Tuesday, 8 April 2025

Story of Life: वो भयानक रात (भाग -2)

वो भयानक रात (भाग -1) के आगे...

वो भयानक रात (भाग -2)




यह कहते हुए सुनीता, उस बच्चे की ओर बढ़ी, जो गिर गया था, पर उसका पैर बड़ी तेज़ी से फिसला गया... 

वो तो सन्नी ने संभाल लिया, वरना आशा के बच्चे के चक्कर में सुनिता की हड्डी ज़रूर टूट जाती...

सुनीता को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो अचानक से फिसलने कैसे लगी थी?

तभी उसने ध्यान दिया कि आशा की 1 साल की बच्ची ने शूशू कर दिया था। 

सुनीता को गिरता देख, आशा बोलने लगी, दीदी अपना ध्यान रखो, इन बस्ती के बच्चों की तो आदत है, गिरते-पड़ते, मारते-पीटते रहने की... 

हम इतनी लोलो-पोच नहीं करते, तुम बड़े लोगों जैसे, वरना तो पाल लिए बच्चे... 

तुम्हारा क्या है, दो बच्चे और office का काम, बस.... 

हमारे जैसे तुम लोग नहीं कर सकते, 10-10 बच्चे और दिनभर मैडमों के नखरे... 

दुनिया भर का शोर और आशा की फालतू की बातें, सुन-सुनकर, सुरेश जी का सिर चकराने लगा, वो अंदर जाने को मुड़े ही थे कि फिर जोर-जोर से दरवाजा पीटने की आवाज आने लगी...

आह! अब कौन?...

आगे पढ़े, वो भयानक रात (भाग -3) में...

Monday, 7 April 2025

Story of Life : वो भयानक रात


वो भयानक रात (भाग -1)



रात गहरा चुकी थी, सब सो चुके थे। हर ओर सन्नाटा पसरा हुआ था।

तभी बहुत तेज दरवाजा पीटने की, साथ ही bell पर bell बजाने की आवाज आने लगी।

सुनीता, सुरेश, श्यामा और सन्नी सब जाग गये।

दरवाजा खोला, तो सामने आशा, अपने बच्चों के‌ साथ खड़ी थी।

थोड़ी ही देर में हुड़दंग और बच्चों के शोरगुल से घर की शांति भंग हो चुकी थी।

श्यामा और सन्नी, सुनीता की ओर प्रश्न सूचक नजरों से देख रहे थे, जैसे पूछ रहे हों, यह सब क्या है माँ?

शांत स्वभाव के सुरेश जी भी, इतनी रात को मंच रही चिल्ल-पों से irritate होने लगे।

सुनीता को भी आशा का इतनी रात को बच्चों के‌ साथ आ जाना, कुछ समझ नहीं आ रहा था।

बहुत संकोच के बाद उसने आखिरकार, आशा से इतना ही पूछा, क्या आशा इतनी देर में बच्चों के साथ क्यों?

पर आशा से ज्यादा बोलना भी कहां होता था, ज़रा कुछ बोलो और उसका tape recorder शुरू हो जाता था, तो बस सुनीता के इतना पूछने भर से वो लगी दहाड़े मार-मारकर रोने...

क्या रात दीदी... मेरे पर परेशानी आएगी, तो और मैं कहां जाती? तुम्हारा ही तो सहारा है... 

वरना बच्चों के साथ हमें इतनी रात को कौन अपने घर आने देगा? तुम भी ना, कुछ समझती ही नहीं हो... 

अभी आशा अपना दुखड़ा सुना ही रही थी कि उसके दो बच्चे सोफे पर ज़ोर-ज़ोर से कूदने लगे और उनके कूदने से सोफे की seat फट गई... 

Seat फटने से एक बच्चा disbalance होकर गिर गया और जोर-जोर से रोने लगा।

अब सुनीता को समझ नहीं आ रहा था कि लाखों रुपए के महंगे सोफे को देखकर दुखी हो या बच्चे को लगी चोट को देखे...

वो अभी ऊहापोह में ही थी कि ज़ोर-ज़ोर से चटाक-चटाक की आवाजें आई, आशा ने दोनों बच्चों को चाटें रसीद दिए थे। 

यह देख, बरबस सुनिता के मुंह से निकल गया, अरे क्या कर रही है? बच्चे को देख उसे चोट तो नहीं लगी है।

यह कहते हुए सुनीता, उस बच्चे की ओर बढ़ी, जो गिर गया था, पर उसका पैर बड़ी तेज़ी से फिसला गया... 

वो तो सन्नी ने संभाल लिया, वरना आशा के बच्चे के चक्कर में सुनिता की हड्डी ज़रूर टूट जाती...

सुनीता को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो अचानक से फिसलने कैसे लगी थी?

आगे पढें वो भयानक रात (भाग - 2) में 


Sunday, 6 April 2025

Bhajan (Devotional Song) : लेगा राम का जो नाम

आज चैत्र नवरात्रि की नवमी है, और आज ही के दिन प्रभु श्री राम का जन्म हुआ था। इसीलिए, इस दिवस को राम नवमी के नाम से भी जाना जाता है।

तो चलिए, प्रभु श्री राम के इस भजन का आनंद लेते हैं और उनकी भक्ति में लीन हो जाते हैं।

लेगा राम का जो नाम


लेगा राम का जो नाम 

होंगे उसके पूरण काम 


नाम लिया जो दशरथ ने 

तो पुत्र रूप में पाया 

वात्सल्यता से परिपूर्ण हो 

मोक्ष उन्होंने पाया 


लेगा राम का जो नाम 

होंगे उसके पूरण काम 


लिया नाम जो मारुति ने 

भक्त शिरोमणि कहलाए

उनसे प्रसन्न हुए प्रभु ऐसे

उनके हृदय में गये समाए 


लेगा राम का जो नाम 

होंगे उसके पूरण काम

 

लिया नाम जो वाल्मीकि ने 

डाकू से ऋषि कहलाए 

रामायण को लिखकर वो

सम्पूर्ण जगत में छाए 


लेगा राम का जो नाम 

होंगे उसके पूरण काम 


लिया नाम जो अहिल्या ने 

पत्थर से नारी बन पायी 

पति के शाप से मुक्त हो 

बैकुंठ में गयी समाई 


लेगा राम का जो नाम 

होंगे उसके पूरण काम  


लिया नाम जो शबरी ने 

भक्ति का रस था पाया 

झूठे बेर खिलाकर भी 

था पुण्य अपार कमाया 


लेगा राम का जो नाम 

होंगे उसके पूरण काम  


लिया नाम जो सुग्रीव ने

तो मैत्री का सुख पाया 

भटक रहा था वन में जो 

उसने राज्य पूरा पाया 


लेगा राम का जो नाम 

होंगे उसके पूरण काम 


सुनो राम नाम की महिमा 

होती है कितनी अपार 

पत्थर पर जो लिखा नाम तो 

समुद्र हो गया पार 


लेगा राम का जो नाम 

होंगे उसके पूरण काम 


आप सभी को राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। प्रभु श्री राम की कृपा हम सभी पर इसी तरह बनी रहे 🙏🏻 




आज का यह भजन, अद्वय ने प्रस्तुत किया है। भजन, पसंद आने पर कृपया उसको comment box पर उसे प्रेरित अवश्य करें 🙏🏻

पूरे भजन का musical video YouTube में uploaded है। उस का आनंद लेने के लिए, दिए गए link पर click करें :

Saturday, 5 April 2025

Recipe : साबूदाना खीर

आज चैत्र नवरात्रि की अष्टमी है। माँ दुर्गा का दिन, माँ जगदंबा की सम्पूर्णता का दिन, उनकी सम्पूर्ण शक्ति और सिद्धी का दिन, देवी मांँ की आराधना का दिन...

