विरासत और आधुनिकता साथ-साथ
कल भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने नये संसद भवन, का उद्घाटन किया था।
बहुत से लोगों ने इस उद्धाटन का प्रसारण देखा होगा, उन्हें गर्व और हर्ष की अनुभूति भी हुई होगी, जबकि वहीं बहुत से ऐसे लोग भी होंगे, जिन्हें पता भी नहीं होगा कि कल भारत के लिए विशेष और सम्मान से परिपूर्ण दिन था।
साथ ही, कुछ ऐसे लोग भी होंगे, जिन्हें यह पता होगा, पर उनके लिए, यह कोई सम्मान का विषय ना होकर, विवाद का, व्यर्थ के व्यय और भर्त्सना का विषय मात्र ही होगा।
उनका कहना होगा कि क्यों व्यर्थ का खर्च करना? देश में कितने गरीब लोग हैं, उनके लिए सोचना चाहिए था, रुपए पैसों से उनकी सहायता करनी चाहिए थी...
आप को इसके लिए, सिर्फ इतनी ही कहना चाहेंगे कि आप अपनी सुविधा का ध्यान रखने से पहले कितनी बार किसी जरुरतमंद के लिए सोचते हैं?
जो अपनी गरीबी को दूर करने के लिए, कठिन परिश्रम और प्रयास करते हैं, उनकी ही गरीबी दूर होती है पर जो पुरुषार्थ का त्याग करके, मात्र दूसरों पर ही आश्रित रहते हैं, वो सदैव गरीबी के दुःख में अपनी जिंदगी गुजार देते हैं।
तो किसी एक के सोचने से या सरकार के करने से ग़रीबी दूर नहीं होगी, बल्कि सभी को इस विषय में सोचना होगा और सर्वाधिक उसे जो गरीब है, क्योंकि उसके स्वयं के मेहनत और प्रयास बिना कुछ संभव नहीं है।
सरकार का कार्य, वैसे भी हर क्षेत्र में सोचना है, किसी एक क्षेत्र में नहीं। उसे देश की आर्थिक व्यवस्था, सुरक्षा, विस्तार, विरासत, आधुनिकता, आदि सभी विषयों में ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
और उन सभी का मिश्रित संगम है, नया संसद भवन...
जिसमें विस्तार भी है, विरासत भी और आधुनिकता भी और उसके साथ ही आत्मनिर्भरता और सम्मान भी..
आत्मनिर्भरता और सम्मान की पहले बात कर लेते हैं। देश की आजादी के 70 साल बाद, हमारे देश की सरकार अपने निर्णय, अपने द्वारा स्थापित संसद भवन में लिया करेगी। अर्थात, अब हम इतने सक्षम हो चुके हैं, जो यह निर्धारित कर सकते हैं कि हमारी क्या आवश्यकता है, और उसे हमें किस तरह से पूर्ण कर सकते हैं।
अब बात करते हैं, विरासत और आधुनिकता की..
विरासत
भारत में जब चोल साम्राज्य था, यह बात तब की है। तब एक राजा, सत्ता को दूसरे राजा को सौंपते समय सेंगोल दिया करता था। सेंगोल सदैव उस राजा के पास रहता था, जो राज्य करता था। वह देश से संबंधित कोई भी निर्णय लेते समय सेंगोल अपने पास ही रखता था।
अब जानते हैं सेंगोल है क्या? जानते हैं उसकी कहानी, उसी की जुबानी
मैं सेंगोल हूं... निष्पक्ष, न्यायपूर्ण शासन का प्रतीक सेंगोल। मैं हिंदुस्तान के इतिहास का हिस्सा हूं, वर्तमान का किस्सा हूं, और एक बार फिर हिंदुस्तान के लोकतांत्रिक भविष्य का हिस्सा बनने पर रोमांचित हूं।
मैं उस स्वतंत्रता का प्रतीक हूं, जिसे पाने के लिए भारत के ना जाने कितने वीर हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। और ना जाने कितने मतवालों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। भारत की आज़ादी की पहली अनूठी सूरत हूं मैं। मैं सेंगोल हूं...
