अब तक आपने पढ़ा सुमन और राजेश का राघव को नज़र अंदाज़ करना, व राघव और रामू में बढ़ता प्यार ,अब आगे.....
अकेली भाग ३
राघव कब जवान हो गया, ये बात भी सिर्फ रामू काका जानते थे, राघव
को America से बहुत बड़ी कंपनी
का ऑफर आया, तो वो अपने रामू काका को भी ले
गया।
माँ–पापा बोले भी, अब हमारा retirement होने वाला है, इस अनपढ़ गँवार को कहाँ America ले जा रहे हो, हम साथ
चलते हैं।
राघव ने बड़ी ही सहजता से कह दिया, आप लोगो को मेरे स्वभाव, पसंद-नापसंद का कहाँ पता है, ये सब जानते हैं। और जितना पढे हैं, मेरे लिए उतना ही काफी है। बाकी
आप लोग परेशान ना हो, मैंने आपके लिए दो नए नौकर रख दिये हैं। और वहाँ से हर महीने आपको पैसे भेजता रहूँगा। आप लोगो के
लिए ही तो अमेरिका जा रहा हूँ, जिससे
आपका बुढ़ापा अच्छे से कटे और आपकी शान भी बनी रहे। और हाँ मेरे लौटने का इंतज़ार मत करिएगा, जब बहुत सारा पैसा कमा लूँगा, तो लौट आऊँगा।
आज दस साल हो गए थे, पर उन्हें अपने बेटे का मुंह देखने को नहीं मिला। हाँ अपने वादे-अनुसार
राघव हर महीने मोटी रकम भेज देता था।
सुमन और राजेश ने अपनी झूठी शान में सच्चे रिश्तेदारों और दोस्तों को ना कभी वक़्त दिया, ना नज़दीक आने दिया। हमेशा अपनी व्यस्ता ही
दिखाते रहे। और जो social network था, वो भी retirement होते ही
छु-मंतर हो गया।
आज ना अपना बेटा पास था, ना कोई सगा–समबंधी, ना मित्र। नौकर भी बहुत
आए, पर राम खिलावन जैसा फिर ना
मिला।
पैसे, शान-शौकत तो बहुत कमा ली, पर साथ, सुकून, प्यार सब बहुत पीछे छूट गए।
आज सुमन सोच रही थी, काश घर पर रह कर अपने बेटे पर प्यार-दुलार लुटाया होता, सब अपनों को समय दिया होता, तो वो अकेली ना होती,
और उनकी झोली में उदासी, खालीपन और अकेलापन ना होता।
Contemporary story..well done👍
ReplyDeleteThank you for your inspiring words
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