Sunday 13 May 2018

Poem : माँ, वो तुम हो




                                        माँ, वो तुम हो

ये कविता मैंनें अपनी माँ को समर्पित की है, पर माँ तो माँ होती हैं, आप सब के भी अपनी माँ के लिए यही भाव होंगें
      
हमें जिसका साथ हमेशा चाहिए
माँ, वो तुम हो
जिसका आशीर्वाद भरा हाथ हमेशा चाहिए
माँ, वो तुम हो 
जिसने कठिन समय को दृढ़ता से गुजारा
माँ, वो तुम हो
जिसके होने से हमें नहीं ढूंढना पड़ा सहारा
माँ, वो तुम हो
कोमल भी तुम
दृढ़ भी तुम
सच्चाई भी तुम
अच्छाई भी तुम
गर अच्छे हैं, हम सब
उसका कारण भी जो है  
माँ, वो तुम हो 

15 comments:

  1. Salute to the poetess too...

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  2. कवियित्री ने माँ के प्रति अपनी भावना का सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी चित्रण किया है ।

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    Replies
    1. धन्यवाद
      आपके सराहनीय शब्द,सदैव मेर लिए प्रेरणा स्रोत रहते हैं🙏

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  3. धन्यवाद,
    आपके शब्द हमारे लिए प्रेरणादायक हैं

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  4. 'मां'शब्द स्वयं एक परिभाषा है,जिसकी समझ हमारी पचों इन्द्रियों से परे है। अनु, तुम्हारी कविता मै "मां" के तीनों रूप मां लक्ष्मी,काली और सरस्वती,के दर्शन होते हैं!
    'रूबी'

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  5. Thank you Ma'am for your valuable comment
    It boosts me up

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