कल का जो चुनाव परिणाम आया है, उसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। ना BJP को, ना विपक्ष को और ना ही जनता को, यहाँ तक exit poll भी कुछ और कहानी कह रहे थे।
Exit poll के according BJP का पूर्ण बहुमत पक्का था, फिर कहाँ चूक गए मोदी जी?
कहाँ चूके मोदी जी
इतने अच्छे राजनीतिक विश्लेषकों के होने के बाद भी कहाँ चूक हो गई?
NDA ने तो पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है, पर इस बार BJP को सत्तारूढ़ होने के लिए सहारा अवश्य लेना पड़ेगा...
देश में सर्वाधिक votes BJP को ही मिले हैं, इतने विपक्ष में सब मिलकर भी नहीं जुटा पाए।
पर पूर्ण बहुमत नहीं जुटा पाने के कारण BJP खुशी के उस चरम तक नहीं पहुंच पाई, जो पिछले दो कार्यकाल में पहुंच रही थी।
और विपक्ष हार के भी ऐसे जश्न मना रहे हैं, जैसे सत्ता उन्हें मिल जाएगी। क्योंकि इस बार, उनका मुख्य उद्देश्य केवल BJP का बहुमत का विजय रथ रोकना था। और वो इस पर कुछ हद तक कामयाब भी रहे...
पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के कारण कुछ बड़ी जीत कहीं गुम हो गई, जैसे दिल्ली और मध्य प्रदेश में, BJP को clean sweep मिला है, जो कि एक अच्छी खबर है।
पर चूक कहां गए?
उत्तर प्रदेश में...
उत्तर प्रदेश seats के मामले में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रहता है। इसकी लोकसभा चुनाव में पूरी 80 सीटें रहती हैं। उसके बाद महाराष्ट्र में 48 सीटें, बंगाल और आंध्र प्रदेश में 42 सीटें और बिहार में 40 सीटें।
इसका अर्थ है कि जब भी लोकसभा चुनाव हो, सबसे अधिक ध्यान उत्तरप्रदेश में केन्द्रित करना चाहिए, जो कि नहीं किया गया।
उत्तरप्रदेश को for granted ले लिया गया, या बहुत हल्के में ले लिया गया। यहाँ ना चुनाव प्रचार पर ध्यान दिया गया, और ना ही इस ओर ध्यान दिया गया कि जो public BJP को votes देना चाह रही है, उनके पास पर्ची भी पहुंची है कि नहीं?
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण करा दिया, पर उसके पूर्ण होने से पहले ही उद्घाटन कर दिया, दूसरा southern India को रिझाने के लिए मूर्ति south से लाकर लगवा दी।
अयोध्या में राम मंदिर बनवाने का कार्य होते हुए भी यह BJP के कोई काम नहीं आ सका। अगर राममंदिर निर्माण के तुरंत बाद ही elections हो जाते तो, प्रभू श्री राम जी अवश्य ही विजय पताका फहरवा देते…
क्योंकि उस समय लोग राम मय थे। पर समय मिल जाने से लोगों को राममंदिर की अपूर्णता और काली मूर्ति खटकने लगी।
वैसे उनका तो क्या ही कहें, जिन्होंने निर्माण करने वालों को vote देने के बजाय विध्वंस करने वालों को vote दे दिया।
अयोध्या और लक्षद्वीप में रहने वाले लोग तो एक बार सोचें जरुर, जिनके विकास के लिए किसी ने नहीं सोचा, उनके विषय में सोचने वालों को उन्होंने क्या सिला दिया?
दूसरा उत्तरप्रदेश को लेकर BJP over-confident थी, इसलिए वो अन्य राज्यों में ही अपना ध्यान केंद्रित करती रही...
नतीजा वहां से तो ज़्यादा कुछ मिला नहीं, यहाँ की पक्की seats भी हाथ से जाती रहीं...
इसी तरह की छोटी-छोटी-सी नज़रंदाजी ही थी, जिसके कारण जो नहीं सोचा था, वो हो गया।
गनीमत इतनी है कि NDA के 292 votes आ गए हैं और एक बार फिर मोदी जी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ेगा।
पर यह एक सबक है BJP के लिए, कि उन्हें public आंखें मूंद कर नहीं चुनेगी, भरोसा दिलाना पड़ेगा, कि वो ही देश को सुचारू रूप से चलाएंगे।
और यह अगले साल होने वाले CM के election के लिए एक alarm है कि उन्हें अभी से सचेत हो जाना पड़ेगा, अन्यथा अभी तो कुछ seats ने सबक दिया है, उसमें कोताही बरती तो सीधा उत्तर प्रदेश हाथ से जाएगा।
अखिलेश यादव ने अपनी तरफ से कोशिश आरंभ कर दी है, जिसकी एक झलक दिखाई दे रही है, साथ ही BJP को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि कुछ समय पहले, बहुत लम्बे समयांतराल तक उत्तरप्रदेश पर सपा ही सत्तारूढ़ थी।
जो प्रयासरत रहता है, फल भी उसे ही मिलता है।
फ़िर एक बार, मोदी सरकार 🙏🏻🇮🇳
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