साहस और सूझबूझ
ऋषभ और ऋतिक दोनों बहुत पक्के दोस्त थे, दोनों ही दोस्तों में मस्ती और साहस का अनोखा संगम था। उन
लोगों की इस आदत से दोनों के माँ-पापा बहुत ही परेशान रहते थे। क्योंकि वो कब कौन सा नया कारनामा कर के लौटेंगे, कोई नहीं
जानता था।
ऐसे ही एक दिन मस्ती मस्ती में वो दोनों अपनी
अपनी साइकिलों से जंगल की ओर निकल
गए।
जंगल पहुँच कर ऋषभ बोला, यहाँ से हम लोग साइकिल छोड़ के आगे की तरफ दौड़ते हुए जाएंगे, और उस चट्टान को छू कर जो जल्दी लौटेगा, उसको दूसरा pizza party देगा।
जंगल पहुँच कर ऋषभ बोला, यहाँ से हम लोग साइकिल छोड़ के आगे की तरफ दौड़ते हुए जाएंगे, और उस चट्टान को छू कर जो जल्दी लौटेगा, उसको दूसरा pizza party देगा।
ऋतिक कौन सा कम था, सुनते
ही उछल पड़ा, बोला अपने कहे से मुकरना नहीं। हाँ हाँ, नहीं
मुकरुंगा।
दोनों इस बात से बेखबर, तेज़ी से दौड़ने लगे, कि वहाँ एक खूंखार शेर पास ही की गुफा
में सोया हुआ था।
पत्तों की खरखराहट के शोर से शेर जग गया। तभी शेर की गुफा, पहले
ऋषभ ने फिर ऋतिक ने भी cross की। दोनों को देखकर शेर की भूख बढ़ गयी।
वो दहाड़ता हुआ अपनी गुफा से बाहर निकल आया।
एक दम से शेर की दहाड़ सुन कर दोनों बुरी तरह घबरा गए। साइकिल भी वो लोग पीछे छोड़ आए थे। ऋषभ ज़ोर से चिल्लाया, ऋतिक, छोटे-छोटे पत्थरों को उठा के जल्दी से पेड़ पर चढ़ो। दोनों छोटे- छोटे पत्थरों को उठा कर पेड़ की तरफ भागने लगे।
एक दम से शेर की दहाड़ सुन कर दोनों बुरी तरह घबरा गए। साइकिल भी वो लोग पीछे छोड़ आए थे। ऋषभ ज़ोर से चिल्लाया, ऋतिक, छोटे-छोटे पत्थरों को उठा के जल्दी से पेड़ पर चढ़ो। दोनों छोटे- छोटे पत्थरों को उठा कर पेड़ की तरफ भागने लगे।
ऋतिक तो पेड़ पर चढ़ गया, पर
ऋषभ पत्थरों के साथ सूखे टहनी-पत्तों के बीच उलझ गया। शेर ऋषभ की ओर बढ़ने लगा। ऋतिक को लगा आज तो उसने ऋषभ को हमेशा के लिए खो
दिया है। पर तभी उसे एक युक्ति सूझी। उसने बहुत ही जोश में भर के ऋषभ को आवाज़ लगाई, दोस्त- आज हमारी दोस्ती
और साहस,
इस शेर को हरा देगी। हिम्मत मत हारना, मेरे दोस्त। हम
दोनों को कोई कभी भी अलग नहीं कर सकता। मैं पत्थरों से शेर को थोड़ी देर रोकने की
कोशिश करूंगा, तब तक तुम पत्थरों
को रगड़ के पत्तों में आग लगाने की कोशिश करो। इसके बाद उसने पूरी ताकत से शेर पर ताबड़तोड़ पत्थर
फेंकने शुरू कर दिये। उससे शेर की चाल की रफ्तार में कमी तो आई, पर ऋतिक शेर को आगे
बढ़ने से रोक नहीं पा रहा था। उधर ऋषभ दो पत्थरों को
रगड़ने में लगा था।
शेर भी पत्थरों के वार से और खूंखार होता जा रहा था। ऋतिक के
पत्थरों के फेंकते जाने से
पेड़ बुरी तरह हिल रहा था। और इस सब में, वो डाल
टूट गयी, जिसपर ऋतिक बैठा हुआ था। ऋतिक को गिरा
हुआ देख कर शेर ऋतिक की ओर ही उछल पड़ा, ऋतिक ये देखकर
एकदम से बेहोश हो गया। जब उसे होश आया, तो वो
अपने दोस्त के साथ
था, उसने
देखा ऋषभ के हाथ जले
हुए थे। उसने पूछा, ये क्या हुआ? और
शेर कहाँ गया?
ऋषभ बोला- जब वो तुम्हारी तरफ उछला था, उसी समय
पत्तों में आग लग गयी थी। तो वो पत्ते मैंने उसकी तरफ उछाल दिये। और तुम तक उसके पहुँचने से पहले आग
उस तक पहुँच गई। जिसके कारण वो वहाँ से भाग गया। ऋषभ की सारी
बात सुन कर ऋतिक
बोला- आज
तुमने मेरी जान बचा ली। ऋषभ बोला- नहीं मेरे
दोस्त, हम दोनों की दोस्ती, साहस और
सूझबूझ ने हम दोनों की जान बचाई है। ऋतिक ने ऋषभ को अपनी साइकिल में बैठाया और
दोनों घर की तरफ चल दिये। आज भी वो एक कारनामे को अंजाम दे कर लौट रहे थे, पर आज
इन लोगों की दोस्ती
और साहस पर सब गर्व कर रहे थे।
Interesting twist in d story
ReplyDeleteThank you for showing interest
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