रंग ऐसो पिया जी
रंग डालो, रंग डालो
रंग ऐसो पिया जी
लगे बरसाने की होली है
रंग गाल पे जब,
लगे मेरे
रंगत तेरे गाल पे,
होनी है
रंग डालो,
रंग डालो
रंग ऐसो पिया जी
लगे बरसाने की होली है
पानी डाले कोई,
अगर तेरे
चुनरी गीली मेरी,
होनी है
रंग डालो,
रंग डालो
रंग ऐसो पिया जी
लगे बरसाने की होली है
गर भांग पीले दे,
मुझे कोई
मदहोशी तुझ को,
होनी है
रंग डालो,
रंग डालो
रंग ऐसों पिया जी
लगे बरसाने की होली है
पकवान खिलाये कोई, तुम को
तृप्ति मेरे दिल को होनी
है
रंग डालो,
रंग डालो
रंग ऐसों पिया जी
लगे बरसाने की होली है
बन जाऊँ मैं राधा,
तुम कृष्णा
दुनिया बोले, हमजोली हैं
रंग डालो,
रंग डालो
रंग ऐसों पिया जी
लगे बरसाने की होली है
होली की हार्दिक शुभकामनाएं, ये पावन पर्व आप सबके लिए मंगलमय हो
बन जाऊँ मैं राधा ,तुम कृष्ण...राधा का भाव रख के कविता लिखी गयी है..पर मुझे पढ़ते समय मीरा का स्मरण होता रहा...मीरा के संदर्भ में भी मौजू है...👌👌👏🏻
ReplyDeleteआपका कोटि-कोटि धन्यवाद,
Deleteआप जैसे बेहतरीन पाठक मुझे लिखने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।
अगर आप इस कविता को पुनः पढ़ें, तो आपको यह एहसास होगा, कि यह कविता राधा कृष्णा का भाव रख के ही लिखी है, जो परस्पर प्रेम भाव से ओतप्रोत है।
मीरा का भाव भक्ति प्रधान था
Prem ki parakashtha ko pradarshit krti hui adbhut panktiyan👌
ReplyDeleteApka koti koti dhanyavad
DeleteAAP jaise adbhut Pathak hi is tarah se lekhhni chlane ki Prerna prdan krte hain.