Advay the hero : Self-dependent
दिवाली का पाँच दिवसीय
त्यौहार पूरा हो गया था। advay अपनी बस का इंतज़ार कर रहा था। तभी
एक गरीब सी लड़की आई, उसके एक हाथ में बोतल और दूसरे हाथ में
बोरी थी।
Advay से रहा नहीं
गया, वो उसके पास गया। उससे उसका नाम पूछा। लड़की बोली मेरा
नाम सोनी है।
सोनी तुम यह क्यों कर रही
है? वो बोली तेल को छान कर मेरी माँ, उससे सब्जी
बनाएगी। तेल से भीगी रुई से चूल्हा जलाएगी। पता है ऐसी रुई से चूल्हा बहुत जल्दी
जलता है।
अच्छा! पर तुम दिये और पटाखे क्यों उठा रही हो? Advay
ने उत्सुकता से पूछा?
मेरी माँ दिये को तोड़कर और
चिपकाकर बहुत ही सुन्दर सुन्दर घर सजाने वाले सामान बनती है, उसके लिए ही ले जा रही हूँ।
और पटाखे? वो.... वो, तो उनमें से कोई अगर जले नहीं होंगे, तो मैं
उन्हें जलाकर खुश हो लूँगी।
सोनी सब सामान बीनती रही, advay की बस आ गयी, और वो school
चला गया।
जब advay घर आया, तो उसने अपनी mumma से
सोनी की सारी बात बताई, फिर पूछा, mumma
क्या हमको दिये नहीं जलाने चाहिए, या पटाखे
नहीं फोड़ने चाहिए? इसमें कितने पैसे बर्बाद हो गए। अगर हम
ऐसा नहीं करते, तो वही पैसे हम सोनी को दे देते, तो उसे यूँ तेल, रुई दिया बीनना नहीं पड़ता।
माँ बोली, तुम खाना खा लो, फिर मैं बताऊँगी क्या करना चाहिए।
उस दिन advay ने बहुत जल्दी खाना finish कर लिया, अब बताइये माँ?
माँ बोली, त्यौहार मनाना कभी भी पैसे की बर्बादी नहीं है। दिये भी जलाने चाहिए, पटाखे भी चलाने चाहिए। क्योंकि त्यौहार ही जीवन में खुशियों के रंग भरते
हैं।
किसी को भीख देकर या दान
देकर आप उस को हमेशा के लिए खुश नहीं कर सकते हो, क्योंकि
पैसा देने की एक limit होती है।
तब क्या करना चाहिए?
अब जो करने वाली बात है, वो यह है, कि आप उसे self-dependent बना दें। क्योंकि self-dependency ही खुश रहने की key
है।
अच्छा, तो उसके लिए मैं क्या करूँ?
सोनी को कोई नहीं जानता, पर तुम्हें apartment और school में सब जानते हैं। तुम उसकी माँ के बनाए सामानों को बेचने में उसकी मदद कर
दो, अगर सामान अच्छा होगा, तो सब खरीद
लेंगे, और उसे पहचान भी लेंगे।
तब आगे से तुम नहीं जाओगे, तब भी उसके सामान बिक जाएंगे, क्योंकि सब उसे जानते
होंगे, और उसके सामान को पसंद भी करने लगे होंगे।
Advay ने अगले दिन
सोनी को mumma वाली बात बता दी, और
कहा- तुम अपना सामान ले आना, मैं तुम्हें अपने साथ apartment
और school ले जाऊंगा।
सोनी सब ले आई, सामान सच में बहुत सुन्दर थे, हाथों हाथ बिक गए, और बहुत लोगों ने और सामान के order भी कर दिये। अगले पाँच दिन तक सोनी अपना सामान बेचती रही। उसकी बहुत अच्छी आमदनी हो गयी। सब ने
उसे आगे भी आते रहने को कहा।
सोनी advay के घर गयी, और बोली, advay
मुझ गरीब पर तरस खाकर बहुत लोगों ने कई बार पैसे, मिठाई, खाना, तेल, पटाखे, खिलौने दिये, पर वो सब
बस कुछ ही दिन चलते थे। पर तुमने माँ की दुकान चलवा कर हम लोगों को हमेशा के लिए गरीब बने रहने से बचा लिया।
अब मेरी माँ की दुकान चल
निकली है, तो मुझे तेल, रुई, दिया, पटाखे नहीं बीनने पड़ेंगे।
Advay की मेहनत रंग
लायी, आज सोनी self-dependent हो गयी थी।
Nice story👌
ReplyDeleteNs
Thank you very much for your appreciation
DeleteThanks for sharing this wonderful blog, being self-dependent is like an antidote to all your real-life problems. What’s better to have flexibility in your hands and be ‘aatm nirbhar’ in terms of everything, do read some tips on how to be aatm nirbhar.
ReplyDeleteThank you very much Ma'am for your appreciation 😊
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