Thursday 31 October 2019

Tip : Preserving Leafy Vegetables

The winters bring various leafy vegetables with them, like 
methi, soya, palak, sarson, bathua, etc.

The problem of their storage comes with these vegetables, as they get spoiled or dry up very quickly. 

On the request of some of my reader – who appreciated the tip on preserving coriander leaves  - I’m here with a tip for the storage of such leafy vegetables, that increase their shelf life by 3-5 days.

Preserving Leafy Vegetables


  1. Remember, that they should not be washed before storing. Wash them only before use
  2. Clean them.
  3. Chop them finely.
  4. Wrap them in a set of 3-4 newspaper sheets.
  5. After wrapping, store them in poly bags.
  6. Don't tie the mouth of the poly bag. This will allow air circulation.
  7. Now store it as usual.
  8. The leaves may wither(कुम्हला), but would neither rot, nor get dried up. Also, it's fragrance will remain for a longer period.
N.B.:

  • Do not keep 2  packets in a single polybag, else one may spoil another.
  • Change wrapping if storage crosses 3 days.
  • You can even store them without chopping.
  • Using this tip on fresh vegetables gives better results.
Wrapping them in paper will absorb excess water, this doesn’t allows them to rot down. While the paper will remain moist, not allowing it to dry up.
If you have been using kasuri methi in veggies give a try to fresh methi leaves and you will love it.

Wednesday 30 October 2019

Story Of Life : माँ ही करती हैं!


माँ ही करती हैं!

रोहित के office में अहना नई नई आई थी। खुले ख़यालों वाली स्वछंद लड़की, अपने में ही मस्त, दुनिया की कोई परवाह नहीं। जल्दी वो office के दिल की धड़कन बन गयी।

Office में सब उसके इर्द गिर्द मँडराते थे, पर अहना को सबसे ज्यादा रोहित भाया था। रोहित बहुत ही सीधा-सच्चा और मासूम था। अहना हमेशा से ऐसा ही जीवनसाथी चाहती थी, जो उसके इशारों पर नाचे।

उसने रोहित से नज़दीकियाँ बढ़ानी शुरू कर दी, दोनों में प्यार हो गया। चंद दिनों में प्यार परवान चढ़ने लगा, अब तो आलम ये था कि रोहित एक पल भी अहना के बिन नहीं रह सकता था।

एक दिन रोहित अहना को माँ से मिलवाने ले गया। वहाँ अहना ने देखा रोहित की माँ बहुत काम करती थीं, उन्होंने किसी काम के लिए कोई maid नहीं रखी थी।

बर्तन, झाड़ू-पोछा, कपड़े धोना, खाना बनाना, साफ-सफाई सब वो अपने हाथ से ही करती थीं। वो भी सब बहुत ही अच्छा, घर एकदम शीशे सा चमक रहा था।

फिर नाश्ता लगाया तो, उसमें भी बहुत सारी verity, और सब एक से बढ़ कर एक tasty, market में मिलने वाले नाश्तों को मात कर देने वाला।

और साथ ही वो देख रही थी, कि उसमें भी कुछ खाने की चीजों में रोहित नुक्स निकाल रहा था। पर माँ बड़े ही लाड़ से रोहित के according उसे ठीक कर दे रहीं थी।

अहना को ये सब देखकर चक्कर आने लगे, उसे घर के काम करने के नाम से बुखार आने लगता था। फिर यहाँ तो इतने सारे काम वो भी इतने perfection के साथ, वो तो उसकी कल्पना से ही परे था।

अगले दिन जब वो लोग office में मिले , तो अहना ने रोहित को देखते ही कहा, रोहित, कहना तो नहीं चाहती, पर मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती हूँ।

ये सुनकर, रोहित का तो दिल ही बैठ गया। उसे समझ नहीं आ रहा था, आखिर एकाएक ऐसा क्या हो गया? जो अहना ने मिलते ही उससे ऐसा कह दिया।

वो अहना से पूछने लगा, पर क्यों?

