हनुमान जन्मोत्सव, यह दिन भगवान हनुमान जी के जन्म दिवस का प्रतीक है। हनुमान जी, जिनके नाम मात्र से संकट का नाश हो जाता है। रामभक्त, बजरंगबली, संकटमोचन, हनुमान, मारुतिनंदन, अंजनी पुत्र, पवनपुत्र आदि बहुत से नामों से जाने वाले प्रभू, सदैव हम सब के साथ रहें और सबकी रक्षा करें 🙏🏻🙏🏻
आज हनुमान जन्मोत्सव पर आपके साथ कुछ तथ्य साझा कर रहे हैं, जिससे आपको पता चलेगा कि भगवान हनुमान जी के साथ इतने ज़्यादा अद्भुत संयोग हैं कि वह उन्हें सब से अलग बनाता है। यहां उनसे जुड़े कुछ अद्भुत संयोग प्रस्तुत कर रहे हैं..
पहला अद्भुत संयोग है कि, हनुमान जी को भक्त शिरोमणि भी कहा जाता है, क्योंकि वो प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त थे। एक ईश्वर जो दूसरे ईश्वर को इतना पूजते थे कि भक्त शिरोमणि कहलाएं, यह अपने आप में अद्भुत संयोग है।
दूसरा अद्भुत संयोग है कि, उनके जन्मदिवसi को जन्मोत्सव कहते हैं, जयंती नहीं, पर क्यों? यह आपको हमारे article हनुमान जन्मोत्सव या हनुमान जयंती में पढ़ने को मिल जाएगा।
तीसरा अद्भुत संयोग है कि एक साल में हनुमान जन्मोत्सव, दो बार मनाया जाता है? पर क्यों? आज इसके ही पीछे का अद्भुत रहस्य साझा कर रहे हैं।
हनुमान जन्मोत्सव का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। इसका हिंदुओं में बड़ा धार्मिक महत्व है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन भाव के साथ पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। भक्त इस दिन को बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं।
बता दें बजरंगबली का जन्म कार्तिक मास में हुआ था, उनके पिता कपियों के महाराजा केसरी और माता अंजनी थी।
फिर चैत्र मास में किस वजह से मनाया जाता है हनुमान जन्मोत्सव?
हनुमान जन्मोत्सव कब?
चैत्र मास या कार्तिक मास…
हनुमान जन्मोत्सव का दिन अपार भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। यह हर साल दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र माह की पूर्णिमा और दूसरी कार्तिक माह की चतुर्दशी तिथि को। इस बार यह 23 अप्रैल, 2024 के दिन मंगलवार को मनाया जा रहा है।
राम भक्त हनुमान जी के जन्म को लेकर भक्तों के मन में यह सवाल हर साल आता है कि आखिर उनका जन्म साल में दो बार क्यों मनाया जाता है?
I. चैत्र मास में जन्मोत्सव का कारण :
ग्रंथों के अनुसार, यह घटना, हनुमान जी के बाल्यकाल की है, हनुमान जी का नाम बचपन में मारुति था। एक दिन मारुती नंदन अपनी निद्रा से जागे और उन्हें तीव्र भूख लग गई। उन्होंने पास के एक वृक्ष पर लाल पका फल देखा, जिसे खाने के लिए वे निकल पड़े। दरअसल मारुती जिसे लाल पका फल समझ रहे थे वे सूर्यदेव थे।
अतः भोजन की लालसा में फल समझकर सूर्यदेव को निगल लिया था।
जब इंद्रदेव को यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने मारुति से भगवान सूर्य को मुख से निकालने को कहा, तो उन्होंने मना कर दिया, जिसके चलते देवराज इंद्र क्रोध में आ गए और उन्होंने मारुति पर वज्र से प्रहार कर दिया, जिससे उनकी ठुड्ढी थोड़ी सी टेढ़ी हो गई और वे मूर्छित हो गए।
अपने पुत्र को मूर्छित देखकर, पवनदेव क्रोधित हो गए (हनुमान जी, पवनदेव के आशीर्वाद से ही उत्पन्न हुए थे अतः उन्हें पवनपुत्र भी कहते हैं) और उन्होंने पूरे जगत से वायु का प्रवाह रोक दिया।
सम्पूर्ण सृष्टि वायु विहीन हो गई, उससे सभी त्राहि माम त्राहि माम करते हुए ब्रह्मा जी की शरण में पहुंचे।
इसके बाद ब्रह्मा जी और अन्य देवताओं ने अंजनी पुत्र को दूसरा जीवन प्रदान किया और अपनी-अपनी कुछ दिव्य शक्तियां भी दीं।देवताओं के वरदान से बालक हनुमान और भी ज्यादा शक्तिशाली हो गए, लेकिन वज्र के चोट से उनकी ठुड्ढी टेढ़ी हो गई, जिसके कारण उनका एक नाम हनुमान पड़ा।
यह घटना चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि के दौरान हुई थी, तभी से इस दिन को भी हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।
कार्तिक मास में जन्मोत्सव की कथा आपको हमारे article हनुमान जन्मोत्सव या हनुमान जयंती में पढ़ने को मिल जाएगा।
बजरंगबली की जय 🚩
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