माँ, वो तुम हो
ये कविता मैंनें अपनी माँ को समर्पित की है, पर माँ तो माँ होती हैं, आप सब के भी अपनी माँ के लिए यही
भाव होंगें
हमें जिसका साथ हमेशा चाहिए
माँ, वो तुम हो
जिसका आशीर्वाद भरा हाथ हमेशा चाहिए
माँ, वो तुम हो
माँ, वो तुम हो
जिसने कठिन समय को दृढ़ता से गुजारा
माँ, वो तुम हो
जिसके होने से हमें नहीं ढूंढना पड़ा सहारा
माँ, वो तुम हो
कोमल भी तुम
दृढ़ भी तुम
सच्चाई भी तुम
अच्छाई भी तुम
गर अच्छे हैं, हम सब
उसका कारण भी जो है
माँ, वो तुम हो
Each word is true
ReplyDeleteThank you,Smita
DeleteBeautiful poem👌👌
ReplyDeleteMaa tujhe salaam 🙏🙏
ReplyDelete🙏🙏
DeleteSalute to the poetess too...
ReplyDeleteSalute to you too
DeleteFor your valuable time
👍👍
ReplyDelete🙏🙏
Deleteकवियित्री ने माँ के प्रति अपनी भावना का सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी चित्रण किया है ।
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteआपके सराहनीय शब्द,सदैव मेर लिए प्रेरणा स्रोत रहते हैं🙏
Bahaut bahaut sundar poem
ReplyDeleteधन्यवाद,
ReplyDeleteआपके शब्द हमारे लिए प्रेरणादायक हैं
'मां'शब्द स्वयं एक परिभाषा है,जिसकी समझ हमारी पचों इन्द्रियों से परे है। अनु, तुम्हारी कविता मै "मां" के तीनों रूप मां लक्ष्मी,काली और सरस्वती,के दर्शन होते हैं!
ReplyDelete'रूबी'
Thank you Ma'am for your valuable comment
ReplyDeleteIt boosts me up