहां से बर्बरीक के सिर ने पूरा युद्घ देखा।

युद्घ समाप्त होने के बाद जब पाण्डवों में यह विवाद होने लगा कि किसका योगदान अधिक है तब श्री कृष्ण ने कहा कि इसका निर्णय बर्बरीक करेगा जिसने पूरा युद्घ देखा है। बर्बरीक ने कहा कि इस युद्घ में सबसे बड़ी भूमिका श्री कृष्ण की है। पूरे युद्घ भूमि में मैंने सुदर्शन चक्र को घूमते देखा। श्री कृष्ण ही युद्घ कर रहे थे और श्री कृष्ण ही सेना का संहार कर रहे थे।  

बर्बरीक द्वारा अपने पितामह पांडवों की विजय हेतु स्वेच्छा के साथ शीशदान कर दिया गया। बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर दान के पश्चात श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजित होने का वर दिया। आज बर्बरीक को खाटू श्याम जी के नाम से पूजा जाता है। जहां कृष्ण जी ने उनका शीश रखा था उस स्थान का नाम खाटू है।

तो ऐसे थे, हमारे खाटू श्याम बाबा... 

वीरता और शौर्य में, दान पुण्य में, जिनके आगे स्वयं ईश्वर नतमस्तक हो गये। और उन्हें अपने तुल्य स्थान प्रदान कर दिया।

तब से ही हारे का सहारा, खाटू श्याम हमारा, प्रचलित हो गया।

जय खाटू श्याम बाबा की🙏🏻

आपकी कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻 


Monday, 11 November 2024

Poem: तरन्नुम सी चलती रही...

इस बार उर्दू के चंद लफ़्ज़ों को जोड़कर, एक नज़्म पेश करने का प्रयास किया है, आप पढ़कर बताएं कि प्रयास कितना सफल रहा...

तरन्नुम सी चलती रही...



ज़िंदगी ता उम्र, 

यूं ही चलती रही।

कभी समाई मुठ्ठी में,

कभी रेत सी फिसलती रही।


गोया हम न कर सके, 

नाज़ ज़िंदगी पर कभी।

क्योंकि चार कदम संभली,

कभी किसी लम्हा गिरती रही‌।


मगर शिकायत करें हम,

किस से भी क्या?

रिवायतें, सबकी ज़िंदगी में,

यह ही चलती रही.. 


ज़माने की महफ़िल में,

हैं मेहमां सभी।

मुकम्मल जिंदगी,

किसी को भी मिलती नहीं..


ज़िन्दगी में अश्क,

कभी हमने बहाए नहीं। 

खुशी हो चाहे ग़म,

फ़र्क पड़ता नहीं।


हर ख़ुशी मुझको, 

ग़म पर भारी लगी।

इसलिए जिंदगी अपनी,

तरन्नुम सी चलती रही...

Friday, 8 November 2024

Article : शारदा, तुझे प्रणाम

आज छठ महापर्व, पारण के साथ पूर्ण हुआ। छठी मैया की असीम कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻

हर पर्व खुशियां और सौहार्द लेकर आता है। पर कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मनुष्य यह सोचने पर मजबूर हो जाता है, कि ऐसा क्यों हुआ?

ऐसा ही कुछ छठ पूजा के पहले दिन हुआ...

शारदा, तुझे प्रणाम 


छठ महापर्व के पहले दिन भारतीय लोक संगीत गायिका और बिहार की कोकिला कही जाने वाली शारदा सिन्हा के निधन ने देशभर में लोगों को झकझोर कर रख दिया।

दरअसल, मंगलवार की देर रात दिल्ली एम्स में 72 साल की शारदा सिन्हा ने अंतिम सांस ली है। शारदा सिन्हा जी के गाये गए छठ गीत अभी हर तरफ बज रहे हैं, लेकिन लोगों में मायूसी सी छाई हुई है।

शारदा सिन्हा को उनके संगीत योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें 1991 में पद्मश्री, 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2006 में राष्ट्रीय अहिल्या देवी अवार्ड, 2015 में बिहार सरकार पुरस्कार, और 2018 में पद्मभूषण शामिल हैं।

शारदा सिन्हा ने करीब 50 साल पहले यानी साल 1974 में पहला भोजपुरी गाना गाया था। फिर साल 1978 में उन्होंने छठ गीत ‘उग हो सुरुज देव’ गाया। इस गाने ने रिकॉर्ड बनाया और यहीं से शारदा सिन्हा और छठ पर्व एक-दूसरे के पूरक हो गए। करीब 46 साल पहले गाए इस गाने को आज भी छठ घाटों पर सुना जा सकता है।

1990 में शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड फिल्म 'मैंने प्यार किया' में 'कहे तो से सजना, ये तोहरी सजनिया'... गीत गाया, जो जबरदस्त hit हुआ। इस गीत ने उन्हें film industry में एक नया मुकाम दिलाया और तब से उनकी पहचान केवल लोक संगीत के गायन तक सीमित नहीं रही, बल्कि वे bollywood में भी एक प्रमुख गायिका बन गईं।

"मैंने प्यार किया" में सलमान खान और भाग्यश्री पर फिल्माए इस गीत ने दर्शकों से अपार लोकप्रियता हासिल की।

इसके बाद हम आपके हैं कौन का "बाबुल जो तुमने सिखाया, जो तुमसे है पाया, सजन घर ले चली"...

Gang of wasseypur का "तार बिजली से पतले हमारे पिया"...

जैसे hit हिंदी फिल्मों में गाने और अनेकानेक hit भोजपुरी गीत गाए, जिसमें कुछ ऐसे super hit गीत भी हैं, जिनके बिना महापर्व छठ अधूरा लगता है, जैसे,

हे छठी मईया...

छठ के बरतिया... 

पहिले पहिल बानी कईले छठी मैया वरत तोहार...

ऐसे ही और भी बहुत से गीत हैं...

इसके साथ ही, शारदा जी ने लोक संगीत की समृद्ध परंपरा को कायम रखते हुए अपनी गायकी जारी रखी, लेकिन हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि वे कभी भी द्विअर्थी गीत न गाएं। उनका संगीत शुद्ध और भावनात्मक रूप से प्रामाणिक रहता था, जो उनके शास्त्रीय और लोक धारा के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

शारदा सिन्हा की आवाज से बंधता है छठ का समां, वो आवाज़ आज भी गूंज रही है, शारदा जी को अमरत्व प्रदान करती हुई और हमेशा छठ पर्व पर उनकी याद के रूप में सुनी जाती रहेगी...

छठी मैया की भक्त, उनके श्री चरणों में, उनके ही दिनों में समर्पित हो गई, मां अपनी भक्त पर कृपा करें 🙏🏻

इसके साथ ही स्वर कोकिला शारदा जी को सादर प्रणाम...