तो चलिए आज माँ को महाभोग में साबूदाने की खीर चढ़ाएं...

साबूदाने की खीर बनना आसान नहीं होता है, वो चिपचिपी बनती है, और जल्दी ही जल भी जाती है, इसलिए लोगों द्वारा उसे बनाना पसंद नहीं होता है। 

पर आप जब Shades of Life से जुड़े हैं तो आप की बनाई साबूदाना खीर world best बनेगी। 

Sabudana Kheer




A) Ingredients :

  • Full cream milk - 500 ml.
  • Sugar - 200 gm. or as per taste 
  • Sabudana (sago) - 50 gm. 
  • Dry fruits - 50 gm. (cashews, almonds, pistachios)
  • Foxnut (makhana) - 20 gm.
  • Saffron - 5 to 10 threads
  • Milk powder - 100 gm.
  • Basil seeds - 5 gm. (optional)
  • Green cardamom powder - 1tsp


B) Method :

  1. साबूदाना में पानी डालकर 2 to 2½ hours के लिए रख दें।
  2. Pan में पानी boil होने के लिए रख दीजिए।
  3. जब पानी उबल जाए तो उसमें भीगे साबूदाना को डाल दीजिए, ढक्कन से ढक कर 25-30 minutes तक or transparent होने तक, बीच-बीच में चलाते हुए boil करें।
  4. साबूदाना उबल जाने पर छान लें।
  5. फिर उसे बर्फ से भरे ठंडे पानी में डाल दीजिए। 
  6. Milk powder में थोड़ा सा दूध डालकर paste बना लीजिए।
  7. केसर के धागे थोड़े से दूध में डालकर घोल लें।
  8. Dry fruits (काजू, बादाम और पिस्ते) को finely chop कर लीजिए और मखाने को mixer grinder jar में डालकर coarsely grind कर लें।
  9. दूसरे pan में, दूध और चीनी डालकर गाढ़ा होने रख दें।
  10. बीच-बीच में चलाते रहें।
  11. जब दूध थोड़ा गाढ़ा हो जाए, तो उसमें मखाना-मेवा डाल दीजिए। 
  12. अब इसमें milk powder का paste डालकर थोड़ा और चला लें।
  13. अब इसमें boiled साबूदाना डालकर proper consistency आने तक चलाते हुए पकाएं। 
  14. अब इसमें केसर दूध और छोटी इलायची पाउडर मिलाकर अच्छे से चला लें।
  15. अब इसे refrigerator में रखकर ठंडा कर लें। 
  16. सब्जा बीज (तुलसी के बीज) को पानी में 2 hours के लिए soak करने के लिए रख दीजिए।
  17. 2 hours बाद छानकर उसे fridge में रख दीजिए।
  18. Serving के समय, कांच के glass में खीर pour कर दीजिए, ऊपर से भीगे हुए सब्जा बीज से garnish करें।

Your tasty, healthy and vrat-friendly Sabudana Kheer is ready to serve.


C) Tips and Tricks :

  • साबूदाने को तीन से चार बार अच्छे से धो लें। इससे साबूदाने का extra starch निकल जाता है। जिससे उसके चिपचिपे होने की tendency कम हो जाती है।
  • गर्म पानी में डालने से साबूदाना चिपचिपा नहीं होता है। 
  • पूरा boil हो जाने के बाद ठंडे पानी में डालने से एक-एक साबूदाना अलग-अलग हो जाता है। इस तरह से पके साबूदाने को दूध में डालने से न तो वो आपस में चिपकते हैं, न‌ तली में लगकर जलते हैं। 
  • खीर चिपचिपी न बनकर खिली-खिली बनती है।
  • सब्जा बीज बहुत healthy option है और खीर में डालने से taste next level पर पहुंच जाता है। साथ ही बहुत healthy option बनाता है। पर यह पूरी तरह से optional है। आप इसे अपने taste के according डाल सकते हैं।


Benefits of basil seeds : Digestion में सुधार, weight घटाने में मदद, blood sugar को नियंत्रित करना, और immunity अच्छी करना।

In short, साबूदाना खाने से indigestion, weight gain, blood sugar level high होने की संभावना रहती है, तो अगर आप तुलसी बीज(सब्जा) डाल देंगे तो आपकी dish balance हो जाएगी और वो भी taste को और enhance करके, but choice is yours...

आज ही माता रानी के महाभोग में साबूदाने की खीर बनाएं और उनकी ढेरों कृपा का लाभ उठाएं।

जय माता दी 🚩 

Friday, 4 April 2025

Article : Legendry Manoj Kumar

कहा जाता है, साहित्य और फिल्में समाज का दर्पण होती है। कुछ हद तक सही भी है। 

या यह भी कहा जा सकता है साहित्य और फिल्में, समाज की गुरु भी होती हैं। क्योंकि समाज का प्रतिनिधित्व करती फिल्में बहुत कुछ सिखा भी जाती हैं।

पर्दे पर नजर आने वाले अधिकांश हीरो और हीरोइन अपने निजी जीवन और नाम के लिए ही फिल्मों में काम करते हैं। पर उनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जो अपने समय के superhit hero तो थे ही पर उन्होंने फिल्म में काम करते हुए भी देशप्रेम का परिचय दिया है। 

और ऐसे ही एक हीरो और निर्देशक हैं, मनोज कुमार जी.... 

उनकी देशभक्ति की भावना ने, स्वतः ही कलम को लिखने की प्रेरणा दी है। उनकी देशभक्ति को प्रणाम करते हुए आज का यह लेख आधारित है।

Legendary Manoj Kumar



इनकी superhit films मे बहुत सी देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत फिल्में भी थीं। और यह इस बात से और भी सिद्ध होती है कि मनोज कुमार जी को भारत कुमार के नाम से भी पुकारा जाता था। 

दूसरे शब्दों में कहें तो, अपने देश भारत से,  प्रेम करना और उस पर गर्व करना सिखाया था, मनोज कुमार जी ने...

उनकी देशभक्ति पर आधारित सुप्रसिद्ध फिल्में हैं, उपकार, रोटी कपड़ा और मकान, शहीद, पूरब और पश्चिम और क्रांति...

जितनी यह फिल्म, superhit थी, उतने ही उसके गाने, 

मेरे देश की धरती... 

ओ मेरा रंग दे बसंती चोला...

भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं...

अबके बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे...

दुल्हन चली, ओ पहन चली...

इन फिल्मों और गानो में देशभक्ति की भावना इस तरह से घुली मिली है कि इनके बिना वो माहौल, वो जोश और उत्साह सोच पाना बेमानी लगता है। 

मनोज कुमार जी को बहुत awards मिले हैं।

1973 में Film fare award

Dadasaheb Phalke award 2016

Film fare lifetime achievement award 1999

Film fare awards for direction, in रोटी कपड़ा और मकान व‌ उपकार के लिए...1968, 1975 

Padma Shri award 1992 

Film fare awards for story and dialogues 1968 ( upkar)

Film fare awards for Best editing 1973 (shor)

Screen life time achievement award 2008

Guild award for life time achievement  2012

ऐसे ही बहुत सारे awards मिले हैं।

अगर as a hero मनोज कुमार‌ जी को, आजकल के बच्चों की नज़र से देखेंगे तो, वो कहेंगे कि वो तो हमारी नानी, दादी के समय के हीरो थे, पर अगर देशभक्ति के गीतों की बात करेंगे तो वो उसमें आज भी गुनगुनाते और थिरकते नजर आएंगे। 

आज भी school and college के स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर मनोज कुमार जी की फिल्मों के गीत गाए जाते हैं और उन पर नृत्य किया जाता है।

आज 87 साल की अच्छी और लंबी जिन्दगी को जीते हुए, उन्होंने अपने नश्वर शरीर को त्याग दिया है। 

यूं तो जन्म और मृत्यु, जीवन के अटल सत्य हैं, फिर भी जब कोई legendary personality, इस दुनिया से अलविदा लेती है तो सबकी आंखें नम हो ही जाती हैं। 

उनकी फिल्म शोर का यह अमर गीत, जिसने चंद पंक्तियों में जीवन सार समझा दिया, हमेशा ही उनकी याद दिलाता रहेगा...

