Wednesday, 22 October 2025

Article : गिरिराज परिक्रमा

दीपावली पर्व हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार पंच-दिवसीय होता है।

धनतेरस पर्व से लेकर भाईदूज या चित्रगुप्त पूजन तक।

इस पांच-दिवसीय उत्सव की एक विशेषता और है, कि प्रत्येक दिन अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा का प्रावधान है।

धनतेरस पर्व पर धनवंतरी जी व कुबेर जी का पूजन, छोटी दीपावली/नरक चौदस/रूप चतुर्दशी पर हनुमानजी का पूजन, दीपावली पर्व पर लक्ष्मी जी व गणेश जी का पूजन, गोवर्धन पूजा में भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत का पूजन, व पांचवें दिन यमद्वितीया/भाई-दूज/चित्रगुप्त पूजन वाले दिन यमराज व चित्रगुप्त महाराज का पूजन किया जाता है।

इस तरह से पांच दिनों तक लगातार, विभिन्न पूजा अर्चना की जाती है।

गिरिराज परिक्रमा


• Areas of celebration :

आज गोवर्धन पूजा का दिन है। इस दिन की विशेषता संपूर्ण भारत में नहीं है। गोवर्धन पूजा का महत्व मुख्य रूप से ब्रज क्षेत्र (मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव), आगरा, दिल्ली, मेरठ, हापुड़, मुरादाबाद आदि सभी उत्तर-प्रदेश के शहरों में, साथ ही गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों में भी इसका भव्य आयोजन होता है। 

इन क्षेत्रों में इसका इतना अधिक महत्व है कि एक बार को दीपावली पर घर न पहुंचे, पर गोवर्धन पूजा में घर अवश्य पहुंचेंगे।


• Mt. Govardhan location :

गोवर्धन पर्वत, मथुरा जिले में स्थित है, जो कि वृन्दावन से 21 km दूर स्थित है। यह गिरिराज पर्वत के नाम से भी प्रसिद्ध है।

जिस तरह से वैष्णो देवी, बाला जी, खाटूश्यामजी, शिर्डी जाने के लिए लोग लालयित रहते हैं, वैसे ही गिरिराज जी की परिक्रमा का भी विशेष महत्व है। 

ब्रज क्षेत्रों के आसपास के लोग का तो साल में एक से दो बार परिक्रमा लगाने का नियम ही रहता है। 

आज गोवर्धन पूजा है, तो आपको गिरिराज पर्वत की परिक्रमा के विषय में ही बताते हैं।


• Parikrama (clockwise rotation) :

गिरिराज जी की परिक्रमा लगाने के लिए, आपको गोवर्धन पर्वत को दाईं ओर रखते हुए पैदल चलना होगा, जिसमें नंगे पैर रहना एक आम नियम है, हालांकि कमजोर लोगों के लिए चप्पल या जूते की अनुमति है। परिक्रमा मानसी गंगा से शुरू होकर वहीं समाप्त होनी चाहिए, जहाँ आप इसे शुरू करते हैं, और इसे अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। परिक्रमा के दौरान मानसिक पवित्रता, शांत मन और भगवान के नाम का जाप करना महत्वपूर्ण है।


• How to do Parikrama :

Initiation Rites - परिक्रमा शुरू करने से पहले, मानसी गंगा में स्नान करें, फिर गोवर्धन पर्वत को प्रणाम करें।

Path & Direction - परिक्रमा गोवर्धन पर्वत के चारों ओर दक्षिणावर्त (दाईं ओर) लगाएं, जैसे घड़ी की सुई घूमती है। 

Rules for Footwear - अधिकांश भक्त नंगे पैर परिक्रमा करते हैं। यदि आप कमजोर हैं या बच्चे साथ हैं, तो रबड़ की चप्पल या कपड़े के जूते पहन सकते हैं। 

Physical & Mental State - परिक्रमा के दौरान शांत रहें, सांसारिक बातों से बचें और हरिनाम या भजन-कीर्तन करें। क्रोध या अपशब्द बोलने से बचें। 

Closing Rites - परिक्रमा समाप्त करने के बाद, गोवर्धन पर्वत को प्रणाम करें और वहीं समाप्त करें जहाँ से आपने शुरू किया था।


• Types of Parikrama :

Whole Parikrama (21 km) - यह सबसे लोकप्रिय परिक्रमा है और इसे एक ही दिन में पूरा किया जाता है।

Small Parikrama (9 km) - इसमें गोवर्धन से उद्धव कुंड, राधाकुंड, कुसुम सरोवर होते हुए वापस गोवर्धन आना शामिल है। 

Big Parikrama (12 km) - इसमें गोवर्धन से आन्यौर, पुछरी, जतीपुरा होते हुए वापस गोवर्धन आना शामिल है। 

Obeisance (Dandvat) Parikrama - यह बहुत कठिन है और इसमें भक्त शरीर के आठों अंगों (दोनों भुजाएँ, दोनों पैर, दोनों घुटने, सीना, मस्तक) को जमीन पर छूते हुए आगे बढ़ते हैं।


• Govardhan Puja at home :

यदि आप घर पर रहकर गोवर्धन पूजा कर रहे हैं, तो गोबर से या ऐपन से चौक बनाई जाती है। भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाए जातें हैं।

यदि छप्पन भोग न बना पाएँ तो विभिन्न फल, मेवा, मिठाई व खाने में कढ़ी, चावल, रोटी, अन्नकूट सब्जी (mix veg, बिना प्याज़-लहसुन की) का भोग लगाकर भी छप्पन भोग का प्रावधान मान लिया जाता है।

दरअसल, अन्नकूट सब्जी का विशेष महत्व है। अगर आप को इसकी विधि चाहिए, तो आप इस link पर click कर सकते हैं -

https://shadesoflife18.blogspot.com/2020/11/recipe.html?m=1


जय प्रभु श्रीकृष्ण की, जय गोवर्धन पर्वत की, जय गिरिराज महाराज की 🙏🏻

आपकी कृपा सभी भक्तों पर अवश्य बनी रहे 🙏🏻