पलायन
आज नीना फिर अपनी बेटी के साथ दरवाजे पर
दस्तक दे रही थी।
अरे नीना, तुम तो गाँव जाने वाली थीं ना ? फिर क्या हुआ ?
नहीं भाभी अभी नहीं जा रहे हैं , मेरा घर वाला बोल रहा है, कि अभी वही जाएगा, बीज बो देगा, फसल बढ़ाएगा, कटाई के समय सब जाएंगे।
अभी से सब जाएंगे तो खर्चा बढ़ जाएगा, मैं और बेटी यहीं से पैसा कमा कर गाँव भेजेंगे।
भाभी, किसी और को तो काम के लिए नही बोली हो ना, मै ही करूंगी, और चार महीना, फिर रख लेना दूसरी भाभी, इत्ता और बरदाश्त कर लो मेरे खातिर, बिटिया को भी पूरे दिन के लिए काम पकड़ा दूँगी।
नीना, बहुत अच्छा काम करती थी, साथ ही बहुत अच्छे दिल की भी थी, जो भी काम बोलो शांति के साथ कर के चली जाती।
चार साल मे एक रिश्ता सा बन गया था, ना उसे कोई और जगह काम करना पसंद था, न हमें कोई और समझ आती थी, पर दो दिन पहले ही नीना ने बोला, कि उसका घर वाला अब गाँव में वापिस चलने की कह रहा है, हिसाब कर दें, और कोई दूसरी खोज लें।
क्या कर सकते थे? किसी को उसके घर जाने से तो नहीं रोक सकते थे, उसका सारा हिसाब कर दिया, और दूसरी खोजनी भी शुरू कर दी थी।
अब जब नीना नहीं जा रही थी, तो दूसरी रखने का तो सवाल ही नहीं उठता, पर चार महीने कब गुजर गए, पता ही नहीं चला।
आज नीना और उसकी बेटी
बहुत खुश थे, उनके खेत में फसल
लहलहा रही थी ,नीना ने आते ही कहा-
भाभी, अब के गाँव गए तो फिर ना पलटेंगे, अबकी फसल बहुत ही अच्छी हुई है, मुनीम का सारा कर्जा छूट जाएगा बिटिया के भी हाथ पीले करने का मन बना रहे हैं।
हमको चार सौ रुपईया एडवांस दे देना, टिकट के लिए। हम तो नही आयेंगे, मेरा घरवाला फसल के पैसे मिल जाने पर, आपके पैसा चुका जाएगा।
सोचा, चार साल इससे जो कहा इसने सब किया, आज इसे चार सौ रुपये extra चाहिए, तो दान समझ के दे देते हैं, पर फिर मन में लगा, ये चार सौ चुकाने के बहाने अपने पति को भेजेगी, तो इसका हाल पता चल जाएगा, वरना एक बार गाँव गयी तो कहाँ पलटने वाली है।
उसे इस हिदायत के साथ चार सौ रुपये extra दे दिये, कि भूलना मत, भिजवा जरूर देना।
सोच रही थी, कि कितने खुश-किस्मत होते हैं, जिनका अपना गाँव होता है, और ये सरकारी नौकरी भी नही होती, शहर से मन भरा, बस उठाया बोरिया बिस्तर, और चल दिये गाँव की ओर।
कभी कभी तो
ये भी लगता, कि अपने पास भी
गाँव होता तो यहाँ आते ही नही, वहीं रहते हमेशा, ना जाने क्यूँ, लोग अपनी जगह छोड़ आते हैं।
इन्हीं विचारों में डूबी थी, कि अचानक से काफी तेज़ आँधी आने लगी, दौड़ के कपड़े उठाने भागी, तभी तेज़ बारिश भी शुरू हो गयी, और कुछ देर मे ही बड़े बड़े ओले भी गिरने लगे।
रात बीत गयी, सुबह अखबार मे बड़ी सुर्खियों मे लिखा था,
किसानों की मेहनत पानी, ओलों से हुई बर्बाद।
पढ़ते ही सब से पहले नीना का ख्याल आया, कल दोनों माँ-बेटी, कितनी खुश थी, उनके गाँव जाने की बातें सुन कर मैं भी गाँव जाने के हसीन ख्वाब में खो गयी थी, इस फसल से उनकी, कितनी उम्मीदें जुड़ी थी, उसके सारे सपने इन ओलों के भेंट चड़ गए थे।
आज मैंने नीना के आने का इंतज़ार नही किया, उसके घर खुद ही भागी गयी, नीना अपनी बेटी के संग फूट फूट के रो रही थी, बोली भाभी अब हम कभी गाँव नही जा पाएंगे, हमारा सब बर्बाद हो गया, अब तो गाँव का घर भी बिक जाएगा, इसके बापू ईंटों की भट्टी मे काम करेंगे, मुझे और बेटी को भी चार घर काम करना पड़ेगा, अब तो तब ही कर्जा छूटेगा। उसे बड़ी मुश्किलों से समझा-बुझा के घर आई।
आज किसानों का दर्द
और उनके गाँव छोड़ने की वजह समझ आ रही
थी, कि ये लोग
एक फसल में अपना सबकुछ झोंक देते
हैं, और एक ही आपदा कैसे
इन्हें तोड़ के
रख देती है, और ना चाहते हुए भी इन्हें पलायन
करना पड़ता है।
Very true...n very touching
ReplyDeletethank you
ReplyDeletekeep visiting
वाक़ई कटु सत्य है ...बंजर धरती से सोना उगाने की माद्दा रखने वाले अन्नदाता को कभी प्राकृतिक आपदा तो कभी राजनीतिक स्वार्थ के चलते बहुत हानि उठानी पड़ती है। ...सच्ची कहानी ..अच्छी कहानी👌
ReplyDeleteसराहना के लिए धन्यवाद ऋतु,
ReplyDeleteएक कोशिश की है,किसानों की वेदना व्यक्त करने की
Really.A very touching and emotional story
ReplyDeleteThank you Reema for your visit and valuable comments
ReplyDeletekeep visting
your visit to the blog followed by feedback/suggestions motivates me
ReplyDeletekindly share your thoughts
यथार्थ को उकेरती हुई ,बहुत अच्छी कहानी है ।शीर्षक चयन भी अच्छा है ।
ReplyDeleteGood to see you
ReplyDeleteThank you for your visit and your valuable comments
Keep visiting
आपके सराहनीय शब्दों ने मुझमें नयी ऊर्जा का संचार कर दिया है,कोटि कोटि धन्यवाद
ReplyDeleteJai jawan jai kisaan ka slogan ka yhi meaning h bina kisaan k progress kare Desh progress nahi kar sakta
ReplyDeleteThank you so much for your appreciation
DeleteYour words energized me