हिन्दी क्यों सबसे बेहतर
हिन्दी दिवस के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ 💐🙏🏻
हिन्दी, पहचान, शान और मान है भारत की। यह भारत की राजभाषा, राष्ट्रभाषा व संपर्क भाषा है, तथापि कितने लोग हैं जो इसकी विशेषता को नहीं जानते हैं?
यूँ तो सभी को अपनी भाषा सबसे अधिक अच्छी लगती है, वैसे ही हमें भी अपनी हिंदी भाषा सबसे अधिक प्रिय है।
पर आज आप को यह बात बताने जा रहे हैं कि सभी भाषाओं में हिंदी भाषा सबसे बेहतर क्यों है? सबसे विशिष्ट क्यों है?
वैज्ञानिक भाषा :
हिन्दी भाषा, एक वैज्ञानिक भाषा है। आप कहेंगे कि हम यह किस आधार पर कह कर हैं? तो चलिए, आप को सिद्ध करते हैं।
आप ने कभी सोचा हिन्दी भाषा में आने वाले व्यंजनों का जो क्रम है, वो वैसा ही क्यों है? व्यंजनों को 5 के समूह में ही क्यों बांटा गया है?
ऐसा इसलिए है कि एक समूह में आने वाले सभी व्यंजनों को मुख के एक विशेष स्थान से ही बोला जाता है। जैसे की क वर्ग के सभी अक्षर कंठ से बोले जाते हैं अर्थात् क ख ग घ डं सब कंठ से बोले जाते हैं।
क वर्ग – क , ख , ग , घ , डं
च वर्ग – च , छ , ज , झ , ञ
ट वर्ग – ट , ठ , ड , ढ , ण , ड़ , ढ़
त वर्ग – त , थ , द , ध , न
प वर्ग – प , फ , ब , भ , म
अंतः स्थल वर्ग – य , र , ल , व
उष्म वर्ग – श , ष , स , ह
संयुक्त वर्ग – क्ष , त्र , ज्ञ , श्र ,
गृहीत वर्ग – ज़ , फ़ ,ऑ
क च ट त प वर्ग को क्रमशः कंठ से होंठ तक बोला जाता है।
अब आप को समझ आ गया होगा कि हिन्दी के वर्णों का संयोजन भी वैज्ञानिक स्वरुप में किया गया है।
जहांँ आरम्भ ही वैज्ञानिक रूप से किया गया है, तब आप समझ सकते हैं कि वह पूरी तरह से कितनी वैज्ञानिक भाषा है।
सटीकता :
हिन्दी में एक विशेषता यह भी है कि जो शब्द जैसे लिखा जाता है, वैसा ही बोला जाता है, या यूं कहें कि जैसा बोला जाता है, वैसा ही लिखा भी जाता है। जबकि अन्य भाषाओं में कभी उसी spelling को कुछ पढ़ेंगे कभी कुछ और, साथ ही कभी-कभी शुरुआत के कुछ letters को छोड़कर पढ़ेंगे, कभी शामिल कर के। जिसके कारण क्या सही है, क्या ग़लत, कभी स्पष्ट ही नहीं होता है।
सरलता :
हिन्दी में सटीकता होने की वजह से इसका सरलता से अध्ययन किया जा सकता है। साथ ही इसको सरलता से आत्मसात भी किया जा सकता है।
विविधता :
हिंदी भाषा में विविध रूप पाए जाते हैं। इसमेंं संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, लिंग के साथ ही रस, छंद (दोहा, सोरठा, रोला, चौपाईयां), अलंकार, मुहावरे, पर्यायवाची, अनेकार्थी शब्द, सन्धि विच्छेद, इत्यादि होते हैं।
अलंकरण :
हिन्दी में उपस्थित विविधता उसको अलंकृत करती है जो इसकी विशिष्टता को और अधिक बढ़ा देती है। हिन्दी में सभी विधाओं में उत्कृष्ट कवि व लेखक हैं, जिन्होंने भारत को साहित्य जगत में सर्वोच्च स्थान पर आसीन किया हुआ है।
अस्तित्व :
हिन्दी भाषा ने सभी रिश्तों को अलग अस्तित्व प्रदान किया हुआ है। यहाँ सभी को एक ही नाम से संबोधित नहीं किया जाता है, बल्कि सबके अलग-अलग नाम हैं, मान है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सबसे अलग तरह से वार्तालाप किया जाता है। यहांँ तक अलग लिंग होने पर, उनके द्वारा बताई गई बात भी अलग-अलग तरह से बताई जाती है, जिससे पढ़ने मात्र से ही समझ आ जाता है कि जिसके विषय में पढ़ा जा रहा है वो पुरुष है अथवा स्त्री।
अभिव्यक्ति :
हम यह भी कह सकते हैं कि हिन्दी, एक भाषा नहीं अभिव्यक्ति है। क्योंकि इसको पढ़ने और सुनने मात्र से यह स्पष्ट हो जाता है कि हम किसके विषय में बात कर रहे हैं, वो कौन है, उससे हमारा क्या रिश्ता है, हमारे मन में उसके लिए क्या भाव हैं।
हमारे मन की अभिव्यक्ति है हिन्दी भाषा।
हिन्दी की विशेषता इतने भर से समाप्त नहीं हो जाती, वो तो अनंत है कि हम लिखते-लिखते सम्पूर्ण लिख नहीं पाएंगे और आप पढ़ते-पढ़ते थक जाएंगे।
तो आज अभी इतना ही लिख रहे हैं, समय-समय पर आप को और भी जानकारी देते रहने का प्रयास करेंगे।
आज का हमारा प्रयास था कि आप को सरल शब्दों में बताएं कि हिन्दी सर्वश्रेष्ठ क्यों है?
आशा है आप को भी अपनी हिंदी पर और अधिक गर्व हो गया होगा।
आप सभी से अनुरोध है कि हिन्दी की विशेषता को मान दीजिए साथ ही अपने बच्चों को भी इससे अवगत कराएं। जिससे वो भी अपनी राजभाषा हिंदी का सम्मान कर सकें, उस पर गर्व कर सकें, उससे प्रेम कर सकें।
जब हम सभी भारतवासी अपनी राजभाषा का मान भारत माता की तरह करेंगे, तभी हिन्दी भाषा का सम्पूर्ण विकास होगा।
जय हिन्द जय हिन्द 🇮🇳🙏🏻
बहुत ज्ञान पूर्ण विश्लेषण ।हिंदी के बारे में इतनी अधिक जानकारी वाह अनीमिका जी।
ReplyDeleteआप के सराहनीय शब्दों के लिए ह्रदय से अनेकानेक आभार 🙏🏻❤️
Deleteशानदार आलेख अनामिका !
ReplyDeleteआप के सराहनीय शब्दों के लिए ह्रदय से अनेकानेक आभार 🙏🏻❤️
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