By Animika Sahai
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Friday, 14 November 2025
Poem : A Child's Privileged Right- 14 November
Thursday, 13 November 2025
Recipe : Milk Jam
कल children's day है, तो सोचा आज बच्चों के लिए कुछ special recipe share कर दें, जिसे खाकर बच्चे खुश हो जाएं। और आप भी, क्योंकि यह instantly बनने वाली बहुत easy recipe है।
और वो Milk Jam...
Jam बहुत से बच्चों को बहुत पसंद आता है, फिर यह तो milk jam है।
Milk jam, regular jam से different है, इसमें हम initially कोई fruits add नहीं करेंगे।
Basically इसका taste jam से बिल्कुल भी नहीं मिलता है।
आप कहेंगे कि फिर इसे jam क्यों कह रहे हैं? क्योंकि jam का मतलब कोई semi-solid texture with sugar.
आप इस jam को bread slices, roti और poori में लगाकर खा सकते हैं। बाकी यह इतना tasty होता है कि इसे ऐसे भी खाएंगे तो छोड़ नहीं पाएंगे…
Milk Jam
(I) Ingredients :
- Milk - 500 ml
- Sugar - ½ cup
- Milk powder - ¼ cup
- Corn flour - 2 tbsp.
- Vanilla essence - ½ tsp.
(II) Method :
- दूध में चीनी, milk powder, cornflour को अच्छी तरह से मिलाकर एक solution बना लें।
- अब एक non-stick wok लें।
- दूध के solution को medium flame पर 1 boil आने तक बराबर चलाते हुए पकाएं।
- Boil आने के बाद 10 minutes तक low flame पर बराबर चलाते हुए गाढ़ा होने तक पकाएं।
- 10 minutes के लिए ठंडा कर लें।
- 2 hours के लिए fridge में रख दें, जिससे यह set हो जाए।
Rich and creamy Milk Jam is ready to serve.
आप इसे serve करते समय अपने taste के according fruits or dry fruits से garnish कर सकते हैं। Although यह ऐसे भी बहुत tasty लगता है।
इसका taste, थोड़ा-सा custard से भी resemble करता है और जब इसे bread slices पर लगाकर खाते हैं, तो थोड़ा cake से resemble करता है।
(III) Tips and Tricks :
- आप इस nonstick utensils में ही बनाइएगा, because यह utensil की तली (base) से चिपकता है।
- पकाते समय लगातार चलाते रहना जरूरी है, वरना यह जल जाएगा। अगर यह पकाते समय जल गया तो इसका taste बहुत बेकार हो जाएगा।
- आप इसे अपने साथ journey में भी ले जाकर enjoy कर सकते हैं। यह semi-solid है, तो spile or mass होने का डर नहीं है।
Wednesday, 12 November 2025
Article : वंदे मातरम्@150 years
वंदे मातरम्, एक शब्द, एक उद्धोष, एक प्रेरणा, एक ज्वाला है, जिसने भारत में स्वतंत्रता की मशाल जला दी। हर बच्चा, युवा, बुजुर्ग- पुरुष और महिला, सबके मन-मस्तिष्क पर वंदे मातरम् अंकित हो गया था।
हर व्यक्ति के लिए अपने स्वार्थ के ऊपर देश था। और जब जन-जन के मन में देश प्रथम होता है, तब स्वर्णिम बेला अवश्य आती है, जो भारत में आजादी के रूप में आई।
देश की आजादी के पश्चात इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में सम्मानित किया गया।
वंदे मातरम्@150 years
7 नवंबर को, वन्दे मातरम् को 150 वर्ष पूरे हो गए हैं। अतः सरकार द्वारा यह निर्धारित किया गया है कि इस शुभ अवसर को पूरे एक वर्ष तक उत्सव के रूप में मनाया जाएगा।
Government & public places पर राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् बजाया जाएगा, साथ ही साथ समय-समय पर कुछ विशेष कार्यक्रमों को भी आयोजित किया जाएगा।
वन्दे मातरम् महान बंगला साहित्यकार और देशप्रेमी बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा संस्कृत और बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित एक गीत है।
उन्होंने इस देशभक्ति गीत की रचना 7 नवंबर 1875 में अक्षय नवमी के दिन की, जिसका publication सन् 1882 में उनके उपन्यास आनन्द मठ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ था। इस गीत से सदियों से सुप्त भारत देश जग उठा।
यह गीत British सत्ता के विरोध और देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत एक ऐसी कहानी है, जिसने स्वतंत्रता संग्राम को नये आयाम दिए।
दरअसल उस समय पर बड़े पैमाने में राजनैतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन हो रहा था। राष्ट्रीय पहचान और British सत्ता के प्रति प्रतिरोध की भावना बलवती हो रही थी।
ऐसे में वंदे मातरम् गीत ने माँ भारती को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता के रूप में प्रतिष्ठित किया, तथा देश की एकता व अखंडता की भावना को जाग्रत करते हुए उसे एक काव्यात्मक स्वरूप दिया। जल्दी ही यह गीत भक्ति, समर्पण और अमरता का प्रतीक बन गया।
राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् को एक वर्ष तक विशेष महत्व देना, मात्र इस गीत को विशेष सम्मान प्रदान करना नहीं है वरन् उसके रूप में उन सभी देशभक्त क्रान्तिकारियों के सामने नतमस्तक होना है, जिन्होंने अपने स्वार्थ से ऊपर देश को रखा, जिन्होंने अपने बहुमूल्य जीवन को हंसते-हंसते देश की आजादी के लिए निछावर कर दिया।
यदि उन्होंने देशभक्ति को सर्वोपरि नहीं माना होता तो भारत को स्वतंत्रता दिलाना असंभव था।
आज हम स्वतंत्र भारत में, स्वेच्छा से अपना जीवन यापन कर रहे हैं, तो उन्हीं देशभक्त क्रान्तिकारियों के कारण ही..
