Thursday, 11 December 2025

Story of Life : बदलती ज़िंदगी (भाग-2)

बदलती ज़िंदगी (भाग-1) के आगे…

बदलती ज़िंदगी (भाग-2)



दोनों party के लिए घर से निकल तो गये, पर रितेश इसी उधेड़बुन में रहा कि उसकी सुंदर पत्नी है, फिर भी कोई उसके बनाव-श्रृंगार पर कोई टिप्पणी न कर दे।

और अगर कोई टिप्पणी करेगा, तो सुधा को कैसा लगेगा? वो सबको क्या जवाब देगा? और ऐसे बहुत से सवाल…

वही हुआ, जिसका रितेश को डर था, उन लोगों के office party में पहुंचते ही वहां मौजूद लोगों ने सुधा को देखकर कानाफूसी करना शुरू कर दिया, साथ ही उसे देखकर दबी-दबी हंसी भी शुरू हो गई।

कुछ लोगों ने जब सुधा से “Hello!” बोला, तो उसने सबसे हाथ जोड़कर विन्रम प्रणाम किया।

अब तो मुंहफट राजेश चुप न रहा, कहने लगा- “क्या रितेश, तूने भाभी को बताया नहीं था कि party official है, न कि शादी विवाह की party। फिर प्रणाम कौन करता है आजकल के जमाने में?”

रितेश मौन‌ खड़ा था, क्योंकि राजेश कुछ हद तक ठीक भी था। पर‌ सुधा ने समझ लिया कि अपना stand उसे खुद लेना पड़ेगा।

उसने राजेश से विनम्रता से कहा, “राजेश भैया, यह किस नियमावली में लिखा है कि कपड़े western ही सही होते हैं? साथ ही‌ प्रणाम करना तो सबसे respective gesture है, उसमें क्या problem है?

मुझे अपनी भारतीय संस्कृति पर बहुत गर्व है, जहां वस्त्र इसलिए पहना जाता है, जिससे शरीर को ढककर और अधिक खूबसूरत बनाया जाए। न कि अंग प्रदर्शन करके बेशर्मी की जाए।

और प्रणाम तो ईश्वर को भी किया जाता है, फिर जिस gesture को ईश्वर की स्वीकृति है, उससे बेहतर और क्या है?

वैसे भी विदेशी संस्कृति अपनाकर अपनी भारतीय संस्कृति का अपमान करना, मेरे संस्कारों में शामिल नहीं है।

जो मुझे पसंद है, जब उसके लिए मेरे ससुराल में, और मेरे पति को भी कोई आपत्ति नहीं है, फिर आप सबको क्या पसंद है, उससे मुझे क्या?”

सब सुधा की दलील के आगे चुप हो गए, पर फिर उन्होंने रितेश से भी मुखातिब होना बंद कर दिया।

रितेश को इससे अच्छा नहीं लगा, पर फिर भी उसने सुधा का साथ ही देना उचित समझा…


आगे पढ़ें, बदलती ज़िंदगी (भाग-3) में…