प्रसन्नता का योग
एक ऊंची काली पहाड़ी थी, वहां पर एक बहुत ही मस्त बाबा रहा करते थे।
उनको किसी ने कभी दुखी नहीं देखा था, वो हर हाल में प्रसन्न ही रहते थे।
उनसे बहुत लोग जुड़े हुए थे, क्योंकि वो यथासंभव सबकी मदद किया करते थे। बहुत से लोग उन्हें बहुत मान देते थे और उनकी तारीफ करते हुए नहीं थकते थे,पर वहीं उनसे जुड़े हुए कुछ लोग ऐसे भी थे, जो उनको फूटी आंख नहीं पसंद करते थे।
उन्हें लगता था कि, उन्हें बस सुख ही सुख है, इसलिए ही वो इतने प्रसन्न रहते हैं। हर किसी को तो, दूसरे का सुख बर्दाश्त नहीं होता।
उनकी प्रसन्नता की ख्याति दूर-दूर तक फैलने लगी, एक दिन उन बाबा के पास, कुछ media के लोग पहुंच गए।
और उनसे पूछने लगे, बाबा जी, एक बात बताएं हमारे सभी दर्शकों को, कि आप की प्रसन्नता का क्या कारण है? क्या आप को कोई दुःख नहीं है या अपने योग-ध्यान इत्यादि से इतनी सिद्धी प्राप्त कर ली है?
बाबा जी ने एक मीठी सी मुस्कान के साथ बात शुरू की।
भाई, इस दुनिया में कहीं कोई ऐसा नहीं है, जिसे कोई, दुःख, कष्ट, रोग, व्याधि ना हो... यहां तक कि जब प्रभु श्रीराम और श्रीकृष्ण जी ने मानव शरीर धारण किया था, तो उन्होंने भी सुख-दुख सब भोगा था। तो मैं जीवन के सुख-दुख से कैसे वंचित रह सकता हूं? मुझे भी दुःख, कष्ट, रोग सब हैं...
तो क्या बाबा जी आप रोज़ योग-ध्यान इत्यादि करते हैं? बहुत सी चीजों का परहेज करते हैं?
नहीं बेटा, मैं ऐसा कुछ भी नहीं करता हूँ, मैं बस यह करता हूं कि, कोई भी बुरे व्यसन, जैसे शराब, सिगरेट, गुटखा, तम्बाकू, मांस-मछली आदि का सेवन नहीं करता हूँ। मैं सभी तरह का पौष्टिक भोजन करता हूं।
घी, तेल, दूध, दही सब?
हां, भाई हमारे शरीर को यह सब चाहिए। पर एक चीज़ और है कि मैं अल्पाहारी हूं और भरपूर मेहनत करता हूं।
अल्पाहारी होने से क्या होता है?
जब आप अल्पाहारी होते हैं, तो कोई भी भोजन अधिक नहीं खाते हैं, और जब कुछ भी अधिक नहीं खाएंगे तो, कुछ नुकसान भी नहीं करता है। और मेहनत करने से सब अच्छे से digest भी हो जाता है।
अच्छा हाँ, तुमने योग की बात की थी, तो याद आया कि, एक योग तो मैं भी करता हूं...
Media वाले की आंखें चमक गई, अरे उसे ही तो हम जानने आए हैं...
वो योग है प्रसन्नता का योग...
प्रसन्नता का योग?
यह क्या है?
मुझे कोई भी दुःख हो, कष्ट हो, रोग हो, कोई मेरा साथ दे कि ना दे, मैं हर हाल में प्रसन्न रहता हूं।
हर हाल में?
ईश्वर ने इतनी अनमोल जिंदगी दी है, कोई दुःख पड़ने से प्रसन्नता योग छोड़ देना ही सबसे बड़ी भूल है, जिसने इस योग को अपनाया, उसी ने सच्चा जीवन पाया है, जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी...
जिंदगी के बाद भी मतलब?
जो प्रसन्नता योग का पालन करता है, वो दूसरों से जलन भाव नहीं रखता है, बल्कि सदैव दूसरों की यथासंभव मदद भी करता है, समझे?
जब वो जीवित रहता है तो प्रसन्न रहता है और मृत्यु के पश्चात् भी लोग उसके अच्छे गुण और कर्म के लिए याद करते हैं। अतः वह मृत्यु के पश्चात् भी सबके बीच में अच्छी याद बनकर रहता है। अमर हो जाता है।
सही कहा आपने बाबा जी, हम जो भी योग करें, सभी अच्छे हैं, पर प्रसन्नता योग सबसे ऊपर है और जो सुख-दुःख दोनों में ही प्रसन्न रहें, उसे मोक्ष अवश्य मिलेगा, क्योंकि ऐसे व्यक्ति तो ईश्वर को भी सर्वप्रिय हैं।
आप सभी को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻
स्वस्थ रहिए, प्रसन्न रहिए, सुखी रहिए 🏃🤸😊
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