अब तक आपने पढ़ा, कैसे रितेश और अलिया एक दूसरे से प्यार करने लगे ,तो इसमें ऐसा भी क्या हो गया, कि उनकी दोस्त मीरा सहम गयी, जानने के लिए पढ़िए
प्यार तो प्यार है -Part 2
ऐसा भी क्या कर दिया, जो तुम इतनी परेशान हो, दोनों समवेत स्वर में
बोले?
ये अलिया खान है, और तुम रितेश शर्मा, दोनों ने प्यार करने कि भूल कैसे कर ली? कैसे मिल पाओगे दोनों? क्या तुम्हारे
माता-पिता इसके लिए राजी होंगे?
दोनों ने प्यार करते वक़्त, धर्म समाज के बारे में सोचा ही
नही था, पर
आज मीरा
ने उन्हे सच्चाई से अवगत करा दिया था।
दोनों ने decide
किया,
आज ही घर में, बात करेंगे।
वही हुआ,
जिसका डर था, दोनों घरों में कोहराम
मच गया।
रितेश और अलिया भी अडिग रहे कि हम
इंसानों ने प्यार किया है, धर्म को नही, इंसानियत को ही माना जाए।
आखिरकार बच्चो की जिद के आगे, दोनों के परिवार वाले मान तो गए,पर इस शर्त पर कि, जब वो अपनी ससुराल में होंगे, तो
उन्हे उनके धर्म के नाम के अनुसार नाम से पुकारा जाएगा।
रितेश का रहमान और अलिया का श्वेता नाम
रख दिया गया। प्यार के आगे अपनी पहचान खोना, उन्हे मंजूर करना
पड़ा।
दोनों एक दूसरे के परिवार मेँ रंगने लगे, पर परिवार ने हाँ तो कर दी, पर
उन्हे दिल से नही अपना पाये, कोई अलिया के गोरे रंग कि तारीफ करता तो, रितेश कि माँ को यही लगता, इसी
गोरे रंग को देख कर मेरा बेटा ऐसा दीवाना हो गया,
कि धर्म -समाज सब भूल गया।
उधर रितेश को भी दामाद सा मान सम्मान
नही मिल रहा था। पर दोनों ने अपनी अच्छाई नही छोड़ी,
दोनों पूरे भाव से परिवार की सभी मांगों को निभाने में लगे रहे।
अलिया के अब्बू, homeopathy
के काफी अच्छे doctor
थे, पर
अब वो बुजुर्ग हो चले थे, अलिया का कोई भाई नही
था, stockist से medicine
लाने की भाग दौड़, उन से अब संभव नही
हो पा रही थी, जिसके चलते मरीज़ कम
हो रहे थे।
रितेश को पता चला, तो उसने अब्बू
को बिना बताए.......
अलिया के अब्बू को
बिना बताए रितेश ने क्या किया.......
जानते हैं प्यार तो प्यार है के Part 3 में
Good story..Waiting for the next part...
ReplyDeleteThank you for your valuable comments
DeleteHmmm.....and the suspense continues...
ReplyDeleteNice style.
keep up the good work.
Thank you, for your inspiring words
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