एक प्यार का नग़मा है

मौजों की रवानी है

ज़िंदगी और कुछ भी नहीं

तेरी मेरी कहानी है

कुछ पाकर खोना है, कुछ खोकर पाना है

जीवन का मतलब तो, आना और जाना है

दो पल के जीवन से, इक उम्र चुरानी है

ज़िन्दगी और…


मनोज कुमार जी, आपके देश के प्रति अपार प्रेम को शत-शत नमन 🙏🏻 

आपकी पुण्य आत्मा ईश्वर में लीन होकर शान्ति को प्राप्त करें।

Wednesday, 2 April 2025

Short Story : पुराने खिलौने

पुराने खिलौने 


किरण‌ के बच्चे बड़े हो गए थे और अपनी-अपनी नौकरी के लिए दूसरे शहर भी चले गए थे।

जिन बच्चों के शोरगुल से घर में रौनक थी, वो अब शांत और सुनसान हो चला था।

एक दिन घर के काम निपटा कर किरण बच्चों के कमरे में कुछ ढूंढने के लिए गयी, पर वो सामान कहीं नहीं मिल रहा था।

आखिरकार उसने बच्चों के खिलौने की अलमारी खोली तो धड़धड़ा कर बहुत से खिलौने नीचे गिर गये।

सभी पुराने हो चुके थे, कुछ बहुत पुराने भी...

पर उनके गिरते ही, किरण के मन में उनसे जुड़ी यादें नई हो चली थी...

कितना दीवाने थे बच्चे उन खिलौनों के लिए...  कि बंदऔर उसने कितने जतन से जोड़े थे, अलमारी भर कर खिलौने...

पर आज सब बच्चों के बिना, बेकार से प्रतीत हो रहे थे। 

वो यादों में खोई थी कि घंटी बजी, प्रेस के कपड़े लिए प्रेमा अपनी बेटी मोहिनी के साथ खड़ी थी। 

मोहिनी, अपने नाम सी ही सबको बड़ी जल्दी अपनी ओर मोह लेती थी।

किरण भी, जब वो आती थी, उसको कुछ न कुछ अवश्य देती थी।

किरण ने देखा, मोहिनी एकटक उसके हाथ की तरफ देखे जा रही थी। 

दरअसल किरण, दरवाजा खोलने आई थी तो एक छोटा सा खरगोश लिए ही चली आई थी और बच्चे तो खिलौनों के दीवाने होते ही हैं...

मोहिनी की चमकती आंखों को देख कर किरण का मन पसीज गया और उसने अपने बेटे के favourite खरगोश को मोहिनी को दे दिया।

मोहिनी खरगोश पाकर खुशी से नाचने लगी और किरण से प्यार से चिपक गई। मोहिनी के प्यार को पाकर किरण भी अभिभूत हो गई।

प्रेमा बोली, दीदी आप मोहिनी को इतना कुछ देती हैं कि आपके घर कपड़े देने आती हूं तो यह भी पीछे पीछे चली ही आती है। यह कहते हुए प्रेमा भी खुश नज़र आ रही थी। 

प्रेमा के जाने के बाद, किरण ने बारी-बारी से दोनों बच्चों को फोन किया, और बताया कि खरगोश दे दिया और बाकी भी खिलौने दें, मोहिनी को?

बेटी ने अपने कुछ favourite खिलौने छोड़ कर बाकी सभी खिलौने दें देने को बोल दिया। बेटा खरगोश देने के कारण थोड़ा नाराज़ हुआ, पर बाद में उसने भी कुछ खिलौने देने को बोल दिया।

अगले दिन किरण, एक बड़े से bag में बहुत सारे खिलौने भरकर, मोहिनी को देने ले गई।

वहां पहुंच कर उसने वो सारे खिलौने बाहर निकाल दिए...

खिलौनों को देखकर, मोहिनी कुछ बोलती, उससे पहले ही जगदीश बोल उठा, क्या मैडम, इतने‌ सारे पुराने खिलौने क्यों लेकर आ‌ई हो मेरी बेटी के लिए?

यह मोहिनी भी न, जाने क्या कह आती है सबको कि लोग अपने घर का कूड़ा हमारे घर खाली करने आ जाते हैं। और हम रद्दी वाले को रद्दी बेच बेचकर परेशान हो जाते हैं।

सुनकर किरण को बहुत बुरा लगा, वो सारे खिलौने उठाने लगी, तभी एक रद्दी वाला आया।

जगदीश ने उसको बेचने के लिए, बहुत सारे पुराने खिलौने और सामान निकाले। उनमें, किरण का दिया हुआ खरगोश भी शामिल था। 

किरण ने देखा कि सामान पुराने अवश्य थे, लेकिन सभी ठीक अवस्था में थे।

उसने तुरंत वो खरगोश उठा लिया और जगदीश को बोला, यह पुराने खिलौने, मेरे बच्चों की खुशी और मीठी यादें थी, और यह सभी एकदम ठीक हैं, कोई कूड़ा नहीं हैं। इन्हें मैं मोहिनी को इसलिए देने आई थी, क्योंकि खिलौने देखकर उसकी आंखें खुशी से चमकने लगती हैं, जो उसके सुखद बचपन को दर्शाती है।

पर जब तुम्हें कद्र नहीं है, अपनी बेटी की आंखों की चमक की, तो मैं क्यों अपने बच्चों की मीठी यादों को तुम जैसे हृदयहीन इंसान को दूं।

यह कह कर वो अपने सारे  खिलौनों को अपने साथ लौटा लाई, कभी न देने के लिए, क्योंकि यादों का बहुमूल्य होना, सिर्फ वो ही समझता है, जिसकी वो हो, बाकी के लिए वो पुराना होता है।

Tuesday, 1 April 2025

Poem : बना दिया April Fool

बना दिया April Fool



माता रानी का आगमन,

मौसम भी अनुकूल।

हर दिल से मिटाने को

भारत की संस्कृति, 

बना दिया अप्रैल फूल।


कहीं अंग्रेजों के जाने से, 

भारत को आजाद बनाने से।

उनका अस्तित्व न हो धूल,

इसी डर से उन्होंने

बना दिया अप्रैल फूल। 


पर हम कब तक छलेंगे,

उनके बनाए रिवाजों।

पर यूं ही चलेंगे,

तोड़ेंगे अब वो दस्तूर, 

नहीं बनाएंगे अप्रैल फूल।


Sunday, 30 March 2025

Bhajan : मैय्या जीवन भर यह कमाल रखना

मैय्या जीवन भर यह कमाल रखना



मेरे सिर की चुनरिया को लाल रखना,

मैय्या जीवन भर यह कमाल रखना।


पहनूं मैं लाल-लाल साड़ी,

गहनों से मैं खुद को सजाऊं,

मांग के सिंदूरा को लाल रखना।


मैय्या जीवन भर यह कमाल रखना,

मेरे सिर की चुनरिया को लाल रखना।


पहनूं मैं भर-भर चूड़ी,

हाथों को मेहंदी से सजाऊं,

माथे की बिंदिया को लाल रखना।


मैय्या जीवन भर यह कमाल रखना,

मेरी सिर की चुनरिया को लाल रखना।


पहनूं मैं छम-छम पायल,

बिछुओं से मैं पांव सजाऊं, 

महावर का रंग मेरा लाल रखना।


मैय्या जीवन भर यह कमाल रखना,

मेरे सिर की चुनरिया को लाल रखना।




पूरे भजन का आनंद लेने के लिए, दिए गए youtube link पर click करें : 

