Sunday, 17 June 2018

Poem : पिता - जिनके बिना सब अधूरा!

पिता - जिनके बिना सब अधूरा!

आज father's day के उपलक्ष्य में, मेरी यह कविता "पिता" को समर्पित है।


पिता 

जिनके बिना सब अधूरा

जिनके होने के एहसास से ही

मेरा व्यक्तित्व हो पूरा

ये हमारी ज़िंदगी में

एक अहम भूमिका निभाते हैं

हर रिश्ते की पहचान इनसे

ही हमको दुनिया में 

जीने के काबिल बनाते हैं

यही हैं वो जिसने

मेरे सपनों की खातिर 

अपना सपना तोड़ दिया

सोते थे कभी चैन से

मेरे होने के बाद 

गहरी नींद में सोना छोड़ दिया

इनके बिना मेरा

अस्तित्व भी अधूरा

माँ गर हैं धरती

            तो पिता आसमां पूरा।                              



13 comments:

  1. मर्मस्पर्शी सुन्दर कविता है।👍👍👍

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    1. धन्यवाद
      आपके सराहनीय शब्दों के लिए🙏🙏

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  2. Replies
    1. Thank you Akash ji
      Nice to see you
      plz keep visiting

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  3. "पिता आसमां पूरा"....... जिनके बिना सब अधूरा....... very nice..

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    1. Thank you Ashish ji, your words energized me
      Plz keep visiting

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  4. Pujya pita ji ko shat shat naman🙏🙏

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  5. वाह..बहुत ख़ूब 👌

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    1. धन्यवाद
      मुझमें नयी ऊर्जा का संचार करने के लिए 🙏

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