हिंदू धर्म में हर माह आने वाली पूर्णिमा का खास महत्व होता है। इन सभी पूर्णिमाओं से शरद पूर्णिमा को विशेष कल्याणकारी माना गया है।
अश्विन माह में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इस पूर्णिमा को कौमुदी, कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है। ये पर्व रात में चंद्रमा की दूधिया रोशनी के बीच मनाया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि पूरे साल में केवल शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस दिन चंद्र देव की पूजा करना शुभ होता हैं. शरद पूर्णिमा के दिन व्रत करना विशेष फलदायी होता है.
शरद पूर्णिमा तिथि एवं पूजा मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आज यानी 19 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 3 मिनट पर शुरू होगी और 20 अक्टूबर रात 8 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी।
उदया तिथि के अनुसार शरद पूर्णिमा का व्रत कल यानी 20 अक्टूबर, बुधवार के दिन रखा जाएगा।
पर खीर का भोग आज रात में ही लगा दिया जाएगा। क्योंकि कल चंद्रमा रात में केवल 8 बजकर 26 मिनट तक ही रहेगा।
अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस दिन व्रत रखेंगे और किस दिन खीर का प्रसाद बनाएंगे।
शरद पूर्णिमा में खीर का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चन्द्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है और इस दिन से शरद ऋतु का आगमन होता है। इस दिन चंद्रमा की दूधिया रोशनी में दूध की खीर बनाकर रखी जाती है और बाद में इस खीर को प्रसाद की तरह खाया जाता है।
शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान में रखने की मान्यता है। इसके पीछे का तर्क है कि दूध में भरपूर मात्रा में लैक्टिक एसिड होता है। इस कारण चांद की चमकदार रोशनी दूध में पहले से मौजूद अच्छे बैक्टिरिया को बढ़ाने में सहायक होती है। वहीं, खीर में पड़े चावल इस काम को और आसान बना देते हैं।
अतः इस खीर को खाने से शरीर को रोगों से मुक्ति मिलती है।
शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन व्रत करना फलदायी सिद्ध होता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण, चंद्रमा की सभी सोलह कलाओं से युक्त थे। इस पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा से निकलने वाली किरणें चमत्कारिक गुणों से परिपूर्ण होती है। नवविवाहिता महिलाओं द्वारा किये जाने वाले पूर्णिमा व्रत की शुरुआत शरद पूर्णिमा के त्यौहार से होती हैं तो यह शुभ माना जाता है।
लक्ष्मी माता का पूजन
इस दिन बंगाल व कुछ अन्य States में धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती हैं।
ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी का जन्मदिन होता है। माँ लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान शरद पूर्णिमा में प्रकट हुई थीं।
इसलिए आज के दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है।
शरद पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। इस दिन उनके आठ रूप धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, राज लक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, कमला लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है।
मान्यताओं अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ गरूड़ पर बैठकर पृथ्वी लोक में भ्रमण के लिए आती हैं। इतना ही नहीं इस दिन माँ लक्ष्मी घर-घर जाकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और वरदान देती हैं।
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पूरी प्रकृति माँ लक्ष्मी का स्वागत करती है। कहते हैं कि इस रात को देखने के लिए समस्त देवतागण भी स्वर्ग से पृथ्वी आते हैं।
शरद पूर्णिमा का व्रत रखने के बाद, रात्रि में माता लक्ष्मी जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से धन समस्याओं का अंत होता है और धन तथा वैभव की प्राप्ति होती है।
No comments:
Post a Comment
Thanks for reading!
Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)
Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.