आप सभी को चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏻 

Saturday, 29 March 2025

Article : चैत्र नवरात्रि, हिन्दू नववर्ष

हिन्दू धर्म में कुछ देवी-देवताओं का मुख्य स्थान है, जो सृष्टि के सृजन, पालन और विध्वंस के कार्य को सुचारू रूप से करते हैं। जैसे भगवान ब्रह्मा जी, श्री हरि विष्णु जी और देवों के देव महादेव... इनके साथ ही शक्ति स्वरूपा देवी जगदंबा का भी विशेष स्थान है।

माता रानी की पूजा-अर्चना को विशेष रूप से साल‌ में दो बार नवरात्रि के रूप में आयोजित किया जाता है।

चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि...

इसमें चैत्र नवरात्रि को हिन्दू नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। इसकी महत्ता माता रानी के साथ-साथ, भगवान श्री हरि विष्णु जी के सातवें अवतार भगवान श्री राम जी के जन्म के कारण और बढ़ जाती है।

पर क्या कारण है कि चैत्र नवरात्र को हिन्दू नववर्ष भी कहा जाता है। तो चलिए जान लेते हैं इसके पीछे का कारण, आज की post में…

चैत्र नवरात्रि, हिन्दू नववर्ष


चैत्र नवरात्रि से हिन्दू नववर्ष शुरू होने के पीछे कई धार्मिक कारण हैं।


1) पौराणिक मान्यता के अनुसार :

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही की थी। इसलिए इसे सृष्टि का प्रथम दिन माना जाता है।


2) सौर और चंद्र गणना के अनुसार :

किसी भी धर्म का calendar, सूर्य और चन्द्र की गणना के अनुसार निर्धारित किया जाता है। उसी प्रकार हिन्दू पंचांग भी आधारित है, आइए जान लेते हैं क्या कहता है हिन्दू पंचांग।

हिन्दू पंचांग चंद्र-सौर गणना पर आधारित होता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नव संवत्सर (हिंदू नववर्ष) का प्रारंभ माना जाता है। इसी दिन से विक्रम संवत और हिंदू पंचांग का नववर्ष शुरू होता है। इस चैत्र नवरात्र को विक्रम संवत 2082 की शुरुआत होगी।


3) ऋतु परिवर्तन और प्राकृतिक महत्व :

जब पौराणिक मान्यता और सूर्य चन्द्र गणना के अनुसार देख लिया है तो ऋतु परिवर्तन और प्राकृतिक रूप में भी देख लेते हैं, क्योंकि हिन्दू धर्म में ऋतु और प्रकृति को भी बहुत महत्व दिया जाता है।

चैत्र मास से ही वसंत ऋतु आरंभ होती है, जिसे जीवन, नई ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। खेतों में नई फसलें तैयार होती हैं, जिससे इसे प्रकृति के नवजीवन का भी प्रतीक माना जाता है। 


4) भगवान श्री राम का जन्म :

दोनों नवरात्रि में शक्ति स्वरूपा देवी जगदंबा की आराधना की जाती है, पर दोनों ही नवरात्रि में सम्पूर्णता, भगवान श्री राम से जुड़े प्रसंगों के साथ ही होती है।

जैसे शारदीय नवरात्र, भगवान श्री राम के विजयी दिवस, दशहरा पर्व के साथ सम्पूर्ण होती है।

वैसे ही चैत्र नवरात्र, भगवान श्री राम के जन्म दिवस के साथ सम्पूर्ण होती है। चैत्र शुक्ल की नवमी में भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था। 


महाराज विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की शुरुआत भी इसी दिन की थी। सनातन हिन्दू धर्म का पंचांग विक्रम संवत पर ही आधारित होता है। यह भी एक कारण है चैत्र नवरात्रि को हिन्दू नववर्ष भी कहा जाता है।

नवरात्रि का पहला दिन माँ दुर्गा के पूजन के लिए समर्पित होता है, जिससे यह और भी शुभ माना जाता है। 

उदिता तिथि के अनुसार, कल से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो रही है, अतः सोचा आज इसी विषय पर कलम चलाई जाए...

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 29 मार्च को शाम 4:30 बजे होगी, और समापन 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे होगा। इस दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है।

चैत्र नवरात्रि व हिन्दू नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐 🙏🏻 

मातारानी हम सभी पर अपनी कृपादृष्टि सदैव बनाए रखें 🙏🏻 

जय माता दी 🚩

Friday, 28 March 2025

Tips : फलों का रहस्य

आजकल लोग बहुत ज्यादा health conscious हो गये हैं, एक तरह से देखा जाए तो, बढ़ती हुई बीमारियों को control करने के लिए यह काफ़ी हद तक सही भी है। ऐसे में fruits की demand बढ़ना तो लाज़मी है।

तो सोचा, आज आपको ऐसी tip share कर रहे दें , जिसको हर कोई जानना चाहता है, और वो है मीठे फलों की पहचान...

फलों का रहस्य


फलों की पहचान उसकी खुशबू और texture से पता करते हैं।

फल डंठल से जहां से जुड़ा होता है, खुशबू उसी जगह पर सूंघी जाती है। उस जगह पर particular फल की बहुत तेज खुशबू आती है, जो उसके मीठे होने का significance है।

फल के texture के साथ पहचान अलग-अलग होती है, तो वो भी देख लीजिए। 


1) Mangoes (आम) :

सबसे पहले आपको फलों के राजा और गर्मियों की शान आम के विषय में बताते हैं। जिस आम की skin tight होगी, और उसमें shining होगी, वो मीठा और सही पका हुआ होगा। Skin loose और wrinkle होगी तो आम overripe हो चुका होगा और उसकी मिठास भी जाती रही होगी।


2) Grapes (अंगूर) :

आपको भी लोमड़ी की तरह अपने favourite grapes को यह कह कर न छोड़ने पड़े कि अंगूर खट्टे हैं। Jokes apart, पर मीठे अंगूर की तलाश तो सबको ही रहती है तो जान लीजिए, लंबे अंगूर मीठे और छोटे अंगूर खट्टे होते हैं। 


3) Watermelons (तरबूज) :

गर्मियों की दूसरी शान मोटे-मोटे और लंबे-लंबे तरबूज़ हर फल वाले के पास मिल जाते हैं। इनका rate reasonable भी होता है तो अमीर से लेकर गरीब तक हर किसी के घर में जरूर आता है तो चलिए जान लेते हैं इसका texture क्या कहता है।

डंठल के पास का हिस्सा मोटा और बड़ा है तो तरबूज मीठा होगा और यदि वो हिस्सा छोटा और पतला है तो तरबूज फीका होगा।


4) Coconuts (नारियल) :

नारियल एक ऐसा फल है, जिसे medically भी doctors के द्वारा recommend किया जाता है। तो चलिए देख लेते हैं, कौन सा नारियल क्या कहता है।

यहां हम fresh नारियल की बात कर रहे हैं। हरे नारियल में ज्यादा पानी और पीले नारियल में कम पानी होता है।


5) Apples (सेब) :

सदाबहार फल और health conscious लोगों की पहली पसंद सेब की पहचान इस तरह से है।

मीठी खुशबू, लाल या थोड़ा लाल-पीला रंग, medium size का सेब लेना चाहिए, अधिक बड़ा या ज्यादा छोटा सेब मीठा नहीं होता है, दूसरा दबाने से रस निकलना उसके रसीले और tasty होने का reason होता है।


6) Bananas (केला) :

दूसरा सदाबहार फल केला, जो कि easily available, reasonable price में मिल जाता है। बाकी ऊपर बताए, सभी फलों के comparatively केला, ऐसा फल है जो सबसे ज्यादा energy देता है और पेट भी भर देता है।

अच्छे केले की पहचान है कि वो थोड़ा spotted होना चाहिए, वो ही पका हुआ और मीठा होगा। एकदम चिकनी skin होना, केले के कच्चे और फ़ीके होने का संकेत है।


इन फलों के अलावा अगर आप को किसी और फल की पहचान जाननी हो तो comment box में पूछ लीजिएगा।

Stay healthy, stay happy...

