Monday 12 August 2024

Story of Life : सुहाना सावन (भाग-6)

सुहाना सावन (भाग-1),

सुहाना सावन (भाग-2),

सुहाना सावन (भाग-3),

सुहाना सावन (भाग-4)

सुहाना सावन (भाग-5) के आगे…

सुहाना सावन (भाग-6)

इस बरस जब सावन आया, तो पूरी दुनिया प्रीत के रंग में रंग गई, पर उन बूंदों को देखकर, शिखा के मन में बस यही चलता रहता।


'लगी आज सावन की

फिर वो झड़ी है 

वही आग सीने में 

फिर जल उठी है'


उसको इंतज़ार था, अपने प्यार का, उसे विश्वास था कि अंकुर एक दिन ज़रूर लौटेगा, और एक बार फिर उसके जीवन में पहले वाला सुहाना सावन लौट आएगा...

अब कोई दिन नहीं जाता, जिस दिन शिखा को अंकुर की याद ना आती हो...

एक दिन ऐसे ही बहुत तेज बारिश हो रही थी, और शिखा बहुत दुःखी होकर उन बूंदों को देख रही थी और उन पलों को याद कर रही थी, जब वो अंकुर के साथ भीग रही थी।

पूरा एक साल हो गया था, जिसके कारण उसके दिमाग में यह बात कहीं ना कहीं घर गई थी कि अंकुर अब उससे बहुत दूर जा चुका है, पर दिल है कि मानता नहीं, उसे आज भी हर आहट अंकुर की ही लगती थी।

वो अभी इसी उहापोह में थी कि बाहर से बहुत तेज़ आवाज़ में गाना सुनाई देने लगा...


'मोहब्बत बरसा देना तू

सावन आया है 

तेरे और मेरे मिलने का

मौसम आया है...'


जो गाना, कभी उसका favourite song था, आज वो उसे शूल की तरह चुभ रहा था।

वो गुस्से से भुनभुनाती हुई बाहर आई, तभी किसी ने उसकी आंखों पर अपना हाथ रख दिया।

गुस्से से भुनभुनाती हुई शिखा, दो पल के लिए एकदम शांत हो गई थी, उसके मन में अनेक प्रश्न घूमने लगे।

यह... यह कैसा एहसास है, ऐसा.. ऐसा कैसे हो सकता है...

नहीं, नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता है।

वो ऐसा सोच ही रही थी कि एक आवाज़ उसके कानों में गूंज गई, तुम कुछ बोलोगी भी, या हमेशा के लिए शांत हो गई हो?

शिखा पलटी और देखकर दंग रह गई और सीने से लग कर फफक-फफक कर रोने लगी।

तुम, तुम यहां कैसे? तुम तो...

हां, मैं मर ही गया था शिखा, पर तुम्हारे प्यार ने मुझे बचा लिया...

मर गये थे... बचा लिया... तुम कहां थे इतने दिनों तक? मुझसे मिले क्यों नहीं?

अरे बाप रे! इतने सवाल? 

अंदर बुलाओगी या सब यहीं बताना है?

अरे, आओ ना अंकुर, तुम्हारा ही घर है...

कहकर, शिखा बहुत सारी चीज़ें खाने-पीने की trolley में लेकर आ गई और अंकुर के सामने रखकर बोली...

अब बताओ मुझे सब...

शिखा मैं बात, उस सावन से शुरू करता हूं, जब हम भीगे थे।

तुम्हें नहीं पता, पर मुझे severe निमोनिया हो चुका था और इस कारण से doctor ने मुझे, धूल-धक्कड़, पानी में भीगना, ठंडी-ठंडी चीज़ें खाने-पीने के समय बहुत ध्यान रखने को कहा था। 

जिसका मेरी माँ बहुत ध्यान रखती थी।

पर उस दिन हद का भीगने के कारण, मेरी सांस उखड़ने लगी थी, पर मैंने ना तुम्हें ज़ाहिर होने दिया ना किसी और को, नतीजतन बात, मेरी जान पर आ गई।

उस दिन, जब तुम मेरे पास ICU में आई, तो तुम्हारे भरी हुई आंखों को मैं मरने के बाद भी नहीं भूल पाया। और उसी कसक ने मुझे, तुम्हारे जाने के आधे घंटे बाद ही फिर से जीवन दे दिया। 

ओह! क्या ही अच्छा है... पर फिर तुम मेरे पास लौटे क्यों नहीं?

क्योंकि अब मैं तुम्हारे पास पूरी तरह से ठीक होकर के ही आना चाहता था।

इसलिए मैंने एक आयुर्वेदिक center को join कर लिया था, जहां ancient Indian treatment दिया जाता है। Meditation, yoga, सात्विक भोजन और खुला व स्वच्छ वातावरण आदि था। जिसने मुझे पूर्ण नवजीवन प्रदान किया है।

अब मैं तुम्हारे साथ ज़िन्दगी के सब सुख ले सकता हूं, सबसे बड़ी बात, सुहाने सावन को enjoy कर सकता हूं।

उसके बाद शिखा ने गाना बजा दिया...


'अब के सावन ऐसे बरसे

बह जाए रंग, मेरी चुनर से

भीगे तन मन, जिया ना तरसे

जम के बरसे जरा

रुत सावन की, घटा सावन की

घटा सावन की ऐसे जम के बरसे'


दोनों खूब खुश थे और बेसुध एक दूसरे की बाहों में खोए हुए थे, आखिरकार पूरे साल भर बाद, उनके जीवन में सुहाना सावन आया था और वो भी हमेशा के लिए...

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