तो क्यों न सरकार के इस सराहनीय कार्य को और शुभ करते हैं। हम अपने बच्चों को, अपने युवाओं को उस पल के विषय में जितना अधिक जागरूक कर सकते हैं, करते हैं। उनके मन में देश-प्रथम की भावना को बलवती करते हैं।
जब हमारा भारत सर्वोपरि, सशक्त, अखंड और समर्थ होगा, तब ही सच्चा नमन होगा, राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् को और सच्ची श्रद्धांजलि देशभक्त क्रान्तिकारियों को।
जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳
Tuesday, 11 November 2025
Shaadi-Vivah Song : बन्नी Reels बनाए बात बात में
शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में हल्दी चढ़ने की रीति पर पहला गीत है- बन्नी तेरी हल्दी में
दूसरा गीत भात मांगने पर आधारित है- मेरे भैया चले आना
तीसरा गीत, दुल्हन की मनमोहक रुप को पूर्ण करती हुई, मेंहदी पर आधारित है-मेंहदी रचने लगी हाथों में
शादी-विवाह में बन्ना बन्नी और चुहलबाज़ी वाले गीत बहुत पसंद किए जाते हैं।
बन्ना बन्नी पर आधारित तीन गीत, जिसमें दो चुहलबाज़ी और शरारत से भरपूर हैं:
तो एक विवाह के बाद का प्रेम, लज्जा और संस्कार से परिपूर्ण-
जो भी शादी करने जा रहे हैं, उनको आगाह करता, आज का यह मजेदार गीत, जिसमें यह प्रस्तुत किया है कि आजकल की बन्नी कैसी हैं, और ससुराल में आकर, वो क्या-क्या करने वाली हैं...
बन्नी Reels बनाए बात-बात में
मतवाली
वो Instagram वाली
Mobile रखे हाथ में
बन्नी reels बनाए बात बात में
सासु बोली
बहू पोंछा लगा लो
पोछा लगाते reels बनाए वो
सास फिसल गई
कमर टूट गई
बहू को दे रही गाली
मतवाली
वो Instagram वाली
Mobile रखे हाथ में
बन्नी reels बनाए बात बात में
सासु बोली
बहू खाना बना लो
खाना बनाते reels बनाए वो
रोटी जल गई
खाक हो गई
सब्जी हो गई काली
मतवाली
वो Instagram वाली
Mobile रखे हाथ में
बन्नी reels बनाए बात बात में
सासु बोली
बहू कपड़े तो धोलो
कपड़े धोते reels बनाए वो
कपड़े फट गये
चिथड़े हो गये
सर्फ हो गया खाली
मतवाली
वो Instagram वाली
Mobile रखे हाथ में
बन्नी reels बनाए बात बात में
सासु बोली
बहू बर्तन तो धोलो
बर्तन धोते reels बनाए वो
बर्तन रह गए
पानी बह गया
टंकी हो गई खाली
मतवाली
वो Instagram वाली
Mobile रखे हाथ में
बन्नी reels बनाए बात बात में
Monday, 10 November 2025
Shaadi-Vivah Song : बन्ना बुलाए, बन्नी नहीं आए
शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में हल्दी चढ़ने की रीति पर पहला गीत है- बन्नी तेरी हल्दी में
दूसरा गीत भात मांगने पर आधारित है- मेरे भैया चले आना
तीसरा गीत, दुल्हन की मनमोहक रुप को पूर्ण करती हुई, मेंहदी पर आधारित है-मेंहदी रचने लगी हाथों में
शादी-विवाह में बन्ना बन्नी और चुहलबाज़ी वाले गीत बहुत पसंद किए जाते हैं।
बन्ना बन्नी पर आधारित दो मजेदार गीत-
आज का यह गाना, मेरी नानी जी का प्रिय गीत था, उसे ही साझा कर रहे हैं, वो तब जितना सुरीला और तर्कसंगत था, आज भी है। विवाह के तुरंत बाद का वार्तालाप (संवाद) गीत है, जिसमें प्रेम भी है, लज्जा भी, संस्कार भी और सबसे बढ़कर, ससुराल से जुड़ने के बाद, सबसे मीठी याद भी...
बन्ना बुलाए, बन्नी नहीं आए
बन्ना बुलाए,
बन्नी नहीं आए
आजा प्यारी बन्नी रे
अटरिया सूनी पड़ी
मैं कैसे आऊं
ससुर जी खड़े हैं
सास भी खड़ी हैं
पायल मेरी बजनी रे
अटरिया सूनी पड़ी
लंबा घूंघट डाल के
पायलिया उतार के
आजा प्यारी बन्नी रे
अटरिया सूनी पड़ी
बन्ना बुलाए,
बन्नी नहीं आए
आजा प्यारी बन्नी रे
अटरिया सूनी पड़ी
मैं कैसे आऊं
ताऊ जी खड़े हैं
ताई भी खड़ी हैं
पायल मेरी बजनी रे
अटरिया सूनी पड़ी
लंबा घूंघट डाल के
पायलिया उतार के
आजा प्यारी बन्नी रे
अटरिया सूनी पड़ी
बन्ना बुलाए,
बन्नी नहीं आए
आजा प्यारी बन्नी रे
अटरिया सूनी पड़ी
मैं कैसे आऊं
चाचा जी खड़े हैं
चाची भी खड़ी हैं
पायल मेरी बजनी रे
अटरिया सूनी पड़ी
लंबा घूंघट डाल के
पायलिया उतार के
आजा प्यारी बन्नी रे
अटरिया सूनी पड़ी
बन्ना बुलाए,
बन्नी नहीं आए
आजा प्यारी बन्नी रे
अटरिया सूनी पड़ी
मैं कैसे आऊं
फूफा जी खड़े हैं
बुआ भी खड़ी हैं
पायल मेरी बजनी रे
अटरिया सूनी पड़ी
लंबा घूंघट डाल के
पायलिया उतार के
आजा प्यारी बन्नी रे
अटरिया सूनी पड़ी
बन्ना बुलाए,
बन्नी नहीं आए
आजा प्यारी बन्नी रे
अटरिया सूनी पड़ी
मैं कैसे आऊं
भैय्या जी खड़े हैं
भाभी भी खड़ी हैं
पायल मेरी बजनी रे
अटरिया सूनी पड़ी
लंबा घूंघट डाल के
पायलिया उतार के
आजा प्यारी बन्नी रे
अटरिया सूनी पड़ी
बन्ना बुलाए,
बन्नी नहीं आए
आजा प्यारी बन्नी रे
अटरिया सूनी पड़ी
मैं कैसे आऊं
जीजा जी खड़े हैं
दीदी भी खड़ी हैं
पायल मेरी बजनी रे
अटरिया सूनी पड़ी
लंबा घूंघट डाल के
पायलिया उतार के
आजा प्यारी बन्नी रे
अटरिया सूनी पड़ी
बहुत ही मीठा, प्रेम, लज्जा और संस्कार में ढला, बन्ना बन्नी वार्तालाप गीत
Sunday, 9 November 2025
Shaadi-Vivah Song : रात को आ गये चोर
शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में हल्दी चढ़ने की रीति पर पहला गीत है- बन्नी तेरी हल्दी में