Monday, 24 March 2025

Poem : भागते-भागते

यह रचना, आजकल की भागती-दौड़ती जिंदगी पर आधारित है, आप भी इसे पढ़ें और सुनें।

शायद आपको भी वही अनुभव हो, जो हमें हुआ है...

भागते-भागते


भागते-भागते 

कब यह शाम हो गई 

ज़िन्दगी सारी यूं ही 

तमाम हो गई 

भागते-भागते 


कब कहां, जाने कैसे  

रह गए सब ही पीछे 

अपनों से ही दूरियां 

बेनाम हो गई 

भागते-भागते 


आ के मंज़िल पर 

है पता यह चला 

खुशियां सारी ही अपनी 

बेदाम हो गई  

भागते-भागते 


मिली थी जो खुशी 

तलाश उसकी थी नहीं 

सच्चे सुख की तलाश 

नाकाम हो गई 

भागते-भागते




अपना अनुभव हमें comment box में जरूर बताइएगा, पढ़कर हमें खुशी होगी और प्रेरणा भी मिलेगी 🙏🏻😊

Thursday, 20 March 2025

Article : World Storytelling Day

आज विश्व कहानी दिवस (world storytelling day) है। ये हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को कहानियों के माध्यम से जोड़ना और कहानी कहने की कला को बढ़ावा देना है। 

कहानी कहना या सुनाना, एक ऐसी कला है, जिससे कठिन से कठिन और boring से boring topic, बहुत सरलता से समझाया जा सकता है।

यहां तक कि यदि कथावाचक (story teller), अपनी कथा (story) को interesting way में सुनाता है, तो वो कहानी, मन-मस्तिष्क पर ऐसी अमिट छाप छोड़ती है कि ज़िन्दगी भर याद रहती है।

चलिए जानते हैं कि कहानी दिवस को मानने के मुख्य कारण क्या है...

World Storytelling Day


1) लोगों को जोड़ना :

यह दिन दुनिया भर के लोगों को एक साथ लाता है, ताकि वे कहानियों के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ सकें और अपने experience को share कर सकें।


2) कहानी कहने की कला को बढ़ावा देना :

यह दिन कहानी कहने की कला को प्रोत्साहित करता है और उन लोगों को एक मंच प्रदान करता है जो कहानी सुनना और लिखना पसंद करते हैं।


3) सांस्कृतिक विविधता को उजागर करना :

कहानी दिवस विभिन्न संस्कृतियों और कहानियों को उजागर करने का एक अवसर है, जिससे लोगों को दुनिया के विभिन्न हिस्सों के बारे में जानने का मौका मिलता है।


4) कल्पना और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना :

कहानियाँ लोगों को अपनी कल्पना और रचनात्मकता को विकसित करने में मदद करती हैं, और कहानी दिवस इस प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है।


कहानियाँ हमें जीवन के बारे में, अपने बारे में और दूसरों के बारे में सिखाती हैं। कहानी सुनाना छात्रों के लिए अन्य संस्कृतियों के प्रति समझ, सम्मान और प्रशंसा विकसित करने का एक अनूठा तरीका है, और यह विभिन्न देशों, जातियों और धर्मों के लोगों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा दे सकता है। 

इस आयोजन का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह अपनी तरह का पहला वैश्विक कहानी उत्सव है, और यह अक्सर एक-दूसरे से दूर काम करने वाले कहानीकारों के बीच संबंध बनाने में महत्वपूर्ण रहा है। यह एक कला के रूप में कहानी की ओर जनता और मीडिया का ध्यान आकर्षित करने में भी महत्वपूर्ण रहा है।

यह मंच, कहानीकारों और कहानी श्रोताओं दोनों को एक साथ शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हैं। इस बार के कथा दिवस का topic है, Deep Water.

यह दिवस, हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, पर इसलिए नहीं कि हम कहानीकार हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि कहानियां ही हैं, जिन्होंने हमें आप से जोड़ा है।

आप हमसे केवल श्रोता के रूप में नहीं जुड़े हैं, बल्कि बहुत बार आप ने बहुत प्रेरणा देने वाली कहानी लिखने को भी प्रेरित किया है।

तो आज कहानी दिवस के दिन आप सभी को कहानियां सुनने, प्रेरणा देने और कहानियां लिखते रहने को प्रेरित करने के लिए अनेकानेक आभार 🙏🏻 

ऐसे ही, अपने आशीर्वाद और प्यार के साथ हम से जुड़े रहें🙏🏻😊

विश्व कथा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐 

Tuesday, 18 March 2025

Short Story : बदलता समय

बदलता समय 


मीरा अपने बेटे संजय के साथ लोगों के घरों में बर्तन झाड़ू-पोंछा का काम किया करती थी।

संजय मेहनती था और बड़े मन से अपनी मां के साथ काम करता था।

जब वो बड़ा होने लगा, तो क्योंकि वो लड़का था तो बहुत से लोगों ने उससे घर में काम करवाने से मना कर दिया था। क्योंकि उनके घर की बेटियां बालिग हो रही थीं।

Social society, ऐसी ही है, जहां घर में लड़कियां होती हैं, वहां लोग लड़कों से घर का काम कराने के इच्छुक नहीं रहते हैं।

पर काम की क्या कमी है, जो मेहनती हो उसके लिए..

उसने खाना बनाकर बेचने वाले ठेलों में, छोटे ढाबे इत्यादि में बर्तन धोने का काम करना शुरू कर दिया। 

वहां पैसे अच्छे मिल रहे थे, पर मेहनत और डांट भी ज्यादा पड़ रही थी।

उसने सोचा कि किसी ऐसी जगह काम करें, जहां पैसा अच्छा हो और मेहनत कम...

उसने काम के साथ ऐसा कुछ काम ढूंढने शुरू कर दिए, जो उसे करने की इच्छा थी।

और फिर एक दिन उसे ऐसा काम मिल भी गया, उसे बारातघर में काम मिला...

क्योंकि वो घर-घर जाकर अपनी मां के साथ काम कर चुका था और कुछ संभ्रांत लोगों ने उसे बोलने-बैठने की तमीज सिखा दी थी, तो उसे वहां, बर्तन धोने के काम की बजाए, serving का काम मिल गया।

अब उसे डांट नहीं पड़ती थी, साथ ही बर्तन, झाड़ू-पोंछा के काम से भी छूट मिल गई थी, तो उसके भाव बढ़ने लगे।

एक दिन किसी घर में झाड़ू लगा रही थी, उसी समय वो अपनी मां से पैसे मांगने आया। मां बोली, बेटा थोड़े बर्तन तू धो दें तो काम जल्दी खत्म हो जाएगा, फिर दोनों साथ घर चल देंगे।

उसने तुनक कर कहा, मैं झाड़ू-पोछा, बर्तन जैसे छोटे काम नहीं करता, तू ही कर... मुझे तो बस पैसा दे।

मां बोली, क्यों चाहिए?

