Wednesday 24 June 2020

Kids Story : वीरा


वीरा


वीरा केवल नाम की वीरा थी, वरना तो कोई छोटा सा puppy भी देख लेती तो mumma mumma करने लग जाती थी। और एक छोटा सा कीड़ा भी उसे अपनी जगह से हिलाने की क्षमता रखता था। इस कदर डरपोक थी, कि अब तो वो शक्ल से भी दब्बू ही लगती थी।

वीरा के माँ-पापा बहुत ही साहसी थे। 

पर वीरा के ऐसा होने से उसकी बुआ, उसकी माँ से हमेशा यही कहा करती थी, भाभी आपने क्या सोच कर इसका नाम वीरा रख दिया, इसका नाम तो भीरु रखना चाहिए। वो हमेशा उसे दब्बू ही कह कर बुलाती थी। 

माँ को बहुत बुरा लगता था। पर क्या करती, जब अपना ही सिक्का खोटा हो।

मेम साहब, हम जा रहे हैं, वीरा दीदी घर वापस आ गयी हैं। कह कर काम वाली चली गयी। 

पर हमेशा की तरह, उस दिन भी जब वीरा स्कूल से घर आई, तो आते से ही उसने दरवाज़ा बंद नहीं किया था। 

उस दिन माँ की तबीयत ठीक नहीं थी। वे दवा खाकर लेटी थीं, उन्होंने लेटे लेटे ही वीरा से कहा, बेटा तेरा खाना microwave में रखा है। गुड्डा,  गरम करके आज खाना अपने आप ले लेगी, या मैं उठूँ?

नहीं! माँ, मैं ले लूँगी अपने आप। 

स्कूल जाते वक़्त वीरा के पापा ने उसे सख्त हिदायत दी थी, कि “माँ को आराम करने देना। और आज खाना भी अपने आप ले लेना”।

सुन कर कि, वीरा खाना ले लेगी, माँ सो गयी। वीरा भी कपड़े बदलने चली गयी।

तभी कुछ आवाज़ें सुनाई देने लगीं, वीरा कपड़े बदल कर बाहर आई। 

तो उसने देखा दो अजनबी घर के अंदर घुस आए थे। वीरा की लापरवाही के कारण ऐसा हुआ था, उसने दरवाज़ा जो नहीं बंद किया था।

उसमें से एक के हाथ में बंदूक और दूसरे के हाथ में चाकू था। उनकी शक्ल से ही साफ साफ समझ आ रहा था, कि वे चोर थे।

उन्हें देख कर वीरा बुरी तरह से घबरा गयी थी। माँ दवाई खा कर सो रहीं थीं, काम वाली जा चुकी थी। पापा के आने में अभी काफी समय था।

वीरा पर बंदूक तानते हुए एक चोर ने पूछा, घर में कौन कौन है?

कोई.... कोई भी नहीं।

वीरा माँ के बारे में नहीं बताना चाह रही थी, क्योंकि माँ बीमार थीं, और दवाई के असर से गहरी नींद में सो भी चुकी थीं। 

अकेली हो....  कह कर चोर हँसने लगे।

अच्छा चल बता, तेरी माँ गहने कहाँ रखती हैं?

जी, उस कमरे के अंदर एक कमरा है, वहीं माँ गहने और पैसे रखती हैं।

बड़ी समझदार लड़की है, सब बता दे रही है, दूसरे चोर ने कहा। 

अंकल मैं खाना खाने जाऊँ? मैं अभी स्कूल से आयीं हूँ ना, मुझे बड़ी भूख लगी है।

वीरा के सब बता देने, और उसके दब्बू चेहरे के कारण, चोर उसकी तरफ से आश्वस्त थे। वे कमरे की तरफ मुड़ गए, और वीरा kitchen की तरफ।

जब वे उस कमरे में पहुंचे, वहाँ बड़ा अंधेरा था, जब वो पलट कर वापस आने लगे तो, उन्होंने पाया कि दरवाज़ा बंद था। 

वो ज़ोर ज़ोर से दरवाज़ा पीटने लगे, पर वीरा ने दरवाज़ा नहीं खोला। उन्होंने अंदर का समान भी तोड़ना- फोड़ना शुरू कर दिया था। पर उसका भी वीरा पर असर नहीं हुआ।

कुछ ही देर में, पुलिस, और वीरा के पापा, घर आ गए थे। चोर पकड़े गए। 

थोड़ी देर में माँ भी उठ गयीं, तो उन्होंने भी अपने कमरे का दरवाज़ा बंद पाया। वे जब दरवाज़ा knock करने लगीं, तो पापा ने दरवाज़ा खोला।

माँ ने पूछा, दरवाज़ा क्यों बंद किया था?

तब वीरा ने बताया, कि चोर घुस आए थे, आप सो रहीं थीं, आपके पास आवाज़ें न जाएँ, इसलिए आपका दरवाज़ा भी बंद कर दिया था। 

चोरों को store room का गलत पता बता कर, kitchen में जाने का झूठा नाटक करके उन्हें भी बंद कर दिया था। 

फिर पापा को फोन कर दिया था। पापा, पुलिस अंकल को ले आए, और चोर पकड़े गए।

माँ ने पूछा, तुम्हें डर नहीं लगा?

लगा था, माँ! पर आपको कुछ नुकसान ना हो, जब ये सोचा, तो ना जाने कहाँ से हिम्मत आ गयी। 

माँ और पापा ने उसे बहुत सारा प्यार किया।

 जब बुआ ने सुना, तो वो देखने चलीं आयीं। 

तब वीरा की माँ ने बड़े गर्व से कहा, दीदी ये आपके भैया और मेरी बेटी है, इसलिए इसका नाम वीरा है। 

उसके बाद से वीरा की बुआ ने उसे दब्बू कहना बंद कर दियाऔर वीरा ही कहने लगीं।           


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