दूसरा गीत भात मांगने पर आधारित है- मेरे भैया चले आना
तीसरा गीत, दुल्हन की मनमोहक रूप को पूर्ण करती हुई, मेंहदी पर आधारित है-मेंहदी रचने लगी हाथों में
शादी-विवाह में बन्ना, बन्नी और चुहलबाज़ी वाले गीत बहुत पसंद किए जाते हैं, और वैसा एक गाना हमने कल डाला भी था- बन्ना जी जरा जमके कमाना
तो प्रस्तुत है, चुहलबाज़ी और हंसीं मज़ाक़ से परिपूर्ण एक और गीत, जो पूरे माहौल को खुशनुमा बना देगा।
रात को आ गये चोर
रात को आ गये चोर
बन्ने की दादी ले गए रे - 2
बन्ने की दादी बड़ी लड़ाकू
डर गये सारे चोर डाकू
सर को पकड़, रोए चोर
बन्ने की दादी दे गए रे
रात को आ गये चोर
बन्ने की मम्मी ले गए रे - 2
बन्ने की मम्मी तगड़ी मोटी
खा गई उनकी सारी रोटी
भूखे मर गये चोर
बन्ने की मम्मी दे गए रे
रात को आ गये चोर
बन्ने की ताई ले गए रे - 2
बन्ने की ताई बड़ी खर्चीली
चोरों की हो गई जेबें ढीली
कंगाल हो गये चोर
बन्ने की ताई दे गए रे
रात को आ गये चोर
बन्ने की बहना ले गए रे - 2
बन्ने की बहना डिस्को नाचे
नाच नाच कर धरती को हिला दे
चक्कर खा गए चोर
बन्ने की बहना दे गए रे
Saturday, 8 November 2025
Shaadi-Vivah Song : बन्ना जी जरा जमके कमाना
शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में हल्दी चढ़ने की रीति पर पहला गीत है- बन्नी तेरी हल्दी में
दूसरा गीत भात मांगने पर आधारित है- मेरे भैया चले आना
तीसरा गीत, दुल्हन की मनमोहक रुप को पूर्ण करती हुई, मेंहदी पर आधारित है- मेंहदी रचने लगी हाथों में
शादी-विवाह में बन्ना, बन्नी और चुहलबाज़ी वाले गीत बहुत पसंद किए जाते हैं।
तो चलिए कुछ गीत बन्ना-बन्नी के नाम…
आज की बन्नी की क्या demand है बन्ना जी से, आज गीत द्वारा उसी को साझा कर रहे हैं।
तो सारे कुंवारे, इस गाने को ध्यानपूर्वक सुनें, और प्रयास करें, अपनी होने वाली वधू को प्रसन्न रखने का...
बन्ना जी जरा जमके कमाना
आया महंगाई का ज़माना,
बन्ना जी जरा जमके कमाना।
दाल और रोटी का गुजारा जमाना,
पिज्जा-बर्गर है खाना।
बन्ना जी जरा जमके कमाना।
आया महंगाई का जमाना
बन्ना जी जरा जमके कमाना
हल्दी और उबटन का गुजारा जमाना
ब्यूटी पार्लर हैं जाना
बन्ना जी जरा जमके कमाना
आया महंगाई का जमाना
बन्ना जी जरा जमके कमाना
साड़ी और कुर्ते का गुजारा जमाना
जीन्स टी-शर्ट ही पहनना
बन्ना जी जरा जमके कमाना
आया महंगाई का जमाना
बन्ना जी जरा जमके कमाना
बाइक और कार का गुजारा जमाना
ऐरोप्लेन में बैठाना
बन्ना जी जरा जमके कमाना
आया महंगाई का जमाना
बन्ना जी जरा जमके कमाना
चिठ्ठी और तार का गुजारा जमाना
आइफोन दिलाना
बन्ना जी जरा जमके कमाना
आया महंगाई का जमाना
बन्ना जी जरा जमके कमाना
Friday, 7 November 2025
Shaadi-Vivah Songs : मेहंदी रचने लगी हाथों में
शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में हल्दी चढ़ने की रीति पर पहला गीत था- बन्नी तेरी हल्दी में
दूसरा गीत भात मांगने पर आधारित है, मेरे भैया चले आना
शादी के शुभ कार्य में मेंहदी का विशेष महत्व है, या यूं कहें कि मेंहदी से सजे हुए हाथ पैर, वधू के सौंदर्य को पूर्ण करते हैं।
आज का यह खूबसूरत गीत मेहंदी रचने वाली शाम में गाया व बजाया जाए, तो रौनक दोगुनी हो जाएगी।
मेहंदी रचने लगी हाथों में
मेहंदी रचने लगी हाथों में, बन्ने के नाम की
मेहंदी रचने लगी हाथों में, बन्ने के नाम की
आई शुभ घड़ी देखो, मेरे आँगन आज जी
बाजे-बाजे रे शहनाई, पिया तेरे नाम की
बाजे-बाजे रे शहनाई, पिया तेरे नाम की
आई शुभ घड़ी देखो, मेरे आँगन आज जी
मेहंदी रचेगी गहरी, प्यार गहरा होगा
मेहंदी रचेगी गहरी, प्यार गहरा होगा
लाल-ख़ुशहाल रंग, संग तेरे होगा
लाल-ख़ुशहाल रंग, संग तेरे होगा
मेहंदी रची है गहरी सी, बन्ना तेरे नाम की
मेहंदी रची है गहरी सी, बन्ना तेरे नाम की
आई शुभ घड़ी देखो, मेरे आँगन आज जी
भूल ना जाना हमें, जा के ससुराल तू
भूल ना जाना हमें, जा के ससुराल तू
तड़पेगी ममता मेरी, आएगी याद तू
तड़पेगी ममता मेरी, आएगी याद तू
बिछिया बाजे, पायल छनकी, बन्ना के नाम की
बिछिया बाजे, पायल छनकी, बन्ना के नाम की
आई शुभ घड़ी देखो, मेरे आँगन आज जी
मेहंदी में नाम, हमने जिसका लिखा है
मेहंदी में नाम, हमने जिसका लिखा है
पढ़ के बताओ जी, किसका लिखा है
पढ़ के बताओ जी, किसका लिखा है
गोरे हाथों में रची है, प्रीत तेरे नाम की
गोरे हाथों में रची है, प्रीत तेरे नाम की
आई शुभ घड़ी देखो, मेरे आँगन आज जी
आई शुभ घड़ी देखो, मेरे आँगन आज जी
Thursday, 6 November 2025
Shaadi-Vivah Song : मेरे भैया चले आना
शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में हल्दी चढ़ने की रीति पर पहला गीत था- बन्नी तेरी हल्दी में
आज दूसरा गीत साझा कर रहे हैं।
शादी के शुभ कार्यों में भात मांगने की शुभ प्रथा होती है, इस गीत द्वारा उसी को प्रस्तुत किया है।
देखिए, कैसे बहन भाई से सभी भौतिक वस्तुओं के बदले कुछ और लाने को कहा रही है।
भाई-बहन के अटूट प्रेम को प्रदर्शित करता गीत...
