मन खिल जाता है
सावन की पहली वर्षा
गिरती है जब नन्ही कोपल पर
मन धरा का खिल जाता है
नवजीवन की आशाओं पर
पड़ती हैं वही बूंद जब
चातक के प्यासे अधरों पर
मन चातक का खिल जाता है
प्रेम मिलन की इच्छाओं पर
गिरे वही बूंद जब
अधखुली-सी सीपी पर
मन सीपी का खिल जाता है
नव मोती के निर्मित होने पर
होती है जब यह वर्षा
महीनों से सूखे खेतों पर
मन कृषक का खिल जाता है
खेतों में हरियाली होने पर
होती है जब यह वर्षा
मुरझाये वन, उपवन में
मन मयूर का खिल जाता है
नृत्य की अभिलाषा होने पर
गिरती हैं यही बूंदें जब
हो चुके मलिन पल्लव पर
मन कोकिला का खिल जाता है
मधुर गान की कामना होने पर
सावन के इसी महीने में
महादेव की दृष्टि रहती भक्तों पर
मन भक्तों का खिल जाता है
महादेव के दर्शन होने पर
ऐसे ही आपकी प्रेम वर्षा
प्रेरित करती मुझको लिखने पर
मन मेरा भी खिल जाता है
सतत लिखने की आकांक्षा होने पर
आप सभी को सावन के आगमन की हार्दिक शुभकामनाएं
जब अनु क़लम उठाती है
ReplyDeleteजज़्बातों में लिख जाती है
मन हम सब का खिल जाता है
कुछ अच्छा पढ़ने की तृप्ति पर...👍अच्छी कविता अनु👌👌
Thank you so much Ma'am for your appreciation
Deleteजब आप जैसे पाठक
मिल जाते हैं
मन मेरा भी खिल जाता है
निरंतर लिखते रहने की प्रेरणा पर🙏
आपको भी श्रावण मास की शुभकामनाएँ💐💐
ReplyDelete💐🙏 🙏💐
Deleteश्रावण मास आपकी जिंदगी खुशियों से भर दे।
Sundar kavita
ReplyDeleteThank you for your appreciation
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