फ़रमाइश
जब मैं छोटा बच्चा था,
हर बात के लिए ज़िद करता है।
हर छोटी-बड़ी चीज़,
आप से मांगा करता था।।
कुछ थोड़ा चलकर,
रुक जाया करता था।
गोदी में चढ़ने की,
फ़रमाइश भी करता था।।
कुछ थोड़ा खाकर,
छोड़ दिया करता था।
आप पूरा खा लीजिए,
यह बोल दिया करता था।।
मेरी, हर छोटी-बड़ी मांग,
आप पूरी किया करते थे।
मुझे अपनी गोदी में,
उठा लिया करते थे।।
आपको राजा और खुद को,
राजकुमार समझता था।
पूरी दुनिया है मेरी मुठ्ठी में,
ऐसा सोचा करता था।।
आपके हौसलों ने मुझे,
काबिल बना दिया।
भंवर में ना फंसे कश्ती,
ऐसा साहिल बना दिया।।
आज सच में है,
दुनिया मुट्ठी में मेरी।
पर कोई ख्वाहिश नहीं है,
दिल में पहले सी फ़रमाइश नहीं है।।
🧔🏻👦🏻
💙Happy Father's Day💙
बहुत सुंदर वर्णन है बचपन का,
ReplyDeleteपुरानी यादें ताजा हो गई 😊
आपके सराहनीय शब्दों का ह्रदय से अनेकानेक आभार 🙏🏻❤️
Deleteआपके शब्द मुझे सदैव प्रेरित करते हैं 🙏🏻🙏🏻
सरल शब्दों में लिखी हुई सहज स्वाभाविक सुन्दर रचना है।
ReplyDeleteआपके सराहनीय शब्दों का ह्रदय से अनेकानेक आभार 🙏🏻❤️
Deleteआपके शब्द मुझे सदैव प्रेरित करते हैं 🙏🏻🙏🏻
बहुत सुंदर और वास्तविक चित्रण पिता के असीम स्नेह का����
ReplyDeleteआपके सराहनीय शब्दों का ह्रदय से अनेकानेक आभार 🙏🏻❤️
Deleteआपके शब्द मुझे सदैव प्रेरित करते हैं 🙏🏻🙏🏻