वो बोला, मुझे कपड़े खरीदने हैं, वैसे उस समय वो अच्छे-खासे कपड़े ही पहने हुआ था।

मां बोली, अभी कुछ दिन पहले ही तो तूने लिए थे, इतनी जल्दी फिर क्यों?

वो फिर ऐंठ कर बोला, अरे मां तुझे कुछ अक्ल तो है नहीं, तू रखना यही छोटे काम करने वालों जैसी छोटी सोच... 

मैं अब तेरे जैसे महीना-दो महीना, एक ही कपड़े में नहीं गुजार सकता। मुझे तो अब शर्म आती है, सबको यह बताते हुए कि मेरी मां बर्तन झाड़ू-पोंछा करती है। 

चल अब जल्दी से पैसा दे, मेरे पास बहुत समय नहीं है, तेरे साथ माथा फोड़ने का...

मीरा मन मसोस कर रह गई, आखिर जिस बेटे के लिए, उसने घर-घर जाकर बर्तन झाड़ू-पोंछा आदि करने का काम किया, आज उसे ही उसके होने पर शर्म की बात लगने लगी है।

खुद तो कोई बहुत ऊंचे स्तर की नौकरी नहीं कर रहा है, पर घमंडी देखो कितना हो गया है। अगर वाकई कोई अच्छी नौकरी करता होता, तो ना जाने आज कितना घमंड कर रहा होता…

जब लोगों के घर काम करने पर, कोई उसे यह एहसास करता था कि वो छोटे स्तर का काम करती है, तो उसे हमेशा यही लगता था कि यह लोग क्या समझेंगे, बचपन से ही रुपए-पैसों से भरपूर रहे हैं।

कोई हम जैसा काम करके, कुछ बड़ा करें, उसे हमारी कीमत होगी।

लेकिन आज जिस तरह से उसके अपने बेटे ने उसे नीचा दिखाया है, ऐसा तो कभी किसी ने नहीं किया...

सच में बदलता समय, लोगों के व्यवहार बदल देता है। जो व्यक्ति हर मायने में बड़ा होकर भी अपने से छोटे लोगों से शिष्टता से बात करता है, वो सच में महान व्यक्ति है।

जिन ऐसे अच्छे लोगों के घर वो काम करती थी, उनके लिए उसके मन में श्रद्धाभाव बहुत अधिक बढ़ गये।

Friday, 14 March 2025

Poem : रंगों का मिलन

होली एक ऐसा त्यौहार है, जिसके हर रंग में प्यार है, हर ओर उत्साह और उमंग की बहार है। अगर बात करें बच्चों की, तो उनका सबसे पसंदीदा त्यौहार है।

तो आज की यह कविता, जिसे अद्वय ने लिखी है, आप सभी को साझा कर रहे हैं। पसंद आने पर उसका उत्साह वर्धन अवश्य करें 🙏🏻😊

रंगों का मिलन


जहाँ होता है रंगों का मिलन,

खुशी, उमंग और उत्साह का मिश्रण।

वही त्यौहार तो है होली,

जिसमें होती है बस प्रेम की बोली।


जब गुझिया बनती घर-घर में 

जब गुलाल उड़ता है अम्बर में।

जब पिचकारियां हो जाएं तैयार,

और उमड़ आए सब में उमंग अपार।


जब फूल खिल उठते हैं डाली पे,

जब भर जाते हैं लोग खुशहाली से।

जब केशव खेलें राधा संग,

और झूम उठे हर एक तरंग।


जब पीते सब शीतल ठंडाई,

और चट कर जाते सारी मिठाई।

जब पक्षी करते हैं कलरव,

बस यही है, होली का उत्सव।।




आप सभी को होली के रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐🙏🏻😊 

Thursday, 13 March 2025

Poem : होलिका दहन - दहन अवगुणों का

होलिका दहन - दहन अवगुणों का


चंद लकड़ियों का बनाकर ढेर,

उसमें आग लगा देना,

होता नहीं है होलिका दहन।


इसमें दहन होता है संताप का।

मन में छिपे हुए छल, कपट, पाप का।।


तपाते हैं, पूजन करते समय मन।

जिससे वो बन जाए कुंदन।।


उसमें रह जाए, सत्य और विश्वास।

शुद्ध हो जाए, सम्पूर्ण श्वास।।


जिससे जब खेलें, अगली सुबह रंग।

तब मन में रहे प्रेम की तरंग।।


पुलकित हो पाकर सब का संग।

जीवन में खुशियां हो अंतरंग।। 

Wednesday, 12 March 2025

Short Story : Permission

 Permission




स्निग्धा, बेहद खूबसूरत और सीधी-सादी सी लड़की थी। 

उसके बचपन में ही उसकी मां का साया, उससे हमेशा के लिए दूर हो गया।

जिसके कारण वो बहुत ही गुमसुम और खामोश, अपने में खोयी हुई सी रहती।

उसका एक कारण शायद यह था कि उसके पिता सुखदेव, उसको लेकर बहुत चिंतित रहते थे, वो उसे जितना अधिक चाहते थे, उतने ही अधिक strict भी... 

कोई भी काम स्निग्धा, सुखदेव जी से पूछे बिना नहीं कर सकती थी। 

स्निग्धा बड़ी हुई तो उसकी शादी शिखर से हो गयी।

स्निग्धा, जितनी introvert थी, शिखर उतना ही extrovert..

स्निग्धा अब हर काम, शिखर की permission से करने लगी। हालांकि शिखर को यह बिल्कुल पसंद नहीं था, पर स्निग्धा, बिना permission के एक पत्ता न हिलाती।

स्निग्धा खाना बहुत स्वादिष्ट बनाती थी, जो भी एक बार उसके हाथ का बना खाना खा लेता, तो बड़े से बड़े होटल का खाना भूल जाता...

एक दिन शिखर के मामा मामी आए थे तो स्निग्धा ने उनके लिए बहुत variety का खाना बनाया। 

मामा जी का hotels में laundry provide करने का business था। 

जब उन्होंने स्निग्धा के हाथ का खाना खाया, तो वो ख़ुशी से उछल गये।

बोले, अरे मेरी बिटिया रानी, तुम कहां थी अब तक?

किसी को समझ नहीं आया कि मामा जी ऐसे क्यों बोल रहे हैं, सब मामा जी की ओर ताकने लगे।

मामा जी बोले, अरे शिखर, तूने कोहिनूर हीरा छिपा रखा है।

तू तो जानता ही है कि मेरा hotels में laundry provide कराने का business है। एक से बढ़कर एक बड़े होटल में उठना बैठना है। पर कहीं इतना स्वादिष्ट भोजन नहीं खाया।

स्निग्धा को अपना खुद का एक होटल खोलना चाहिए। 

मामा जी के द्वारा इतनी अधिक तारीफ सुनकर, एक बार को  स्निग्धा के मन में भी अपना होटल खोलने की इच्छा हुई। उसने कहा, मामा जी उसका finance कहां से आएगा।

चाहो तो 20% की partnership पर मैं finance कर दूं।

सुनकर, स्निग्धा को अपना सपना, सच होता दिखने लगा, एक ऐसा सपना, जिसे उसने खुली आंखों से देखा था, पर कभी किसी को बताया नहीं था।

अब वो permission के लिए, शिखर का मुंह देखने लगी।

पर हमेशा आगे से आगे सोचने वाले शिखर ने permission देने से इंकार कर दिया।

स्निग्धा बेहद मायूस हो गई। क्योंकि बिना शिखर की permission के स्निग्धा कुछ नहीं सोच सकती थी। काम तो छोड़ो, वो शिखर की permission के बिना घर से एक कदम बाहर तक नहीं निकालती थी। 

मामा जी को भी शिखर का रवैया नागवार गुजरा, उन्हें बिल्कुल अंदाज नहीं था कि शिखर permission देने को मना कर देगा।

वो नाराज़ होकर जाने लगे तो शिखर बोला, रुकिए मामा जी, एक बात सुनकर जाइएगा। मैंने न अभी permission दी है न कभी दूंगा। 

बल्कि मैं होता कौन हूं, जो इसको permission दूं, न मैं इसका पिता हूं, न गुरु,‌ और न मालिक...

