छुट्टियाँ ख़त्म हुई
छोटे बन्दर रह रहे
कब से घर के अन्दर
अब वो स्कूल जाएंगे
कह उठी उनकी माताएं
अब हम काम कर पाएंगे
छुट्टी होती है जब इनकी
मांओ की छुट्टी कर देते हैं
करें शैतानी, इतनी की बस
नाक में दम कर देते हैं
एक खेल ना भाए इनको
नित नए खेल की मांग करें
कहां तक करें ख्वाहिश पूरी
रोज़ नयी डिमांड करें
पिज्जा बर्गर, आइसक्रीम मैगी
हरदम बस यही इनको खाना है
ना गर दें, इनको खाने को ये सब
तब इन्हें उधम खूब मचाना है
मस्ती इतनी चढ़ी रहती है
धूप , छांव की फ़िक्र नहीं
दिन रात इन्हें क्या करवायें
मां पापा करें जिक्र यही
पर अब छुट्टी खत्म होने को आई
सारे जाएं स्कूल को भाई
मां पापा की हुई खत्म पारी
वापस आयी टीचर की बारी
Nice poem👌👌
ReplyDeleteThank you mam for your words
Delete