आज आप सब के साथ मुझे दिल्ली की मंझी हुई साहित्यकार भावना शर्मा जी की कहानी को share करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। इनको हिन्दी साहित्य में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त है।
अपनी कहानी के माध्यम से भावना जी ने रिश्तों की उलझन को बखूबी प्रदर्शित किया है। आप सभी कहानी का आनन्द लीजिए।
अनहद नाद
आज मुझे ऑफिस से घर आने में काफ़ी देर हो गई I जैसे ही कॉलोनी के गेट के अंदर क़दम बढ़ाया देखा चारों तरफ़ शांत वातावरण था I मुझे केवल मेरे ही क़दमों की आहट सुनाई दे रही थी I सब सो चुके थेI हर घर की बत्ती बंद थीI
मैंने अपने घर के सामने पहुँचकर जैसे ही अपना हाथ दरवाज़ा खटखटाने के लिए उठाया तभी मेरी निगाहें मेरे साथ वाले घर के बरामदे पर गईंI मुझे ऐसा लगा वहाँ कोई हैI पर रोशनी न होने के कारण ठीक से दिखाई नहीं दे रहा थाI
मन में जिज्ञासा हुई तो मेरे क़दम अपने आप उस ओर बढ़ गएI जैसे-जैसे मैं बढ़ी उनकी तस्वीर साफ़ होती गई I देखा, यह क्या!
ये तो कौशिक अंकल हैंI उनके बाल रुई की तरह सफ़ेद हैंI चेहरे पर बारीक़ बारीक़ झुर्रियों ने मानो अपना घर बना लिया होI मैंने हमेशा उनमें एक तेज देखा जो सामने वाले में हमेशा सकारात्मकता प्रदान करताI पर आज उनके चेहरे पर वो तेज क्यों नहीं हैं? और वो अकेले क्यों बैठे हैं?
पहले तो कभी उन्हें अकेले व शांत नहीं देखाI हमेशा अपने परिवार के साथ ही दिखाई देते हैंI यकायक मैंने पूछ ही लिया- “क्या बात है अंकल? आप ऐसे अकेले क्यों बेठे हैं?”
उन्होंने अपनी नम आँखों से मेरी ओर देखाI वो ख़ामोश थे पर उनकी आँखें ख़ामोश नहीं थींI ऐसा लग रहा था मानो कितने तूफ़ान उनकी आँखों में तैर रहे हैंI मैं उनकी बेचैनी साफ़ तौर पर महसूस कर पा रही थीI मुझसे उनका तनाव बर्दाश्त नहीं हो पा रहा थाI मैं उनके दर्द को कम करना चाहती थीI इसलिए सामने से ख़ुद ही पूछ लिया –
“क्या बात है अंकल? कोई परेशानी है क्या?”
अंकल ने अपने सिर को हिलाते हुए मना किया और कोई जवाब नहीं दियाI
फिर मैंने उनसे आत्मीयता से कहा- “आप मुझे अपनी बेटी कहते हैं तो अपनी इस बेटी को अपनी परेशानी बताइयेI हो सकता है कि मैं आपकी परेशानी सुलझा तो न पाऊँ पर आपके दुःख को बाँट ज़रूर सकती हूँ I”
मैंने उनके कंधे पर हाथ रख कर सांत्वना देनी चाहीI मेरा हाथ रखते ही उनकी आँखों से एक के साथ नौ-नौ आंसू बहने लगेI मुझे आश्चर्य हुआ जिस इंसान को मैंने हमेशा हँसते हुए पाया, दूसरों को प्रोत्साहित करते देखा, सुबह उठकर जो इंसान मुस्कुराते हुए सबसे मिलता है वो आज इतना उदास I
सामने से दर्द भरी आवाज़ आई- “भगवान ने ये रिश्ते क्यों बनाये हैं बेटा ?”....
आगे पढ़े अनहद नाद - (भाग -2) में......
भावना जी बहुत मार्मिक, भाग दो कब पढ़ने को मिलेगा ?
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteवाह,बधाई
ReplyDeleteवाह! भावना जी, बहुत सुंदर रचना। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत खूब भावना दीदी। अनंत शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
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