मैं इसका जीवनसाथी हूं, तो मेरा हक, मेरा अधिकार यह है कि, मैं इसका साथ दूं न कि इसे permission दूं।

तो मेरी प्यारी स्निग्धा, मैं तुम्हें permission नहीं दूंगा, बल्कि तुम्हारा साथ दूंगा, उस हर जगह, जहां तुम चाहोगी...

स्निग्धा प्यार से शिखर को देख रही थी कि उसे कितना अच्छा जीवन साथी मिला है, जिसे सही मायने में जीवन साथी होने का अर्थ पता है।

Monday, 10 March 2025

Article: जीत है प्रचंड

जीत है प्रचंड 



कल की शानदार जीत के साथ भारत ने तीसरी बार Champions Trophy पर अपना नाम लिख दिया है,  और इसके साथ ही बहुत सी history भी create कर ली है।

1983 में कपिल देव की captaincy में भारत ने पहला ODI World Cup जीता था। उससे पहले भारत में cricket, एक विदेशी खेल समझा जाता था, लेकिन जीत के साथ ही boys का favourite game बन गया, चाहे वो छोटे बच्चे हों या युवा...

पर 1983 में World Cup जीतने के बाद, India फिर बहुत सालों तक world Cup नहीं जीत पाई।

ICC ने 1998 में एक ओर tournament introduce की, जिसका नाम था, ICC knockout trophy... क्योंकि इसका format ही knockout था, जिसमें सबसे पहले South Africa ने जीता था।

2002 में इसका नाम बदलकर Champions Trophy या Mini World Cup रख दिया गया।

World Cup के बाद, Champions Trophy को ही सबसे अधिक prestigious समझा जाता है।

आइए जान लेते हैं कि 1998 से आजतक कौन सा देश कितनी बार champions trophy जीता। 

FULL LIST OF ICC CHAMPIONS TROPHY WINNERS

1998: South Africa (beat West Indies in the final)

2000: New Zealand (beat India in the final)

2002: India & Sri Lanka

2004: West Indies (beat England in the final)

2006: Australia (beat West Indies in the final)

2009: Australia (beat New Zealand in the final)

2013: India (beat England in the final)

2017: Pakistan (beat India in the final)

2025: India (beat New Zealand in the final)


कपिल देव के ODI World Cup को India के नाम करने के बाद, सौरव गांगुली की captaincy में India ने अपनी पहली champions trophy, 2002 में श्री लंका के साथ share की। 

फिर आया धोनी, मानो cricket की दुनिया में दूसरे देशों को धोने... महेंद्र सिंह धोनी की captaincy में India ने ODI world Cup, Champions Trophy और T20 World Cup जीता।

मतलब अब तक का सबसे सफलतम captain है महेन्द्र सिंह धोनी, जिसने हर format में अपने देश India को World Cup दिलाया है।

फिर आया रोहित शर्मा... इसकी captaincy में India T20 World Cup जीत चुकी है, कल Champions Trophy भी जीत गयी और साथ में बहुत सारे records भी...


History created :

  • 7 ICC trophies. 
  • 2 ICC ODI World Cup. 
  • 3 ICC Champions Trophy.
  • 2 ICC T20 World Cup.


इसमें 3 बार champions trophy जीतने वाला, India पहला देश है।

दो लगातार ICC trophies जीती है 2024 में T20 World Cup and 2025 में Champions Trophy। ऐसा करने वाला भारत पहला देश है।

इसके साथ ही रोहित शर्मा और विराट कोहली ने अपने नाम 4 ICC title कर लिए हैं। इन दोनों के पास सबसे ज्यादा ICC titles हैं।


Rohit Sharma :

  • 2007 - T20 World Cup 
  • 2013 - Champions Trophy 
  • 2024 - T20 World Cup 
  • 2025 - Champions Trophy 


Virat Kohli :

  • 2011 - ODI World Cup 
  • 2013 - Champions Trophy 
  • 2024 - T20 World Cup 
  • 2025 - Champions Trophy 


कल की शानदार जीत के बाद ईश्वर से यही प्रार्थना है कि रोहित शर्मा की captaincy में India ने T20 World Cup और Champions Trophy, अविजित (series के सारे match जीतते हुए) जीती है। वैसे ही 2027 में होने वाले ODI World Cup में भी विश्वविजेता बने।

सभी खिलाड़ियों को हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएं 🎉 

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳 

Saturday, 8 March 2025

Poem : नारी एक, रूप अनेक

नारी एक, रूप अनेक


प्रीत में राधा बने,

गृहस्थी में जानकी।

काली बनके शीश काटे,

जब बात हो सम्मान की।।


ज्ञान में सरस्वती बने, 

शयन में रम्भा। 

दानवों का दमन करे,

बनके जगदम्बा।।

 

सौम्य से रुद्र तक,

नारी के रूप हैं। 

हर वक्त के अलग-अलग,

उसके स्वरूप हैं।। 


आप सभी को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐

Monday, 3 March 2025

Recipe : Boondi Ki Sabji

आजकल हमारे घर पर construction चल रहा है तो ऐसे में cooking करते समय ध्यान रखना होता है कि ऐसी dish prepare की जाए, जिसमें cooking time और ताम-झाम कम लगे, पर स्वाद भरपूर आए।

अगर आप भी ऐसी ही recipe ढूंढ रहे हैं तो आप की खोज खत्म हुई, क्योंकि आज राजस्थानी cuisine की झटपट और बिना ताम-झाम वाली सब्जी ही share कर रहे हैं।

Boondi Ki Sabji


A) Ingredients :

  • Bhuna masala - 2 tbsp.
  • Boondi - 2 tbsp.
  • Salt - as per taste 
  • Coriander leaves - for garnishing 


B) Method :

हमने भुना मसाला लिया है, जिसकी recipe हम आपको पहले ही बता चुके हैं, अगर आप उसे देखना चाहें तो इस link पर click करें - समाधान समस्या का

  1. कढ़ाही में भुना मसाला लेकर उसमें 1½ glass पानी डालकर, high flame पर दो बार boil कर लीजिए, फिर 5 minutes तक slow flame पर  रहने दीजिए।
  2. अब इसे ढककर रख दीजिए।
  3. Serving के time पर एक और बार boil कर लीजिए और इसमें बूंदी डालकर 1 minute के लिए ढककर रख दीजिए।
  4. अब इसे finely chopped coriander leaves से garnish कर दीजिए।

Boondi Ki Sabji is ready to serve. Relish it with roti, rice etc...