तुम्हारे घर एक भी maid नहीं हैं, माँ ही सब काम करती हैं ना, इसलिए।

तो उससे क्या मतलब? शादी नहीं करने का फैसला क्यों?

क्योंकि मैं इतना सारा काम नहीं कर सकती, और वो भी इतने perfection के साथ, वो तो सोच भी नहीं सकती, अहना ने बहुत ही सहजता से कह दिया।

अरे....... बुद्धू !, बस इतनी सी बात, तो उसमें क्या है? हमेशा से तो माँ ही करती हैं। वो आगे भी कर लेंगी, तुमने बेकार ही मुझे डरा दिया।

अहना ये सुनकर खुश हो गयी, दोनों की शादी हो गयी।

ना जाने क्यों, रोहित ने ऐसा कहा था? अपनी मासूमियत में या इश्क़ की दीवानगी में?

आज माँ 70 साल की हो गईं हैं, पर आज भी घर का सारा काम माँ ही कर रही हैं। मजाल है कि, कभी अहना उनके किसी भी काम में मदद भी कर दे।

क्या ये सही है, कि वृद्धा अवस्था में भी माँ- पापा सारी जिम्मेदारियों का वहन करते रहें?

या हमे उनका हाथ बटाते बटाते, सारी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले लेनी चाहिए?

Tuesday 29 October 2019

Recipe: Crispy butter Kheel

Crispy butter Kheel

Diwali has many traditions and rituals. One of it is about buying eatables like kheel, laiya, etc. Earlier, people used to have it as snacks, but while getting westernized we have started to donate these to our domestic help. And some have even stopped buying them. Some may still prepare Bhelpuri from laiya(puffed rice); but Kheel(parched rice)...
So, I'm here with a recipe of Kheel, which everyone would love to have. This recipe will make every member of your family to wait for Diwali.

Ingredients:
  • Amul butter about 50gm
  • Kheel (Parched paddy) 100gm
  • Ghee (clarified butter) 2 tsp
  • Salt to taste

Method:
  1. Remove husk, if present, from kheel.
  2. Heat ghee in a wok.
  3. Add kheel to it. Stir it till it starts to crispen.
  4. Add a pinch of salt or as per taste. You may exclude this step as, the butter would already be salty.
  5. Turn off the stove and add butter to it. Mix well.
*If you like garlic taste, you may use Amul garlic and herbs buttery spread instead of Amul pasteurised butter.

Sunday 27 October 2019

Poem : शुभ दीपावली

शुभ दीपावली


दीपावली त्यौहार है शुभ सम्पन्नता का
हर ओर छाई प्रसन्नता का
मां लक्ष्मी व गणेशा की कृपा हो जाए
सब, सुख समृद्धि, मान सम्मान पाए

दीपावली त्यौहार है दीपों का
खुशियों के मधुर गीतों का
सब, दीप जलाकर रखना
धरा से अंधकार हटाकर रखना

दीपावली त्यौहार है मेवे और मिठाईयों का
प्रेम की गहराइयों का
सब, मिलजुल कर कहना
आज तन्हा ना किसी को रहना

दीपावली त्यौहार है पटाखों का
खुशियों के धूम धड़ाको का
आज ना बच्चों को इसमें रोक लगाना
यह है बच्चों की खुशियों का खजाना

दीपावली त्यौहार है उमंग का
अपनों के साथ-संग का
बुजुर्गों को भूल ना जाना
उनकी आशीष बिन त्यौहार ना मनाना

दीपावली त्यौहार है सौगातों का
सपने सच करने वाली रातों का
आप सब यूं ही साथ जुड़े रहना
आप सबको मुझे शुभ दीपावली है कहना

Saturday 26 October 2019

Article : क्या है Happy Deepawali?


क्या है, Happy Deepawali?

हम हिन्दुओं का बड़ा त्यौहार दीपावली आ गया है।

सब एक दूसरे को happy deepawali wish करेंगे। पर अब क्या दीपावली happy वाली रह गयी है?

चलिये सोचते हैं, कौन happy है?

