ऐसा क्यों (भाग - 1)....
ऐसा क्यों (भाग - 2).....
और ऐसा क्यों (भाग - 3) के आगे...
ऐसा क्यों (भाग - 2).....
और ऐसा क्यों (भाग - 3) के आगे...
ऐसा क्यों (भाग-४)
Air marshal ने उसे अपने पास बुलाया, और कहा अब तुम fighter plane नहीं उड़ा पाओगे, इसलिए तुम्हारा surveillance ऑफिस में transfer कर दिया गया है।
सुंदर बोला sir आप मुझको एक मौका तो दीजिये, मैं अभी भी fighter plane उड़ा लूँगा। मैं जानता हूँ, तुम कर सकते हो, पर यही ऊपर से order आए हैं।
जब वो surveillance office गया, तो उससे management office भेज दिया गया। सुंदर वहाँ भी मन लगा कर काम करने लगा। पर उसने एक बात notice की, कि उसे secrete mission में शामिल नहीं किया जाता था। धीरे-धीरे उसको बेवजह छुट्टियाँ दी जाने लगी, और अंतः उसे force से terminate कर दिया गया।
Force से निकाले जाने वाली बात धीरे धीरे शहर में आग की तरह फैलने लगी। अब जहाँ कहीं सुंदर जाता, उसे लोगों की नज़र में अपने लिए पहले सा सम्मान ना दिखता। बल्कि दिखता, शक और बहुत सारे सवाल, सुंदर को सेना से क्यों निकाल दिया गया? कहीं ये देशद्रोही तो नहीं? कहीं इसने हमारे देश को संकट में तो नहीं डाल दिया? जितने लोग मिलते, सब ऐसे ही उल्टे सीधे सवाल करते।
सुंदर, उसके पिता, दादाजी सबको जवाब देते देते थक गए, कि border पार जा वहाँ रह कर मिशन पूरा करने में इस तरह की परेशानियाँ उठानी ही पड़ती है। कुछ साल बाद फिर से rejoining हो जाएगी। पर लोग इस बात पर विश्वास नहीं करते, कहते ऐसा क्यों?
साल दर साल निकलते जा रहे थे, पर सुंदर की rejoining का कोई letter नहीं आ रहा था। अब तो सुंदर भी अंदर ही अंदर टूटने लगा था, वो सोचने लगा, जिस देश को बचाने के लिए, उसने अपनी जान की चिंता नहीं की, अपना सीधा हाथ गंवा दिया। आज वही देश उसकी वीरता और देश भक्ति पर शक कर रहा था। जिसको सराहना मिलनी चाहिए, उसे बदनामी, ऐसा क्यों?
जिसको आतंकवादी खेमा ना डिगा सका था, उसे तानों ने गुमनामी के अँधेरों में धकेल दिया।
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