वो नज़र
मैं एक बहुत साधारण
सा दिखने वाला,
bank में
clerk की
post पर
कार्यरत हूँ। अपनी साधारण सी सूरत और मामूली सी job से मैं पूरी तरह से संतुष्ट था। मेरे ही साथ
रोहित भी बैठता है। वो बेहद ही smart है।
कोई भी बैंक आता तो,
सबसे पहले सब उसकी ही desk पर
जाते थे। और अगर ladies की
बात करें,
तो वे हमेशा ही उसकी desk की
ओर ही जाती थीं। गर कोई नहीं भी जाती, तो वो उनके पास जा कर पूछ लेता , May I help you Ma’am ?
उसके बाद तो सब वहीं ही चली जाती।
उसे अपनी smartness का बेहद
घमंड भी था। और सबसे
ज्यादा तो वो मुझे चिढ़ाता था, अरे मुकुल तुम तो काम करो, काम.....
तुम्हारे पास तो कोई आता भी
नहीं है। आएगा भी क्यों? कभी अपनी सूरत देखी है? कौन जाएगा काले कौए
के पास,
जब मोर भी देखने को मिल रहा हो। और इसके साथ ही वो ज़ोर से ठहाका लगाता।
पर मुझे उसकी बातों
से कोई भी फर्क नहीं पड़ता था। मैं बहुत
अच्छे से जानता था,
किसी हद तक वो ठीक भी था।
कि जैसा मैं हूँ,
कौन आएगा भला।
पर एक दिन की सुबह कुछ
अलग रंग में ही आई। हम सभी आकर bank
में अभी बैठे ही थे कि भीनी-भीनी
सी खुशबू पूरे bank
में फैल गयी। जब
उस तरफ देखा, तो पाया, एक बला की सुंदर लड़की
ने प्रवेश किया था। वो इतनी गोरी थी, कि लग रहा था, कि उसे कोई छू लेगा तो वो, मैली हो जाएगी। उसने jeans व red top डाला हुआ था। जो उसके गोरे रंग पर बहुत ही फब रहा था। उसके सुनहरे घुँघराले बाल उसके चहरे से ऐसे टकरा रहे
थे,
कि वो बरबस उसके चहरे पर ही सबका ध्यान खींच रहे थे। और उसकी नीली झील सी आंखो का तो
क्या कहना,
जैसे सब को अपनी ओर बुला रही हों।
वो आकर bench पर बैठ कर किसी का
इंतज़ार कर रही थी।
सब उसकी ही ओर देख
रहे थे। मेरा भी ध्यान बरबस उसकी तरफ खिंचा चला गया, तो क्या देखता हूँ? वो भी मेरी ही तरफ देख रही थी। मुझे
लगा-
नहीं, वो मुझे क्यों देखेगी? पीछे ही देख रही होगी। मेरे पीछे की
दीवार पर गणपति जी की बेहद खूबसूरत painting लगी थी। अक्सर लोग, उसे देखा करते थे।
मैं अपने काम में जुट
गया,
थोड़ी देर बाद रोहित मेरे पास आया,
और बोला,
अरे मुकुल वो लड़की तेरी तरफ ही क्यों देखे जा रही है?
उसकी आवाज़ से जलन साफ
साफ झलक रही थी। अरे नहीं रोहित वो बप्पा की painting देख
रही होगी,
मुझे कौन देखता है?
तुमने, मुझे उल्लू समझ रखा है क्या? वो बस तुम्हें ही एकटक देख रही है। उसकी नज़र तुम से हट ही नहीं रही है। उसने चिढ़ते हुए कहा।
उसके ऐसा कहने से
मैंने भी देखा,
वो बराबर मुझे ही देख रही थी। उसका इस तरह से मुझे देखना, मुझे भी अंदर तक गुदगुदा गया। कहाँ तो
कभी किसी साधारण सी लड़की ने भी नही
देखा था। और आज ये हसीना,
मुझसे नज़र ही नहीं हटा रही है। रोहित उसके पास चला गया। उसने उस लड़की से पूछा, what’s the problem Ma’am ?
May I help you? पर वो मेरे seat
की ओर आ गयी। और मुझ से पूछने लगी। Sir, madam दीक्षित कब आएंगी?
मैंने कहा, madam 10 मिनट में आ रही
होंगी। पर मेरे बोलने पर वो और
बहुत प्यार से मंत्र-मुग्ध
सी मुझे देखने लगी।
जैसे वहाँ सिर्फ मैं और वो ही
हों.....
इस interesting story में फिर क्या हुआ, जानते हैं वो नज़र (भाग -2) में
Very secretive story
ReplyDeleteThank you Ma'am for your admiring words
Delete'वो नज़र'सचमुच पाठक की उत्सुकता को बांधे रखती है।पाठक कहानी की परिकल्पना में क्खो सा जाता है।और अब उत्सुकता से इंतज़ार है इस कहानी के भाग-२ का ।
ReplyDeleteरूबी वर्मा
Thank you Ma'am for showing your interest
Deleteआपके सराहनीय शब्दों ने मेरी लेखनी को नयी प्रेरणा प्रदान की है