हम सब तो, सब कुछ बच्चों के लिए ही करते हैं ना? तो चलिये शुरुआत भी उन से ही करते हैं।

बच्चों के लिए तो दिवाली का मतलब ही है, खूब सारे पटाखे, और वो तो हम उन्हें चलाने नहीं देंगे, pollution के नाम पर। चाहे बाकी सब से कितना ही pollution हो वो चलेगा, हम अपना AC बंद नहीं करेंगे। Car में अकेले ही जाएंगे। ठंड हो या गर्मी, नहायेंगे तो गरम पानी से ही। Perfumes, deo खूब सारा लगाएंगे। Cigarette smoking बंद नहीं होंगी।

आज कल तो पटाखों की भी दो परिभाषा कर दी गयी है। यहाँ मैं green पटाखों की बात नहीं कर रही हूँ। अच्छे और बुरे पटाखों की बात कर रही हूँ, और जो सटीक ही जान पड़ती है।

अच्छे पटाखे वे पटाखे जो new year, Christmas आदि festival पर नेताओं की जीत पर फोड़े जाते हैं, अच्छे पटाखे कहलाते हैं। इन पटाखों को फोड़ने से भाईचारा, सौहार्द और अमन-चैन बढ़ता है और पर्यावरण शुद्ध होता है, और शांति का वातावरण निर्मित होता है।

बुरे पटाखे – यह पटाखे mainly दीपावली नामक त्यौहार में फोड़ते हैं, इनसे ध्वनि प्रदूषण के साथ अशांति बढ़ती है। साथ ही वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बढ़ जाता है।

और आपको पता है, इस बात को फैलाने वाले और पटाखों को चलाने पर सर्वाधिक विरोध करने वाले हिन्दू ही होते है। वैसे विरोध करने वालों की जानकारी के लिए बता दें, पटाखे चलने से बारूद की जो महक आती है, उससे बहुत सारे जानलेवा कीड़े-मकोड़े, मच्छर, उनके अंडे लार्वा सब मर जाते हैं। तो "पटाखे अच्छे हैं"

तो बच्चे तो happy नहीं होंगे, इस दीपावली में।

अब आते हैं, बुजुर्गों पर...

सारे रीत रिवाजों को ताक पर रख कर दीपावली में घूमने निकल जाएंगे, तो भला वो कैसे खुश होंगे?

यह दीपावली है, सर्दियों या गर्मियों की छुट्टियाँ नहीं है, कि आप घूमने निकल गए। अपने सबसे बड़े त्यौहार का इतना तो मान रख लीजिये, कि उसे तो कम से कम विधि-विधान से मना लीजिये।

तो बुजुर्ग तो happy नहीं होंगे, इस दीपावली में।

दीपावली के सामान बेचने वाला भारतीय बाज़ार भी happy नहीं हैं, क्योंकि आपके घरों की सजावट और सामान तो चीनी बाज़ार को खुश कर रहा है।

भगवान जी, माता लक्ष्मी, वो भी तो happy नहीं हैं, क्योंकि घरों में तो ताले पड़े हैं। लोग घूमने निकल गए हैं, किसी को उनके आगमन का इंतज़ार नहीं है। 

वो पहले सी जगमगाती रौनक भी नहीं है, उमंग भी नहीं है। रह गयी है तो बस GIF वाली wishes

अब तो सिर्फ दीपावली ही रह गयी है, जब कोई happy नहीं है, तो क्या happy दीपावली कहेंगे?

क्यों हिन्दू त्यौहारों पर ही सारे ban लगते हैं, क्योंकि हम हिन्दू ही उसका साथ देते हैं। जबकि ईद या Christmas में अपने त्यौहारों से जुड़ी बातों का विरोध करते ना आपको मुसलमान मिलेंगे, ना ही Christian। यही वजह है, उनके त्यौहारों में आज भी खुशी है, ईद मुबारक है और ‘Christmas Merry’ है।

चलिये हम भी अपने त्यौहार को पहले सा मनाते हैं, सभी विधि-विधान पूरे करेंगे, घर को साफ-सुथरा कर के,