C) Tips and tricks :

  • Gravy ready कर के रख लीजिए, लेकिन बूंदी serving time से 1 minute पहले ही डालिए। जिससे बूंदी मसाला soak कर लें, साथ ही crispy भी रहे।
  • अगर आपको crisp taste नहीं पसंद हो तो आप gravy बनाने के साथ ही बूंदी डाल दें।
  • भुने मसाले और बूंदी दोनों में already नमक है, अतः सब्जी बनाने के बाद पहले taste कीजिए और अगर requirment हो तो अपने taste के according ही नमक add करें। 
  • आप चाहें तो बूंदी भी घर पर बना सकते हैं, उसकी recipe के लिए click करें  - Boondi ka Prasadबस अगर आप सब्जी के लिए बूंदी बना रहे हों तो बेसन के घोल में नमक डाल दीजिएगा और बूंदी बनाने के बाद उसे चाशनी में नहीं डालना है।

Saturday, 1 March 2025

Tips : How to remove stains from iron

पहले कपड़े washing and ironing के लिए जाया करते थे। पर जब से washing machine घर-घर पर आ गई है, तब से mostly washing घर पर ही होने लगी है। और बहुत से घरों पर ironing भी घर पर होने लगी है।

तो आज की tips उन लोगों के लिए useful है, जो घर पर ही ironing करते हैं, क्योंकि कभी न कभी iron (इस्त्री) पर stains लग ही जाते हैं, तो उन्हें कैसे remove किए जाएं। 

How to remove stains from iron


आज home remedies के द्वारा iron में लगने वाले stains remove करेंगे।


1) Baking soda paste :

Baking soda में थोड़ा पानी डालकर  paste बना लें। अब इसे sole-plate पर apply करें और soft cloth से gently scrub करें।


2) Vinegar solution :

अगर tougher stains हैं, तो white vinegar and water का equal mixture ले लीजिए। इस mixture में कपड़े को dip करके soleplate पर whip कर लीजिए।


3) For steam holes :

अगर आप के पास steam holes वाली press है तो cotton swab को vinegar में करके tiny steam vents को clean कर लें। 


4) Salt and vinegar :

Salt and vinegar को equal amount में लेकर scrub ready कर लीजिए और उसे soleplate पर gently rub कर लीजिए।


5) Toothpaste :

Soleplate पर थोड़ा toothpaste apply कीजिए, फिर कपड़े से gently rub करके साफ दीजिए।


Caution! एक बात हमेशा ध्यान रखिएगा कि iron (press) को clean करते समय वो unplugged रहनी चाहिए और पूरी तरह ठंडी हो चुकी होनी चाहिए।

Wednesday, 26 February 2025

Bhajan (Devotional Song) : आया शिवरात्रि का त्यौहार

आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ। देवों के देव, महादेव, हम सभी पर अपनी कृपा-दृष्टि सदैव बनाए रखें। बोलो, हर हर महादेव 🙏🏻 

आया शिवरात्रि का त्यौहार


होके नन्दी पे सवार,

पहने सांपों का हार,

जटा गंगा की धार।


शिव हो गये,

शिव हो गये तैयार।

आया शिवरात्रि का त्यौहार।।


पहने मुंडों की माला,

भभूत तन पे है डाला,

दिखे रूप निराला।


शिव हो गये,

शिव हो गये तैयार।

आया शिवरात्रि का त्यौहार।।


लेकर चले बारात,

भूत-पिशाचों के साथ,

कैसी गजब है रात।


शिव हो गये,

शिव हो गये तैयार।

आया शिवरात्रि का त्यौहार।।



बम बम भोले...

जय बाबा भोलेनाथ की...

Tuesday, 25 February 2025

Story of Life: जीवन क्या है (भाग -4)

 जीवन क्या है (भाग-1),

जीवन क्या है (भाग-2) व… 

जीवन क्या है (भाग - 3)  के आगे...

जीवन क्या है (भाग - 4) 




ऐसे में यही कहूंगा कि,  ऐसे अपनों का सानिध्य, जीवन तो बिल्कुल नहीं है... 

दूसरा प्रश्न था कि क्या धनार्जन जीवन है?

तो बता दें कि धनार्जन से जीवन है, पर जीवन धनार्जन नहीं है।

ईश्वर ने हमें धनार्जन करने के लिए नहीं भेजा है।‌ धनार्जन तो हमने सभ्यता के विकास के साथ करना आरंभ किया है।

पुरातन काल में मनुष्य भी अन्य पशुओं के समान विचरण और भ्रमण करके ही अपना जीवन पोषण करता था, किन्तु समयांतर के साथ ही मनुष्य में धनार्जन करने की बुद्धि विकसित हुई।

तो धन कमाना आवश्यक ज़रूर है पर धन के पीछे सब छोड़ देना सर्वथा अनुचित है। अपना स्वास्थ्य, अपनों का सानिध्य, अपने लिए व्यतीत किए जाने वाला समय, सबको ताक पर रख कर दिन-रात सिर्फ धनार्जन में लगे रहना, किसी भी नजरिए से जीवन नहीं है 

तुमने पूछा था, क्या सफलता जीवन है? 

तो सुनो, सफलता और असफलता तो जीवन के दो पहलू हैं, पर जीवन नहीं...

लक्ष्य की प्राप्ति करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए, किन्तु उसके पीछे सबको भूल जाना उचित नहीं है।

आखिरी प्रश्न, क्या ईश्वर में समर्पण जीवन है?

तो ईश्वर में समर्पण ही तो जीवन है, यह तो सत्य सनातन है।

पर ऐसे में बहुत लोगों के मन में यह विचार आ रहा होगा कि सब कुछ परित्याग कर ईश्वर में समर्पित हो जाना चाहिए? क्या कर्तव्यों से विमुख हो जाना उचित है?

तो उसके लिए यही कहना है, हमारे जन्म लेने के साथ ही हमारे बहुत सारे कर्तव्य भी हम से जुड़ जाते हैं, तो उन सबका निर्वाह करते हुए ईश्वर को समर्पित होना, यही सच्चे अर्थों में जीवन है और इसका सफल और प्रत्यक्ष उदाहरण, स्वयं प्रभु श्री राम जी और भगवान श्री कृष्ण जी ने दिया है।

जब तक कर्तव्यों से जुड़े हैं तब तक कर्तव्यों के साथ ईश्वर में समर्पित रहें और कर्तव्यों का पालन पूर्ण हो जाने के पश्चात्, लोककल्याण करते हुए सम्पूर्ण रूप से ईश्वर में समर्पित हो जाए..

बाकी जीवन का सही अर्थ है समय अवधि, एक सशक्त समय अवधि, जो ईश्वर ने हमें कुछ अर्थपूर्ण करने के लिए दी है। अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम उस दी गई समय अवधि का किस तरह सदुपयोग या दुरुपयोग करते हैं।

यह समय अवधि, एक निश्चित समय तक ही सीमित होती है। और वो कट ही जाएगी, अच्छी-बुरी, सही-गलत वैसी ही जैसे आप कर्म करोगे। 

इन प्रश्नों के उत्तर देने के पश्चात् साधु महाराज जी क्षण भर को मौन हो गये।

थोड़ी देर बाद लगभग सभी आए हुए लोग उठ खड़े हुए और कहने लगे कि आप के इन उत्तरों में ही हमारे भी उत्तर निहित हैं। हमको आप आशीर्वाद दें कि हम सभी अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए ईश्वर को समर्पित हो जाएं।

इसके पश्चात सबको, हाथों में पुष्प लेकर, एक विशेष कक्ष में ले जाया गया। जहां बहुत बड़े बड़े शीशे लगे थे, जिसमें लोगों को अपना ही प्रतिबिंब दिखाई दे रहा था साथ ही कुछ फ्रेम थे, जिसके आगे माता-पिता लिखा था। पर कहीं भी साधु महाराज की मूर्ति नहीं थी।  

लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि कहां पुष्प अर्पित करें। थोड़ी देर बाद सब चले गए और सभी पुष्प वहीं अर्पित थे, जहां माता-पिता लिखा था।