दो भाई
निखिल अखिल दो भाई थे, दोनों में अगाध प्रेम। एक ना हो तो
दूसरा तब तक कुछ नहीं खाता था, जब
तक पहला ना आ जाए। एक ने कुछ बोल दिया, तो दूसरे के लिए पत्थर
की लकीर।
दोनों के प्यार
की पूरा परिवार, व नाते-रिश्तेदार मिसाल दिया करते थे। एक साथ
खेलते-खाते, पढ़ते लिखते हुए उनका बचपन बीत
रहा था
दोनों ही बड़े
होनहार थे। दोनों को ही बहुत ही अच्छी
job मिली, पर अलग अलग शहरों में।
शहरों ने दोनों
को अलग अलग भले ही कर
दिया हो, पर
दिल से वो अभी भी जुड़े हुए
थे। जब भी मिलते, दूरी की कसर निकाल देते।
कुछ दिन बाद
दोनों का ही विवाह सम्पन्न हो गया। जैसे भाई थे, पत्नियाँ भी दोनों की ही
अच्छी आयीं।
समय व्यतीत
होता गया। व्यस्तता और
जिम्मेदारियाँ भी बढ़ने लगी। अब
वो पिता भी बन चुके थे, और बड़े अधिकारी भी।
आजकल के माहौल के अनुरूप जैसे ही, वो लोग भी अब कम मिलने
लगे। अखिल निखिल के माँ पापा को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वजह क्या हुई है, अब ये लोग
कम क्यूँ मिलने लगे हैं?
उन्होंने ये
निर्णय लिया कि वे उनके घर में जा कर पता करेंगे।
पहले वो लोग
निखिल के घर गए। निखिल व नीता
सुबह 8 बजे office के लिए
निकल जाते, और दोनों बच्चों को maid 8:30 बजे ready करके school छोड़
आती। सुबह का निकला पूरा घर रात 8 बजे ही घर लौटता। पूरे दिन घर खाली ही रहता। और 8 बजे ही जब सब आते तो maid भी आती। maid आते ही खाना बनाती, सब कपड़े बदल के खाने
बैठ जाते, फिर
थोड़ा TV,
whatsapp और Facebook। और फिर सब अपने
अपने बिस्तर पर।
कुछ दिन निखिल के साथ
रह कर माँ पापा अखिल के घर चले गए। पर वहाँ भी जा कर उन्हें कुछ अच्छे हालात नहीं
मिले।
अखिल सुबह 7 बजे
निकलता,
क्योंकि दिल्ली में rush
भी ज्यादा था, और उसका office भी दूर था। आरती
नन्हें अंकित को crèche
में छोड़ के अपने boutique के लिए निकल जाती। और शाम 6 बजे
अंकित को लेते हुए ही लौटती, पर अखिल तो 10, 11 बजे से पहले
लौटता ही नहीं था।
जिसका नतीजा ये
था कि अखिल कभी भी अंकित के साथ खेल तक नहीं पाता था। और उस पर भी सोने पर सुहागा ये था की, उसके आए दिन tour हुआ
करते थे। जो की 2 दिन से लेकर 10 दिन तक के होते थे।
निखिल, अखिल लोगों का ऐसा routine देखकर, उसके माँ, पापा को बहुत दुख हुआ। वो सोचने लगे
जब इन लोगों के पास एक दूसरे(पति-पत्नी)के लिए टाइम नहीं है। अपने
बच्चों को भी ये समय नहीं दे पाते हैं।
तो दोनों भाई एक दूसरे के लिए क्या समय निकालेंगे।
उन्होंने अखिल
से पूछा, बेटा
कभी भाई की याद नहीं आती है? क्यों पापा, आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं? भइया ने आपसे कुछ
कहा क्या? उन्होंने बोला
नहीं बेटा उसने तो कुछ नहीं बोला, पर अब तुम लोगों में वो
प्यार नहीं दिखता है।
अरे पापा आप
ऐसा क्यों बोल रहे हैं? मैं और भइया आज भी एक दूसरे से, social media पर जुड़े हुए हैं, रोज़
ही chat होती है और हाँ पिछले साल
ही आप लोगों की anniversary में
मिलके सब ने कितना धमाल किया था।
अखिल पिछले
साल ऐसे बोल रहा था, जैसे चार दिन पहले ही मिला हो।
माँ पापा
दोनों वापस लौट आए थे, उनको उदास देखकर उनके
दोस्त शर्मा जी ने पूछ ही लिया, क्या हुआ यार? दो दो
होनहार बेटों के पास से लौट के आए हो, तब भी दुखी हो।
उन्होंने शर्मा जी को अपने बेटों का रूटीन
बताया, और बोला दोनों अब सिर्फ
whatsapp पर ही बात करते हैं।
अरे यार तुम कौन से ज़माने में जी रहे हो? अखिल सही ही बोल रहा था, दोनों में अब भी बहुत प्यार है, तभी तो whatsapp में जुड़े हैं। अगर तुम्हें उनका प्यार देखने
का बहुत मन है, तो पूरी family का एक
group बना
लो। सब सही सही पता चल जाएगा। अब माँ, पापा भी उन लोगों से जुड़
गए, और अब उन्हें संतोष था, कि आज भी दोनों भाई में पहले जैसा ही प्यार है, बस अब वो केवल
स्क्रीन तक ही सिमट गया है। पर क्या ये वैसा ही है, जो दोनों में बचपन में था?
Thought provoking story
ReplyDeleteYour words always energizes me
DeleteNicely composed👌
ReplyDeleteThank you so much for your appreciation 🙏🏻
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