Wednesday, 20 August 2025

Short Story : इंसान की कीमत

इंसान की कीमत

एक लड़का था रजत, जो कि रोज एक आश्रम में जाता था, वहां के गुरु जी लोगों को बहुत-सी गूढ़ बातें बताते थे।

एक दिन रजत ने गुरु जी से पूछा, “एक बात बताइए कि कुछ मनुष्य महलों में रहते हैं तो कुछ झोंपड़ी में, कुछ के पास खाने को इतना है कि वो खाकर फेंक देते हैं तो कुछ के पास दोनों समय खाने के लिए भी नहीं है। ऐसा क्यों है? और दुनिया में इंसान की क्या कीमत है? साथ ही ज्यादा कीमती क्या है पैसा या काम?”

गुरु जी ने कहा, “बेटा, पैसा सबके पास होता है, कम या ज्यादा और काम भी सब के पास होता है, छोटा या बड़ा। पर कीमत सबसे ज्यादा होती है, स्थान की…”

“स्थान की? मतलब?”

वो बोले, “एक काम करो कि तुम मेरा यह कड़ा ले जाओ और इसकी कीमत पता करके आओ, पर इसे बेच कर मत आना, सिर्फ कीमत पूछकर आना और हां, कोई जब इसकी कीमत पूछे तो तुम्हें कुछ बोलना नहीं है, केवल दो उंगली दिखा देना।”

“इससे क्या होगा?”

“वो तुम्हें खुद पता चलेगा…”

कड़ा इतना सुन्दर था कि कोई भी उसे आसानी से खरीदने को तैयार हो जाता।
रजत कड़ा लेकर एक bus stand में गया।

उसने कड़ा बेचने के लिए एक आदमी को कड़ा दिया, कड़े की सुंदरता देखकर आदमी कड़ा खरीदने को तैयार हो गया, उसने रजत से कड़े की कीमत पूछी। उसने बिना कुछ कहे, दो उंगलियाँ दिखा दीं।

आदमी बोला, “₹200?”

“हाँ जी, धन्यवाद। माफ़ कीजियेगा, दरअसल मुझे केवल इसकी कीमत पता करनी थी, इसे बेचना नहीं है।” कहकर रजत ने कड़ा लिया और बहुत तेज़ी से आश्रम की ओर बढ़ गया।

“गुरू जी! गुरु जी! मुझे कीमत पता चल गई, इसकी कीमत ₹200 है।”

“अच्छा! बढ़िया, अब तुम एक बार फिर से किसी और जगह जाओ और फिर वही प्रकिया दोहराओ।”

रजत अबकी बार एक बड़े से mall में गया, उसने कड़ा बेचने के लिए एक आदमी को कड़ा दिखाया। वह खरीदने के लिए तैयार होकर उसने रजत से उस की कीमत पूछी। रजत ने बिना कुछ कहे, फिर से दो उंगलियाँ दिखा दीं।

आदमी ने पूछा, “₹2000?”

अपनी स्थिति को समझाकर और उस आदमी को धन्यवाद देकर रजत कड़ा वापस ले लेता है। वह खुशी से भर कर आश्रम की ओर चलने लगा।

“गुरु जी! इसकी कीमत तो बढ़ गई, इसकी कीमत दो हज़ार रुपए है।”

गुरु जी एक बार पुनः उसे किसी दूसरी जगह पर जाने को और वही प्रक्रिया वापस दोहराने को बोलते हैं।

इस बार रजत एक jeweller के showroom में जाता है। जब रजत उसे कड़ा दिखाता है, तो jeweller की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं। Jeweller सोचता है, ‘वाह! यह कड़ा तो खरे सोने से बना हुआ है। कितने नग और हीरे भी तो जड़े हुए हैं इसमें। लड़के से कीमत पूछी जाए।’

कीमत पूछी जाने पर रजत एक बार फिर दो उंगलियां दिखा देता है। Jeweller पूछता है, “₹200000?”

2 लाख की कीमत सुनकर तो रजत को भी भरोसा नहीं होता। Jeweller से रजत कहता है कि वो कड़ा उसके गुरु की आखिरी निशानी है और वो उसे बेचना नहीं चाहता। Jeweller और महंगे भाव पर भी उसे खरीदने को तैयार हो जाता है, पर रजत नहीं मानता है।

चमकती आँखों के साथ वह आश्रम में वापस लौटता है। हैरानी और खुशी के मिले हुए भावों के साथ वह गुरु जी से बोलता है, “कितना कीमती है यह कड़ा! जोहरी तो ढाई (2.5) लाख रुपए में भी उसे खरीदने को तैयार हो गया था।”

“महंगा तो होगा ही। शुद्ध सोने से बना और इतने हीरे-जवाहरात से जो जड़ा हुआ है। वैसे तुमने एक बात देखी क्या?”

“कौन-सी बात?”

“Bus stand पर उस कड़े की कीमत दो सौ रुपए थी। लोग वहाँ से अक्सर इसी मूल्य के सामान लेते हैं। आदमी को कड़ा सुन्दर लगा, इसलिए अपने हिसाब से कीमत बता दी।

फिर जब तुम mall में गए, तो उसकी कीमत बढ़ के दो हज़ार रुपए हो गई। वहां से लोग दस-बीस हज़ार के सामान ले लेते हैं, और उस आदमी को नग कीमती लगे होंगे। इससे कड़े की कीमत बढ़ गई।

आखिर में तुम गए जोहरी के पास। वो जानता था कि कड़े की असली कीमत क्या है। इसलिए उसने उसकी कीमत ढाई लाख रुपए बताई, जो वास्तव में इस कड़े की कीमत है।

जिस प्रकार इस कड़े की कीमत बिकने वाली जगह पर आधारित थी, उसी प्रकार से मनुष्य की असली कीमत भी तब ही होती है, जब वह अपने उचित स्थान पर हो। अतः, मनुष्य को सदैव अच्छी संगत में रहना चाहिए और ऐसी जगहों पर ही रहना चाहिए जहाँ उसका आदर हो।”

“समझ गया गुरु जी। आप सच में महान हैं, एक कड़े के माध्यम से आप ने जीवन की अनमोल सीख दे दी मुझे।” रजत मुस्कुराते हुए आश्रम से बाहर निकलता है।