दीयों से घर जगमगाएंगे,
फूलों से घर को सजाएँगे,
ढेर पकवान बनाएँगे,
माता लक्ष्मी के स्वागत में
पलकों को हम बिछाएंगे।
और बच्चों के संग मिलकर
खूब पटाखे चलाएँगे,
क्योंकि ये त्यौहार ही है पटाखों का।

खूब पटाखे चलाये, दीपावली मनाएँ, किसी का अंतिम संस्कार नहीं है, जो मातम मनाएँ, 364 दिन हैं, पर्यावरण की रक्षा के लिए।

आइये दीपावली को Happy Deepwali बनाते हैं।

आप सभी को दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं।।

Friday 25 October 2019

Poem : शायद तुम्हें याद होगा

शायद तुम्हें याद होगा




शायद तुम्हें याद होगा
मैं वही कुम्हार हूँ
जो मिट्टी के दीप बनाता था
उन दीपों से  दीपावली में
घर तुम्हारा जगमगाता था
आज भी मैं ढेर दीप
बनाए, बैठा हूँ
आओगे, तुम फिर द्वार मेरे
मैं यह आस लगाए बैठा हूँ
दीपावली तेरे घर में
सितारों सी जगमग होगी
मेरे घर में भी, उन पैसों से
टिमटिमाती सी चमक होगी

शायद तुम्हें याद होगा
मैं वही भड़भूजे वाला हूंँ
जिस दुकान से मां तेरी
लइया , बताशे, खील खिलौने
हर बार लाया करती थीं
जिससे दीपावली में तेरे घर
मिठास भर जाया करती थी
आज भी मैं उन सबका
कितना ढेर सजाए बैठा हूँ
तुम्हारे आने की फिर से
मैं आस लगाए बैठा हूँ
दीपावली में पकवानों, मिठाईयों से
तुम्हारा घर आंगन महकेगा
मेरे घर भी, उन पैसों से
बच्चों का मन चहकेगा

शायद तुम्हें याद होगा
मैं वही फूल वाला हूँ
जिससे फूलों को लेने
तुम बाबूजी के संग आते थे
उन फूलों की सुन्दरता से
दीपावली में घर को सजाते थे
आज भी मैं गेंदा,बेला,
 गुलाब  की लड़ बनाए बैठा हूंँ
तुम आओगे फिर  लेने मुझसे
आस लगाए रहता हूँ
दीपावली में,फूलों की सुगंध से
घर तेरा हरदम महकेगा
मेरे घर में भी, उन पैसों से
पूरा परिवार सुख से चहकेगा

शायद तुम्हें याद होगा
मैं वही आतिशबाजी वाला हूंँ
जिसको देखकर तुम्हारे मुख में
दीपावली की रौनक आती थी
जिसके कारण तुम को
 दीपावली कितनी भाती थी
आज़ भी मैं अनार, फुलझड़ी, 
चकरी की दुकान सजाए बैठा हूंँ
लेने आओगे, तुम अवश्य ही
यह आस लगाए बैठा हूंँ
दीपावली में घर तुम्हारे
खुशियों की महफ़िल सजेगी
मेरे घर में भी, उन पैसों से
दीपावली, दीपावली लगेगी

दीपों की जगमग हो घर घर  में 
फूलों से हर आँगन महके  
पकवानों की उड़े सुगंध 
पटाखों के हों धूम धड़ाके 
भूल ना जाना देखो तुम यह 
इस आधुनिकता की चकाचौंध में
भारतीयता के रंग में सजी दीपावली
सब को ही दीपावली लगेगी

धनतेरस के पवन दिवस पर सबके घर-आँगन धन ही धन बरसे, कोई धन को ना तरसे। आप सभी को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ 


Thursday 24 October 2019

Story Of Life : इसमें मेरा क्या कसूर?