सेंगोल एक राजदंड(राजा के हाथ में रहता है) के रुप में होता है, जो कि चांदी की एक छड़ है, जिस पर सोने का पानी चढ़ा हुआ है, उस छड़ के शीर्ष पर न्याय पूर्ण, निष्पक्ष नन्दी बैल स्थापित है।
देश की आजादी के समय भी, अंग्रेजों से सत्ता स्थानांतरण का कार्य, नेहरू जी ने इसी सेंगोल को धारण करके किया था।
अतः हमारे विरासत से देश की आजादी तक के साक्षी सेंगोल को 11 धर्मों के गुरुओं ने विधि-विधान, पूजा-पाठ के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को सौंप दिया था। जिसे मोदी जी ने, नये संसद भवन में speaker के स्थान से एकदम नजदीक में स्थापित किया।
आधुनिकता
भारत को मिला नया संसद भवन कई खूबियां लिए हुए है। अगले 150 सालों की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाए गए इस भवन में सांसदों, संसदीय कार्यों और आयोजनों की आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखा गया है। इसमें सुरक्षा के साथ-साथ इस भूकंपरोधी इमारत को पर्यावरण के अनुकूल भी बनाया गया है। इसकी डिजाइन और इसके निर्माण के उपयोग में लाई गई सामग्री तक लोगों के लिए कौतूहल है।
इस इमारत की खास बात है इसका विशाल क्षेत्रफल जो कि कुल 64500 वर्ग मीटर है। इसमें लोकसभा के लिए 888 सीटें हैं, जबकि राज्यसभा की 384 सीटें हैं। जबकि अभी तक जो संसद भवन था, उसमें लोकसभा की 543 सीटें और राज्यसभा की केवल 250 सीटें ही हैं। सेंट्रल विस्टा में लोकसभा के कक्ष में सीटों की संख्या 1272 तक बढ़ाने का विकल्प है। लोकसभा का कक्ष संसद के संयुक्त अधिवेशन चलाया जा सके इसके लिए भी तैयार किया गया है।
नए भवन की design में इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि वह पर्यावरण के अनुकूल हो। इसके निर्माण में ग्रीन तकनीकों का उपयोग किया गया है। पुरानी संसद से बड़ी होने के बाद भी इसमें बिजली की खपत में करीब 30% की कमी आ जाएगी। इसके साथ ही इसमें Rainwater harvesting, and water recycling system लगाए गए है और इसे अगले 150 साल की जरूरतों के मुताबिक design किया गया है।
नया संसद भवन, जितना सुरक्षित है, अंदर से उतना ही खूबसूरत भी। लोकसभा का कक्ष मोर की theme पर आधारित है जसकी दीवारों और छत पर मोर के पंखों की design है। वहीं राज्यसभा का कक्ष कमल की theme पर बनाया गया है जिसमे लाल कालीन हैं। दोनों सदनों में एक बेंच पर दो सांसद बैठ सकेंगे और उनकी डेस्क touch screen रहेगी।
इमारत में धौलपुर का बलुआ पत्थर, जैसलमैर राजस्थान का ग्रेनाइट, नागपुर की खास लकड़ी का उपयोग कर मुंबई के काष्ठ कारों ने लड़की की आकृतियों का आकर दिया है।
खूबसूरती के साथ ही इसकी सुरक्षा व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।
इमारत में तीन तरफ से प्रवेश द्वार हैं, जहां से अवसरों के अनुसार राष्ट्रपति, स्पीकर, प्रधानमंत्री जैसे गणमान्य व्यक्ति विशेष तौर पर आवागमन कर सकें।
जहां सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया है, वहीं जनसामान्य और संसद भवन की सैर करने वाले दर्शकों के लिए भी प्रवेश, parliament street के जरिए दिया जाएगा। सभी प्रवेश द्वारों पर कई जानवरों की मूर्तियां रक्षकों की तरह लगाई गई है जिसमें हाथी, घोड़े, चील, हंस, मगर आदि शामिल हैं, जो कि, एक अलग ही आकर्षण पैदा करते हैं।
इस तरह से विरासत और आधुनिकता की मिली-जुली इमारत, भारत को नये संसद भवन सेन्ट्रल विस्टा के रूप में मिली है।
अगर आपको, अपने साथ-साथ, अपने देश के विकास, विस्तार, विरासत से प्यार है, तो नये संसद भवन के उद्घाटन से आपको गर्व महसूस हुआ होगा, अन्यथा यह आपके लिए सामान्य दिवस भर रह गया होगा या विपक्ष की तरह अवसाद और विवाद का विषय बन गया होगा... खैर जिसकी जैसी सोच...
मुझे गर्व है, इस नए भारत पर, जहां विरासत और आधुनिकता साथ साथ विकास कर रही है...
जय हिन्द जय भारत 🇮🇳🙏🏻😊