Saturday, 14 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग-5)

मजबूर (भाग-1) ,

मजबूर (भाग-2) ,

मजबूर (भाग-3)  व

मजबूर (भाग - 4)  के आगे 

मजबूर (भाग-5)



रमेश, राजकुमार के खो जाने से पहले से ही परेशान था, फिर वरुण के सवालों की झड़ी से अंदर तक कांप उठा। 

वो सोचने लगा, वरुण साहब जो इतना शांत रहते है, जब उसने सवालों की झड़ी लगा दी है।

तब अंकिता madam तो उसका क्या ही हाल करेंगी? 

और और... मुकेश साहब, और सविता मालकिन जिनका राजकुमार एकलौता और बेहद लाडला नाती है... वो तो उसे lockup में भेजने से बिल्कुल नहीं चूकेंगे...

रमेश को थर-थर कांपते और सोच में पड़े देखकर, वरुण ने उसे झकझोरा और फिर से राजकुमार के विषय में पूछा...

नहीं साहब, मुझे नहीं पता, राजकुमार बाबा कहां हैं? मैं तो पास के आइसक्रीम पार्लर से बाबा के‌ लिए आइसक्रीम लेने गया था। 

बस उतनी ही देर में बाबा, ग़ायब हो गए... यह कहते-कहते रमेश की आंखों से गंगा-जमुना बह निकली...

चलो, फिर घर... अब तो यह पुलिस केस है, वही निपटेगी तुम से...

नहीं साहब, पुलिस को मत देना, मैं बाबा को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था। न जाने कैसे हो गया?

रमेश और वरुण घर पहुंच गए और उन्होंने अंकिता और उसके पापा-मम्मी को राजकुमार के खो जाने की बात कही...

यूं तो अंकिता को राजकुमार से कोई बहुत लगाव नहीं था, पर उसके खो जाने से वो विह्वल हो गई और फूट-फूटकर रोने लगी...

जब तक मुकेश और सविता पहुंचे, तब तक में वरुण और अंकिता का रो-रो कर बुरा हाल हो चुका था।

राजकुमार को याद कर-कर के, वरुण तो दो-तीन बार बेहोश भी हो चुका था।

मुकेश जी को आया देखकर वो उनके पैरों पर गिर पड़ा, पापा मेरे बेटे को बचा लीजिए...

बचा लीजिए का मतलब..? क्या कुछ पता चला है उसका..? कौन उसे मारना चाहता है?

पापा, अभी-अभी kidnappers का फोन आया था, पूरे पचास करोड़ रुपए मांग रहे हैं।

आप तो जानते हैं कि मेरे पास आपकी बेटी से शादी करने के पश्चात् अब उतना नहीं रहता, फिर अभी business भी थोड़ा मंदा ही चल रहा है।

मैं कहां से लाऊंगा इतना..? 

बहुत मजबूर हो चला हूं, अपने जिगर के टुकड़े को बचाने के लिए कुछ नहीं कर पा रहा हूं..

अभी आप दे दीजिए, फिर मैं धीरे-धीरे सब लौटा दूंगा..

50 करोड़... दो मिनट के लिए, मुकेश जी भी सोच में पड़ गए...

पापा, आप क्या सोच रहे हैं? वैसे भी इस कंगले से मुझे कोई उम्मीद नहीं है। दे दीजिए 50 करोड़ रुपए और छुड़वा लीजिए, हम सब के कलेजे के टुकड़े को...

हां, मुकेश जी, हमारे कौन 10-15 नाती-पोते हैं? जो कुछ है, बस यही तो है। कुछ मत सोचिए, बस राजकुमार को बचा लीजिए।

वो नन्ही-सी जान, अभी चार साल का ही तो है, रो-रो कर परेशान हो गया होगा।

हम्म... मुकेश जी ने चुप्पी तोड़ी, हां सविता तुम ठीक कहती हो, वैसे भी जो कुछ है, वो अंकिता और राजकुमार का ही है...

एक काम करो, तुम सब एक साथ रहो, मैं जल्दी से जल्दी रुपये-पैसों का इंतजाम करता हूं। फिर राजकुमार को वापिस ले आएंगे। 

आगे पढ़ें, मजबूर (भाग-6) में

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