Sunday 10 May 2020

Poem :. माँ और मैं

माँ और मैं



मैं, चैन से सोता रहा।
माँ, रात भर चादर उढ़ाती रही;
मुझे ठंड से बचाती रही।

मैं, दिन भर पढ़ता रहा।
माँ, मुझे निवाला खिलाती रही;
कमजोर होने से बचाती रही।

मैं, मंजिलों की तलाश करता रहा।
माँ, रास्ते दिखाती रही;
मंजिलों तक पहुंचाती रही।

जिन्दगी की, उलझनों में फंसता रहा।
माँ, मेरा हौसला बढ़ाती रही;
मुझे गिरने से बचाती रही।

मैं, जिन्दगी हूँ उनकी।
उनके, जिन्दगी के हरपल से
 यह बात समझ आती रहीं।।

आज़ हूँ, जिंदगी के
उस, मुकाम पर;
जब सब मेरे पास है।।

पर जब भी सोचता हूँ,
अपनी माँ के बारे में;

ना, मैंने कभी उन्हें चादर उढ़ाई।
रोटी,ना कभी हाथों से खिलाई;
वो सबसे ख़ास हैं, मेरे लिए,
यह बात भी, ना कभी उन्हें बताई।।

क्योंकि चाहकर भी, माँ के जैसा।
मैं, कभी बन सकता नहीं।।


क्योंकि माँ, माँ है।
मैं नहीं,
उनके बिना मेरा;
अस्तित्व ही नहीं।।

माँ में ही है, केवल वो शक्ति।
जो ईश्वर को भी, सीखा सके,
उनके जैसी, सोच दुनिया में,
कोई भी ना पा सके।।


🙏🏻सभी माँ को समर्पित ‌🙏🏻

💐 मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ  💐

10 comments:

  1. V. Emotional...Maa tujhe salaam💐💐

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    1. Thank you very much for your appreciation 🙏

      💐🙏🏻 🙏🏻Maa tujhe pranam 🙏🏻 🙏🏻💐

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  2. Maa he ishwar hai....very nice

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    Replies
    1. Thank you very much for your appreciation 🙏

      Maa hi Eshwar ❤️

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  3. Replies
    1. Thank you very much for your appreciation 🙏♥️

      Maa hain, to hum hain


      Love you Mummy 😘

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  4. Replies
    1. Maa tujhe pranam 🙏🏻 🙏🏻 ❤️ 😘 🙏🏻 🙏🏻

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  5. Simply amazing 👏👏👏👏😍😍😍

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    Replies
    1. Thank you very much for your appreciation 🙏

      Your words boost me up

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