इसमें मेरा क्या कसूर


आज मैं आपको अपनी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, मेरी कहानी को ज़रा मन से पढ़िएगा, बहुत दिल से अपनी बात कहने जा रहा हूँ। आज तक ये बात मेरे दिल में थी। पर आप सब इतने अच्छे हैं, कि बात मन से बाहर आ ही गयी।

चलिये बात अपने जन्म से ही शुरू करता हूँ।

माँ को प्रसव पीड़ा हुई, भरे पूरे खानदान का मैं पहला वारिस था। तो पिता जी के साथ साथ दादा जी, नाना जी, चाचा, ताऊ, फूफा, मामा, मौसा कुछ अड़ोसी-पड़ोसी सब ही पहुँच गए अस्पताल।

जितना उस अस्पताल में सारे मरीज़, डॉक्टर, और उनके सारे सहायक मिला कर नहीं थे, उससे बड़ी फौज तो पिता जी के साथ थी।

मेरा जन्म हुआ, जब नर्स ने पिता जी के हाथ में मुझे दिया, मुझे देखते ही पिता जी चिल्ला उठे। हे भगवान!...... 

उनके इस कदर चिल्लाने से पूरे अस्पताल में रोना-पीटना शुरू हो गया। पीछे खड़े, नाना जी, मामा, मौसा बड़ी हिम्मत कर के आगे आए, और सात्वना देते हुए बोले कोई बात नहीं, पहला ही तो बच्चा है, लड़की हुई तो क्या हुआ, दूजा लड़का हो जाएगा।

अब तो पिता जी और ज़ोर से चिल्लाये, अरे.... लड़का ही हुआ है, पर पूरा कोयला है। मेरी मधुर मुस्कान किसी ने नहीं देखी, बचे-खुचे लोगों ने भी दुखी होना शुरू कर दिया। तभी दादा जी बोले, जाय दो गुड़ का लड्डू टेढ़ा मिठो।

इसके साथ ही दो दिन बाद सभी भारी मन से घर आ गए। अब मैं ऐसा हूँ, तो इसमें मेरा क्या कसूर?

पर जी बात यहीं खत्म नहीं हुई। मेरी माँ, वो तो सबसे अधिक सदमे में थीं, क्योंकि खुद तो वो दूध-मलाई सी गोरी थीं। और मैं...... 

उन्होंने माइकल जैकसन की फोटो मेरे रूम में लगा दी। और भाईसाहब ठान लिया, जब उसकी माँ ने गोरा कर लिया, तो मैं क्यों ना कर सकूँ।

और भाई जितना तो मुझे दूध ना पिलाया गया, उससे ज्यादा तो मुझ पर बादाम-दूध मल दिया गया।

खाने को भी जो दें, सब सफेद। क्योंकि कहा जाता है ना, जैसा खाते हैं, वैसा ही होता है, अररररे नहीं नहीं मैं उसकी बात नहीं कर रहा हूँ। सिर्फ त्वचा!..... त्वचा तक ही रहें। यहाँ तक कि मुझे चाय, काफी तक पीने को नहीं दी गयी।

पर मैं वैसा का वैसा ही रहा, काले का काला, और खाने के अभाव में दुबला-पतला भी। तो लो जी तैयार हो गया, करेला वो भी नीम चढ़ा। अब मैं ऐसा हूँ, तो इसमें मेरा क्या कसूर?

भगवान जी भी विशेष मेहरबान थे मुझ पर, तो बुद्धि का भी अभाव ही रहा। क्या करता, सारा ध्यान तो मुझे गोरा होना है, इसी पर लगवाया जाता था।

आलम ये था जनाब, कोई लड़की मेरी तरफ देखती नहीं थी। कोई सामने से आ रही होती, तो रास्ता बदल लेती। मुझे देखकर कुछ तो अपने को दुपट्टे से छुपा लेती। 

एक दिन एक लड़की मुझे देखकर डर से सिमटी जा रही थी, उससे मैंने पूछ ही लिया, मैं राक्षस दिखता हूँ क्या? वो बोली नहीं, chain-snatcher। मैं तब समझा कि लड़कियां मुझे देखकर मुड़ क्यूँ जाती थींअब मैं ऐसा हूँ, तो इसमें मेरा क्या कसूर?

