आधुनिकता (मज़ा या सज़ा)
हम पल-पल, हर पल अंधाधुंध से
आधुनिकता की ओर दौड़े जा रहे हैं,बिना इस बात की परवाह करे, कि जिस ओर हम बढ़े जा रहे हैं, वहाँ जाने से मज़ा
मिलेगा? या कहीं सज़ा तो नहीं मिल जाएगी?
आप कहेंगे, कैसी बात कर रहीं
हैं, आधुनिकता सदैव सुख ही प्रदान करती है।
तो चलिये, इस विषय में भी
थोड़ी बात कर लेते हैं।

नयी नयी चीज़ें बढ़ती गयीं, काम आसान और जल्दी होता गया, कहीं कहीं gas की जगह microwave ने भी ले ली। बैठने की जगह, खड़े होकर खाना बनने लगा।
पर इसके साथ ही हमें अपने स्वाद और स्वास्थ्य के
साथ समझौता करना पड़ा।
Plastic, aluminium, steel
का जब बहुतायत से उपयोग होने

Earthen pot, पत्तल, glass
को ही use में लाएँ, ये natural
है।cooking and eating के लिए best हैं।
मतलब जहाँ से चलना शुरू हुए थे, फिर वहीं।
नहीं, बिल्कुल भी नहीं, पहले earthen pot इंडिया की
धरोहर थी।
अब वही बर्तन हम विदेशों से बहुत अधिक कीमत चुका कर खरीदेंगे और कहेंगे, हम तो सब organic use करते हैं।
तो मुझे तो यही समझ नहीं आता है, कि आधुनिकता सुख प्रदान करती है या दुख और कष्ट। उससे मज़ा मिलता है या
सज़ा?
आधुनिकता की ओर बढ़ते हुए एक बार सोचिएगा जरूर!
Aadhunikta per sateek kathan
ReplyDeleteNimisha
Thank you Ma'am for your appreciation, your words boost me up
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