सबसे सुंदर
एक बार पास के गांव में एक बड़ा मेला लगा था। राजा कब से माँ के पीछे पड़ा था, मेले घूमाने को।
पर माँ, अभी तक मेले घूमने जाने के लिए पैसे इकट्ठा नहीं कर पाई थी।
वो बोली, बेटा आज पक्का मेला घूमने जाएंगे, तू तैयार रहना, आज मालिक तनख्वाह देने वाले हैं।
राजा खुशी से उछलने लगा।
शाम को वो तैयार था, माँ के आते ही वो झूमने लगा कि अब मेला घूमने जाएंगे।
माँ ने अपने बेटे का सिर प्यार से चूमा और चलने को कहा।
दोनों लोग मेले में पहुंच गए। मेले में बहुत भीड़ थी, मानों पूरा गांव ही उमड़ पड़ा हो।
मेले में था भी तो बहुत कुछ, दुनिया के सामानों की stalls, खाने-पीने के सामानों की stalls, दुनिया के खिलौने, जादू का खेल, झूले, बंदरों का खेल, नट नटनी के करतब, सांप का खेल और भी बहुत कुछ।
मेले में आकर कितना भी समय गुजार दो, कम ही लगता।
राजा भी माँ के साथ मेला घूम रहा था और हर चीज़ देखकर उसकी तरफ मचलने लग रहा था।
घूमते हुए वो लोग मदारी के पास ले गुजर रहे थे, तो माँ तो आगे बढ़ गई, पर राजा वहीं बंदर का खेल देखने लगा।
जब खेल खत्म हो गया, तो राजा माँ को ढूंढने लगा, पर माँ कहीं नहीं थी।
अब राजा माँ- माँ करके रोने लगा।
मेला कमेटी के लोगों ने उससे पूछा, क्या नाम है तुम्हारा? और किस के साथ आए हो? तुम्हारे गांव का क्या नाम है?
राजा बहुत सहम गया था, इसलिए कुछ नहीं बता पा रहा था, बस माँ-माँ करके रोता जा रहा था।
एक ने कहा, अच्छा यह बता, तेरी माँ देखने में कैसी लगती है।
राजा बोला, बहुत सुंदर, मेरी माँ सबसे सुंदर है।
कमेटी वाले, सोचने लगे, यह तो काला भुजंग है और माँ बहुत सुन्दर!
यह ज़रुर से बाप पर गया होगा।
खैर कमेटी वाले, मेले में उपस्थित बहुत सी खूबसूरत स्त्रियों को राजा के सामने लाते रहे, पर राजा सबके लिए इंकार करता रहा।
शाम से रात होने को आ गई, पर राजा की माँ नहीं मिली।
कमेटी वाले थक कर चूर हो गये और घर जाने को भी आतुर हो गये थे। पर बच्चे को यूं अकेला छोड़ कर भी नहीं जाना चाहते थे।
तभी एक बेहद काली, जिसके मुंह पर चेचक के दाग़ भी थे। सिलवटों से भरी साड़ी और अस्त-व्यस्त से बालों वाली परेशान सी महिला सामने से गुजरी।
राजा उसको देखकर, लपककर उसकी गोदी में चढ़ गया, वो भी राजा को खुशी से भर कर बेतहाशा चूमने लगी।
कमेटी वाले, एक दूसरे का मुंह देख रहे थे, और सोच रहे थे, यह कहाँ की सुंदर है?
पर अगर एक बच्चे की नजर से देखेंगे तो हर बच्चे को अपनी माँ, दुनिया में सबसे सुंदर लगती है और हर माँ को अपना बच्चा बहुत सुंदर...
वैसे भी असली सुंदरता, रंग रूप में नहीं है बल्कि भाव में है।
इसलिए ही कान्हा जी, सांवले होने पर भी बहुत सुंदर लगते हैं, सबसे सुन्दर!...
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