ये दुनिया तो ऐसी है, कि यहाँ रंग-भेद तो इस कदर है, कि भगवान को तक नहीं छोड़ते, भगवान कृष्ण को ही लीजिये। कृष्ण का तो अर्थ ही है काले, उनकी तुलना भी करते थे, कि ऐसे “काले" जैसे वर्षा से भरे मेघ।

शायद कृष्ण जी भी चोर नहीं थे, पर शायद गोकुल के सबसे काले बच्चे वही थे, तो जब कोई भी चोरी होती थी, इल्जाम उन पर आ जाता होगा, चोरी भी तो सब सफ़ेद चीज़ ही होती थी ना, दूध, दही, मक्खन आदि।

पर आप ही देखिये महाभारत हो या राधा-कृष्ण, किसी में भी उन्हें काला नहीं दर्शाते हैं, सब में गोरे ही होंगे, या बहुत हुआ तो नीला दिखा देंगे। क्योंकि हमारे यहाँ तो धारणा ही यही है ना, कि हीरो हमेशा गोरा होता है।

पर कृष्णा जी का समय तब भी कितना अच्छा था, उन्हें कितनी गोपियाँ मिली हुई थीं, मेरे तो उसमें भी लाले पड़े थे।

गोपियों की बात छोड़िए, मैं तो एक गोपी से भी काम चला लेता, पर यहाँ तो बिल्कुल ही सूखा पड़ा था। अब मैं ऐसा हूँ, तो इसमें  मेरा क्या कसूर?

शादी के लिए matrimonial में रजिस्टर कराया तो, वहाँ भी वही हाल था, cream तो NRI ले जाते हैं। उसके बाद जो अच्छी वाली हैं, उन्हें दोनों "I" ले जाएंगे, IIT और IIM, हम जैसों का तो number ही नहीं आएगा।  

पूरे पाँच साल हो गए, अब तो उन लोगों ने मुझे सम्मानित भी कर दिया था। उनके matrimonial में आज तक कोई इतने दिन तक मेम्बर नहीं रहा था। या तो लोगों की शादी हो जाती थी, या दुखी होकर लोग आत्महत्या कर लेते थे। 

मुझे सम्मानित करने के साथ साथ ही upgrade भी कर दिया गया। 2 matrimonial के लिए।

वहाँ मैंने देखा, कुछ जाने-पहचाने नाम भी मिले, जी हाँ, ये वो नाम थे, जिन्होंने मुझे पाँच साल पहले reject कर दिया था।  

उनकी शादी हो गयी थी, बच्चे हो गए थे, और वे divorce भी ले चुकीं थीं। पर हद है, अब भी रिजैक्ट ।

अब मैं ऐसा हूँ, तो इसमे मेरा क्या कसूर?

मैं तो आज भी गा रहा हूँ, 

" हम काले हैं तो क्या हुआ दिल वाले हैं....... "


Disclaimer : यह कहानी एक कल्पना मात्र है, आप सबको हास्य  व्यंग्यात्मक कहानी के जरिए हँसाने की कोशिश की है। किसी को किसी भी तरह की चोट पहुँचाने का इरादा नहीं है। 

आप सब से अनुरोध है, किसी के complexion पर उन्हें इस तरह से हेय मत समझे। क्योंकि वो ऐसा है, तो इसमे उसका क्या कसूर? गुणों के लिए वो जिम्मेदार है, रंग, रूप के लिए नहीं।  

इंसान को उसके complexion से नहीं उसके गुणों से अपनाएं।कोयले की खान से निकलने वाला हीरा ही सबसे बहुमूल्य होता है        
Complexion का दूसरा पहलू, देखने के लिए, click करें...

