रत्ना और राजन की किस तरह मुलाकात हुई, और वो उसे घर, अपने दादा जी के पास ले गयी अब आगे.....
रत्ना भाग -२
पर राजन की हालत व उसके
एहसान के आगे दादा जी कुछ नहीं बोले।
राजन बहुत ही ज़िंदादिल
इंसान था। पूरे घर से घुलने-मिलने में उसे ज्यादा समय नहीं
लगा। वो
भी बड़ा ही निडर, जोशीला था, तो उसकी सबसे ज्यादा तो दादा जी और रत्ना से
ही पटने
लगी।
खुशवंत जी का अपना बेटा राजीव S.P. था। और एक दंगे में Prime minister अरुण देव
और public की जान बचाते हुए देश पर शहीद
हो चुका था। उनके खेतों को संभालने वाला कोई नहीं था, और वो बूढ़े भी हो चुके
थे।
राजन उन्हें बहुत पसंद आने लगा
था। राजन और रत्ना भी दिन भर साथ रहा करते थे। अत: उन्होंने राजन और रत्ना का
विवाह तय कर दिया।
रत्ना और राजन दोनों बहुत खुश थे।
विवाह की सारी तैयारी शुरू हो गयी। रत्ना के हाथों में मेहंदी लग गयी थी।
रत्ना और राजन दोनों बहुत खुश थे।
विवाह की सारी तैयारी शुरू हो गयी। रत्ना के हाथों में मेहंदी लग गयी थी।
रत्ना को जब पता चला कि P.M.
अरुण
देव जी भी आ रहे हैं, तो वो इसकी खुशखबरी देने राजन के
पास चली गयी।
वो guest house जहां राजन के रुकने
की व्यवस्था की गयी थी, वहाँ पंहुची ही थी, कि उसे.....
Very interesting..
ReplyDeleteThank you for your valuable time
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