Thursday 8 February 2024

Trip Review : Amritsar - सफर देशभक्ति और आस्था का -4

Trip Review : Amritsar - सफर देशभक्ति और आस्था का 

Trip Review : Amritsar - सफर देशभक्ति और आस्था का -2

Trip Review : Amritsar - सफर देशभक्ति और आस्था का -3 

अब तक आपको तलवार म्यूजियम, वाघा बॉर्डर, रामतीरथ, golden temple के विषय में बता चुके हैं, अब आगे...

Trip Review : Amritsar - सफर देशभक्ति और आस्था का - 4  



माता लाल देवी मंदिर 



अगले दिन हम माता लाल देवी मंदिर गए, माता लाल देवी, वैष्णो माता रानी की बहुत बड़ी भक्त थीं। अतः उन्होंने अमृतसर में वैष्णो माता रानी जी मंदिर बनवाया, जिससे जब तक माता रानी के दरबार ना जा पाएं तो वहीं दर्शन कर लें। लाल माता मंदिर के ऊपर ही वैष्णो देवी मंदिर बना है। मंदिर बहुत अच्छा था, इसमें हम घूम-घूम कर आगे बढ़ते जा रहे थे, पूरा रास्ता बहुत अच्छे से समझाया गया था, और कोशिश की गई है कि वहां पहुंच कर आपको वैष्णो देवी मंदिर जैसा ही एहसास हो। 

अंत मे एक गुफा भी है, जिससे होकर माता रानी जी के दरबार में पहुंचते हैं।

हालांकि वैष्णो माता के दरबार सा, पूरी तरह तो नहीं लगेगा, लेकिन जब तक माता रानी का बुलावा नहीं आ जाता, यहां दर्शन करने जाना, सुख की अनुभूति प्रदान करता है।

उसके बाद हम लोग चल दिए अमृतसर की जान सड्डा पिंड की ओर...


सड्डा पिंड 


सड्डा पिंड अमृतसर में एक fun loving place है। इसका टिकट थोड़ा मंहगा ज़रूर है, पर यहां जाकर आपको पंजाब के पूरे culture के विषय में पता चल जाएगा।पंजाब की संस्कृति, विरासत एवं परंपराओं को दर्शाने के लिए एक अनोखे open air musium साड्डा पिंड में कलाकृतियों एवं इमारतों का दुलर्भ संग्रह देखने को मिलता है। लगभग 12 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में फैली इस जगह को पंजाब के ग्रामीण परिवेश को दर्षाने वाली जगह के रूप में विकसित किया गया है। 

वहां की दिलेरी, वहां का बांकपन, वहां का उल्लास, उत्साह और उमंग, वहां की बेबाकी, वहां का खान-पान, वहां की आस्था, वहां की देशभक्ति, वहां की मेहमाननवाजी, in short क्या है पंजाब...

यहां आप को बहुत कुछ ऐसा देखने को मिलेगा, जो आपने अपने बचपन में देखा होगा या बचपन की मीठी कहानियों में सुना होगा।

सड्डा पिंड का अर्थ है, हमारा गांव...

यहां पहुंच कर आपको लगेगा, जैसे आप किसी गांव में आ गए हैं। वहां आपके स्वागत में सबसे पहले आपको पंजाब का देशी या यूं कहें गांव के खाने का आनन्द मिलेगा। मस्त सरसों का साग और नर्म-नर्म मक्के की रोटी, ठंडी-ठंडी छाछ और गर्मागर्म स्वादिष्ट बाजरे की खिचड़ी, मठ्ठी मटर और मीठे चावल... यह सब देते हुए प्रसन्न और मस्त लोग, कि यह सब खाकर आप भी पंजाब के रंग में रंगने लगेंगे। खाना कितना है, और कितनी बार खा सकते हैं? यह तो आपके मन पर निर्भर करेगा... क्योंकि वो लोग तो बहुत प्रेम से परोसते जाएंगे।

पर ध्यान रखिएगा आगे होटल की शान वाले items भी आपके स्वागत के लिए lunch or dinner में आपका इंतजार कर रहे हैं। कहीं बहुत अधिक पेट भर जाने से आप उसका लुत्फ़ उठाने से वंचित ना रह जाए।

एक बात बता दें आपको, आप चाहें मौसम में जाएं या बेमौसम, आपके स्वागत के लिए सरसों का साग और मक्के की रोटी हमेशा तैयार मिलेगी। 

अंदर और बढ़ने पर एक के बाद एक event थे, एक से एक बढ़कर, अद्भुत और अनोखे। सबसे एक से एक जुड़े रहते हैं, एक ख़त्म होता है और दूसरा शुरू। पर हां एक भी छोड़िएगा नहीं, क्योंकि यहां छोड़ने पर फिर वो आपको कहां मिलेंगे पता नहीं?

आगे बढ़ने पर कुछ games थे। हर टिकट पर per head दो games free थे। हम चार थे तो 8 games free थे तो बच्चों ने उसमें भी खूब enjoy किया, हमने भी। उसके अलावा झूले भी बहुत तरह के थे, उसका भी अलग आनन्द था।  

साड्डा पिंड में स्थानीय कुम्हारों, लोहारों, बुनकरों एवं अन्य कारीगरों के खोखे भी बने हुए हैं, जिनमें उन्होंने अपना सामान प्रदर्शित किया है। यहां पर फुलकारी दुपट्टे, जूतियां, परांदियां, संगीत वाद्य, मिट्टी के खिलौने एवं कृषि औज़ार आदि ख़रीदे जा सकते हैं। 

यहां पर, camel ride, bullock cart ride, etc भी थी, जो reasonable price पर थी। पर वहां इतने event थे और हमारे पास time कम था इसलिए हमने वो rides नहीं ली।

क्योंकि हमें उस दिन और जगह भी जाना था तो हम lunch के लिए, उनके restaurant area में चले गए और वहां पर lunch enjoy किया। वहां भी बहुत varieties थी और taste लाज़वाब.. खाने में जो जितना मन करे उतना खाएं। बस एक बार serve कर लीजिए और अपनी table पर चले जाएं, उसके बाद आपको जो चाहिए वो आपकी table पर पहुंचा दिया जाएगा। वहां की दाल मखनी तो बेमिसाल थी, क्योंकि उसमें चूल्हे पर बनी सुगंध बेमिसाल थी...

अच्छा ध्यान रखिएगा कि restaurant में अंदर जाने के लिए आपके हाथ में band होना बहुत ज़रूरी है, जो कि टिकट लेने के साथ ही बांध दिया जाता है और restaurant से बाहर निकलते ही काट दिया जाता है।

सड्डा पिंड का आनन्द लेकर हमारा सफ़र बढ़ चला, दूसरी मंजिल की तरफ...

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