Tuesday 22 October 2019

Recipe : Paneer ka parantha


The winters have started and having parantha in such weather 
makes you bloom. So, why not to start with a parantha which is liked by all – from children to aged people – whose temptation cannot be stopped. It’s none other than Paneer ka parantha

 Paneer ka parantha





Ingredients:

  • Paneer- ½ kg
  • Wheat flour- 250 grams
  • Coriander -25 grams
  • Green chilli- 2 to 3 (optional)
  • Salt to taste
  • Cumin -1/2 teaspoon
  • Maggi masala-1 and ½ spoon (optional)
  • Butter or pure ghee for making paratha


Method:

  1. Take flour and add salt to it.
  2. Knead it into soft dough. Let it rest for 20 minutes.
  3. Meanwhile, grate paneer, add salt, cumin, maggi masala, chopped coriander and chilli. Mix it well.
  4. Divide the dough into nine portions. Make balls from them.
  5. Also, divide the paneer mixture in nine portions. 
  6. Fill each ball(prepared in step 4) with a portion of paneer mixture.
  7. Cover the mixture, and flatten the ball. Then, roll them out using a rolling pin(बेलन). Remember, roll the balls flat with gentle pressure.
  8. Heat the frying pan.
  9. Put the parantha on the heated frying pan.
  10. Cook the paranthas by flipping, until both the sides become golden brown.
  11. Apply butter on both the sides and roast it at low flame till they become crispy
Now serve it with mint chutney or coriander chutney or sauce or butter or mithi chutney.

Monday 21 October 2019

Poem : कितना कुछ खोते हैं

आज मुझे इस कविता को, काव्य बद्ध करने की प्रेरणा, मेरी प्रिय सखी ऋतु श्रीवास्तव  द्वारा भेजे गए इस चित्र और सुबह के विवरण के लिए लिखी गई पंक्तियों से मिली है।

तो प्रिय सखी, आज की यह कविता आप के ही नज़र

कितना कुछ खोते हैं



जब हम सुबह
देर तक सोते हैं,
कभी सोचा है
कितना कुछ खोते हैं?

खोते हैं एक,
खुशनुमा सुबह।
जो देती हैं जिन्दगी को,
जीने की वजह।।

खोते हैं हम,
पक्षियों का कलरव।
जिन्दगी से भरा हुआ,
सबसे मीठा स्वर।।

खोते हैं हम,
पक्षियों के झुंड का दृश्य।
दिखती है एकता वहीं,
मनुष्यों में तो हो गई अदृश्य।।

खोते हैं हम,
मौसम की ठंडी सरगोशी।
जो चंचल मन को छूते ही,
दे देती ठहराव सी खामोशी।।


खोते हैं हम,
शुद्ध प्राण वायु।
जिसका ही नतीजा है,
हो रही है कम आयु।।


कितना कुछ मिलता है,
हमें सुबह सवेरे।
जिसके लिए हम,
कुछ भी नहीं चुकाते हैं।
फिर क्यों इतना कुछ,
मात्र चंद घंटों की,
नींद के लिए गंवाते हैं?

Friday 18 October 2019

Tip : Hair-fall solution

Many people, nowadays, suffer from hair-fall* problem. This problem increases in winters, which is all-set to arrive.
Do you also face this problem? Then what are you waiting for? Read this tip of mine and make benefit out of it.

Hair-fall solution

  • Do not shampoo daily. You can do so once or atmost twice a week.
  • Give your hairs an oil massage every week.
  • Don't apply the shampoo directly onto your scalp, always apply it after diluting it with a little amount of water. This will not let shampoo to concentrate on any area of your scalp.
  • Remember, while using conditioner, don't let it come in contact with your scalp.
  • Don't stress your hairs by tying them tight or pulling them.

Some homemade remedies to control hair fall are:
  1. Take fresh coconut. Grind it, to get it in milky form. Massage your head with this. After 5 - 10 minutes, do shampoo.
  2. Take a raw egg. Discard the yolk from it. Massage your head from the remaining portion(white part of the egg). After 5 - 10 minutes, do shampoo. {As the yolk has been discarded, your hairs won't smell, after this therapy.}
  3. Take out the pulp from the leaves of aloe vera plant. Mix water to the pulp and then massage your head with it. After 5 - 10 minutes, do shampoo.
  4. Grind Amla (Indian gooseberry). Mix it with water and massage your head with it. After 5 - 10 minutes, do shampoo.
  • Increase Vitamin C, Iron and Calcium rich food in your diet. Don't forget to have leafy vegetables.

*If you have a hair fall ratio above 150 per day in winters, then you can term this as hair-fall. 

डिस्क्लेमर: यह tip केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।