आज से शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में यह पहला गीत है।
बन्नी, बन्ना के हल्दी चढ़ने की रस्म, विवाह में एक विशेष रस्म होती है, जो जितना विवाह से जुड़ी होती है, उतनी ही ईश्वर व घर से जुड़े सभी लोगों से मिलने वाला आशीर्वाद भी होती है।
आज उसी पर यह गीत साझा कर रहे हैं।
बन्नी तेरी हल्दी में
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
ओ बन्नी तेरी हल्दी में, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
पहली हल्दी दादी ने पिसाई।
दादी ने पिसाई, श्री गणेश को चढ़ाई।
सफल हो गए सब काम, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
दूजी हल्दी नानी ने पिसाई।
नानी ने पिसाई, लक्ष्मी मैया को चढ़ाई।
अरे अन्न-धन भरे भंडार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
तीजी हल्दी मम्मी ने पिसाई,
मम्मी ने पिसाई, गोरा मैया को चढ़ाई।
दे दिया अमर सुहाग, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
चौथी हल्दी चाची ने पिसाई।
चाची ने पिसाई, सीता मैया को चढ़ाई।
दे दिया धर्म का ज्ञान, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
पांचवी हल्दी बुआ ने पिसाई,
बुआ ने पिसाई, राधा रानी को चढ़ाई।
दे दिया प्रेम का ज्ञान, तो बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
ओ बन्नी तेरी हल्दी में, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।
