Monday, 28 October 2024

Article : समर, हिन्दुत्व की रक्षा के लिए...

आज का यह article, एक समर (लड़ाई) है, हिन्दुत्व की रक्षा का...

और इस समर के होने की बहुत ज़्यादा आवश्यकता भी है, क्योंकि बहुत सालों से एक slow poison देते हुए हिन्दुत्व का अंत करते जा रहे हैं, और जाने-अनजाने, हम सब हिन्दू, इसके भागीदार बनते जा रहे हैं....

जानना है कैसे?

समर‌, हिन्दुत्व की रक्षा के लिए…

1) Firecrackers (पटाखे) :

दीपावली के आते ही पटाखों द्वारा फैलने वाले प्रदूषण की दुहाई, बच्चों को school में 10 दिन पहले से दी जानी शुरू कर दी जाती है। उनके कोमल मन-मस्तिष्क में इतने अच्छे से यह बात बैठा दी जाती है कि कोई भी बच्चा अपने माता-पिता से पटाखे लाने की ज़िद ही न करें और अगर कोई उन्हें पटाखे लाकर दे दे, तो भी उन्हें जलाने को वो लालायित न हो।

माना थोड़ा प्रदूषण होता है, पर केवल दीपावली में? Christmas पर, New Year पर, किसी के स्वागत पर, कोई बड़ा event होने पर, जीत का जश्न मनाने पर, पटाखे फोड़ने से प्रदूषण नहीं होता है क्या? 

कमाल है ना? दीपावली पर फोड़े जाने वाले पटाखे ही केवल प्रदूषण फैलाते हैं... 

ईद पर सैकड़ों बकरे-मुर्गे कट जाएँ तो, किसी तरह का कुछ ग़लत नहीं होगा। किसी school में 'बच्चों को जीव-हत्या नहीं करनी चाहिए', यह समझा कर brain wash नहीं किया जाएगा।


2) Traditional lamps (दीए) :

दीपावली पर दीए जलाकर पूजा की जाती है, लेकिन वो दिन दूर नहीं जब उसे भी प्रदूषण फैलाने वाले कहकर पाबंदी लगा दी जाए, वैसे भी lightings तो आती ही हैं बाजार में, electric दीयों की भी खूब धूम है।

Electric दीया भी बाजार में यह कहकर खूब बेचे जा रहे हैं कि, ना तेल फैलने का झंझट और ना धुएं से प्रदूषण....

अब यह छोटे-छोटे दीए भी अपना अस्तित्व कब तक बचा पाएंगे, ईश्वर ही जाने...


3) Food items (पकवान) :

आज कल लोग, मिठाई और पकवान को हिकारत भरी हुई नजरों से देखने लगे हैं, below standard समझने लगे हैं। 

तो वहीं कुछ लोग, कुछ ज्यादा ही diet conscious हो गये हैं, पूड़ी-कचौड़ी, मीठा-मिठाई देखते ही उन्हें उसमें fat and calories दिखने लगती है, 440 volt का current लग जाएगा।

वो उन्हें न अपने घर में बनाएंगे, न लाएंगे, न खाएंगे। मिठाई की जगह dryfruits and chocolates ने ले ली है और पकवान के नाम पर pizza, pasta, burger and dine out ने ले ली है। 

उसमें fat and calories नहीं दिखेगी... यह सब करना high standards में शुमार है। 

दीपावली पर आने वाले, खील-खिलौने, लइया-बताशे, यह तो अब सब जगह से obsolete ही हो गये हैं।


4) Makeup (श्रृंगार) :

उसकी भी दुर्गति हुई रखी है, एक दिन के लिए भी भारतीय वेशभूषा और श्रृंगार नहीं किया जाता है। उस दिन भी छोटे-छोटे, या इधर-उधर से खुले, फटे, कपड़े ही पहनें जाएंगे। Ladies से न मांग में सिंदूर लगाया जाएगा, न माथे पर बिंदी और न gents से माथे पर तिलक लगाया जाएगा।


5) Cleaning (साफ-सफाई) :

दीपावली पर साफ-सफाई केवल घर से जाले, धूल-धक्कड़ साफ़ करना ही नहीं होता है, बल्कि एक जरिया है, साल भर में बिताए गए लम्हों से रूबरू होने का, क्योंकि साफ-सफाई करते हुए न जाने कितनी हसीन यादों से मुलाकात होती है...

आजकल, बहुत सी companies, किराए पर सफाई करने वालों की facilities देती हैं। बस उनको बुलाओ और काम आसान.... 

एक तरह से देखा जाए, तो जो दीपावली का स्वरूप हमारे बचपन में था, वैसा अब कुछ नहीं रह गया है। न वो साफ-सफाई, न वो सजावट, न वो मिठाई-पकवान, न वो श्रृंगार, न वो पूजा-पाठ...


6) Changes (with time) :

धीरे-धीरे सब कुछ बदल गया और बदलता ही जा भी रहा है, जो कहीं न कहीं, इस बात का द्योतक है कि हिन्दुत्व का अंत होता जा रहा है। जिसके जिम्मेदार भी हम हिन्दू हैं और जिसका कारण भी हम हिन्दू ही हैं।

पर आखिर कब तक और क्यों? 

हम अपने ही अस्तित्व पर प्रहार करते रहेंगे? सोते रहेंगे? Ignore करते रहेंगे? मूर्ख बनते रहेंगे? खोखली आधुनिकता को बढ़ावा देते रहेंगे? 

आखिर कब हमें एहसास होगा कि हमारा एक कर्तव्य, अपने धर्म, अपनी संस्कृति की रक्षा करना भी है।

चलिए, दीपावली से पहले से ही शुरू करें, समर, हिन्दुत्व की रक्षा का...

बहुत तोड़-मरोड़ लिया, हमारे धर्म, आस्था और त्यौहार को, पर बस, अब नहीं...

अब हम वापस से, पांच-दिवसीय दीपोत्सव के त्यौहार को उसी पारम्परिक रूप से, उसी धूम से मनाएंगे, जैसे हम बचपन में मनाया करते थे।

घर को साफ-सुथरा करके, दीप और फूलों से सजा कर, मिठायों और पकवानों की खुशबू से महका कर, खील-खिलौने, लइया-बताशे लाकर,पारंपरिक वस्त्राभूषण धारण कर, सम्पूर्ण रीति-रिवाजों के साथ पूजा-पाठ करके दीपावली मनाएंगे। तभी तो ईश्वर, घर के कोने-कोने में सुख-समृद्धि बरसाएंगे।


सभी को दीपावली के पांच दिवसीय त्यौहार की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻 🎉

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