जगन्नाथ रथयात्रा प्रारंभ और विशेषता
आज से रथयात्रा प्रारंभ हो रही है, तो सोचा अपने अनुभव व रथयात्रा की विशेषता को ही साझा किया जाए।
आज का लेख, भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा के पावन पवित्र उत्सव को समर्पित 🙏🏻
जैसा कि आप सभी जानते हैं, भगवान श्रीकृष्ण जी के साथ हमेशा से राधा जी का नाम ही लिया जाता है, उनका ही एक साथ मंदिर होता है और एक साथ पूजा की जाती है।
केवल महाराष्ट्र के पंढरपुर में भगवान श्रीकृष्ण जी के साथ रुक्मिणी जी की पूजा की जाती है।
ऐसे ही उड़िसा में भगवान श्रीकृष्ण जी की पूजा, बलराम व सुभद्रा जी के साथ की जाती है।
पुरी की जगन्नाथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है। हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि से रथ यात्रा निकलती है।
इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 20 जून 2023 को शुरू होगी।
इस रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ जी के अलावा उनके बड़े भाई बलराम जी और बहन सुभद्रा जी रथ पर सवार होकर जनता का हाल जानने निकलते हैं।
उड़ीसा और बंगाल में इस समय अजब छटा के दर्शन होते हैं। वहां रहने वाले सभी रथ की ओर उमड़ पड़ते हैं, एक अलग ही भक्तिमय माहौल रहता है। रथ की डोर को क्षणभर भी पकड़ने का अवसर मिल जाए, तो लगता है मानो साक्षात जगन्नाथ भगवान के ही दर्शन हो गए।
मान्यता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा के दर्शन मात्र से व्यक्ति के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं।
इस दिन तीन विशालकाय रथ निकलते हैं। जगन्नाथ रथ यात्रा में इन विशालकाय रथों की एक अपनी विशेषता होती है।
आइए जानते हैं कि जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई? और क्या है, इन रथों की विशेषता -
पर पहले जान लेते हैं, रथ यात्रा के प्रारंभ व समापन के समय को -
जगन्नाथ जी की रथ यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 20 जून 2023 को रात्रि 10.04 मिनट पर शुरू होगी और यात्रा का समापन 21 जून 2023 को शाम 07.09 मिनट पर होगा।
नगर भ्रमण के बाद इस दिन भगवान जगन्नाथ जी, बलराम जी और सुभद्रा देवी गुड़िचा मंदिर में अपनी मौसी के घर विश्राम करेंगे।
जगन्नाथ रथयात्रा प्रारंभ (शुरुआत) -
जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत को लेकर कई कथाएं प्रचलित है, एक कथा के अनुसार एक बार देवी सुभद्रा ने अपने भाई श्रीकृष्ण और बलराम से द्वारका दर्शन की इच्छा जाहिर की। जिसे पूरी करने के लिए तीनों रथ पर सवार होकर द्वारका नगर भ्रमण पर निकले तभी से रथयात्रा हर साल होती है.
जगन्नाथ रथ की खासियत
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा देवी के रथ नीम की पवित्र और परिपक्व लकड़ियों से बनाये जाते है. इन रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील या कांटे या अन्य किसी धातु का प्रयोग नहीं होता है। सभी रथ में इतनी हल्की लकड़ियां होती है कि रथ को आसानी से खींचा जा सकता है..
श्रीकृष्ण के रथ की विशेषता
832 लकड़ी के टुकड़ों से बना जगन्नाथ जी का रथ 16 पहियों का होता है, जिसकी ऊंचाई 13 मीटर तक होती है, इसका रंग लाल और पीला होता है। गरुड़ध्वज, कपिध्वज, नंदीघोष ये भगवान जगन्नाथ के रथ के नाम हैं।
रथ की ध्वजा यानी झंडा त्रिलोक्य वहिनी कहलाता है। रथ को जिस रस्सी से खींचा जाता है, वह शंखचूड़ नाम से जानी जाती है। भगवान जगन्नाथ रथ के रक्षक भगवान विष्णु के वाहन पक्षीराज गरुड़ हैं।
सुभद्रा देवी का रथ
सुभद्राजी के रथ पर देवी दुर्गा का प्रतीक होता है। देवी सुभद्रा के रथ का नाम देवदलन है. लाल और काले रंग का ये रथ 12.9 मीटर ऊंचा होता है। रथ के रक्षक जयदुर्गा व सारथी अर्जुन होते हैं। इसे खींचने वाली रस्सी को स्वर्णचुड़ कहते हैं.
बलरामजी का रथ
भगवान बलभद्र को महादेवजी का प्रतीक माना गया है। रथ का नाम तालध्वज है। रथ के रक्षक वासुदेव और सारथी मताली होते हैं। 13.2 मीटर ऊंचा और 14 पहियों का ये रथ लाल, हरे रंग का होता है।
आज इतना ही...
कान्हा जी सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें
आप सभी को जगन्नाथ रथयात्रा शुभ हो 🙏🏻
जय श्री कृष्णा 🚩
No comments:
Post a Comment
Thanks for reading!
Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)
Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.