मेरे भैया चले आना
मेरे भैया चले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
समय पर भात ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
न लाना कान के झुमके
न लाना माथे का टीका
मेरी भाभी को ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
मेरे भैया चले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
समय पर भात ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
न लाना हाथ के कंगना
न लाना कोई भी गहना
तुम बच्चों को ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
मेरे भैया चले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
समय पर भात ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
न लाना महंगी-सी साड़ी
न लाना चुनरी और लहंगा
परिवार संग ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
मेरे भैया चले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
समय पर भात ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
Wednesday, 5 November 2025
Shaadi-Vivah Songs : बन्नी तेरी हल्दी में
आज से शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में यह पहला गीत है।
बन्नी, बन्ना के हल्दी चढ़ने की रस्म, विवाह में एक विशेष रस्म होती है, जो जितना विवाह से जुड़ी होती है, उतनी ही ईश्वर व घर से जुड़े सभी लोगों से मिलने वाला आशीर्वाद भी होती है।
आज उसी पर यह गीत साझा कर रहे हैं।
बन्नी तेरी हल्दी में
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
ओ बन्नी तेरी हल्दी में, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
पहली हल्दी दादी ने पिसाई।
दादी ने पिसाई, श्री गणेश को चढ़ाई।
सफल हो गए सब काम, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
दूजी हल्दी नानी ने पिसाई।
नानी ने पिसाई, लक्ष्मी मैया को चढ़ाई।
अरे अन्न-धन भरे भंडार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
तीजी हल्दी मम्मी ने पिसाई,
मम्मी ने पिसाई, गोरा मैया को चढ़ाई।
दे दिया अमर सुहाग, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
चौथी हल्दी चाची ने पिसाई।
चाची ने पिसाई, सीता मैया को चढ़ाई।
दे दिया धर्म का ज्ञान, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
पांचवी हल्दी बुआ ने पिसाई,
बुआ ने पिसाई, राधा रानी को चढ़ाई।
दे दिया प्रेम का ज्ञान, तो बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
ओ बन्नी तेरी हल्दी में, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
Tuesday, 4 November 2025
Article : विवाह के शुभ मुहूर्त
अब जब भगवान श्रीहरि अपनी चार महीने की निद्रा से जाग गये हैं, तो सभी शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे।
तो सबसे पहले यह देख लेते हैं, कि कौन-सी वो शुभ तिथियां या मुहूर्त हैं, जिनमें शुभ कार्य संभव हो सकते हैं।
2025 में दो महीने बचे हैं तो उनके शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं।
विवाह के शुभ मुहूर्त
नवंबर और दिसंबर 2025 में शादी के कई शुभ मुहूर्त हैं, जो देवउठनी एकादशी के बाद शुरू हो रहे हैं।
नवंबर 2025: 18, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 29, और 30।
दिसंबर 2025: 4, 10, और 11।
इसके पश्चात् 2026 में शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं।
2026 के शुभ मुहूर्त :
जनवरी में शुक्र तारा अस्त है, अतः कोई शुभ मुहूर्त नहीं है।
फरवरी 2026: 3, 5, 6, 8, 9, 10, 12, 14, 19, 20, 21, 24, 25, 26
मार्च 2026: 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 11, 12
अप्रैल 2026: 15, 20, 21, 25, 26, 27, 28, 29, 30
मई 2026: 1, 3, 5, 6, 7, 8, 13, 23, 25, 26, 28, 29
जून 2026: 1, 2, 4, 5, 11, 19, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 29
जुलाई 2026: 1, 6, 7, 11, 16
नवंबर 2026: 20, 21, 24, 25, 26
दिसंबर 2026: 2, 3, 4, 5, 6, 11, 12
हमारे कुछ viewers की demand थी कि आजकल वो पहले जैसा शादी-विवाह के शुभ गीत सुनने और सुनाने को नहीं मिलते हैं, तो अगर कुछ ऐसे गीत भी blog में हो, तो ऐसे अवसरों पर गाने का मौका मिल जाए, जिससे शुभ मुहूर्त और शुभ हो जाए।
तो चलिए, अब जब शुभ मुहूर्त ज्ञात हो गये हैं तो आप को एक और अच्छी बात बताते हैं कि अपने viewers की demand पर हम शादी-विवाह इत्यादि से जुड़े भात, हल्दी, बन्ना-बन्नी के कुछ गीतों को इन दिनों साझा करेंगे। सब एक से बढ़कर एक हैं।
जिसे पढ़कर, सुनकर और देखकर आपको आनंद आ जाएगा।
इन गीतों द्वारा, आप अपनी शादी-विवाह की शुभ parties में चार चांद लगा सकेंगी, रंग जमा देंगीं।
So stay tuned…
Disclaimer :
सभी तिथियां, reliable sources से ली है, फिर भी आप अपने शुभ कार्य की तिथि निर्धारित करने से पहले अपने पंडित जी या ज्योतिष महाराज से तिथि confirm अवश्य करें।
Monday, 3 November 2025
Article : भारतीय नारी, विश्व पर भारी
कल की रात एक ऐसी रात थी, जो भारत के लिए चांद-तारों से भरी जगमगाती रात साबित हुई।
भारत की बेटियों ने कमाल कर दिखाया, पहले semi-finals में ‘7-time Champion’ Australia को हराकर final में अपनी जगह बना ली, और कल (3 नवंबर 2025) South Africa को 52 रनों से हराकर ICC Women's World Cup 2025 अपने नाम कर सम्पूर्ण विश्व में तिरंगा लहराया, और भारत को गौरवान्वित किया।
