आज अपने blog के सारे पाठकों को धन्यवाद देने की बहुत इच्छा हुई।
आप कहेंगे, ऐसा भी क्या हो गया?
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर कहानी लेखन प्रतियोगिता आयोजित हुई थी, जिसमें भारत के सभी नागरिक भाग ले सकते थे।
उसका विषय था " लोगों के जीवन में खुशहाली लाता सेल " और शब्द सीमा थी - 800 शब्द ।
आप लोगों के द्वारा मिलने वाले निरन्तर प्रोत्साहन व आशीर्वाद से मेरी कहानी को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है।
एक बार पुनः आप सबका धन्यवाद 🙏
Thanks all of you,
It became possible , only because of your appreciation and blessings🙏🏻😊
बस यूं ही जुड़े रहिएगा
साथ आप सब का हो,
तब ही सफर ए मंजिल
सुहाना लगता है😊🙏🏻
वो
गाँव
मेरी
सेल में नयी नौकरी लगी थी, एक दिन मुझे पता चला कि हमें कुछ कपड़े और खाने-पीने का सामान
बाँटने रविवार को कहीं जाना है। मैंने सोचा- ये भी होता है यहाँ पर! एक दिन तो मिला
था छुट्टी का.... वो भी गया। पर कर क्या सकते थे?
हम
जब वहाँ जा रहे थे, तो वहाँ कोई पक्की
सड़क तो छोड़ दीजिये, पगडंडी भी नहीं बनी थी। जैसे-तैसे हम
वहाँ पहुंचे। वो एक आदिवासी गाँव था। गाँव क्या- जंगल ही था।
लोगों
का पहनावा, बोली,
खान-पान कुछ भी तो हम सा नहीं था। आज भी वो भूख मिटाने के लिए शिकार करते थे। वो अलग बात थी, कि उनका शिकार करने का अजब अंदाज़ था। वो बहुत फुर्तीले थे और उनका निशाना
बहुत ही सटीक था।
गाँव
में गंदगी, भूख,
लाचारी, बीमारी दिख रही थी। स्कूल,
अस्पताल का तो दूर-दूर, तक कहीं कोई नाम नहीं था।
हम
सब सामान बाँट कर वापस आ गए। ज़िंदगी अपनी रफ्तार से चलती रही।
पाँच
साल बाद मुझे मेरे बॉस ने बुलाया, और कहा- तुम पाँच साल पहले जिस गाँव में गए थे, आज वहीं
तुम्हें जाना है। फिर मुझे एक तस्वीर और एक नई मोटरसाइकिल की चाभी दी, और बताया, कि इस लड़के को तुम्हें कंपनी की तरफ से, यह मोटरसाइकिल
देकर आनी है।
मन तो किया बोल दूँ, आज ज़माना इतना आगे बढ़ गया है, तो मुझे जाने की क्या जरूरत है? ऑनलाइन डिलिवरी करवा दें।
फिर चुप रह गया, कि उस पिछड़े गाँव में कहाँ होगा ये संभव।
शायद बॉस मेरे मन की बात भाँप गए थे। वो बोले ऊपर
से आदेश है, स्वयं जाकर देनी होगी।
फिर
से उस गाँव में जाना है, सोचकर ही मन खराब
हो गया। तब तो मैं अकेला था, पर इस रविवार को जाना मुझे और
खल रहा था। रविवार का दिन मैं अपने परिवार के साथ बिताना पसंद करता था। पर मन
मारकर मुझे जाना ही पड़ा।
जब
गाँव के नज़दीक पहुँचने लगा, तो पाया कि चौड़ी
सड़क बन चुकी थी। गाँव भी साफ-सुथरा व्यवस्थित लग रहा था,
टूटे-फूटे घर की जगह पक्के घर दिख रहे थे। खेत, दुकानें, अस्पताल, स्कूल सब ही तो बन गया था। एक बार को लगा, कि कहीं गलत गाँव में तो नहीं आ गया हूँ.......।
सोचा
किस से बात करूँ?....... भाषा भी तो नहीं
समझ आएगी इनकी।
तभी
वो लड़का दिख गया, जिसे मैं मोटरसाइकिल देने आया था। मैं
सीधे उसी के पास पहुँच गया।
मैंने
उससे कहा, मैं ‘सेल’ से आया हूँ, तुम्हें मोटरसाइकिल देने।
वो
लड़का मेरे ये बोलते ही, मेरे पैरों पर
नतमस्तक हो गया। और कितना एहसान करेंगे आप लोग, हम गाँव
वालों पर?
