होलिका दहन - दहन अवगुणों का
चंद लकड़ियों का बनाकर ढेर,
उसमें आग लगा देना,
होता नहीं है होलिका दहन।
इसमें दहन होता है संताप का।
मन में छिपे हुए छल, कपट, पाप का।।
तपाते हैं, पूजन करते समय मन।
जिससे वो बन जाए कुंदन।।
उसमें रह जाए, सत्य और विश्वास।
शुद्ध हो जाए, सम्पूर्ण श्वास।।
जिससे जब खेलें, अगली सुबह रंग।
तब मन में रहे प्रेम की तरंग।।
पुलकित हो पाकर सब का संग।
जीवन में खुशियां हो अंतरंग।।
Wah wah..v nice
ReplyDeleteAapka dil ki gehraiyon se Bahut bahut dhanyawad🙏🏻😊
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