यूँ तो World Cup जीतना पूरी team का effort होता है, फिर भी Deepti Sharma और Shafali Varma के शानदार all-rounder performance की बदौलत भारत ने रविवार को South Africa पर 52 runs की जीत के साथ पहली बार ICC Women's Cricket World Cup जीता।
भारतीय नारी, विश्व पर भारी
(A) Finals Overview :
Final में Pratika Rawal को चोट लग गई थी और वो final match खेलने की अवस्था में नहीं थी। अतः final match में opening batter के रूप में खेलने के लिए Shafali Varma को वापस बुलाया गया था। Shafali ने 78 balls पर अपने career की सर्वश्रेष्ठ 87 runs की पारी खेली, जिससे tournament के co-host ने toss हारने और बल्लेबाजी के लिए भेजे जाने के बाद 50 overs में 298-7 का विशाल score बनाया।
जवाब में South Africa की team 45.3 overs में 246 runs पर all-out हो गई।
Spinner Deepti ने match का अंतिम wicket लिया और 9.3 overs में 5/39 का bowling figure हासिल किया।
(B) Captain's Words :
भारतीय captain Harmanpreet Kaur ने पिछले दो finals में मिली हार के बाद मिली जीत पर विचार करते हुए कहा, “हम इस पल का इंतज़ार कर रहे थे, और अब यह पल आ गया है। अब हम इसे अपनी आदत बनाना चाहते हैं।”
(C) Semi-finals Overview :
भारत semi-finals के लिए qualify करने वाली चार teams में से आखिरी team थी, लेकिन फिर उसने defending champion Australia (जो कि 7-time champion रह चुकी है) को 5-wickets से हराकर finals में जगह बनाई। South Africa ने भी 4-time champion England को 125 runs से हराकर पहली बार finals में जगह बनाई।
Home ground पर जीत ने भारत को अपना पहला बड़ा woman cricket title दिलाया।
(D) Player of the Match :
Shafali Varma (जिन्हें पिछले सप्ताह चोटिल Pratika Rawal की जगह team में शामिल किया गया था) ने 36 runs देकर 2 wickets लिए और 78 balls पर 87 runs बनाए। उन्हें Player of the Match चुना गया।
21-वर्षीय Shafali ने कहा, “भगवान ने मुझे कुछ अच्छा करने के लिए भेजा था, और आज उसकी झलक दिखी। मैंने आज सिर्फ़ runs बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। मेरा मन साफ़ था।”
(E) Player of the Series :
Five wickets लेने से पहले, Deepti ने tournament की 3rd fifty बनाई, जिससे भारत 2022 में England के खिलाफ Australia के 356/5 के बाद World Cup Final में दूसरे सबसे बड़े score तक पहुंच गया।
(F) Other Achievements :
दी गई list भारत के बाकी players की कुछ achievements को दिखाती है, जिससे देखकर मुझे भी गर्व हुआ, और आपको भी होगा।
- 2nd Highest Runs (434)
- 4th Most Hundreds (1)
- 3rd Most Fifties (2)
- 3rd Highest Sixes (9)
- 2nd Highest Fours (50)
- 2nd Highest Boundaries (59)
Pratika Rawal
- 4th Highest Runs (308)
- 4th Highest Score (122)
- 3rd Lowest Bowling Average (12.5)
- 4th Most Hundreds (1)
- 4th Most Economical Bowler (3.75)
Deepti Sharma
- Most Wickets (22)
- 3rd Best Bowling Figure (5/39)
- Most Fifties (3)
- Most Five Wicket Hauls (1)
Jemimah Rodrigues
- 3rd Highest Score (127)
- 4th Highest Batting Average (58.4)
- 4th Most Hundreds (1)
Nallapureddy Charani
- 4th Highest Wickets (14)
Harmanpreet Kaur (C)
- 3rd Most Fifties (2)
Richa Ghosh
- Most Sixes (12)
इस world cup को जीतने के साथ ही एक बार फिर हमारी बेटियों ने यह सिद्ध कर दिया कि वो हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कन्धा मिला सकती हैं, और हर क्षेत्र में भारत को गौरवान्वित करा सकती हैं।
हमें गर्व है अपनी बेटियों पर, ईश्वर से प्रार्थना है कि हर क्षेत्र में भारत को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हो और ऐसे ही हमारा तिंरगा सर्वोपरि लहराए।
जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳
Saturday, 1 November 2025
Article : देवउठनी एकादशी
आज देवउठनी एकादशी व्रत है, देवउठनी एकादशी व देवशयनी एकादशी श्रेष्ठ या सबसे बड़ी एकादशी समझी जाती हैं, पर विशेषतः देवउठनी एकादशी का महत्व अधिक है।
कारण है, कि इस दिन प्रभु श्रीहरि अपनी चार महीने की निद्रा से उठते हैं। हम हिन्दुओं में सभी शुभ कार्य, शुभ मुहूर्त व लग्न देखकर किए जाते हैं। अतः जब प्रभु श्रीहरि जाग्रत होंगे, सभी शुभ कार्य तो तभी आरंभ होंगे। इसलिए देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है।
देवउठनी एकादशी व्रत से जुड़ी अन्य बातों को जानने के लिए click करें -
देवउठनी एकादशी व तुलसी विवाह
https://shadesoflife18.blogspot.com/2018/11/blog-post.html?m=1
देवशयनी एकादशी
https://shadesoflife18.blogspot.com/2023/06/article_29.html?m=1
देव उठनी एकादशी व एकादशी का उद्यापन
https://shadesoflife18.blogspot.com/2023/11/article_23.html?m=1
आज हम आपको बताते हैं, कि देवउठनी एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है तथा आज पूजा का क्या मुहूर्त है।
देवउठनी एकादशी
