“सोन चिरईया "
आज स्मरण हो आई वह प्रभात जब कानों में मां की आवाज के बाद गौरैया के चहचहाने की आवाज अरुणोदय की शीतलता को और बढ़ा देती थी। आंखें मलते मलते जब आंगन में आ कर बैठते थे, तो इधर उधर फुदकता गौरैया का झुंड आमोद-प्रमोद के साथ सुबह के नाश्ते का आनंद उठा रहा होता था, जो माँ ने उनके लिए डाले होते थे। कुछ आँगन में यहां से वहां, कुछ आम के पेड़ों की डाल पर, कुछ हौज़ के मुंडेर पर, कुछ खटिया की पाटी पर डोल रही होती थी। कितनी आश्वस्त और भयमुक्त जैसे अपने
परिजनों के संग हों। बबुनी, बुच्ची, लाडो, बाबा जी के तमाम संबोधनों में मेरे लिए “सोन चिरईया “ भी शामिल हुआ करता था ।कितने मनोरम थे वे दिन .....1999 में शादी के बाद जब ससुराल के दर्शन हुए तो फूलों की बगिया और आँगन जैसे ईश्वर ने सौगात में दिए हो मुझे। अब भोर में केवल गौरैया के चहचहाने की आवाज ही शेष रह गई थी, जो माँ की आवाज का स्मरण भी करा दिया करती थी। उन दिनों भी चिड़िया का झुंड पूरे आंगन में बेखौफ घूमता नजर आता था। कभी वाश बेसिन के शीशे पर अपने प्रतिबिंब को चोंच मारते हुए, कभी चारदीवारी पर चढ़कर इधर-उधर निहारते हुए और कभी कूलर पर। चीं चीं के कलरव से पूरा आँगन गुलज़ार रहता था। अपनी माँ और सास दोनों को ही यह कहते सुना था कि गौरैया का आगमन शुभ होता है। खुशहाली और समृद्धि लाता है।....पर क्या हम अपने नौनिहालों को गौरैया के आगमन का महत्व बता पाएँगे? क्या हमारे बच्चे गौरैया के चहचहाने का, उनके आश्वस्त होकर इधर-उधर फुदकने का आनंद उठा पाएँगे ? क्या वह उस कौतूहल को महसूस कर पाएंगे जब माँ गौरैया अपनी चोंच से अपने बच्चों को खाना खिलाती थी? शायद नहीं!
...ये कैसी विडंबना है कि जिस मोबाइल पर 20 मार्च
‘ चिड़िया दिवस’ के संदेश इधर से उधर भेजे जा रहे थे, उसी मोबाइल कंपनी के बढ़ते एंटीना और ट्रांसमीटर टॉवरों से जो विद्युत चुंबकीय विकिरण पैदा होता है वह गौरैया के विलुप्त होने का सबसे बड़ा कारण माना गया है। ....भौतिकता की अंधी दौड़, मानव का निजी स्वार्थ, पेड़ों की कटाई, कंक्रीट के जंगल और ख़ामोश मृतप्राय सभ्यता ने ईश्वर की इतनी सुंदर कृति का अस्तित्व ही ख़तरे में डाल दिया है। .....
आह! कितनी सार्थक प्रतीत होतीं हैं वर्तमान में प्रचलित गीत की ये पंक्तियाँ ....” ओ री चिरईया , नन्ही सी चिड़िया , अँगना में फिर आ जा रे .... “
लेखिका : ऋतु श्रीवास्तव
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ऋतु जी,आपके इस लेख को पढ़ के लगा
ReplyDeleteकोई लौटा दे,मेरे बीते हुए दिन......
👌👌
शुक्रिया अनामिका जी।
DeleteVery well written... analytical yet emotional👌👌
ReplyDeleteThought provoking..
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