उड़ान
पाखी बहुत ही चुलबुली, खुश मिजाज, सब में घुलमिल जाने वाली लड़की थी। अपने
नाम के अनुरूप ही वो कभी एक जगह टिकती नहीं थी, कभी इधर- कभी
उधर, फुदकती फिरती रहती थी। अपने स्वभाव के कारण वो सबकी लाडली
भी बहुत थी।
पाखी खाना बनाने में बड़ी निपुण थी। जो भी उसके हाथों
का बना खाना खाता, उँगलियाँ चाटने लगता।
आजकल टीवी में master chef बनने
का program चल रहा था।सब उससे बोलने लगे, पाखी तुम भी जाओ वहाँ, पक्का first आओगी।
सबकी बातें सुन सुन कर पाखी भी master
chef बन ऊंची उड़ान के सपने सजोने लगी। उसने अपने घर के पास के cyber
cafe में जाकर internet से बहुत सारी recipes
सीखनी शुरू कर दी।
वो जाने से पहले अपने आपको पूर्ण रूप से तैयार
करके जाना चाहती थी, जिससे वो ही प्रथम आए।
cyber का मालिक बहुत ही भला इंसान था। वो अपने cyber में आने वाले लगन के पक्के लड़के, लड़कियों को कम पैसे में ही internet
use करने देता था। कभी कभी form आदि भरने के
पैसे भी दे दिया करता था। सब उसे प्यारे चाचा बुलाया करते थे।
उसकी ही locality में एक
आवारा लड़का सिराज़ था, जो पाखी पर अपनी बुरी नज़र लगाए था।
एक
दिन उसे पाखी अकेले में मिल गयी। उसे देखते ही सिराज़ उसके पीछे हो लिया, और उससे शादी करने की इच्छा जाहिर करने लगा।
पाखी ने शादी से साफ इंकार
कर दिया, उसने कहा, मुझे अपना भविष्य
बनाना है। वैसे भी तुम जैसे आवारा लड़के से तो कोई भी लड़की शादी नहीं करेगी।
पाखी की ऐसी बात सुन कर वो आग बबूला हो गया, उसने पाखी को गुस्से से वहीं पड़े पत्थरों के ढेर में धक्का दे दिया। पाखी
दर्द से चीख उठी। उसके सीधे हाथ की हड्डी टूट के चूरचूर हो गयी थी।
पाखी के हाथ का operation हुआ।
जब महीने भर बाद plaster खुला, तो पाखी
को पता चला, उसके हाथ में तो कोई जान ही नहीं है। उसका हाथ
पहले से छोटा और हल्का टेड़ा भी हो गया था।
जिस hospital में
पाखी का operation हुआ था, सिराज़ फूल
ले कर पहुँच गया। सब से छुप कर वो पाखी के पास पहुँच गया।
पाखी को फूल देकर बोला, पाखी! अब भविष्य बना कर दिखा। तुझ लूली से अब मैं तो क्या, कोई भी शादी नहीं करेगा। तभी पाखी का भाई आ गया,
उसे देख कर सिराज़ भाग गया।
क्या सिराज अपने नापाक इरादों में कामयाब हो गया? पाखी के सपनों का क्या हुआ? जानने के लिए पढ़ते हैं, उड़ान (भाग- 2) में
Interesting story
ReplyDeleteThank you so much for showing your interest
Delete