पूजा विधि :
देवउठनी एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जागें, स्नान करके अपने मन, शरीर और घर-परिवार को शुद्ध करें। इसके बाद स्वच्छ एवं सम्भव हो तो पीले वस्त्र धारण करें, क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है। अब भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। पूजन से पहले आचमन करें और शुद्ध आसन पर बैठकर श्रीहरि के समक्ष पीले पुष्प, पीला चंदन, तुलसी दल और पुष्पमाला अर्पित करें। प्रसाद में पीली मिठाई, गन्ना, सिंघाड़ा, मौसमी फल और शुद्ध जल का भोग लगाएँ। फिर घी का दीपक एवं धूप प्रज्वलित कर भगवान विष्णु की मंत्रोच्चार के साथ आराधना करें। इस दिन विष्णु चालीसा, देवउठनी एकादशी व्रत कथा, श्रीहरि स्तुति और विष्णु मंत्रों का जप विशेष पुण्यदायी माना जाता है। पूजा के उपरांत विष्णु जी की आरती करें और किसी भी भूल या कमी के लिए क्षमा याचना करें। दिनभर व्रत का पालन करते हुए संयम और सात्त्विकता बनाए रखें। शाम के समय पुनः पूजा करें और घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं, जिससे शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। अगली सुबह द्वादशी तिथि में शुभ समय देखकर व्रत का पारण करें और भगवान विष्णु को धन्यवाद देकर प्रसाद ग्रहण करें।
लोकप्रिय भजन :
उठो देव, बैठो देव, पाटकली चटकाओ देव।
आषाढ़ में सोए देव, कार्तिक में जागे देव।
कोरा कलशा मीठा पानी, उठो देव पियो पानी।
हाथ पैर फटकारी देव, आंगुलिया चटकाओ देव।
कुवारी के ब्याह कराओ देव, ब्याह के गौने कराओ।
तुम पर फूल चढ़ाए देव, घी का दीया जलाये देव।
आओ देव, पधारो देव, तुमको हम मनाएँ देव।
मुहूर्त :
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि - 1 नवंबर को सुबह के 9:12 पर शुरू होगी, जो 2 नवंबर को शाम के 7:32 पर समाप्त हो जाएगाी। ऐसे में गृहस्थ लोग 1 नवंबर को और वैष्णव संप्रदाय के लोग 2 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत रखेंगे। दरअसल, गृहस्थ लोग पंचांग के अनुसार और वैष्णव परंपरा के साधक व्रत का पारण हरिवासर करते हैं।
शुभ मुहूर्त :
- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह के 4:50 से सुबह के 5:41 मिनट तक
- अभिजित मुहूर्त- सुबह के 11:42 से दोपहर के 12:27 तक
- अमृत काल- सुबह के 11:17 से दोपहर के 12:51 तक
- रवि योग- सुबह के 6:33 से शाम के 6:20 तक
- ध्रुव योग- 1 नवंबर को सुबह के 4:31 से 2 नवंबर को सुबह 2:09 तक
जपे जाने वाले मंत्र :
- ॐ अं वासुदेवाय नम:
- ॐ आं संकर्षणाय नम:
- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
- ॐ नारायणाय नम:
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- ॐ विष्णवे नम:
- ॐ हूं विष्णवे नम:
आखिर में “ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे” की आरती के साथ प्रथम दिन की पूजा पूर्ण करें।
पारण का समय :
1 नवंबर को व्रत रखने वाले जातक 2 नवंबर को व्रत का पारण करेंगे। इस दिन दोपहर के 1:11 से 3:23 तक पारण करना सबसे शुभ है।
हरि वासर समाप्त होने का समय :
दोपहर के 12:55 बजे।
हे श्रीहरि, देवउठनी एकादशी में सभी के घर शुभ करें, सभी के दुःख संकट हरें, सभी के घरों में सुख-समृद्धि बनी रहे, सभी निरोगी रहें 🙏🏻
Friday, 31 October 2025
Article : National Unity Day
आज राष्ट्रीय एकता दिवस है।
राष्ट्रीय एकता दिवस, यह किस उपलक्ष्य में आयोजित किया गया है?
2014 से government offices में तो लगभग सभी जानते हैं, किन्तु अभी भी बहुत से लोग नहीं जानते हैं।
राष्ट्रीय एकता दिवस पर विशेषतः सतर्कता पर ही कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। Slogan, essay, debate, drawing competition etc.
आज सरदार वल्लभ भाई पटेल जी का जन्मदिवस है और आज उनकी 150वीं जयंती है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल जी से कौन नहीं परिचित होगा, लेकिन शायद पूरी तरह से नहीं, मतलब उनकी उपलब्धियों से या यूं कहें उनके द्वारा किए गए महान कार्यों से...
National Unity Day
सरदार वल्लभ भाई पटेल आजादी की लड़ाई से जुड़े एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी थे।
पर जितने सक्रिय यह देश को आजादी दिलाने के लिए थे, उसके अधिक उनका विशेष योगदान, आज़ादी के बाद रहा।
देश के आजाद होने के बाद यह decide होना था कि देश का प्रधानमंत्री किसे बनाया जाए, तब सर्व सम्मति से सरदार वल्लभ भाई पटेल का नाम ही चुना गया था।
लेकिन नेहरू की महत्वाकांक्षा के कारण गांधी जी ने नहेरू जी को प्रधानमंत्री और पटेल जी को उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री बना दिया।
देशभक्त पटेल जी ने देशभक्ति और गांधी जी को सम्मान देते हुए इस पद को भी सहर्ष स्वीकार कर लिया।
अब शुरू होता है उनका विशेष योगदान...
अंग्रेजों ने भारत को आज़ाद करते हुए एक षड्यंत्र रचा, उन्होंने भारत को 562 रियासतों में बांट दिया, तथा भारत-पाकिस्तान का विभाजन इस तरह से किया कि भारत के बीच-बीच में पाकिस्तान का हिस्सा था। जिससे भारत और पाकिस्तान, दोनों में से कोई भी पनप न पाए, उनका विकास न हो पाए।
उस समय आज़ादी के मिलने से जितनी प्रसन्नता थी, विभाजन होने से उतना ही अवसाद...
