दर्द
कुछ लड़के, चिड़िया के घोंसले से अंडा गिरा कर बहुत खुश हो रहे थे। आने-जाने वाले तमाशा देख रहे थे, पर कोई कुछ नहीं बोल रहा था।
वही लड़के जब बड़े हुए तो उनके अपराध भी बड़े हो गए, अब बोलने वाले तो बहुत हो गये, पर सज़ा फिर भी नहीं मिली।
लड़कों के अपराध और बढ़ गये, बात अब लड़कियों की अस्मत से देश की सुरक्षा तक पहुंच गई, क्योंकि वो आतंकवादी बन चुके थे।
काश पहले दर्द पर ही सज़ा मिल जाती, या सही संस्कार दे दिए जाते, तो सब सुरक्षित रहते।
तमाशबीन अपना इंसान होने का उत्तरदायित्व जिस दिन समझेंगे उस दिन से शायद कुछ बदलाव की अपेक्षा की जा सकती है।
ReplyDeleteचंद शब्दों में आपने बहुत सुंदर तरीके से संदेश दिया है।
आपका अनेकानेक धन्यवाद 🙏
Deleteआपके अमूल्य शब्दों ने मुझे लिखते रहने की प्रेरणा प्रदान की है।