सुहाना सावन (भाग-4) के आगे…
सुहाना सावन (भाग-5)
दोनों की शादी की तैयारी शुरू हो गई, लेकिन एक दिन सुबह-सुबह अंकुर की मम्मी का फोन आया...
शिखा, बेटा तुम जल्दी से city hospital आ जाओ, अंकुर तुम्हारा बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है।
Hospital में... पर वहां क्यों?
हां बेटा, कुछ मत पूछ, बस जल्दी से आ जाओ...
शिखा, अपनी मां के साथ आनन-फानन में hospital की ओर दौड़ गई।
Hospital में पहुंचने पर, अंकुर की मां बोली, बेटा तुम सीधे ICU की ओर चली जाओ, अंकुर ने अपनी चंद सांसें तुम्हारे लिए बचाकर रखी हैं।
ICU, चंद सांसें... यह आप कैसी बातें कर रही हैं मम्मी जी?
आप ऐसा क्यों बोल रही हैं? कहते-कहते शिखा की आंखों से बरबस ही अश्रु बहने लगे।
बेटा, यही सच्चाई है, तुम बस जल्दी से जाओ।
जब शिखा, अंकुर के पास पहुंची, उस समय अंकुर के चेहरे पर अनोखा तेज़ था और आंखें, वो तो ऐसी, जैसे ना जाने कितनी सारी बातें कहने को बेताब लग रही थी।
अंकुर क्या हुआ? तुम यहां कैसे आ गए?
शिखा वो सब छोड़ो, अभी बस इतना ही, कि जो सावन मैंने तुम्हारे साथ हमारे प्रेम की वर्षा में बिताया है, वो मेरी ज़िन्दगी का सुहाना सावन है।
मैंने अपनी जिंदगी में पढ़ाई के ऊपर कभी कुछ रखा ही नहीं, मेरी ज़िन्दगी का बस एक लक्ष्य था, IAS exam qualify करना है। वो pass करके, जैसे मेरा लक्ष्य पूरा हो गया था। ऐसा मुझे लगा...
पर जब तुमने बारिश में भीगने को कहा, तो उन शीतल बूंदों ने, तुम्हारे अनछुए स्पर्श ने और प्रेम की गर्माहट ने एक अजब सा जादू किया।
वो मुझे एक अनोखी दुनिया में ले गया, जिसकी मैंने कभी कल्पना तक नहीं की थी और सच कहूं तो उस अनोखे अनुभव को मैं शब्दों में व्यक्त भी नहीं कर पा रहा हूं।
ओह अंकुर! मुझे कब से इस पल का इंतज़ार था, कहकर, उसने अंकुर को गले लगा लिया।
थोड़ी देर बाद, "पर यह सब क्या है? तुम यहां क्यों हो?" कहकर शिखा रोने लगी...
शिखा, I am sorry... मैं तुम्हारा साथ नहीं निभा पाऊंगा। हां, इस सुहाने सावन की मीठी याद के साथ अपनी आंखें मूंद रहा हूं, इस वादे के साथ, जल्द ही जन्म लूंगा और तुम्हारे पास लौट आऊंगा...
कहकर, अंकुर चिर निद्रा में लीन हो गया...
अंकुर के जाने के बाद, शिखा एकदम शांत हो गई, वो अपनी सारी duties अच्छे से निभाती, सिवाय शादी करने के...
वो हर पल अपने अंकुर के लौट आने का इंतजार कर रही थी, क्योंकि सावन तो उसकी आंखों से हरदम रहता था।
'मेरे नैना सावन भादो,
फिर भी मेरा मन प्यासा'
इस बरस जब सावन आया, तो पूरी दुनिया प्रीत के रंग में रंग गई, पर उन बूंदों को देखकर, शिखा के मन में बस यही चलता रहता।
'लगी आज सावन की
फिर वो झड़ी है
वही आग सीने में
फिर जल उठी है'
उसको इंतज़ार था, अपने प्यार का, उसे विश्वास था कि अंकुर एक दिन जरूर लौटेगा, और एक बार फिर उसके जीवन में पहले वाला सुहाना सावन लौट आएगा...
आगे पढें, सुहाना सावन (भाग-6) में…
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