पूरा भारत भूखमरी, गरीबी और असंतोष की भावना से जल रहा था। ऐसे में देश का नेतृत्व आसान नहीं था और 562 रियासतों को जोड़कर एक करना उससे भी कठिन।
ऐसे समय में बहुत ही सतर्क, सुदृढ़, दूरदर्शी और सशक्त व्यक्ति की आवश्यकता थी और उसी महती भूमिका को निभाया था, हमारे सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने।
पटेल जी की दूरदर्शिता, सुदृढ़ता, सतर्कता ने सशक्त रूप से निर्णय लेना आरंभ कर दिया।
उन्होंने न केवल सारी रियासतों को जोड़कर एक भारत किया, बल्कि पाकिस्तान के जो भाग भारत के बीच-बीच में थे, उन्हें सम्पूर्ण भारत बना दिया।
उनकी ही कोशिश से कश्मीर भी भारत मे मिल पाया था।
तो अगर इसे संक्षेप में समझें तो खंड-खंड भारत का अखंड भारत बनना, सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के अथक प्रयासों के कारण ही संभव हुआ है।
पर इसे त्रासदी ही कहेंगे कि उनके इतने बड़े योगदान को यूं ही धूमिल कर दिया गया, कि हमें अपने बचपन में कभी इससे अवगत ही नहीं कराया गया। जबकि सरदार वल्लभ भाई पटेल एक कांग्रेसी नेता ही थे। उसके पश्चात भी यह पक्षपात, केवल परिवार वाद को आगे बढ़ाने के लिए...
आप मानें या न मानें, पर धन्य है BJP government, जिसने 2014 में आकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के अमूल्य योगदान को धन्यवाद देने के लिए, उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाना प्रारंभ कर दिया।
उन्होंने 2013 में गुजरात के केवड़िया में, महान भारतीय राजनेता सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा बनवाने का कार्य आरंभ किया, जो 2018 में पूरा हुआ। इसे statue of unity का नाम दिया, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, जिसकी ऊंचाई 182 मीटर है। इससे प्रतिवर्ष करोड़ों का revenue आता है।
आज जब उनकी 150वीं जयंती थी, तो केवड़िया में प्रधानमंत्री मोदी जी ने सरदार पटेल जी को श्रद्धांजलि प्रदान की।
उसमें आयोजित होने वाला programme इतना भव्य था, मानो 26 January में होने वाले आयोजन का छोटा-सा प्रतिरूप।
इस एकता parade में शौर्य शक्ति और अखंडता का संदेश दिया गया, जिसमें BSF, CRPF, CISF, ITBP, SSB, NSG, NDRS, विभिन्न राज्यों की पुलिस टुकड़ी आदि की parade शामिल थी।
विभिन्न राज्यों की झांकियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, जिनसे प्रदर्शित हो रहा था, मैं शक्ति भी सुरक्षा भी।
शौर्य शक्ति, एकता, भारतीय संस्कृति, देशभक्ति, एकता में अनेकता, सामंजस्य शक्ति, दूरदर्शिता आदि का अनूठा संगम था।
अब से हम National Unity Day को सिर्फ government offices तक सीमित नहीं रहने देंगे, बल्कि हम सब भारतीय, उनके सामने नतमस्तक होकर उनके अमूल्य योगदान को धन्यवाद देंगे।
आइए, आज सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के सपने को साकार करने का संकल्प लेते हैं।
एक भारत, श्रेष्ठ भारत 🇮🇳
और साथ ही संकल्प लें, भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का।
जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳
Wednesday, 29 October 2025
Article : ढलते सूर्य को प्रणाम
कल लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का सूर्य देव को अर्घ्य कर समापन हो गया।
छठ पूजा, मुख्यतः बिहारी लोग करते हैं, और 2014 से पहले यह लगभग बिहार तक ही सीमित था।
शायद कुछ लोगों को यह अच्छा न लगे, पर सच्चाई यही है कि 2014 के बाद से भारतीय संस्कृति, तीज-त्यौहार इत्यादि, किसी एक राज्य तक सीमित नहीं रह गये हैं बल्कि हर राज्य में सभी भारतीय तीज-त्यौहार अपनी छटा बिखेर रहे हैं।
अभी हाल में छठ पूजा में वही माहौल दिल्ली व अन्य राज्यों में देखने को मिला।
ढलते सूर्य को प्रणाम
ऐसा नहीं है कि इस साल जब दिल्ली में BJP government आई है, तब ही छठ पर्व धूमधाम से मनाया गया है। उससे पहले आप सरकार के समय भी धूमधाम थी, पर इस साल धूमधाम थोड़ी और बढ़ गई है।
और यदि BJP government centre में रही, और जिस तरह का जोश लोगों में देखने को मिल रहा है, सभी तरह के त्यौहारों को प्राथमिकता मिलती ही रहेगी।
छठ पर्व बहुत सालों से मनाया जा रहा है और इसमें सूर्यदेव की हर समय की पूजा की जाती है।
लेकिन शायद ही किसी का ध्यान, इस ओर गया हो, जिस ओर मोदी जी का ध्यान गया और वो कि सिर्फ और सिर्फ छठ पर्व में ही ढलते सूर्य की भी पूजा की जाती है।
सूरज की दो अवस्थाएं होती हैं, उगता सूरज और ढलता सूरज।
उगते सूरज को भाग्योदय, सफलता और समृद्धि से संदर्भित किया जाता है, जबकि वहीं ढलते हुए सूरज को जीवन के ढलान से, जीवन के आखिरी पड़ाव आदि से संदर्भित किया जाता है।
इस तरह से हमेशा उगते सूर्य को प्रणाम किया जाता है, उसे ही मान देते हैं।
तो जो अगर डूबते हुए सूरज को भी अर्घ्य दे रहा है, तो उसमें ऐसा क्या विशेष है?
वो विशेषता है, संस्कार की...
संस्कार की! इसमें संस्कार वाली बात कहां से आ गई?
