हिन्दी दिवस में ही क्यूँ ?
हिन्दी, हिन्दी, हिन्दी,
इसकी गूंज, क्यों,
केवल हिन्दी दिवस,
में ही आती है?
बाकी दिन तो,
हिन्दी बोलने में भी,
किसी को रास,
नहीं आती है।
हिन्दी शब्दकोश का,
प्रचुर भंडार है,
अलंकार, मुहावरे, रस, छंद
इसमें अपार हैं।
तो सोचिए ज़रा,
आखिर हिन्दी,
बोलने में, इतनी
शर्म क्यों आती है?
हिन्दी हर रिश्ते को,
एक अलग पहचान,
एक अलग अस्तित्व,
एक अलग ही मान,
दिलाती है।
फिर क्या कारण है,
हमारी जिह्वा,
हिन्दी बोलने से,
कतराती है?
विदेशी भाषाएं,
हमें खूब भाती है,
हिन्दी बोलते ही,
प्रतिष्ठा घट जाती है।
आखिर क्यों हिन्दी,
अपने ही देश में,
मां भारती सा,
सम्मान नहीं पाती है?
हिन्दी पहचान है,
भारत की,
हिन्दी मान है,
भारत की।
तब हमें क्यों,
हिन्दी केवल,
हिंदी दिवस में ही,
याद आती है?
राष्ट्रीय हिन्दी दिवस के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
आज मैं कविता के माध्यम से आप सब के समक्ष एक प्रश्न रख रहीं हूँ।
कृपया एक बार सोचिएगा जरूर, अगर हम अपनी भाषा का सम्मान करेंगे, तभी दूसरे भी करेंगे।
Sunder bhavabhivyakti...
ReplyDeleteThank you very much for your appreciation
DeleteSateek prashn
ReplyDeleteNs
Thank you so much Ma'am for your valuable words
DeleteBeautiful, Inspiring
ReplyDeleteThank you very much for your appreciation
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