Saturday, 20 May 2023

Story of Life : रिश्तों की हद (भाग -4)

 रिश्तों की हद (भाग - 1)..

रिश्तों की हद (भाग -2) और

रिश्तों की हद (भाग -3) के आगे...


रिश्तों की हद (भाग -4)



रितिका, तुमने मुझे जो आज समझाया है, ऐसा ना मैंने कभी सोचा, ना ही समझा..

मैं आज ही अपने ससुराल और मायके दोनों तरफ, सबको बता देती हूँ।

जैसे ही श्यामली ने बताया, उसके सास-ससुर तुरंत चल दिए। श्यामली के मां-पापा ने भी शाम तक चलने के लिए कह दिया।

तरुण के बड़े भाई, अरुण एक pharmaceutical company में GM थे, उन्होंंने डाक्टर से बात कर के condition की seriousness समझी, फिर श्यामली को फोन करके कहा, मैंने डाक्टर से बात कर ली है। तुम घबराना नहीं, situation, under control है। मां-पापा रात तक और मैं कल सुबह तक आ जाऊंगा। Operation कल दोपहर का plan हुआ है।

Operation के पहले दोनों परिवारों से लोग पहुंच गए थे। अरुण के बात कर लेने से doctor and hospital ने personal attention दी। Operation, sucessful रहा। 

परिवार और दोस्त सब थे। परिवार के लोगों के आने के बाद, ज्यादातर सारे काम वो लोग ही निपटा दे रहे थे। दोस्तों से कुछ कहने की जरूरत ही नहीं हो रही थी।

सब कुछ इतना smoothly हो गया कि श्यामली और तरुण का कठिन समय बहुत आसानी से कट गया। 

सबका साथ पाकर, घर में जल्दी ही खुशी की लहर दौड़ गई। श्यामली, तरुण और परिवार वाले सभी खुश थे।

श्यामली और तरुण इसलिए कि उनका कठिन समय गुजर गया था और परिवार वाले इसलिए कि उनके बच्चे उनके साथ थे।

तरुण के घर आने के बाद से, सभी दोस्तों ने धीरे धीरे आना बंद कर दिया, चार दिन बाद श्यामली के मां-पापा भी चले गए, क्योंकि श्यामली की भाभी भी job करती थी और उसके मां-पापा के पास ही बच्चे रुकते थे। एक हफ्ते बाद अरुण भैय्या भी सारी व्यवस्था बनाकर चलें गये। पर उसके सास-ससुर, तरुण के plaster खुलने से उसके चलने तक रुके रहे और बराबर से तरुण का ध्यान रखते रहे, साथ ही श्यामली का भी सभी कामों में हाथ बंटाते थे।

जब वो लोग जा रहे थे तो तरुण दुखी था पर श्यामली बहुत रो रही थी।

उन्होंने पूछा कि क्या हुआ? तो वो बोली आप 

मत जाइए, अब जाकर तो मुझे समझ आया है कि मुझे कितनी अच्छी ससुराल मिली है और शादी के बाद, सबसे अपने आप के सास-ससुर ही होते हैं। 

हमें भी तुम्हारे साथ बहुत अच्छा लगा श्यामली, पर अभी हमें जाना होगा, क्योंकि तरुण की खबर सुनकर हम आनन-फानन में आ गए थे, वहां की सारी व्यवस्था ख़राब हो चुकी है।

हमें जाने दो, हम फिर आ जाएंगे, अपने बच्चों को देखे, मिले बिना किस का मन लगता है.. और तुम लोग भी आओगे तो और अच्छा लगेगा।

तरुण कुछ बोलता, उससे पहले ही श्यामली बोली, तरुण के पूरा ठीक होते ही हम आएंगे।

उन लोगों के जाने के बाद, श्यामली का मन बहुत भारी हो रहा था, तो उसने रितिका को घर बुला लिया।

रितिका के आते ही श्यामली उसके गले लग गई और बोली, रितिका मुझे तुम्हारे कारण ही पता चला कि मुझे कितनी अच्छी ससुराल मिली है और इतने सालों से मैं  कितने बड़े सुख से वंचित रह रही थी।

तुम्हारी कहीं बात को, मेरे जीवन की इस घटना ने सत्य साबित कर दिया।

सच में सभी रिश्तों की कद्र करनी चाहिए क्योंकि हर रिश्ता जरुरी है और हर रिश्ते की हद होती है, जो इसे समझ जाएगा, वो हमेशा सुखी रहेगा।

जिसके पास ससुराल, मायका और दोस्तों का प्यार और साथ हैं, उसी के दिल को पूर्णतः मिलती है।‌‌ 💓😊

कोई एक भी अगर साथ नहीं है तो दिल टूटा ही रहेगा  💔

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