जी बिल्कुल, संस्कार ही होते हैं। उन मनुष्यों में, जो सामने वाले को उसका पद, समृद्धि और वैभव देखकर नहीं, अपितु उसको हर स्थिति में सम्मान देता है।
यहाँ यह सम्मान, किसी गरीब को देना, किसी retired बुजुर्ग को देना, जो महिलाएँ नौकरी पेशा नहीं हैं, उन्हें देना, इत्यादि। एक तरह से देखा जाए तो सबको हर स्थिति में सम्मान प्रदान करना।
और छठ पूजा, सूर्य देव की हर स्थिति में पूजा करना उसी सम्मान को दर्शाता है।
इसके साथ ही एक और बात है, जो बिहारियों को बाकी राज्यों के हिन्दूओं से श्रेष्ठ बनाता है और वो कि छठ पर्व का बहुत कठिन नियम होता है। पर आज भी वो सारे कठिन नियमों का विधिवत न केवल पालन कर रहे हैं, बल्कि पूरा परिवार एकजुट होकर कंधे से कंधा मिलाकर काम करने में एक दूसरे का साथ देते हैं।
मुस्लिमों में पांच वक्त के नमाज़ी को विशेष सम्मान दिया जाता है। उसी प्रकार हिन्दुओं को भी छठ पूजा करने वाले को विशेष सम्मान प्रदान करना चाहिए।
बल्कि इसके इतर, बिहारियों को वो सम्मान नहीं मिलता है, जो उन्हें मिलना चाहिए।
एक कहावत है, एक बिहारी, सब पर भारी और देखा जाए तो यह कुछ हद तक सही भी है।
बिहारियों के सभी व्रत-त्यौहार सबसे कठिन होते हैं, फिर भी वो वैसे ही विधिवत पूजन करते आ रहे हैं, उनके अंदर आज भी ईश्वर के प्रति आस्था सबसे अधिक है।
अगर अपने से बड़ों को सम्मान देने की बात कहें तो वो भी सबसे अधिक इनमें मिलता है।
अगर संस्कार कहें तो वो भी बहुत कुछ पहले जैसा ही है, पहनने-ओढ़ने में, रखरखाव में, बातचीत में, खाना-पीना बनाने इत्यादि में।
और अगर शिक्षा की बात करें तो सबसे ज़्यादा IAS, PCS officer बिहार से ही select होते हैं।
छठ व्रत रखने वाले सभी व्रतियों को सम्पूर्ण सम्मान के साथ प्रणाम।
हमें आधुनिकता के साथ-साथ अपने संस्कारों से भी सदैव जुड़े रहना चाहिए। जहां दोनों हैं, सही अर्थों में वही सफल से, समृद्ध है, भाग्यवान है।
जय छठी मैया, जय भारत 🙏🏻
Tuesday, 28 October 2025
Song : पहिले पहिल छठी मइया
आधुनिकता के इस दौर के बावजूद भी लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर ना ही परंपराओं में कोई बदलाव हुआ, ना ही लोगों की आस्था कम हुई है। यही वजह है की सैकड़ों वर्षों से आस्था और विश्वास से लोग, लोक आस्था का महापर्व छठ मानते आए हैं।
इस पर्व में गाए जाने वाले गीतों की विशेषता यह होती है कि इसे भोजपुरी, मैथिली या मगही भाषा में गाया जाता है।
यह बहुत कर्णप्रिय होते हैं, और अपने तीज़-त्यौहार और संस्कृति से जुड़े हुए होते हैं।
पिछली छठ पर्व पर कांच ही बांस की बहंगिया गीत का हिंदी में भावार्थ किया था, जो लोगों द्वारा बहुत पसंद किया गया था, तथा हमारे पाठकों की यह मांग थी कि कुछ अन्य लोकप्रिय गीतों को भी हिंदी में भाव के साथ अनुवादित कर दें, जिससे आने वाली पीढ़ी इन गीतों के भावार्थ के साथ इनसे जुड़ सकें।
आज पहिले पहिल छठी मइया गीत का भावार्थ करने का प्रयास किया है, आशा है यह भी आप लोगों की कसौटी पर खरा उतरेगा।
पहिले पहिल छठी मइया
यह गीत, तब के संदर्भ में रचित किया गया है, जब कोई व्रती, पहली बार छठी मैया का व्रत आरंभ कर रही है, इस गीत के द्वारा छठी मैया को रिझाने, उन्हें अपने द्वारा किए गए पहले व्रत में हुई त्रुटि को माफ़ करने और व्रत से प्रसन्न होकर आशीष देने की कामना कर रही है।
जिसमें पति से स्नेह मिलने की कामना, पुत्र की मंगल कामना, कुल-परिवार की सुख-सम्पन्नता की कामना की गई है।
साथ ही वो घाट पर अति मनोहारी दृश्य को देखकर अति प्रसन्न होकर, छठी मैया से आए हुए उनके अनेकों भक्तों के भी सुख की कामना कर रही है।
छठी मैया से मिलने वाली हजारों असीस की कामना कर रही है।
इस भजन के बोल इस प्रकार हैं, एक बार इन बोल को ऊपर दिए गए भावार्थ के साथ मिलाकर समझेंगे तो यह गीत आपके मन-मस्तिष्क पर छपता चला जाएगा, और आप स्वतः छठी मैया के असीम स्नेह और कृपादृष्टि से जुड़ते चले जाएंगे।
पहिले पहिल छठी मइया
पहिले-पहिल हम कइनी
छठी मइया, बरत तोहार
छठी मइया, बरत तोहार
करीहा क्षमा, छठी मइया
भूल-चूक, गलती हमार
भूल-चूक, गलती हमार
गोदी के बालकवा के दीहऽ
छठी मइया, ममता, दुलार
छठी मइया, ममता, दुलार
पिया के सनेहिया बनइहा
मइया, दीहऽ सुख सार
मइया, दीहऽ सुख सार
नारियर, केरवा, गउदवा
साजल नदिया किनार
साजल नदिया किनार
सूनीहा अरज, छठी मइया
बढ़े कुल-परिवार
बढ़े कुल-परिवार
घाट सजवली मनोहर
मइया, तोर भगती अपार
मइया, तोर भगती अपार
लीही न अरगिया, हे मइया
दीहीं आसीस हजार
दीहीं आसीस हजार
पहिले-पहिल हम कइनी
छठी मइया, बरत तोहार
छठी मइया, बरत तोहार
करीहा क्षमा, छठी मइया
भूल-चूक, गलती हमार
भूल-चूक, गलती हमार
भूल-चूक, गलती हमार
बोलो छठी मैया की जय 🙏🏻
छठी मैया, आप अपने भक्तों पर अपनी कृपादृष्टि, अनुकंपा और स्नेह सदैव बनाए रखियेगा 🙏🏻
छठी पर्व से जुड़ी अन्य post, कृपया इन्हें भी देखें और छठी मैया से पूर्ण रूप से जुड़ जाएं और उनकी हजारों-हजार असीस पाएं।















