बालदिवस मनाते हैं
चलो एक बार फिर से
हम बच्चे बन जाते हैं
साथ उनके मिलके हम
बालदिवस मनाते हैं
बच्चों की ही भांति
केक चाकलेट आइसक्रीम
खाने में हाथ और कपड़े भी
गंदे कर कर के खाते हैं
उनकी मीठी सी दुनिया में
जाकर के खो जाते हैं
चलो एक बार फिर से
हम बच्चे बन जाते हैं
साथ उनके मिलके हम
बालदिवस मनाते हैं
लड़ाई झगडे,सब उनके ही जैसे
अब से हम किया करेंगे
अभी लड़े, अभी गले मिले
गिले-शिकवे ना कभी वो
अपने मन से लगाते हैं
चलो उनसे मिलकर
ये कला सीख हम जाते हैं
चलो एक बार फिर से
हम बच्चे बन जाते हैं
साथ उनके मिलके हम
बालदिवस मनाते हैं
बड़ी बड़ी खुशियों की लालसा में
वो ना एक भी पल गंवाते हैं
उनकी ही भांति हम भी
छोटी छोटी खुशियों से ही
दुनिया अपनी सजाते हैं
चलो एक बार फिर से
हम बच्चे बन जाते हैं
साथ उनके मिलके हम
बालदिवस मनाते हैं
कठिन समय से डरें नहीं ये
हिम्मत से बस डटे रहें ये
कोशिश से ही ये अपनी
हर बाधा को हराते हैं
इन्हीं की भांति, हम भी
ओज, जोश और हिम्मत से
हर समस्या को दूर भगाते हैं
चलो एक बार फिर से
हम बच्चे बन जाते हैं
साथ उनके मिलके हम
बालदिवस मनाते हैं
Really....I miss my childhood.
ReplyDeleteWell composed.
Me too...
DeleteThank you Ma'am for your appreciation
अच्छी कविता है
ReplyDelete👌👌😊😊
धन्यवाद,
Deleteआपके सराहनीय शब्दों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
🙏🙏