मुझे
इस व्यहवार की एकदम उम्मीद नहीं थी,
मैं विस्मित रह गया। आखिर ऐसा भी क्या हुआ है? जो ये ऐसे कह
रहा है।
मैंने
उसे उठाया, और पूछा,
हमने ऐसा भी क्या किया?
वो
बोला, आपको शायद याद ना हो, आप पाँच साल पहले भी यहाँ आए
थे।
मुझे
अच्छे से याद है, मैंने कहा।
बोला
सर, फिर आप से क्या छुपा है, आपकी सेल बहुत ही भली है।
उसने हमारे गाँव को गोद ले लिया है। उसका ही नतीजा है कि,
हमारे गाँव की तो पूरी काया ही पलट गयी।
जहाँ
कभी भुखमरी, बीमारी,
लाचारी थी। आज वहाँ स्वछ्ता, स्वास्थ्य और सफलता है। भूख आज
भी यहाँ है, पर आगे बढ़ने की, सफल होने
की।
आज
हमारे बच्चे पढ़ रहे हैं, बीमारियों का भी उचित इलाज हो रहा है।
और
सब से बड़ी बात, हम जिसमें निपुण थे, उसमें सही मार्गदर्शन देकर हमें सफलता प्रदान कराई जा रही है।
आपको
पता है, आप मुझे मोटरसाइकिल देने क्यों आए हैं?
मैं
तो मंत्रमुग्ध सा उसकी बात सुन रहा था। मैंने नहीं में सर हिला दिया।
मुझे
राज्य स्तर में तीरंदाज़ी में
प्रथम स्थान मिला है। मैं और आगे बढ़ूँ,
देश का नाम रोशन करूँ, इसके लिए मुझे मोटरसाइकिल देकर प्रोत्साहित
किया जा रहा है। धन्य है ‘सेल’।
कुछ
ही देर में गाँव के अन्य सदस्य भी आ गए,
मेरी बहुत खातिरदारी हुई। मुझे वो लड़का बाहर मेन-रोड तक छोड़ गया, वहाँ से मुझे बस से वापस लौटना था।
लौट
तो मैं रहा था, पर मन वहीं था। आज ‘वो गाँव’ मुझे सोचने पर मजबूर कर रहा था कि मैं
कितनी अच्छी कंपनी में काम कर रहा हूँ। जहाँ आज सारी कंपनियाँ केवल अपने मुनाफे के
बारे में सोच रहीं हैं, वहीं हमारी कंपनी ना केवल अपना कार्य
सुचारु रूप से कर रही है, अपितु वो अपने आस-पास के इलाकों, गाँवों का सर्वांगीण विकास करती है। सिर्फ उनके जीवन में खुशहाली ही नहीं
ला रही है, उनका भविष्य भी स्वर्णिम कर रही है। गाँवों का
विकास देश का विकास है। सही मायनों में आज हमारे देश को सेल जैसी कंपनियों की
आवश्यकता है, जो पूरे देश में खुशहाली लाने की क्षमता रखती
हों।
सच में- धन्य है हमारी ‘सेल’। आज मुझे इसका अंश होने पर गर्व है।
Wow.. Amazing story and amazing work done by SAIL... Congratulations 💐💐💐
ReplyDeleteThank you very much for your appreciation 🙏❤️
DeleteYour words boost me up
Yes. There's a little bit of SAIL in everybody's life.
Nice story 👍
ReplyDeleteNice story 👍
ReplyDeleteIt became possible only because of your appreciation 🙏❤️
DeleteProud to be a part of SAIL family... very nice story and well written...no doubt it's a prize winning story.
ReplyDeleteYes, we are lucky enough, that we are a part of the SAIL family.
DeleteThank you very much for your appreciation 🙏❤️
Your words inspired me to keep writing.
बहुत बढ़िया कहानी अनीमिका जी
ReplyDeleteआप के सराहनीय शब्दों का ह्रदय से अनेकानेक धन्यवाद 🙏❤️
DeleteExcellent story and work
ReplyDeleteThank you very much for your appreciation 🙏❤️
DeleteYour words inspired me ☺️