Wednesday 9 December 2020

Kids Story : सुन्दर

 सुन्दर




सुन्दर और उसकी माँ, बस दो प्राणी थे घर में।

सुन्दर बचपन से पढ़ने में बड़ा होशियार था।

माँ दूसरों के घर, बर्तन झाड़ू-पोछा करती, और सुन्दर को पालती-पोसती, पढ़ाती-लिखाती ।

पर कोरोना आ जाने से माँ को काम के लिए नहीं जाना होता था, सब उसे पैसे तो दे रहे थे, पर कुछ कम। 

इधर school भी लोगों को घर में रहकर, Mobile और laptop में करने थे।

 सुन्दर की माँ को इतना ही पैसा मिल रहा था कि खाना-पीना तो हो जा रहा था, पर अतिरिक्त पैसे नहीं थे कि वो अच्छा mobile खरीद सके।

कुछ दिन बाद सब थोड़ा normal होने लगा, माँ वापस काम पर जाने लगी।

पर school अब भी online चल रहे थे।

सुन्दर अब पहले जितना छोटा भी नहीं था, वो 5th class में था।

उसकी बस्ती के बच्चे बड़े खुश थे, कि school नहीं जाना है, उनके मां-बाप के पास इतना पैसा नहीं है कि mobile खरीदें। तो बस दिन भर आवारा गर्दी।

पर सुन्दर उदास रहने लगा, क्योंकि उसकी class छूटती जा रही थी।

एक दिन वो मांँ से बोला, मैं भी काम पर चलूंगा।

क्या कर पाएगा तू? अभी बहुत छोटा है।

नहीं हूँ छोटा, फिर घर में रहकर भी क्या कर रहा हूँ?

मांँ, उसे अपने साथ ले गयी। वहाँ पहुंच कर सुन्दर ने देखा,  उस घर पर बच्चों की online class चल रही थी, पर वो पढ़ना नहीं चाह रहे थे।

 माँ ने कहा, madam जी, इसके लिए कोई काम होगा?

आज से यह भी काम करना चाह रहा है।

यह क्या काम कर पाएगा?

आंटी जी, मैं आपके कपड़े फैला दूंगा, fold कर दूंगा। Dusting कर दूंगा, बाजार से सामान ला दूंगा।

आप के हाथ पैर दबा दूंगा। और आप जो कुछ कहेंगी, वो सब कर दूंगा।

और मुझे इन सब कामों के लिए पैसे नहीं चाहिए।

अच्छा तो क्या चाहिए।

आप से रोज़ चार घंटे के लिए mobile and data.

और वो क्यूं? 

माँ बोली, Madam जी पढ़ने का ऐसा दीवाना है कि खाना-पीना छोड़ देता है। 

वो school की पढ़ाई चल रही है ना, mobile पर। यही कारण से बोल रहा है।

तू रोज चार घंटे पढ़ेगा, तो काम क्या घंटा करेगा?

नहीं आंटी जी, मैं पढ़ते पढ़ते काम भी कर दूंगा।

Madam जी सोचने लगी, यहाँ तो खाली पढ़ना होता है, तब भी बच्चे नहीं पढ़ते हैं तो ये क्या पढ़ेगा?

फिर सोचने लगी, mobile तो दो चार बेकार ही पड़े हैं, और internet तो unlimited है।

तो अलग से कोई खर्च नहीं होगा और सारे काम के लिए मस्त नौकर मिल जाएगा।

सुन मैं दे दूंगी, पर काम में कोताही नहीं चलेगी।

नहीं बिल्कुल शिकायत का मौका नहीं दूंगा आंटी जी।

अब सुन्दर रोज़ काम करने लगा, और पढ़ाई भी। सुन्दर खुश रहने लगा।

Madam जी, भी खुश थी, खूब रगड़ कर काम ले रही थीं, मुफ्त के नौकर से।

पर माँ दुःखी थी, सोच रही थी, जल्दी school खुले तो उसका बेटा सिर्फ पढ़ाई कर सके और लोग उसकी मजबूरी का फायदा नहीं उठाएं।

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